174 members
Description
Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।
by आशीष यादव
Nov 20
दियनवा जरा के बुझावल ना जाला
पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला
नजरिया मिलावल भइल आज माहुर
खटाई भइल आज गौने क पाहुर
बन्हल गाँठ राजा छुड़ावल ना जाला
दियनवा जरा के बुझावल ना जाना
बिसरबा तू केतनो कबों ना भुलाई
पिया प्रीत ह ई कबों ना ओराई
जे पथरे क रेखा का कबहूँ मेटाला?
जे तोहरे विरह में अभागिन भइल बा
ई रिश्तन क बगिया जे बाझिन भइल बा
(बिना प्रेम-पानी के बाझिन भइल बा)
(सनेहिया के पानी से उजड़ल फुलाला)
सनेहिया के सिंचल से उजड़ल फुलाला
मौलिक एवं अप्रकाशित
आशीष यादव
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भोजपुरी साहित्य
174 members
Description
Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।
दियनवा जरा के बुझावल ना जाला
by आशीष यादव
Nov 20
दियनवा जरा के बुझावल ना जाला
पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला
नजरिया मिलावल भइल आज माहुर
खटाई भइल आज गौने क पाहुर
बन्हल गाँठ राजा छुड़ावल ना जाला
दियनवा जरा के बुझावल ना जाना
बिसरबा तू केतनो कबों ना भुलाई
पिया प्रीत ह ई कबों ना ओराई
जे पथरे क रेखा का कबहूँ मेटाला?
दियनवा जरा के बुझावल ना जाना
जे तोहरे विरह में अभागिन भइल बा
ई रिश्तन क बगिया जे बाझिन भइल बा
(बिना प्रेम-पानी के बाझिन भइल बा)
(सनेहिया के पानी से उजड़ल फुलाला)
सनेहिया के सिंचल से उजड़ल फुलाला
दियनवा जरा के बुझावल ना जाला
मौलिक एवं अप्रकाशित
आशीष यादव