For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी

+++++++++++++++++++++++++++++++++++
राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी 
मजहब के मंदिर मस्जिद पर बलि का बकरा आम आदमी ||
राजतंत्र के भ्रष्ट कुएं में पनपे ये आतंकी विषधर 
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||

क्या है हिन्दू, क्या है मुस्लिम क्या हैं सिक्ख इसाई प्यारे 
लहू एक हैं - एक जिगर है एक धरा पर बसते सारे 
एक सूर्य से रौशन यह जग , एक चाँद की मस्त चांदनी 
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||

चाँद देखकर ईद मनाओ और पूज कर पूरनमासी 
गीता पढ़कर धर्म जगाओ पढ़ कुरान आयत पुरवा सी 
गुरुवाणी में सत्य दरश है ,त्याग बाइबल की अनुगामी 
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||

खून बहाकर क्या पाओगे , ख़ाक कोई जन्नत जाओगे 
मरने से तुम भी डरते हो तुम क्या मौत बदल पाओगे 
खुदा देख पछताता होगा किसने ये बन्दूक थमाई 
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||

याद रहे मेरे भारत में भगत सिंह भी हैं ,गाँधी भी 
शांति मार्ग के बुद्ध देव भी , राम कृष्ण जैसी आंधी भी 
यही इशारा काफी होगा समझदार तुम भी हो काफी 
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||.............. manoj

Views: 439

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रविकर on February 23, 2013 at 4:24pm

बहुत बढ़िया है आदरणीय -

शुभकामनायें |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 23, 2013 at 3:33pm

बहुत सुन्दर वास्तविकता का दर्प दिखाती सामयिक रचना.

राजनीति के सिलबट्टे पर घिसता पिसता आम आदमी 
मजहब के मंदिर मस्जिद पर बलि का बकरा आम आदमी ||
राजतंत्र के भ्रष्ट कुएं में पनपे ये आतंकी विषधर 
विस्फोटों से विचलित करते सबको ये बेनाम आदमी ||.....ज़बरदस्त कथ्य है..

बहुत बधाई आ. मनोज जी,

आपकी रचनाओं को पढ़ना सदैव सुखकर रहा है, भाव कथ्य चिंतन प्रवाह सत्य के धरातल पर अपने साथ बहा ले जाता है...सादर.

Comment by Manoj Nautiyal on February 23, 2013 at 10:42am

धन्यवाद , गणेश जी "बागी " जी बहुत्सुन्दर पंक्तियाँ हैं आपकी |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on February 23, 2013 at 9:52am

बहुत ही सामयिक रचना, हाल के घटनाओं से उपजेभावों को बहुत ही संजीदगी से पिरोया है मनोज जी , बधाई स्वीकार करें ।

अपनी ही एक भोजपुरी घनाक्षरी की दो पक्तियां याद आ रही है कि ...

होला सियासत खाली, धरम के नाम पर,
मसजिद में राम के, देखेला आम आदमी ||

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post पूजा बता रहे हैं
"आ0 अखिलेश  कृष्ण  श्रीवास्तव  जी, पटल पर आपकी अधूरी प्रतिक्रिया देख पा रही हूँ। जो…"
yesterday
Usha Awasthi posted a blog post

पूजा बता रहे हैं

पूजा बता रहे हैं उषा अवस्थीपाले हैं,यौन कुंठापूजा बता रहे हैंन जाने ऐसे लोग किस राह जा रहे हैं?रचते…See More
yesterday
Euphonic Amit commented on Samar kabeer's blog post 'वतन को आग लगाने की चाल किसकी है'
"बिहतरीन ग़ज़ल आदरणीय उस्ताद-ए-मुहतरम। वाहह वाह। सादर चरण स्पर्श "
Wednesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"सुनन्दरम।"
Tuesday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on सतविन्द्र कुमार राणा's blog post दिख रहे हैं हजार आंखों में
"आदरणीय सौरभ सर सादर नमन, मार्गदर्शन के लिए सादर आभार। नुक्ता कहीं भी प्रयासपूर्वक नहीं लगाया है। सच…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on दिनेश कुमार's blog post ग़ज़ल दिनेश कुमार -- अंधेरा चार सू फैला दमे-सहर कैसा
"वाह दिनेश जी वाह बहुत ही सुन्दर रचना "
Monday
दिनेश कुमार posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Dec 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

उस मुसाफिर के पाँव मत बाँधो - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२१२२/१२१२/२२ * सूनी आँखों  की  रोशनी बन जा ईद आयी सी फिर खुशी बन जा।१। * अब भी प्यासा हूँ इक…See More
Dec 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"क्या नैपथ्य या अनकहे से कथा स्पष्ट नहीं हो सकी?"
Nov 30

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-104 (विषय: युद्ध)
"भाई, शैली कोई भी हो किन्तु मेरे विचार से कथा तो होनी चाहिए न । डायरी शैली में यह प्रयास हुआ है ।"
Nov 30

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service