For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मधुमति,

मेरे पदचिन्‍हों को

पी लेता है

मेरा कल

और मेरे

प्राची पनघट पर

उग आते

निष्‍ठुर दलदल

ऐसे में किस स्‍वप्‍नत्रयी की

बात करूं मेरे मादल ?

वसुमति,

मेरे जिन रूपों को

जीता है

मेरा शतदल

उस प्रभास के

अरूण हास पर

मल जाता

कोई काजल

ऐसे में किस स्‍वप्‍नत्रयी की

बात करूं मेरे मादल ?

द्युमति,

मेरे तेज अर्क में

घुल जाता जब

मेरा छल

और वहीं कुछ

शापित बादल

नित गढ़ते

नव बड़वानल

ऐसे में किस स्‍वप्‍नत्रयी की

बात करूं मेरे मादल ?

पर दे

स्‍वर दे

धीर नेह, नय

कांत अक्ष

अब दे साजल

सित उजास दे

थिर हुलास दे

या कह दे

इतना इसपल

किस विध ऐसे दिशाकाश में

विचरूं खुलकर ओ मादल ?

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 752

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 4:02pm

आदरणीय सुशील जी, आपका हार्दिक आभार, सादर

Comment by राजेश 'मृदु' on November 18, 2013 at 4:02pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्‍तव जी, आपको रचना पसंद आई इस हेतु आभारी हूं एवं काफी देर से प्रत्‍युत्‍तर हेतु क्षमा प्रार्थी हूं, मैंने जिस स्‍वप्‍नत्रयी की बात की है वो परमसत्‍ता के तीन स्‍वप्‍न हैं जिनसे आत्‍मसत्‍ता साक्षात्‍कार करना चाहती है पर कर नहीं पाती, सादर

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 5:19am

वाह... बेहद सुंदर गीत है आ0 राजेश जी...... सुंदर शब्द चयन कर उन्हें बेहतरीन ढंग से गीत की माला में पिरोए हैं आपने.... हार्दिक बधाई...

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 8, 2013 at 10:25am

aap  apne swapntryee ko man mein hi rakhe rahe. pathak  bhi aapke teen sapno ko janna chahte hain. Shayad hamare aapke sapno mein koi samya ho. aapka bhav aur shabd chayan dono hi sundar ha..

Comment by राजेश 'मृदु' on November 5, 2013 at 8:10pm

आपकी सबकी उपस्थिति एवं सरस अभिव्‍यक्ति हेतु हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 4, 2013 at 11:22am

वाह्ह्ह्हह मन आनंदित हो उठा ये मधुर भाव,शैली शब्दों की विशिष्ठता का सम्मिश्रण देखकर बेहद शानदार गीत लिखा है राजेश मृदु जी बहुत बहुत बधाई  

Comment by vijay nikore on November 3, 2013 at 3:18pm

आपकी रचना पढ़ कर आनन्द आया। बधाई।

Comment by annapurna bajpai on November 2, 2013 at 11:32pm

क्या ही सुंदर रचना है बधाई आपको आ0 राजेश मृदु जी । 

Comment by बृजेश नीरज on November 1, 2013 at 8:12pm

 वाह! बहुत सुन्दर! आपको हार्दिक बधाई!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 1, 2013 at 6:03pm

आदरणीय राजेश भाई , बहुत सुन्दर भावों पूर्ण , सुन्दर शब्द संयोजन,  बहुत सुन्दर गीत के लिये आपको बधाई !!!!!!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service