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प्रायश्चित

सेवा निवृति के 6 माह पूर्व सांस्कृतिक गतिविधियों के लिए चंदा एकत्रित करने वाली विभागीय समिति को सहयोग करने हेतु कनिष्ठ अधिकारी शुक्ला को लगाया | एक जगह सी.बी.आई द्वारा रिश्वत के मामले में समिति के साथ ट्रैप होने पर उसे भी निलंबित कर दिया गया | सेवा निवृति पर न्यायालय से निर्णय होने तक देय परिलाभ रोक दिए गए | किसी के बताने पर वह एक पहुंचें हुए ज्योतिषी से मिला जिसने शुक्ला की व्यथा सुनाने के बाद बताया कि घर के देवी देवता नाराज है ? उन्हें मनाने का उपाय करना होगा | अपने माँ बाप या दादा दादी की सेवा में कोई कमी रही होगी जिससे वे अप्रसन्न है |

शुक्ला कुछ देर चुप रहने के बाद बोला – महाराज आप सत्य कह रहे है | मेरी वृद्ध दादी बिमारी के कारण  रातभर चिल्लाती थी, सोने नहीं देती थी | ऐसे हालात में दिवाली के पहले दिन मैं उसकी इच्छा के विरुद्ध मेरे भाई के घर छोड़ आया था | एक बात और, एक दिन उसके चिल्लाते रहने पर भाई के घर पर मैंने दादी के मुहं पर पट्टी बाँधकर उसका मुहं बंद कर दिया था | यद्यपि मेरे भाई ने ऐसा करने के लिए मुझे डाटा भी था | अब कई बार मुझे वो बात याद आती है तो आत्म ग्लानि होती है |

ज्योतिषी जी ने कहाँ – देखों शुक्ला जी, जब उस बात को याद कर आपका ही दिल कचोटता है तो सोचो आपकी इस कृत्य से आपकी दादी को कितना कष्ट हुआ होगा |

शुक्ला जी – तो महाराज अब क्या उपाय है जिससे उनकी आत्मा प्रसन्न हो सके |

“उनकी फोटो घर, प्रतिष्ठान पर लगाओं और प्रतिदिन माल्यार्पंण करों | माँ के श्राद्ध के दिन उन्हें कपडे पहनाओं कुछ दान करों | आपके माता पिता को कष्ट मत देना } शुक्ल ने कहा पिताजी तो स्वर्गवासी ओ गए माँ बड़े भाई के यहाँ रहती है | उन्हेया आप आदर भाव और खुशियाँ प्रदान करों उनकी तो सेवा करों | अब तो ये ही प्रायश्चित कर सकते हों |

शुक्ला ने ये बाते अपने बड़ें भाई को बताई तो भाई ने कहाँ – “अपनी आत्म संतुष्टि के लिए पंडितजी ने कहा वह करलो पर “ दादा दादी और माता-पिता की शिक्षाओं को याद कर उनपर अमल करते हुए उन्हें ह्रदय से आदर सम्मान देने से बड़ा अब कोई प्रायश्चित नहीं है” |

 

(मौलिक व् प्रकाशित)

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2016 at 3:06pm

आपकी प्रेरक टिपण्णी से मेरा प्रयास सार्थक हुआ लगता है आदरनीय राजेश कुमारी जी | सादर आभार आपका 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 2, 2016 at 3:42pm

लघु-कथा को प्रेरक बता उत्साहवर्धन करने के लिए हार्दिक आभार आपका आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी  साहब 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 1, 2016 at 9:52pm

बहुत अच्छी संदेशपरक लघु कथा आद० लक्ष्मण लडिवाल जी हार्दिक बधाई 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 1, 2016 at 6:45pm
सुस्वागतम। काश अंतिम पंक्तियाँ ज्योतिष जी द्वारा कही जातीं! बेहतरीन भावपूर्ण प्रेरक रचना के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी। जन-जागरुकता के लिए ऐसी रचनाओं का सृजन होते रहना चाहिए।

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