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ग़ज़ल ,,,,चराग़ ए सुख़न हूँ,,,,,,,

अर्कान,,,122/122/122/122

मुहब्बत में होना फ़ना चाहता हूँ
अजब में दिवाना हूँ क्या चाहता हूँ।

चराग़ ए सुख़न हूँ जला चाहता हूँ
ग़ज़ल में नया फ़लसफ़ा चाहता हूँ।

रहा कब हूँ झूटी अना का में काइल
ख़ुदाया तिरी बस रज़ा चाहता हूँ।

सुख़नवर बहुत हैं अनोखे जहाँ में
में अंदाज़ अपना जुदा चाहता हूँ।

जुनूँ ने ख़िरद से ये क्या कह दिया है
तिरी हिकमतों का पता चाहता हूँ।

जहाँ भी रहे बस महकता रहे तू
फ़कत ये ख़ुदा से दुआ चाहता हूँ।

रहो ख़ुश्बुओं में गुलों की सहर तुम
कहाँ अब में ऐसी सज़ा चाहता हूँ।
मौलिक/अप्रकाशित

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Comment

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Comment by Mahendra Kumar on September 20, 2017 at 6:51pm

आ. अफ़रोज़ जी, ग़ज़ल का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आ. समर सर ने आपकी ग़ज़ल की बहुत ही अच्छी समीक्षा की है. उनकी सलाह के अनुसार ग़ज़ल को संशोधित करेंगे तो यह एक शानदार ग़ज़ल होगी. मेरी तरफ़ से हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by Niraj Kumar on September 20, 2017 at 5:34pm

जनाब अफरोज साहब,

अच्छी ग़ज़ल हुई है. दाद के साथ मुबारकबाद.

सादर

Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 5:57pm
आदरणीय बृजेश जी आपने ग़ज़ल को सराहा आपका बहुत आभारी हूँ ।सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 19, 2017 at 5:14pm
बड़ी खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय अफ़रोज़ जी..
Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 11:18am
जनाब तस्दीक़ साहब आपने ग़जल को सराहा बहुत शुक्रिया आपका । नवाज़िशें
Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 11:16am
जनाब आरिफ़ साहब ग़ज़ल में आपकी शिरकत पर आपका मश्कूर हूँ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 19, 2017 at 9:48am
जनाब अफ़रोज़ साहिब ,अच्छी ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं। मुहतरम समर साहिब के मश्वरे पर ध्यान जरूर दीजियेगा
Comment by Mohammed Arif on September 19, 2017 at 9:28am
आदरणीय अफरोज़ जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल । आली जनाब समर कबीर साहब की इस्लाह से सहमत हूँ । मुबारकबाद क़ुबूल करें
Comment by Afroz 'sahr' on September 19, 2017 at 9:00am
आदरणीय समर साहब आदाब आपने बिल्कुल सही फ़रमाया है !मैं दुरुस्त करता हूूँ !सादर,,,,,
Comment by Samar kabeer on September 18, 2017 at 9:14pm
एक बात बताना भूल गया था 'ग़ज़ल'शब्द में इज़ाफ़त नहीं लगाई जाती,इसे 'ग़ज़ल सहर की'लिखना मुनासिब होगा ।

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