सदस्य टीम प्रबंधन

सरस्वती वंदना- गीत //डॉ प्राची

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हंसवाहिनी  वाग्देवी  शारदे  उद्धार  कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर  

स्वप्न की साकारता संस्पर्श कर लें उंगलियाँ
ज्ञान की अमृत प्रभा द्रुमदल की खोले पँखुड़ियाँ
नवल सार्थक कल्पना में हौंसलों की धार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

लेखनी हो सत्य शाश्वत उद्-गठित हो व्याकरण
ताल सुर लय भाव प्रांजल रस पगा हो अलंकरण
छान्दसिक या मुक्त हो उद्गार का शुभ-सार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

तीव्र-कम्पन ही सृजन है औ' प्रलय संहार है
उद्भव तरंगित भाव-ध्वनि संचयन संस्कार है
अमृता माँ वीणापाणि वाणी में सुरधार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

परिष्कृत अभिरुचि प्रदात्री ज्ञानचक्षु प्रकाशिनी
वेद ज्ञान प्रदायिनी अज्ञान तिमिर विनाशिनी
प्रगति बौद्धिक हो सुफल, आध्यात्म को आधार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

सौम्यरूपा दे कृपा कर, सद्गुणों की ग्राह्यता
कर सकें मंगल सृजन, दे ज्ञान की सद्पात्रता
ब्राह्मी निज गात्र को सद्बुद्धि दे, शृंगार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर

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(मौलिक व अप्रकाशित)

  • केवल प्रसाद 'सत्यम'

    आ0 प्राची मैम जी,  मां! शारदे के चरण कमलों में शत्-शत् नमन।  सार्थकता एवं विनयपूर्ण प्रार्थना फलित हो, यही मेरी शुभकामना है।  बहुत ही सुन्दर।  हार्दिक बधाई स्वीकारें।  सादर,

  • TARUN KUMAR SONI "TANVEER"

    डॉ.प्राची जी, बहुत ही उम्दा और भावपूर्ण रचना है.इसके गान से ऐसा लगता हे मानो माँ सरस्वती साक्षात् प्रकट हो गयी है.हार्द्धिक बधाई 

  • Abhinav Arun

    प्रथमतः आपके इन स्वरों में जो कामना है माँ शारदे से वही मेरी भी !! सच है  आज के संत्रास में सृजन ही उम्मीद बंध।ता है । अब रचना पर , आदरणीय डॉ प्राची जी कुछ प्रचलित सरस्वती वन्दना  मंचों और कार्यक्रमों में सुनता रहा हूँ । पर  एक  सुगठित संमृद्ध सुसंस्कृत सरस्वती वंदना मुद्दत बाद पढ़ी है ! आपकी इस प्रतिभा को नमन है !! बहुत बहुत बधाई और   शुभकामनाये आपको इस भावपूर्ण रचना के लिए !! साधुवाद - साधुवाद !!!

  • Pankaj Trivedi

    डॉ. प्राची जी,

    हर शब्द सेवी के लिए माँ सरस्वती वंदना अनिवार्य है.. आपने जो वंदना की है उस मनोंभाव के लिए माँ की कृपा ही तो है... हमारी भी यही प्रार्थना आपके शब्दों में समाहित हो जाती है.... बेहतरीन पेशकश के लिए बधाई

  • Dr Ashutosh Vajpeyee

    डॉ प्राची जी बहुत ही सुन्दर और शिल्प गठित वन्दना के लिए बहुत बहुत बधाई प्रेषित करता हूँ 

  • बसंत नेमा

     जिस पर माँ सरस्वती  की पूर्ण  कृपा हो उसकी कलम से ही इतनी पावन पवित्र रचना का सर्जन  होना सम्भब है । डॉ प्राची दीदी जी बहुत ही सुन्दर और एक पवित्र  रचना है , बहुत बहुत बधाई हो 

  • Vindu Babu

    आदरणीया प्राची जी आपकी लेखनी पर माँ सरस्वती की असीम कृपा है,ऐसा इस अद्वितीय रचना से स्पष्ट गोचर हो रहा है।
    आप सादर बधाई की पात्र हैं।
    सादर
  • ram shiromani pathak

    आदरणीया प्राची जी बहुत ही सुन्दर वन्दना हुई है,मंत्र मुग्ध हो गया मै आपकी लेखनी को बार बार प्रणाम//

    माँ सरस्वती की कृपा आप पर यु ही बनी रहे // //////हार्दिक बधाई


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आ० केवल प्रसाद जी 

    सरस्वती वंदना पर आपकी शुभकामनाओं के लिए आभार.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आ० तरुण कुमार जी

    वन्दना के भावों को सराहने के लिए धन्यवाद


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आ० अभिनव अरुण जी 

    //एक  सुगठित संमृद्ध सुसंस्कृत सरस्वती वंदना मुद्दत बाद पढ़ी है//

    एक सजग पाठक के तौर पर यह रचना अपने कथ्य शिल्प से आपको संतृप कर सकी यह मेरे लेखन विश्वास के लिए बहुत उत्साहवर्धक है.

    मुखर सराहना के लिए सादर धन्यवाद 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी 

    वन्दना के मनोभावों को सराहने के लिए हार्दिक आभार.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय डॉ० आशुतोष वाजपेयी जी 

    अभिव्यक्ति के शिल्प व गठन पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद 

    सादर.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आ० बसंत नेमा जी 

    सरस्वती वन्दना पर आपके विनम्र अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आ० वंदना तिवारी जी 

    अभिव्यक्ति की सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिए हृदय से आभार 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी 

    माँ सरस्वती का आशीष हर शब्द साधक पर रहे यही मंगलकामनाएं है ..रचना पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार 

  • लक्ष्मण रामानुज लडीवाला

    सौम्यरूपा वाग्देवी माँ शारदे की वंदना सुन्दर भाव शिल्प में रच कर प्रस्तुत करने पर हार्दिक बधाई |

    माँ सरस्वारी की कृपा हम सब पर बनी रहे | वीणा-पाणी माँ शारदे की कृपा से ही सुन्दर रचना कर मानव

    समाज के कल्याण के लिए कुछ योगदान करना संभव है | उसकी कृपा बगैर वेद ज्ञान प्राप्ति संभव नहीं |

    पुनः बधाई स्वीकारे 

  • vijay nikore

    आदरणीया प्राची जी:

     

    ॐ..   ॐ..    ॐ..

     

    इस वंदना में आपने माँ सरस्वती देवी के इतने सारे पहलू प्रस्तुत किए हैं ..

    कि जैसे हर किसी के मन की इच्छा माँ के सामने रख दी हो, और पढ़ते हुए

    अभिलाषी को तुष्टि प्रदान होती है।

     

    आपकी सभी मनोकामना पूरी हों, यह मनोकामना है।

     

    विजय


  • सदस्य कार्यकारिणी

    rajesh kumari

    प्रिय प्राची माँ शारदे की इस सुन्दर अद्वित्य स्तुति से मन झूम उठा माँ सरस्वती की अनुकम्पा से आपकी कलम हमेशा सम्रद्ध होती रहे यही मंगल कामना करती हूँ बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर प्रस्तुति पर| 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीया राजेश जी 

    आपके द्वारा वन्दना पर सराहना पा कर मन को बहुत संतोष हुआ...आपकी शुभकामनाओं के लिए हृदय से बहुत सारा आभार.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय विजय जी 

    रचना पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी 

    सरस्वती वंदना के भाव शिल्प और कथ्य पर आपका अनुमोदन बहुत उत्साहवर्धक है..इस हेतु हृदय से आभारी हूँ. सादर.


  • सदस्य कार्यकारिणी

    अरुण कुमार निगम

    बिन समाये लेखनी में ,यह सृजन सम्भव नहीं

    शारदे माँ  की कृपा है , सिर्फ  यह  अनुभव नहीं

    अद्वितीय आरती के लिये बधाई..............


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    इस उत्कृष्ट रचना के लिए तो पहले बधाई स्वीकारें.  माँ शारदा सदा सहाय्य हों.

     

    लेकिन एक बात इस रचना के प्रारूप को लेकर मुखर रूप से कहना चाहूँगा.  ईष्ट से सात्विक एवं सकारात्मक निवेदन सदा से होता रहा है. चाहना पीढियो की मनोदशा पर और सामर्थ्य पर भी निर्भर करती है. समाज की दशा भी व्यक्तित्व प्रस्तुतिकरण को साधती है. इस परिप्रेक्ष्य में माँ दे  की जगह माँ कर  से आत्मीयता के साथ-साथ याचक के स्वयं के सामर्थ्य के प्रति आश्वस्त होने का भाव भी संप्रेषित होता है. ऐसी याचना में निरीहता नहीं झलकती बल्कि माँ के प्रति अदम्य विश्वास से जन्मी आश्वस्ति के साथ-साथ सामर्थ्य की ऊर्जस्विता बोलती है जो याचक को नम किन्तु सकर्मक की तरह प्रस्तुत करती है.

     

    अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान को विस्तार दो .. इस आधार पंक्ति में आपने इसी दशा को जीया है. इसे बनाये रखना था.

     

    विश्वास है, मैं स्पष्ट कर पाया.

    सादर

  • Sarita Bhatia

    आदरणीय प्राची जी ,बहुत बढ़िया सरस्वती वंदना के लिए बधाई 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय अरुण जी 

    सरस्वती वंदना पर आपकी विशिष्ट सराहना पा कर सुकून पहुँचा... बहुत बहुत धन्यवाद.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीया सरिता भाटिया जी 

    सरस्वती वन्दना आपको पसंद आई..आपके सकारात्मक उत्साहवर्धक अनुमोदन के लिए हृदय से आभारी हूँ 

    सादर.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय सौरभ जी.

    रचना कर्मिता की गुणवत्ता में उत्तरोत्तर वृद्धि के लिए प्रशंसक जहाँ आत्मविश्वास को बढ़ाते हैं, और लेखन को प्रोत्साहित करते हैं.. वहीं मंथे हुए आलोचकों का भी बहुत बहुत महत्त्व होता है.

    जिन मापदंडों पर आप रचनाओं की गुणवत्ता को परखते हैं..और परिवर्तन सुझाते हैं उनके समक्ष हृदय नत होता है..

    //ऐसी याचना में निरीहता नहीं झलकती बल्कि माँ के प्रति अदम्य विश्वास से जन्मी आश्वस्ति के साथ-साथ सामर्थ्य की ऊर्जस्विता बोलती है जो याचक को नम किन्तु सकर्मक की तरह प्रस्तुत करती है.//

    मैं स्पष्टतः समझ पा रही हूँ आपके इंगित को आदरणीय.  मुख्य पंक्ति की भावदशा के अनुरूप ही पूरी रचना को ढालना सही राय है.

    माँ शारदा के समक्ष सकर्मकता भाव को बनाए हुए स्नेहाधिकार से याचना करना सहायक पंक्तियों में झलकना चाहिये.

    तदनुरूप परिवर्तन स्वीकार्य है आदरणीय.

    सादर.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    डॉ, प्राची,

    जिस ऊँचाई, उत्साह और उदारता से आप सुझावों को स्वीकार करती हैं वह सुझावों की गरिमा भी बढ़ा देती हैं.

    यह कहने में मुझे कत्तई संकोच नहीं है कि यदि इतने कम समय में आपकी लेखिनी की प्रखरता प्रयुक्त शब्द, अंतर्निहित भाव और सार्थक संप्रेषण के मामले में बहुगुणित हुई है तो आपका सतत अभ्यास ही कारण नहीं है बल्कि प्राप्त सुझावों को अंतर्मन की समझ की कसौटी पर रख कर तदनुरूप उन्हें व्यवहृत करना भी मुख्य कारण रहा है.

    रचनाकर्मी अक्सर आत्ममुग्ध होते हैं किन्तु जो इस परिधि के बाहर प्रखर पारखी एवं आग्रही होते हैं वही रचनाकार रचनारत होने के दायित्व का निर्वहन कर पाते हैं. कतिपय रचनाकर्मियों द्वारा सुझावों के सापेक्ष अन्यथा की चिल्ल-पों मचाने का प्रमुख कारण यही है कि सुझावों को वे अपने रचनाकर्म पर अनावश्यक प्रहार सदृश लेते हैं, और बलात् ही हृदयंगम कर पाते हैं.

    आदरणीया, सुधार के बाद की पंक्तियों पर आपके प्रश्नों का यथोचित उत्तर दूँगा, जो इस परिधि के बाहर है.

    इस अत्यंत समृद्ध रचना के लिए पुनः सादर धन्यवाद

  • coontee mukerji

    माँ सरस्वती के सौम्य एवं ज्ञान रूप का वर्णन करना सब के वश में नहीं . प्राची जी , आपकी लेखनी को मैं प्रणाम करती हूँ .सादर /कुंती.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय सौरभ जी,

    रचना को आपके मार्गदर्शन के अनुसार साधने का प्रयास किया है. आवश्यक तर्कसम्मत सुझावों के लिए पुनः आभार.

    सादर.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीया कुंती जी,

    आपके विनम्र अनुमोदन ने हृदय को स्पर्श किया है... सादर आभार.

  • Ashok Kumar Raktale

    आदरेया डॉ. प्राची जी सादर, माँ सरस्वती के चरणों में अभिलाषापूर्ण सुन्दर गीत रचा है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.सादर.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Dr.Prachi Singh

    आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी 

    इस वंदन को सराहने के लिए हार्दिक आभार.

    सादर.