For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आल्हा (वीर छन्द)

बरसे बादल उमड़ घुमड़ के,चहुँ दिशि गूँजे चीख पुकार

गाँव नगर सब डूब गया है,कुदरत की ऐसी है मार

विषम घड़ी आयी केरल में,बाढ़ मचाई है उत्पात

कांप उठा है कोना कोना, संकट से ना मिले निजात

भारी जन धन काल गाल में,कैसे सभी बचाएं जान

खेत सिवान झील में बदले,ध्वस्त हुए सारे अरमान

तहस नहस केरल की धरती,मची तबाही चारो ओर

नाव चले गलियों कूँचे में,काल क्रूर बन गया कठोर

जमींदोज सब भवन हो गए,आयी बाढ़ बड़ी विकराल

सारी नदियाँ हुई समंदर,निगल गयी सबकुछ तत्काल

जीव जंतु पर आफत आयी,व्यथित हृदय हैं सब लाचार

तितर बितर हो गयी व्यवस्था, कैसे कोई पाए पार

सब हिल मिलकर आगे आएं,तुरत मदद की है दरकार

मानवता को सभी बचाएं,चाहे कोई भी सरकार

नहीं सियासत शोभा देगी,दिल की सभी सुने आवाज

सदा धैर्य से करें समर्पित,तनमन धन केरल पर आज ll

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 780

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 25, 2018 at 8:51pm

वाह उत्तम भावों से ओतप्रोत रचना..बधाई

Comment by vijay nikore on August 25, 2018 at 3:25pm

केरल की आपदा पर भावपूर्ण अच्छी रचना के लिए बधाई, छोटे लाल जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on August 24, 2018 at 3:55pm

आदरणीय डॉ छोटे लाल जी, नमस्कार ।  आपदा ग्रस्त केरल का बहुत ही सटीक चित्रण करती हुई बढ़िया रचना।  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Sushil Sarna on August 24, 2018 at 3:51pm

बहुत सुंदर आदरणीय डॉ छोटे लाल जी। ... इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on August 23, 2018 at 9:31pm
आदरणीया बविता जी आपके उत्साह वर्धन से मन प्रसन्न हुआ दिल से धन्यवाद
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on August 23, 2018 at 9:30pm
परमादरणीय समर साहब जी सादर अभिवादन आपके मार्गदर्शन से हम अभिभूत हैं और हमेशा आपके सुझाव को प्रेरक मानकर एक कदम बढ़ाने का प्रयास करता हूँ पुनः सादर नमन
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on August 23, 2018 at 9:26pm
आदरणीय आरिफ साहब सादर अभिवादन आपके उत्साह वर्धन से आत्मिक ऊर्जा प्राप्त हुई बहुत बहुत आभार
Comment by babitagupta on August 23, 2018 at 6:33pm

बेहतरीन रचना द्वारा केरल की आपातकालीन मार से तृस्त व्यथा को दर्शाती रचना,आदरणीय सरजी बधाई स्वीकार कीजियेगा। 

Comment by Samar kabeer on August 23, 2018 at 3:24pm

जनाब डॉ.छोटेलाल सिंह जी आदाब,केरल की तबाही पर बहुत उम्दा आल्हा छन्द लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

एक दो जगह टंकण त्रुटियाँ देखें,इसके अलावा कुछ बातें आपके संज्ञान में लाना चाहूँगा ।

नाव चले गलियों कूँचे में,'

इस पंक्ति में 'कूँचे' को "कूचे" कर लें ।

' चाहे कोई भी सरकार'

इस पंक्ति को यूँ कर सकते हैं :-

'चाहे कोई हो सरकार'

आख़री छन्द में "आवाज़'' और "आज" की तुकान्तता सहीह नहीं है ।

Comment by Mohammed Arif on August 22, 2018 at 8:50pm

आदरणीय छोटे लाल जी आदाब,

                             वाकई केरल की आपदा हम सब भारतीयों के लिए दु:ख की घड़ी है । केरल में सबकुछ तबाह हो गया है । हमारा विकास विनाश भी लेकर आ रहा है । प्राकृतिक संसाधनों का ग़लत दोहन के कारण और बेतरतीत निर्माण के कारण यह स्थिति पैदा हुई है । हार्दिक बधाई  ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
yesterday
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Saturday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Friday
सालिक गणवीर posted a blog post

ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...

२१२२-१२१२-२२/११२ और कितना बता दे टालूँ मैं क्यों न तुमको गले लगा लूँ मैं (१)छोड़ते ही नहीं ये ग़म…See More
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"चल मुसाफ़िर तोहफ़ों की ओर (लघुकथा) : इंसानों की आधुनिक दुनिया से डरी हुई प्रकृति की दुनिया के शासक…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"सादर नमस्कार। विषयांतर्गत बहुत बढ़िया सकारात्मक विचारोत्तेजक और प्रेरक रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"आदाब। बेहतरीन सकारात्मक संदेश वाहक लघु लघुकथा से आयोजन का शुभारंभ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
Thursday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"रोशनी की दस्तक - लघुकथा - "अम्मा, देखो दरवाजे पर कोई नेताजी आपको आवाज लगा रहे…"
Oct 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"अंतिम दीया रात गए अँधेरे ने टिमटिमाते दीये से कहा,'अब तो मान जा।आ मेरे आगोश…"
Oct 31
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-115
"स्वागतम"
Oct 30

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ

212 212 212 212  इस तमस में सँभलना है हर हाल में  दीप के भाव जलना है हर हाल में   हर अँधेरा निपट…See More
Oct 29
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-172
"//आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी, जितना ज़ोर आप इस बेकार की बहस और कुतर्क करने…"
Oct 26

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service