For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

लुकछिप आना झील किनारे, लेकर गोरी रंग।
बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।
*
सुनते सब  से  गाँव तुम्हारे, यौवन  भरी बहार।
फागुन में लचकी है चहुँदिश, फूलों वाली डार।।
फूल पलासी भरना थोड़े, आँचल अबकी बार।
हम  सूखे  पतझड़  के  वासी, मानेंगे उपकार।।
**
पा लेगा  उन फूलों  से ही, जीवन  नयी उमंग।
बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।
**
प्यासी  बंजर  धरती  जैसे, हैं  मन  के  हालात।
रूठ गयी है हर एक बदली, हवा न करती बात।।
कर  बैठा  हैं  नीरसता  से, यह  मन  फेरे सात।
गंध भला क्यों छेड़े आकर, पहले सी दिन रात।।
**
तन मन के इस सूनेपन को, कर देना आ भंग।
बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।
**
जिन से  तुम ने  मिलवाया  था, वही  रंग नाराज।
सुलह करा दो रंग पर्व पर, आकर कुछ तो आज।।
कहना मत तुम ढलता यौवन, या आती है लाज।
फिर पहले सी अभिलाषा को, करने दो परवाज।।
**
आ अँखियों से भाँग पिलाओ, कर दो मस्त मलंग।
बरसों  बाद  मनायें  होली, फिर  से  हम तुम  संग।।
**
दसकों बीते रंग  नहाये, दसकों  गाये फाग।
टूटे साजों पर झनका ना, तब से कोई राग।।
तपिष न पाई तब  सो  कोई, बुझी हुई हर आग।
मन उपवन है लिए विधुरता, कर दो उसे सुहाग।।
**
ढोल,  नगाड़े  साथ  बजाओ,  शहनाई,  मृदंग।
बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।
**
अधरहीन ही तब से अब तक, हर फागुन में गीत।
रही  अधूरी  हर  पग  पर  यूँ, उन  रंगों  की  रीत।।
बाद  तुम्हारे  मिला न  कोई, बनकर मादक मीत।
पनप न पायी जिस कारण से, पायल वाली प्रीत।।
**
रंग  भरो  तुम  नये  सिरे से, रहे न  कुछ बेरंग।
बरसों बाद मनायें होली, फिर से हम तुम संग।।
**
मौलिक/अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

Views: 186

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 31, 2023 at 11:59am

वाह आदरणीय धामी जी क्या ही रंग बिरंगा गीत रचा है...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 22, 2023 at 9:12pm

आ . भाई सोनांचली जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।

Comment by नाथ सोनांचली on March 22, 2023 at 11:59am

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन। बढ़िया लिखा है आपने

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 20, 2023 at 6:01am

आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह एवं मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए आभार। 

Comment by Chetan Prakash on March 18, 2023 at 7:42am

 सरसी छंद आधारित सुन्दर  होली गीत,  बधाई,  आ. भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर  ! हाँ, वर्तनी की अशुद्धियां,  जैसे " दसकों "और "तपिष" खलती भी हैं ! 

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on March 18, 2023 at 12:43am

होली गीत, प्रेम गीत, विरह गीत...... कितने रंग भर दिए लक्ष्मण भाई. एक उत्कृष्ट रचना। मास्टरपीस

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 17, 2023 at 3:24pm

"आ. रचना बहन, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।

Comment by Rachna Bhatia on March 9, 2023 at 10:19am

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर भाई नमस्कार। होली गीत बेहतरीन हुआ। हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nisha updated their profile
18 hours ago
Nisha shared Admin's discussion on Facebook
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। सुन्दर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। दोहे के बारे में सुझाव…"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"सार्थक दोहे हुए, भाई मुसाफिर साहब ! हाँ, चौथे दोहे तीसरे चरण में, संशोधन अपेक्षित है, 'उसके…"
Thursday
Chetan Prakash posted a blog post

कुकुभ छंद आधारित सरस्वती गीत-वन्दनाः

दुर्दशा हुई मातृ भूमि जो, गंगा ...हुई... .पुरानी है पावन देवि सरस्वती तुझे, कविता-कथा सुनानी है…See More
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

दोहा सप्तक- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

जलते दीपक कर रहे, नित्य नये पड्यंत्र।फूँका उन के  कान  में, तम ने कैसा मंत्र।१।*जीवनभर  बैठे  रहे,…See More
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"मेरे सुझाव को स्वीकार कर तदनुरूप रचना में सुधार करने के लिए मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया विभा रानी…"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"अवसर : शुभेक्षु "आपको सर्वोच्च शैक्षिक डिग्री अनुसन्धान उपाधि प्राप्त किए इतने साल गुजर गये!…"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Saurabh Pandey जी हार्दिक धन्यवाद आपका गलतियाँ सुधार ली जायेंगी"
Wednesday
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Manan Kumar singh जी व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियाँ हैं हार्दिक धन्यवाद आपका"
Wednesday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service