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पंचतंत्र की रोचक कहानियां और बच्चें

वर्तमान समय में हमारे बच्चों को मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं। इनमे सबसे प्रमुख है टी . वी . जिस पर प्रसारित होने वाले कार्टून बच्चों को बेहद पसंद आते हैं। पर बच्चे इनसे क्या सीखते हैं यह सोंच का विषय है।

कई कार्टून चरित्र जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं जैसे स्पाइडरमैन, बैटमैन, बेन टेन इत्यादि। बच्चे इन चरित्रों से बहुत प्रभावित होते है और उनका अनुशरण करने का प्रयास करते हैं।

इन चरित्रों में किसी न किसी शक्ति को दर्शाया जाता है जिसके द्वारा वो आश्चर्यजनक कारनामों को अंजाम देते हैं। अक्सर ऐसे किस्से सुनने में आते रहते हैं जहाँ ऐसे ही कारनामों की नक़ल करते हुए बच्चे अपनी जान जोखिम में डाल लेते हैं।

किन्तु उससे भी अधिक घातक यह है कि बच्चों के मन में यह धारणा बैठ जाती है कि कुछ कर दिखने के लिए हमें किसी असाधारण शक्ति कि आवश्यकता होती है। अतः वे ऐसी किसी शक्ति की कामना करने लगते हैं।

ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि हम उन्हें इस बात का अहसास कराएँ की अपनी समस्याओं से निपटने के लिए हमें किसी असाधारण शक्ति की नहीं अपितु थोड़ी सूझबूझ एवं आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है।

बच्चे किसी भी समाज का भविष्य होते हैं। हमारे बच्चे जितने सच्चरित्र और आत्मविश्वास से भरे होंगे हमारा भविष्य उतना ही उज्जवल होगा। उनके चरित्र निर्माण की जिम्मेंदारी हमारे ऊपर ही है। अतः यह हमारा दायित्व है की हम उन्हें ऐसे मोंराजन के साधन उपलब्ध कराएँ जो उनके चरित्र निर्माण में भी सहायक हों।

पंचतंत्र की कहानियां इस कसौटी पर खरी उतरती हैं। विष्णु शर्मा द्वारा रचित इस ग्रन्थ के चरित्र वन्य जीव हैं। जिनके द्वारा ज्ञानवर्धक एवं नैतिक बातों को बहुत ही रोचकता और सरलता के साथ कहानियों के रूप में प्रस्तुत किया गया है। जिस खूबी के साथ इन्हें प्रस्तुत किया गया है उससे कहानियों में निहित शिक्षा आसानी से बच्चों के मन में उतारी जा सकती है।

अतः हमें अपने बच्चों को उस खरगोश की कहानी सुनानी चाहिए जो शेर के पास गया तो उसका भोजन बनने था किन्तु अपनी बुद्धि के दम पर उसने शेर को ही काल का ग्रास बना दिया। या फिर प्यासे कौवे की कहानी जिससे वे समझ सकें की धैर्य पूर्वक किये गए सतत प्रयास द्वारा असंभव भी संभव हो जाता है।

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Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 21, 2016 at 8:20pm
आपका यह प्रेरक आलेख सभी के लिए हमेशा मार्गदर्शक रहेगा। हम क्या देख सुन रहे हैं व हमारे बच्चे क्या देख-सुुन रहे हैं, इस पर हमारा समाज व देश बहुत निर्भर करता है। पंचतंत्र की कहानियाँ और नैतिक शिक्षा की रोचक अन्य प्रेरक कहानियाँ पढ़कर बच्चे लाभान्वित होते हैं, उनका चरित्र निर्माण होता है।
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 26, 2013 at 3:59pm

आदरणीय आशीष जी 

सादर 

आपके कथन से सहमत 

बाल रचनाओं में इस मंच द्वारा काफी प्रयास किया जा रहा है और मैं भी उनमें से एक सैनिक हूँ. 

बधाई, जाग्रति हेतु 

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 26, 2013 at 2:01pm

आदरणीय आशीष जी सादर, बिलकुल सही कहा आपने बच्चों में आत्मविश्वास जगाना जरुरी है. टीवी पर दिखाए जाने वाले कार्टून से प्रभावित होकर बच्चों ने कई बार गलत कदम उठाये हैं किन्तु फिरभी मैं ऐसे कार्यक्रमों का विरोध नहीं कर सकता. पंचतन्त्र की कहानिया बहुत अच्छी और शिक्षाप्रद है और मुझे याद आता है की इनका भी टीवी पर प्रसारण हुआ था.मैं दोनों ही तरह की कहानियों से बच्चों के मनोरंजन को ठीक मानता हूँ. यह मेरा व्यक्तिगत विचार है.मैं आपके कहे का पूर्ण सम्मान करता हूँ और सराहना करता हूँ आपका उद्धेश्य बच्चो में आत्मविश्वास जगाना है और ये सदैव सराहनीय है. इसके लिए आपका हार्दिक आभार.

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 26, 2013 at 11:08am

धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 26, 2013 at 10:35am

आदरणीय आशीष जी 

विविध चैनलों पर प्रसारित होने वाले बच्चों के कार्टून चलचित्रों का उनकी मानसिकता पर होने वाले नकारात्मक प्रभाव पर सुन्दर आलेख लिखा है ... 

//हम उन्हें इस बात का अहसास कराएँ की अपनी समस्याओं से निपटने के लिए हमें किसी असाधारण शक्ति की नहीं अपितु थोड़ी सूझबूझ एवं आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है।//...... बिलकुल सही कहा है आपने 

पंचतंत्र की कहानियों में नैतिक शिक्षाओं का और ज़िंदगी के मूलभूत पाठों का खजाना है...ये कहानियां कालजयी हैं...हर युग में समयाचीन और लाभप्रद ..इन्हें बच्चों को ज़रूर ही सुनाना चाहिए/

प्रस्तुत आलेख के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 26, 2013 at 10:12am

धन्यवाद


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 25, 2013 at 7:43pm

आदरणीय आशीष त्रिवेदी जी, पंचतंत्र, हितोपदेश आदि में जो संग्रह है वह हर बारएक नैतिक शिक्षा छोड़ जाता है, आज के हाई टेक जमाने में बच्चे इन कहानियों से दूर होते जा रहे है, जिससे नैतिकता का अभाव उनमे प्रत्यक्ष दिखने लगता है, सुन्दर लेख, बधाई स्वीकार करें ।  

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