छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)

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छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।

लहराता अब धरा - चाँद पर, करता मन को ठंडा।।

छन्न पकैया - छन्न पकैया, देश जान से प्यारा।

हम सबके ही मन में बहती, देश प्रेम की धारा।।

छन्न पकैया- छन्न पकैया, दुर्गम अपनी राहें।

मन में है कोमलता बसती, फ़ौलादी हैं बाँहें।।

छन्न पकैया- छन्न पकैया, हम भारत के फौजी।

तन पर सहते कष्ट हज़ारों, फिर भी मन के मौजी।।

छन्न पकैया - छन्न पकैया, संगीनों का साया।

देख हौसला हम वीरों का, दुश्मन दल घबराया।।

छन्न पकैया - छन्न पकैया, गर्वित सेना बोले।

मारेंगे जब घर में घुसकर , बरसेंगे बस शोले।।

छन्न पकैया - छन्न पकैया, सरहद हो उजियारी।

प्रेमबीज की फसलें बोकर, बंद करें बमबारी।।

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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  • surender insan

    आदरणीय सुरेश भाई जी  छन्न पकैया (सारछंद) में आपने शानदार और सार्थक रचना की है। बहुत बहुत बधाई हो।

  • Aazi Tamaam

    अच्छी रचना हुई आदरणीय बधाई हो


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया जाना कभी-कभार या अपवाद स्वरूप तो स्वीकारा जा सकता है. लेकिन ऐसा बार-बार हो, उचित नहीं. ऐसी रचनाएँ हमने और भी देखी हैं जिन्हें आयोजनों की शर्तों पर प्रस्तुत किया गया है लेकिन वे आयोजनों में फ्रस्तुत नहीं की गयी थीं.

    यदि आयोजन में शिरकत करने में कोई परेशानी हो रही हो तो, आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आप अवश्य साझा करें.  

    सादर