खा खाकर मोटी हुई,जैसे मोटी भैंस !
मै दुबला होता गया ,मेरे धन पे ऐश !!
सुबह शाम गाली सुनूँ ,हरदम करती चीट !
धोबी का सोटा उठा ,अक्सर देती पीट !!
मै घर का नौकर बना ,झेलूँ बस उपहास !
रूठ विधाता भी गये,जाऊं किसके पास !!
लगे लंकिनी सा मुझे ,उसका भद्दा फेस !
दिन में कितनी बार वॊ,बदले अपना भेष !!
अब तो देखो हद हुई ,झेलूँ कितनी त्रास
घर आते सुनना पड़ा ,करना है उपवास !!
राम शिरोमणि पाठक"दीपक"
मौलिक/अप्रकाशित
रविकर
ईश्वर आपकी भी रक्षा करे-
बीबी से लेना नहीं, मोल कभी भी बैर |
पूछ करीबी से किसी, नहीं बैर से खैर ||
Jun 26, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
जीवन की शुरुआत है, तिस पर इतनी ताप
भगवन ना दे ज़िन्दग़ी, जैसी जीते आप ....... :-)))))))))))))
शुभकामनाएँ
लंकिनी सा = लंकिनी सी
Jun 26, 2013
जितेन्द्र पस्टारिया
Jun 26, 2013
बसंत नेमा
हा हा.. बहुत हास्यपद ...दोहे बधाई
Jun 26, 2013
अरुन 'अनन्त'
दीवानों का प्रेम में, ऐसा देखो हाल
पछतायें कुछ साल में, नोचें अपने बाल.
हाहाहा हाहाहा - कैसी मुसीबत गले लग लिए भाई. सुन्दर हास्य प्रद दोहे अनुज, बधाई स्वीकारें.
Jun 26, 2013
वेदिका
घरेलं हिंसा का कानून है राम भैया … सचेत होइये :))))))) और एक अच्छी सलाह ऑफिस से खाना खा के आया कीजिये :)))
और हम सबकी सुहानुभूति आपके साथ है राम भैया :)))
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय रविकर जी //सादर
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी //स्नेह यूँ ही बनाए रखे ///पिट पिटाकर आया तो स्नेह ही तो काम आयेगा **हहहह हाहा //प्रणाम सहित हार्दिक आभार /// सादर
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय जीतेन्द्र जी ///
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय बसंत नेम जी //सादर
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय भाई अरुण शर्मा जी //और ये मेरी समस्या नहीं किसी को देखा तो बस लिख दिया मैंने ///अनुभव काम तो आयेगा न भाई //हाहा हाहा ///स्नेह यूँ ही बनाए रखे///सादर
Jun 26, 2013
अरुन 'अनन्त'
भाई पाठक साहब आपने तो किसी को देखकर जो अनुभव किया जो महसूस किया आपने लिखा दिया... अब मैं सोंचता हूँ उस बेचारे का क्या होता होगा... हाहाहा.. भगवान उसकी रक्षा करें.
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीया गीतिका जी सुझाव के लिए //वैसे भी मै ज्यादातर बाहर ही रहता हूँ ///महीने में १० १२ दिन ही घर रहता हूँ बाकी बाहर ही बाहर /// ये सब बाद में काम आएगा ....हहहह हाहा हा ////सादर
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
मुझे तो बड़ी दया आती है अरुण भाई //लेकिन क्या किया जाय जैसा किया है वैसा पा रहे है //मेरे बहुत करीबी है ///मुझे अपनी तकलीफ बता रहे थे ,तो मैंने लिख दिया /// हा हाहा हाहा *********
Jun 26, 2013
जितेन्द्र पस्टारिया
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
आदरणीय जीतेन्द्र जी शादी भी नहीं किया हूँ मै तो टेंसन नहीं है //रही बात ऐसी समस्या की भाई ये तो हंसी मजाक मात्र है और कुछ नहीं !!
Jun 26, 2013
जितेन्द्र पस्टारिया
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
भाई जीतेन्द्र जी मेरे जीवन में जीतनी भी लोग है चाहे महिला है या पुरुष मुझे तो सभी बहुत प्यार करते है //रही बात महिलाओं की मै तो उन्हें बहुत ही सम्मान देता हूँ भाई ///मुझे विश्वास है मुझे सब अच्छे लोग ही मिलेंगे //मैंने कभी किसी का बुरा नहीं किया तो मेरा बुरा भाल क्यूँ होगा //हा हा हा //आभार
Jun 26, 2013
जितेन्द्र पस्टारिया
Jun 26, 2013
केवल प्रसाद 'सत्यम'
Jun 26, 2013
JAWAHAR LAL SINGH
काका जिनका नाम है, हास्य है जिनकी जान!
हाथरस उनको न भुले, काकी से पहचान!
बधाई हो श्री राम शिरोमणि साहब! मैं भी यह समझ सकता हूँ काका का तो जमाना रहा नही, अब कोई पति भला इतनी हिम्मत कैसे कर सकता है!
Jun 26, 2013
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
हहाहाहा प्रिय राम शिरोमणि यदि तुम राम हो तो सीता ही मिलेगी लंकिनी सी नहीं मिलेगी मेरी शुभकामनायें तुम्हारे साथ हैं , सच में बहुत मजेदार रोचक दोहे लिखे हैं बधाई आपको । लंकिनी सी लिखिए बाकी दोहे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार भाई केवल जी ************
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी ///स्नेह यूँ ही बनाएं रखें //सादर
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय जवाहरलाल जी //सादर
Jun 26, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
बहुत सुन्दर हास्य दोहे प्रिय राम शिरोमणि जी , बहुत बहुत शुभकामनाएँ
पहले और चौथे दोहे की तुकांतता पर फिर ध्यान दें.
Jun 26, 2013
ram shiromani pathak
बहुत बहुत आभार आदरणीया प्राची जी प्रणाम///सुधारने का प्रयास करता हूँ //स्नेह यु ही बनाये रखे //सादर
Jun 26, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
डॉ.प्राची, श और स या साथ में ष की तुकांतता के प्रति कोई रचनाकार आग्रही है तो यह उस रचनाकार का व्यक्तिगत प्रयास है. और हम इस तरह के हुए प्रयास को सकारात्मक रूप से स्वीकारें. किन्तु, ऐसा तुक विधान कहीं नहीं कहता. या, मेरी दृष्टि से अभी तक नहीं गुजरा है. यदि छंद व्याकरण में तथ्यात्मक रूप से किसी पूर्व स्थापित वैयाकरण ने ऐसा कुछ कहा है तो अवश्य सामने लाया जाना चाहिये. हम सभी लाभान्वित होंगे. इसे छंद विधान के साथ सप्रयास जोड़ना व्यक्तिगत मान्यता को आरोपित करना जैसी बात हो जायेगी. वस्तुतः, उर्दू की ग़ज़ल के लिहाज से इस तरह कोई तुकांतता हिन्दी ग़ज़ल में आयी है तो उसे काफ़िया के निर्धारण तक रहने दें हम.
सादर
Jun 26, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
आदरणीय सौरभ जी
श और स या साथ में ष की तुकांतता होती है या नहीं होती है ऐसा कोई नियम तो मैंने नहीं देखा है...ये समान गण के वर्णाक्षर हैं, इसलिए इनके उच्चारण में साम्यता है ये भी ज़रूर है... लेकिन ऐसा करना मुझे तो कम से कम रचनाकर्म में समझौता करना सा ही लगता है,
//इसे छंद विधान के साथ सप्रयास जोड़ना व्यक्तिगत मान्यता को आरोपित करना जैसी बात हो जायेगी//
हाँ ये ज़रूर स्पष्ट करूंगी कि अपनी इस वैयक्तिक सोच को मैं किसी पर आरोपित नहीं करना चाहती न ही ऐसी दुष्चेष्टा कभी की ही है....
रचनाकार स्वविवेक से ही इन छोटी छोटी बातों पर ध्यान देते हैं और अपना कार्य करते हैं. ......(रचनाओं पर मेरी किसी भी राय को प्रामाणिक नियम कोई न मानने की भूल करे ये निवेदन भी साथ ही कर दूँ तो उचित होगा.....)
सादर.
Jun 26, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
हाँ, यह आपको लगता है न ! यानि इस तरह का कोई मंतव्य आपका व्यक्तिगत मंतव्य हुआ न.. .
//हाँ ये ज़रूर स्पष्ट करूंगी कि अपनी इस वैयक्तिक सोच को मैं किसी पर आरोपित नहीं करना चाहती.. न ही ऐसी दुष्चेष्टा कभी की ही है....//
फिर भाई राम शिरोमणि से इस तरह का निवेदन किस श्रेणी में मानना चाहिये ? ... :-)))))
सादर
Jun 26, 2013
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
स, श और ष को हम उच्चारित अलग अलग करते है तो तुकांतता में इसका ध्यान रखना तार्किक लगता है
Jun 26, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
//...तो तुकांतता में इसका ध्यान रखना तार्किक लगता है //
तार्किक लगता है. फिर वही.. . व्यक्तिगत रूप से निभाइये न. इसे कोई सदस्य बलात् अच्छा या अवश्य कह कर अन्य सदस्य को प्रभावित करना क्यों चाहता है ? या, अपने कहे को आरोपित क्यों करना चाहता है ?
इस तथाकथित तार्किकता को अनावश्यक ही हम प्रश्न या उत्तर बना कर क्यों ज़ाहिर कर रहे हैं ? यह अवश्य है कि उर्दू ग़ज़ल से प्रभावित सदस्य तुरत ही लगे-लगे हाँ-हाँ करना शुरु कर दें. मैं अनावश्यक चर्चा को प्रश्रय देने के सदा विरुद्ध रहा हूँ. यह मंच की गलत तस्वीर प्रस्तुत करता है. वैयक्तिक मंतव्य आरोपित नहीं होने चाहिये, बल्कि रचनाकर्म का हिस्सा बनें. बस.
Jun 26, 2013
वीनस केसरी
इस चर्चा के विषय में मेरा ज्ञान सीमित है इसलिए इस पर तो कुछ नहीं कह सकता
हाँ ग़ज़ल के सन्दर्भ में विभिन्न प्रयोगधर्मियों से मेरा आग्रह भी सदैव यही रहता है जो सौरभ जी ने कहा ...
वैयक्तिक मंतव्य आरोपित नहीं होने चाहिये, बल्कि रचनाकर्म का हिस्सा बनें.
Jun 27, 2013
वीनस केसरी
//यह अवश्य है कि उर्दू ग़ज़ल से प्रभावित सदस्य तुरत ही लगे-लगे हाँ-हाँ करना शुरु कर दें.//
वैसे ग़ज़ल का हिन्दीकरण करके लोग स-श ट-ठ आदि तुकांत को हमकाफिया मान लेते हैं ... और इस पर अक्सर जानकारों को चुप हो जाते देखा है ...
खैर यहाँ इस पर विस्तार से चर्चा करना मुख्य बिंदु से भटक जाने का कारण हो सकता है ...
Jun 27, 2013
coontee mukerji
भाई राम जी , कभी कभी रचनाकार अपनी रचना में अपना ही भविष्य लिख जाता है. सावधान!
Jun 27, 2013
vijay nikore
यह सब सच है तो आप सहानुभूति के पात्र हैं, राम जी।
सादर,
विजय निकोर
Jun 27, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
//ग़ज़ल का हिन्दीकरण करके लोग स-श ट-ठ आदि तुकांत को हमकाफिया मान लेते हैं ... और इस पर अक्सर जानकारों को चुप हो जाते देखा है ... //
हिन्दी या उर्दू या किसी भाषा की ग़ज़ल है तो उसे उस भाषा की वर्णमाला को सम्मान देते हुए हर ग़ज़लकार को नियम निभाने ही होंगे. ग़ज़लकार यदि क़ाफ़िया के निर्धारण में दोषों के प्रति संवेदशील नहीं हुए तो यह उनकी अक्षमता ही मानी जायेगी. इस पर भी, जैसा कहा गया है कि जानकार चुप रहते हैं, तो यह जानकारों का किसी विशेष रचनाकार या ग़ज़लकार के प्रति व्यक्तिगत लगाव के कारण हो सक्ता है जो कि ग़ज़ल साहित्य के सर्वथा खिलाफ़ है.
लेकिन बात यहाँ छंदों की हो रही है. यहाँ इस तरह की बंदिश कमसे कम स और श को लेकर नहीं है. यदि इस तरह के किसी मंतव्य के प्रति आग्रही हुए तो हम जानबूझ कर गोस्वामी तुलसीदास या उन जैसों को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं. यदि कोई व्यक्तिगत रूप से इस तरह की तुकांतता को निभाना चाहता है तो वह उसका व्यक्तिगत मामला है, वह निभाये. लेकिन इसके प्रति आग्रही बन कर कोई ऐसा मंतव्य आरोपित न करे. जिसे जो उचित लगेगा वैसा लिखेगा. इस तरह की तुकांतता को ख़ारिज़ कर इसके बरअक्स किसी रचनाकार की काव्य क्षमता को आँकना-जाँचना उचित नहीं.
मेरा यही और इतना ही कहना है.
Jun 27, 2013
वीनस केसरी
मेरा भी बिलकुल यही कहना है :))))))))))))))))))))))))))
Jun 27, 2013
विजय मिश्र
Jun 27, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय भाई विजय मिश्र जी //स्नेह यु ही बनाए रखें //सादर
Jun 27, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोर जी// स्नेह यु ही बनाए रखें //सादर
Jun 27, 2013
ram shiromani pathak
हार्दिक आभार आदरणीया दीदी कुन्ती जी//एक बात पूछनी थी क्या आप चाहती है की आपका अनुज ऐसी तकलीफ झॆले // स्नेह यु ही बनाए रखें //सादर
Jun 27, 2013
ram shiromani pathak
प्रणाम सहित हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी ,आदरणीय गणेश जी ,भाई वीनस जी ,आदरणीया प्राची जी *****
मैंने दोहा लिखते समय यह नहीं सोचा था आप सब का इतना ज्ञानवर्धक कमेन्ट आयेगा //आप सब का कोटि कोटि आभार ///आप सब का स्नेह और आशीर्वाद बना रहे यही ईश्वर से कामना है//सादर
Jun 27, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
भाई रामशिरोमणि जी, आपके माध्यम से मैं सभी पाठकों को सूचित करता हूँ कि आप इस मुआमले में भाग्यशाली हैं कि आपके दोहों पर अक्सर बेहतर बातचीत हुई है और ज्ञानवर्द्धक प्रतिक्रियाएँ आयी हैं. सभी पाठकगण इस मंच पर आपके अबतक प्रस्तुत हुए दोहों पर की प्रतिक्रियाओं से दोहा शिल्प संबन्धी महत्वपूर्ण जानकारियाँ ले सकते हैं. जैसे कि मैं लाभान्वित हुआ हूँ.
शुभम्
Jun 27, 2013
सदस्य कार्यकारिणी
sharadindu mukerji
भाई राम शिरोमणि जी, कुंती जी ने आपको डराने का प्रयास कर आपसे विनोद किया है. निर्भय होकर लिखें पूरे आनंद के साथ. आपकी निष्कलुष रचना ने मंच पर फुलझरी की झड़ी लगा दी.....उसके प्रकाश में हम सभी को अपने अंदर झाँकने का अवसर मिला....विद्वानो का साथ मिलना भाग्य की बात है....लाभ अवश्य उठाएँ. शुभकामनाएँ.
Jun 30, 2013