हिंदी लेखन में बड़े लोग भी शुद्ध-अशुद्ध के विचार में प्रायशः चूक जाते हैं i नये लेखकों के तो लेखन का निकष भी यही होना चाहिए की वे कितना शुद्ध या अशुद्ध लिख रहे है I कम्प्यूटर का मंगल फांट तो अशुद्धियों से भरा है और उसमे बार-बार संशोधन करने के बाद भी यह संभावना बनी रहती है कि अभी भी यह त्रुटिहीन नहीं…
आत्मीय!वन्दे मातरम. इस विषय पर कुछ सामग्री पहले प्रेषित की थी. उसे संशोधित-परिवर्तित कर पुनः भेज रहा हूँ. कृपया पूर्व सामग्री को निरस्त कर उपयुक्त प्रतीत होने पर इसे प्रयोग करें. लेखमाला: जगवाणी हिंदी का वैशिऽष्टय् छंद और छंद विधान: 1 …
विशेष लेखमाला: जगवाणी हिंदी का वैशिष्टय् व्याकरण और छंद विधान - 2 जन-मन को भायी चौपाई छंद पर इस महत्वपूर्ण लेख माला की प्रथम श्रंखला में आपने जाना कि वेद के 6 अंगों 1. छंद, 2. कल्प, 3. ज्योतिऽष , 4. निरुक्त, 5. शिक्षा तथा 6. व्याकरण में छंद का प्रमुख स्थान है । भाषा का सौंदर्य उसकी…
हिंदी शब्द सागर के अनुसार- व्याकरण में संज्ञा या सर्वनाम की उस व्यवस्था को कारक कहते है, जिसके द्वारा वाक्य में उसका क्रिया के साथ सम्बन्ध प्रकट होता है I यह अंग्रेजी व्याकरण के CASE की भांति है I CASE को अंग्रेजी में निम्न प्रकार परिभषित किया गया है I …
एक समय था जब हिन्दी साहित्य पर पाश्चात्य साहित्य के प्रभाव को लेकर विद्वानों में बड़ी बहस हुयी I यह माना गया कि हिन्दी में छायावाद अंग्रेजी साहित्य से आया I नए प्रतीक, लाक्षणिकता, बिम्ब, चित्रोपमता आदि प्रभाव इंग्लिश साहित्य की देन माने गए I बहुत से प्रख्यात हिन्दी विद्वान इस अंधी…
संयुक्त अक्षरों की मात्रा गणना: (आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' जी से वार्तालाप के आधार पर )•जब दो अक्षर मिलकर संयुक्त अक्षर बनाते हैं तो जिस अक्षर की आधी ध्वनि होती है उसकी गणना पूर्व अक्षर के साथ होती है. यथा: अर्ध = (अ + आधा र) + ध = २ + १ = ३ मार्ग = (मा + आधा र) + ग = २ + १ = ३ दर्शन = (द + आधा…
अनुनासिक - अनुस्वार समझ मात्र गिनिये मीत: संजीव 'सलिल', दीप्ति गुप्ता …
संस्कृत है अंगरेजी का मूल :संजीव वर्मा 'सलिल'* भारत में अ-मृत वाणी संस्कृत को मृत, हिंदी को स्थानीय तथा अंगरेजी को विश्व भाष मानने की भ्रामक धारणा व्याप्त है। इसका मूल कारण यह है कि अंगरेजी विदेशी शासकों की भाषा रही है और हिंदी शोषित शासकों की। यह स्वाभाविक है कि हर शासित अपने…
भाषा- मानव-समाज के लिए भाषा बहुत महत्वपूर्ण तत्व है। इसके माध्यम से ही मनुष्य विचारों और भावों का आदान-प्रदान करता है। भाषा संप्रेषण का मुख्य साधन होती है। वैसे तो संप्रेषण संकेतों के माध्यम से भी हो सकता है लेकिन सांकेतिक क्रिया-कलापों को भाषा नहीं माना जा सकता। ‘भाषा’ शब्द की व्युत्पत्ति…