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कुछ चट-पटॆ सॆर ...मॆरॆ मौला

कुछ चट-पटॆ सॆर ...मॆरॆ मौला

मॆरी बद्दुआ मॆं तासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला,

इस कुर्सी कॊ बबासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!१!!

ना चल सकॆ न बैठ पायॆ,सलीकॆ सॆ कभी,

हालत उसकी यूँ गंभीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!२!!

छीनॆ हैं निवालॆ जिननॆं, मासूम जनता कॆ,

औलाद उनकी फ़कीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!३!!

भॆड़ॊं कॆ संग फिरॆ वॊ, औलाद भॆड़ियॆ की,

मंत्री का पुत्तर अहीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!४!!

पढ़ॆ लन्दन मॆं नौकरी, चपरासी की मिलॆ,

कुलटा उसकी तक़दीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!५!!

हाँथ उठायॆ जॊ काजू,बादाम किसमिस वॊ,

सब सड़ी हुई तपक़ीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!६!!

मँहगाई कॊ लकवा, रतौंधी भ्रष्टाचार कॊ,

बॆरॊजगारी कॊ नक़सीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!७!!

करिश्मा दिखा कुछ, परवर-दिगारॆ-आलम,

गरीबॊं कॆ हिस्सॆ खीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!८!!

पाक दबायॆ बैठा है, जॊ हिस्सा हिन्द का,

भारत का पूरा कश्मीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!९!!

मान सरॊवर हमारा, है चीन कॆ कब्जॆ मॆं,

हमारा वॊ निर्मल नीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!१०!!

"राज" लाखॊं सज़दॆ करॆ, आस्ताँ पॆ तॆरॆ,

ज़िंदा हमारा ज़मीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!११!!

कवि :- राज बुन्दॆली २७/०२/२०१३

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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 3:45pm

,बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)

,,,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आप ने मेरी कलम के हर रंग को सराहा है प्रोत्साहन दिया है,,,मै आप का दिल से आभारी हूँ,,,,,,,,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 1, 2013 at 3:44pm

,Saurabh Pandey,,,,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आप ने मेरी कलम के हर रंग को सराहा है प्रोत्साहन दिया है,,,मै आप का दिल से आभारी हूँ,,,,,,,,,,बहुत बहुत धन्यवाद,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 1, 2013 at 2:22pm

मॆरी बद्दुआ मॆं तासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला,
इस कुर्सी कॊ बबासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!१!!

ना चल सकॆ न बैठ पायॆ,सलीकॆ सॆ कभी,
हालत उसकी यूँ गंभीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!२!!

ग़ज़ब ... बहुत अच्छा प्रयास हुआ है.. इस अभिनव ’बद्दुआ’ के लिए विशेष बधाई, राज साहब ..

Comment by बृजेश नीरज on March 1, 2013 at 12:19am

बहुत कठिन समस्या है मेरे लिए तारीफ किस किस की करूं और कितनी?
ये कुछ अजब सा जादू चला
मिल जाए इसको हीर ऐ मौला

Comment by pawan amba on February 28, 2013 at 7:03pm

दिल से बधाईयां...

Comment by ram shiromani pathak on February 28, 2013 at 11:44am

ये  पंक्तियाँ कुछ ज्यादा ही अच्छी लगी भाई जी ......

मँहगाई कॊ लकवा, रतौंधी भ्रष्टाचार कॊ,
बॆरॊजगारी कॊ नक़सीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!७!!
मॆरी बद्दुआ मॆं तासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला,
इस कुर्सी कॊ बबासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!१!!

 इस हास्य/व्यंग्यात्मक ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई राज भाई.............

Comment by विजय मिश्र on February 28, 2013 at 11:33am

 बुन्देली भाई ! जबरदस्त हुक है और इसकी कुहुक भी साफ सुनाई देती है ,

-- इस कलम की तासीर का असर हर रोज यूँही बढती जाए मेरे मौला |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 28, 2013 at 9:58am

हास्य है पर सटीक सच है ,जलते मन से तीखी कलम से निकली बद्दुआए सभी एक से बढ़ कर एक स्टैंडर्ड की फलिभूत हो जाएँ मेरे मौला वाह वाह गज़ब !! जिन शेरों ने सबसे अधिक प्रभावित किया है
मँहगाई कॊ लकवा, रतौंधी भ्रष्टाचार कॊ,
बॆरॊजगारी कॊ नक़सीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!७!!
पाक दबायॆ बैठा है, जॊ हिस्सा हिन्द का,
भारत का पूरा कश्मीर,हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!९!!
मॆरी बद्दुआ मॆं तासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला,
इस कुर्सी कॊ बबासीर, हॊ जायॆ मॆरॆ मौला !!१!!
दिल से बधाईयां इस हास्य/व्यंग्यात्मक ग़ज़ल के लिए राज जी

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