For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122/1122 1212 22/112
दिल ए नाकाम पर हँसी आई
तेरे इलज़ाम पर हँसी आई

जिस मुहब्बत की आरज़ू थी बहुत
उसकेे अंजाम पर हँसी आई

दास्ताँ अपनी लिखने बैठा था
अपने इस काम पर हँसी आई

जिसमें तुमने कभी रखा था मुझे
आज उस दाम पर हँसी आई

मेरे क़ातिल का तज़किरा जो हुआ
तो हर इक नाम पर हँसी आई।

दफ्अतन मेरी जाँ से लिपटे हुए
सभी आलाम पर हँसी आई

सारे असरार जब खुले मुझपर
अपने औहाम पर हँसी आई

Meaning:
दाम - जाल, तज़किरा - जिक्र,
दफ़अतन - अचानक, आलाम - दुःखों, असरार - राज़, औहाम - वहम का बहुवचन

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 1598

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 4, 2017 at 12:05pm

मोहतरम मो आरिफ साहिब ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 4, 2017 at 12:04pm

हौसलाअफ़जाई के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया आ. गिरिराज जी

Comment by Gurpreet Singh jammu on May 4, 2017 at 10:29am

जिस मुहब्बत की आरज़ू थी बहुत
उसकेे अंजाम पर हँसी आई

वाह वाह आदरणीय शिज्जु शकूर जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई है 

Comment by Ravi Shukla on May 3, 2017 at 11:44am

वाह वाह आदरणीय शिज्‍जु भाई क्‍या कहने एक एक शेर दमदार  हर शेर के लिये बधाई ।

Comment by Hemant kumar on May 2, 2017 at 7:32am
आदरणीय सर इस उम्दा ग़ज़ल के लिए ढेरों बधाईयाँ वाह् वाह् हर शेर कमाल के हुए हैं.....
सादर..
Comment by Ram Awadh VIshwakarma on May 2, 2017 at 5:42am
क्या ग़ज़ब के शे'र कहें हैं लाज़बाब बधाई
Comment by Nilesh Shevgaonkar on May 1, 2017 at 9:25pm

वाह वाह वा... क्या कहने आ. शिज्जू भाई....
ग़ज़ल के लिये बधाई 

Comment by Sushil Sarna on May 1, 2017 at 9:16pm

दिल ए नाकाम पर हँसी आई
तेरे इलज़ाम पर हँसी आई

जिस मुहब्बत की आरज़ू थी बहुत
उसकेे अंजाम पर हँसी आई

वाह और वाह .. कितना मासूम ख्याल और उसपर उसे उसी मासूमियत से पेश करने की अदा ... भा गयी आपकी ये ये अदा सर ... दिल से बधाई स्वीकार करें आ.शिज्जु शकूर साहिब।

Comment by Mohammed Arif on May 1, 2017 at 2:00pm
आदरणीय शिज्जू शकूर जी आदाब, क्या ख़ूब ग़ज़ल कही है आपने ।शे'र दर शे'र दाद के साथ दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on May 1, 2017 at 11:27am

आ. शिज्जु भाई , बेहतरीन गज़ल के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
14 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
14 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
yesterday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, प्रदत्त विषयानुसार मैंने युद्ध की अपेक्षा शान्ति को वरीयता दी है. युद्ध…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service