At 4:42pm on September 25, 2014, savitamishra said…
सादर नमस्ते विजय भैया ! अभी आपके कहने पर हम देखे कमेन्ट बैक भी है वरना हम तो View Thread मेंजेकजबाबदिएथेइस लिय आश्वस्त नहीं थे किजबाब पहुंचेगा यानहीं ........सेंड मसेज में तो टॉपिक पूछरहा था ....सहीकहें भैया आप बस पढने केलिय इस्तेमाल करते हैन इसलिय और चोजो के बारे में नहीं पता इस्तेमाल जब करने लगेगे आने ही लगेगा|
नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएँ आपको भी भैया ....
और सभी भाइयों -बहनों और बुजुर्गो को भी हार्दिक बधाई !
At 10:03pm on September 24, 2014, savitamishra said…
जबाब कैसे देते है हमे यहाँ पता नहीं है ..पता नहीं आप तक यह हमारा जबाब पहुंचेगा या नहीं
At 10:02pm on September 24, 2014, savitamishra said…
सादर नमस्ते विजय भैया .......बहुत बहुत आभार .....नहीं कहेगें ...क्योकि आशीष के लिय आभार व्यक्त करना हमारी मुर्खता होगी ...आप बड़े भाई की तरह यूँ ही अपना आशीष बनाये रक्खे .....कहते है न सरस्वती कभी न कभी जिह्वा पर विराजमान होती है शायद आशीष देते वक्त आपके जिह्वा पर विराजमान थी अतः फलीभूत हो गया ...........हमारा कम्प्यूटर ख़राब होने के कारण देख नहीं पाए थे हम ......:)
प्रिय विजय मिश्र जी बहुत ही सुन्दर शब्दों में आप ने अपने भारत देश के मान में लिखे इस लेख को सराहा और प्रोत्साहन दिया आप की बातें अक्षरसः सत्य हैं हमारे भावी पीढ़ी को विकास की ऊंचाइयों पर कदम रखना चाहिए पर अपनी संस्कृति को दरकिनार कतई नहीं करना चाहिए जो संसार में हमारी अलग पहचान रखता है आभार भ्रमर ५
आ0 विजय मिश्र भाई जी, आपने बिलकुल सही फरमाया। हां मित्रता अनमोल रत्न है, सौभाग्य की प्रथम सीढी है, मित्रता अनाथ को सनाथ करती है और सबसे बड़ी परिभाषा है कि- मित्रता स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को परिभाषित करती है। आपके अपार स्नेह और सुन्दर भावों के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
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विजय मिश्र's Comments
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सादर नमस्ते विजय भैया ! अभी आपके कहने पर हम देखे कमेन्ट बैक भी है वरना हम तो View Thread मेंजेकजबाबदिएथेइस लिय आश्वस्त नहीं थे किजबाब पहुंचेगा यानहीं ........सेंड मसेज में तो टॉपिक पूछरहा था ....सहीकहें भैया आप बस पढने केलिय इस्तेमाल करते हैन इसलिय और चोजो के बारे में नहीं पता इस्तेमाल जब करने लगेगे आने ही लगेगा|
नवरात्र की ढेर सारी शुभकामनाएँ आपको भी भैया ....
और सभी भाइयों -बहनों और बुजुर्गो को भी हार्दिक बधाई !
जबाब कैसे देते है हमे यहाँ पता नहीं है ..पता नहीं आप तक यह हमारा जबाब पहुंचेगा या नहीं
सादर नमस्ते विजय भैया .......बहुत बहुत आभार .....नहीं कहेगें ...क्योकि आशीष के लिय आभार व्यक्त करना हमारी मुर्खता होगी ...आप बड़े भाई की तरह यूँ ही अपना आशीष बनाये रक्खे .....कहते है न सरस्वती कभी न कभी जिह्वा पर विराजमान होती है शायद आशीष देते वक्त आपके जिह्वा पर विराजमान थी अतः फलीभूत हो गया ...........हमारा कम्प्यूटर ख़राब होने के कारण देख नहीं पाए थे हम ......:)
का कहीं राउर परसंसा के काबिल हम बानी की नाही \ जउन सोझा लउके आ मन मताय लगेला बस उहे लिखा जाला
mtrta ke aagrah ko sveekaar krne ka haardik aabhaar
आभार सर ....आशीर्वाद और स्नेह बनाये रखे ...नव वर्ष की शुभकामनायें आपको भी .....खुश रहे ।
आदरणीय विजय जी
आपका शत शत आभार i
आपको ढेर सी शुभ कामनाए i
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ, माननीय विजय सर।
और इस मंच पर हमसफर भी हूं आदरणीय विजय मिश्रा जी.मार्गदर्शन बनाए रखिएगा.
विजय भाई , सप्रेम राधे- राधे । त्योहारों पर मेरी रचना पसंद आई, हार्दिक धन्यवाद।
आप के शब्द मन को छू लेते हैं .धरती भी काँप गयी में प्रोत्साहन मिला सुखद अनुभव और उत्साह बढा
जय श्री राधे
भ्रमर ५
shukriya Vijay ji............
प्रिय विजय मिश्र जी बहुत ही सुन्दर शब्दों में आप ने अपने भारत देश के मान में लिखे इस लेख को सराहा और प्रोत्साहन दिया आप की बातें अक्षरसः सत्य हैं हमारे भावी पीढ़ी को विकास की ऊंचाइयों पर कदम रखना चाहिए पर अपनी संस्कृति को दरकिनार कतई नहीं करना चाहिए जो संसार में हमारी अलग पहचान रखता है
आभार
भ्रमर ५
आदरणीय विजय साहेब
आपकी पारखी नज़रों के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया ! नज़रे-ए-इनायत बनी रहे, ख़ामिया मेरी लेखनी के सामने भी आती रहे, यही च्चाहूँगा /
सादर
प्रिय मिश्र जी आप हमारे ब्लाग पर पधारे आप से प्रोत्साहन मिला मन अभिभूत हुआ .. ..जय श्री राधे
आ0 विजय मिश्र भाई जी, आपने बिलकुल सही फरमाया। हां मित्रता अनमोल रत्न है, सौभाग्य की प्रथम सीढी है, मित्रता अनाथ को सनाथ करती है और सबसे बड़ी परिभाषा है कि- मित्रता स्वयं भगवान श्रीकृष्ण को परिभाषित करती है। आपके अपार स्नेह और सुन्दर भावों के लिए तहेदिल से हार्दिक आभार। सादर,
आदरणीय इसी तरह आशीर्वाद बनाए रखें हार्दिक आभार"
प्रिय मिश्रजी,
पंच सब टंच: आपने तो सार ग्रहण करके आभारी बना दिया- धन्यवाद., विजयजी.
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