आदरणीय बृजेशजी , क्षणिकाएँ क्या होती हैं, शिल्प क्या है , इसका technical ज्ञान मुझे नहीं है , इन पर रौशनी डालना बड़े साहित्यकारों कि बातें है , मेरा प्रयास मेरे भावों को मेरी रचनाओं में केवल लीपीबद्द करना मात्र ही है, इस प्रयास में क्या बनता है कविता, क्षणिका,या कुछ और मुझे नहीं पता, हाँ आप लोगों के सानिध्य से कुछ मार्ग दर्शन मिलेगा तो मुझे प्रसन्नता होगी , शुक्रिया
हार्दिक अभिनन्दन आपकी अनुपम कृतियों का ...आपने हमारी रचनाओं पर जो द्रष्टि डाली उसके लिए ह्रदय से आभारी हूँ एवं आपके उपयोगी सुझाव के लिए भी ....बहुत -बहुत धन्यवाद कृपया इसी प्रकार अनुग्रहित करते रहें ...
At 11:10am on January 11, 2014, अरुन 'अनन्त' said…
ओबीओ से हर व्यक्ति को बहुत कुछ सीखने मिलता है। प्रकाशित रचनायें इतनी अच्छी होती हैं हर कोई इस मंच में यथा संभव सक्रिय रहना चाहता है। इस बार “सक्रिय सदस्य“के योग्य मुझे समझा गया इसके लिए मैं ओबीओ की प्रबंधन टीम और सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ ॥ नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ....
आप के सुझाव् का ह्रदय से स्वागत है i मैंने आपके पन्ने पर काव्य गोष्ठी का विडियो देखा i बहुत अच्छा लगा i 'परो को ----' देखने को नहीं मिला i वर्ना मै भी दो शब्द कहता i मैंने आपको नीरज जी नहीं कहा i आप समझ ही गए होंगे क्यों ? हा---हा--- ओबो ओ के लिए आप प्राणस्वरूप है i आप नौकरी के साथ इतना मैनेज कर लेते है i आश्चर्य् होता है i ईश्वर आपको ऐसे ही उर्ज्वस्वित रखे i आमीन i
नीरज जी आपका कथन स्वीकार्य है दरअसल वह अतुकांत कविता यूँ ही बैठे ठाले केवल बाल दिवस के लिए ब्लॉग पर सीधे पोस्ट की थी but actually that is not my cup of tea .
आपने अच्छा किया मुझे शुरू में ही सचेत कर दिया अब बैठे ठाले कुछ नहीं भेजूंगा i
आसमान टूटेगा , शायद धरती का रंग भी बदले, पर अफ़सोस हमी न रहेंगे पर कोई आमूल चूल परिवर्तन तो हो i पूरी कविता में कसावट है बुनावट है REALLY WELL VERSED. मेरी शुभ कामनाये I
आदरणीय बृजेश सर , ओ बी ओ प्रबंधन टीम का शुक्रिया करने के साथ ही आपको कार्यकारिणी में मिले नये दायित्व से हम सभी को आपका मार्ग दर्शन पहले से अधिक मिल सकेगा इस खुशी के साथ आपको अनेकों बधाई ।
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
बृजेश नीरज's Comments
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नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
आदरणीय बृजेशजी ,
क्षणिकाएँ क्या होती हैं, शिल्प क्या है , इसका technical ज्ञान मुझे नहीं है ,
इन पर रौशनी डालना बड़े साहित्यकारों कि बातें है ,
मेरा प्रयास मेरे भावों को मेरी रचनाओं में केवल लीपीबद्द करना मात्र ही है,
इस प्रयास में क्या बनता है कविता, क्षणिका,या कुछ और मुझे नहीं पता,
हाँ आप लोगों के सानिध्य से कुछ मार्ग दर्शन मिलेगा तो मुझे प्रसन्नता होगी ,
शुक्रिया
हार्दिक अभिनन्दन आपकी अनुपम कृतियों का ...आपने हमारी रचनाओं पर जो द्रष्टि डाली उसके लिए ह्रदय से आभारी हूँ एवं आपके उपयोगी सुझाव के लिए भी ....बहुत -बहुत धन्यवाद कृपया इसी प्रकार अनुग्रहित करते रहें ...
हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश भाई जी
आदरणीय बृजेश नीरज भाई,
ओबीओ से हर व्यक्ति को बहुत कुछ सीखने मिलता है। प्रकाशित रचनायें इतनी अच्छी होती हैं हर कोई इस मंच में यथा संभव सक्रिय रहना चाहता है। इस बार “ सक्रिय सदस्य “ के योग्य मुझे समझा गया इसके लिए मैं ओबीओ की प्रबंधन टीम और सभी सदस्यों के प्रति आभार व्यक्त करता हूँ ॥ नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ....
***अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव
ब्रिजेश नीरज जी
आपका स्नेह रंग लाया i बहुत बहुत आभार i
सादर आभार
aapka friend hona mere liye grv kee baat hai. haardik aabhaar Brijesh jee
ब्रजेश जी
आप के सुझाव् का ह्रदय से स्वागत है i मैंने आपके पन्ने पर काव्य गोष्ठी का विडियो देखा i बहुत अच्छा लगा i 'परो को ----' देखने को नहीं मिला i वर्ना मै भी दो शब्द कहता i मैंने आपको नीरज जी नहीं कहा i आप समझ ही गए होंगे क्यों ? हा---हा--- ओबो ओ के लिए आप प्राणस्वरूप है i आप नौकरी के साथ इतना मैनेज कर लेते है i आश्चर्य् होता है i ईश्वर आपको ऐसे ही उर्ज्वस्वित रखे i आमीन i
ब्रजेश जी
आपकी सराहना के लिए आभार किन्तु यह कविता नहीं है, केवल संवाद है i मूल रूप में यह लघु- कथा ही है i आपके स्नेहिल टिप्पणी का पुनः आभार i
आपकी मित्रता स्वीकार करते हुए ख़ुशी हो रही है श्री बृजेश नीरज जी | आशा है हम
मिलकर साहित्य वृद्धि में अपना अधिक योगदान दे पायेंगे |
नीरज जी आपका कथन स्वीकार्य है दरअसल वह अतुकांत कविता यूँ ही बैठे ठाले केवल बाल दिवस के लिए ब्लॉग पर सीधे पोस्ट की थी but actually that is not my cup of tea .
आपने अच्छा किया मुझे शुरू में ही सचेत कर दिया अब बैठे ठाले कुछ नहीं भेजूंगा i
आपकी यथार्थपरक प्रतिक्रिया के लिए आपको साधुवाद.
आसमान टूटेगा , शायद धरती का रंग भी बदले, पर अफ़सोस हमी न रहेंगे पर कोई आमूल चूल परिवर्तन तो हो i पूरी कविता में कसावट है बुनावट है REALLY WELL VERSED. मेरी शुभ कामनाये I
सदस्य कार्यकारिणीsharadindu mukerji said…
आपकी शुभकामनाएँ मेरे सर आंखों पर. सादर आभार.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका
कार्यकारिणी सदस्य टीम मे शामिल होने की आपको सस्नेह बधाई
आप अपने दायित्य में सफल रहें...
सादर शुभकामनाएं
आप अपने दायित्य में सफल रहें...
सादर शुभकामनाएं
सदस्य कार्यकारिणीगिरिराज भंडारी said…
आदरणीय बृजेश भाई , आपका बहुत शुक्रिया !!
आदरणीय बृजेश सर , ओ बी ओ प्रबंधन टीम का शुक्रिया करने के साथ ही आपको कार्यकारिणी में मिले नये दायित्व से हम सभी को आपका मार्ग दर्शन पहले से अधिक मिल सकेगा इस खुशी के साथ आपको अनेकों बधाई ।
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कृपया ध्यान दे...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
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