For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल (वैलेंटाइन डे स्पेशल)

एक ग़ज़ल।
**********

बँध गई हैं एक दिन से प्रेम की अनुभूतियाँ
बिक रही रैपर लपेटे प्रेम की अनुभूतियाँ

शाश्वत से हो गई नश्वर विदेशी चाल में
भूल बैठी स्वयं को ऐसे प्रेम की अनुभूतियाँ

प्रेम पथ पर अब विकल्पों के बिना जीवन नहीं
आज मुझ से, कल किसी से, प्रेम की अनुभूतियाँ

पाप से और पुण्य से हो कर पृथक ये सोचिए
लज्जा में लिपटी हैं क्यों ये प्रेम की अनुभूतियाँ

परवरिश बंधन में हो तो दोष किसको दीजिये
कैसे पहचानेंगे बच्चे प्रेम की अनुभूतियाँ

#मौलिक व अप्रकाशित

Views: 369

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on February 20, 2019 at 6:07pm

जी, शुक्रिया। 

Comment by Samar kabeer on February 20, 2019 at 2:54pm

'प्रेम पथ पर अब कहाँ जीवन विकल्पों के बिना '

यूँ कर लें ।

Comment by अजय गुप्ता 'अजेय on February 20, 2019 at 2:45pm

आदरणीय समर साहब आप ने बहुत उत्तम सुझाव दिया जो निश्चित रूप से लय बढ़ाएगा।

लेकिन इससे इता का ऐब आ जायेगा। कृपया मार्गदर्शन करें।

Comment by Samar kabeer on February 16, 2019 at 2:28pm

जनाब अजय गुप्ता जी आदाब,ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,बधाई स्वीकार करें ।

'प्रेम पथ पर अब विकल्पों के बिना जीवन नहीं'

इस मिसरे में तनाफ़ुर देखें,'नहीं की जगह "कहाँ" कर सकते हैं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"कथानक की बनावट और कसावट मुग्ध कर रही है।  निस्संदेह, आदरणीय मनन जी ने इस अवसर का रचनात्मक…"
58 minutes ago
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"दीखन में छोटे लगें घाव करें गंभीर - वाली लोकोक्ति शायद ऐसे ही संदभों हेतु कही गई होगी - कुछ रचनाएँ…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। सुस्वागतम आपका और विषयांतर्गत आपकी अनुपम लघु आकार लघुकथा का। बढ़िया आग़ाज़।.हार्दिक बधाई…"
2 hours ago
DR ARUN KUMAR SHASTRI replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"* रानी बड़ी सयानी * मुँगस पुर , बिहार के मध्य वर्गीय परिवार की इकलौती मेधावी संतान कक्षा 12 वीं…"
2 hours ago
Chetan Prakash posted a blog post

है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं

1212 1122 1212 22है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैंमुनाफ़िकों की है बस्ती कि वो टहलते हैंके चार सू…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
4 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"निहितार्थ  युवती ट्रेन से उतरी।गिने - चुने यात्री अपने - अपने रास्ते निकल गए।अंधेरी रात…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"स्वागतम"
11 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मोल रोटी का उसी को - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और उत्साहवर्धन के लिए आभार। त्रुटिपूर्ण…"
12 hours ago
Dr. Ashok Goyal posted a blog post

ग़ज़ल :-

नए साँचे में ढाला जा रहा है । तुझे मुहरा बनाया जा रहा है ।अभी सदक़ा उतारा जा रहा है । हमें बकरा…See More
16 hours ago
Dr. Ashok Goyal updated their profile
16 hours ago
Dr. Ashok Goyal posted a photo
16 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service