विशेष लेखमाला: जगवाणी हिंदी का वैशिष्टय् व्याकरण और छंद विधान - 2
जन-मन को भायी चौपाई
छंद पर इस महत्वपूर्ण लेख माला की प्रथम श्रंखला में आपने जाना कि वेद के 6 अंगों 1. छंद, 2. कल्प, 3. ज्योतिऽष , 4. निरुक्त, 5. शिक्षा तथा 6. व्याकरण में छंद का प्रमुख स्थान है ।
भाषा/लैंग्वेज का विकास :
लिपि:
कहे हुए को अंकित कर स्मरण रखने अथवा अनुपस्थित साथी को बताने के लिये हर ध्वनि के लिये अलग- अलग संकेत निश्चित कर, अंकित करना सीखकर मनुष्य शेष सभी जीवों से अधिक उन्नत हो सका। इन संकेतों की संख्या बढ़ने तथा व्यवस्थित रूप ग्रहण करने ने लिपि को जन्म दिया। एक ही अनुभूति के लिये अलग-अलग मानव समूहों में अलग-अलग ध्वनि तथा संकेत बनने तथा आपस में संपर्क न होने से विविध भाषाओँ और लिपियों का जन्म हुआ।
लिंग (जेंडर):
लिंग से स्त्री या पुरुष होने का बोध होता है। लिंग हिंदी में २ पुल्लिंग व स्त्रीलिंग, संस्कृत में ३ पुल्लिंग, स्त्रीलिंग व नपुंसक लिंग तथा अंग्रेजी में ४ मैस्कुलाइन जेंडर (पुल्लिंग), फेमिनाइन जेंडर (स्त्रीलिंग), कोमन जेंडर (उभयलिंग) तथा न्यूटर जेंडर (नपुंसक लिंग) होते हैं।
वचन (नंबर):
वचन से संख्या या तादाद का बोध होता है।हिंदी व अंग्रेजी में २ वचन एकवचन (सिंगुलर) तथा बहुवचन (प्लूरल) होते हैं जबकि संस्कृत में तीसरा द्विवचन भी होता है।
विकारी शब्दों के भेद:
पिछले लेख में इंगित विकारी शब्दों के चार भेद संज्ञा (नाउन), सर्वनाम (प्रोनाउन), विशेषण (एडजेक्टिव) तथा क्रिया (वर्ब) हैं जबकि अविकारी शब्दों के चार भेद क्रिया विशेषण (एडवर्ब), समुच्चय बोधक (कंजंकशन), संबंधवाचक (प्रीपोजीशन) तथा विस्मयादिबोधक (इंटरजेकशन) हैं।
भारत में शायद ही कोई हिन्दीभाषी होगा जिसे चौपाई छंद की जानकारी न हो. रामचरित मानस की रचना चौपाई छंद में ही हुई है.
विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी
आपने हिन्दी भाषा पर उत्कृष्ट कोटि की लेख माला का प्रतिपादन कर हम नव-हिन्दी साहित्य-रोगियों के मुख में अमृत डालने का कार्य किया है।नि:संदेह यह स्वास्थ्य एवं अमरत्वकारी है।
आपसे एक विनम्र निवेदन है----
छंद से समबंधित लेखों को अन्य विषयों के साथ न रखकर पृथक रूप में रखा जाय तो कैसा रहेगा?
मेरे दृष्टिकोण में इस तरह करने से लेखमाला की गुणवत्ता में वृद्धि होगी,क्योंकि इससे छंदों का एक अलग वर्ग बन जायेगा जिससे छंद प्रशिक्षु पाठकों को सुविधा होगी।भले ही एक लेख में तीन छंदों का विधान दिया जाय।
सादर।
Jun 15, 2012
Meena Pathak
ज्ञानवर्धन हेतु सभी गुरुजनों को सादर प्रणाम
Sep 6, 2013
जयनित कुमार मेहता
२. श्री रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
भुवन भास्कर बहुत दुलारा।
मुख मंडल है प्यारा-प्यारा।।
सुबह-सुबह जब जगते हो तुम|
कितने अच्छे लगते हो तुम।।
~आदरणीय संजीव जी,
प्रस्तुत चौपाई के प्रथम तथा अंतिम चरण में मुझे मात्राओं की संख्या १५ प्रतीत हो रही है!
कृपया स्पष्ट करें..
Aug 21, 2015