हिंदी की कक्षा

हिंदी सीखे : वार्ताकार - आचार्य श्री संजीव वर्मा "सलिल"

संस्कृत है अंगरेजी का मूल : संजीव वर्मा 'सलिल'

संस्कृत है अंगरेजी का मूल :

संजीव वर्मा 'सलिल'

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                    भारत में अ-मृत वाणी संस्कृत को मृत, हिंदी को स्थानीय तथा अंगरेजी को विश्व भाष मानने की भ्रामक धारणा व्याप्त है। इसका मूल कारण यह है कि अंगरेजी विदेशी शासकों की भाषा रही है और हिंदी शोषित शासकों की। यह स्वाभाविक है कि हर शासित अपने पुत्र को शासक बनाना चाहे। इस चाह ने भारतीयों के मन में बच्चों को अंगरेजी पढ़ाने की मानसिकता पैदा की। इसके साथ ही प्रशासनिक सेवा में कार्य कर रहे अफसरों ने खुद को अन्य जनों से अधिक अधिकार संपन्न बताने के लिए अंगरेजी का व्यवहार किया। 

 

                    मनोवैज्ञानिकों द्वारा बार-बार यह बताने के बाद भी कि शिशु मातृभाषा में अधिकतम  सरलता तथा सहजता से ज्ञान को ग्रहण कर सकता है, समझ सकता है तथा स्मरण रख सकता है, भारतीयों में शिशु को अंगरेजी माध्यम से शिक्षा दिलाना प्रतिष्ठा का प्रश्न मान लिया गया है। ऐसे अंगरेजी प्रेमी भारतीयों को संस्कृत अव्यावहारिक प्रतीत होती है जबकि अमरीकी संस्था  नासा अपने अन्तरिक्ष वैज्ञानिकों को संस्कृत सिखाने के लिए संस्कृतविदों को आमंत्रित कर रही है। अमरीकी राष्ट्रपति अपने देशवासियों को  हिंदी सीखने की प्रेरणा दे रहे हैं। 

 

                    अन्ग्रेजी भक्तों को यह जानकर विस्मय होगा कि अंगरेजी के अनेक शब्द उसी संस्कृत से व्युत्पन्न हैं जिसे वे हेय मानते रहे हैं। संस्कृत की एक धातु है 'स्थ' जिससे स्थल, स्थान, स्थिति, स्थगन, स्थगित, प्रतिष्ठित, प्रतिष्ठा आदि शब्द बने। 'स्था तिष्ठति' का साधारण अर्थ है यथास्थिति जैसा का तैसा रहना। एक जगह खड़ा रहने के लिए स्थिरता की आवश्यकता होने से स्थिर रहना भी अर्थ में जुड़ गया। उसके लिए फिर परिश्रमपूर्वक डटे रहना भी अपेक्षित है। इसी प्रकार डटे रहने से अंत तक बचे रहने का भाव जुड गया। प्रतीक्षा करने के लिए भी खड़ा रहना पड़ता है, साथ में विलम्ब करना भी जुडा। ऐसे १६ अर्थ संस्कृत शब्दकोषों में दिए गए हैं।

 

स्था (१ उ.) तिष्ठति-ते, के १६ अर्थ
१ खडा होना,
२ ठहरना, डटे रहना, बसना, रहना,
३ शेष बचना,
४ विलम्ब करना, प्रतीक्षा करना,
५ रूकना, उपरत होना, निश्चेष्ट होना,
६ एक ओर रह जाना
७ होना, विद्यमान होना, किसी भी स्थिति में होना
८ डटे रहना, आज्ञा मानना, अनुरूप होना
९. प्रतिबद्ध होना
१० निकट होना,
११ जीवित रहना, सांस लेना
१२ साथ देना, सहायता करना,
१३ आश्रित होना, निर्भर होना
१४ करना, अनुष्ठान करना, अपने आपको व्यस्त करना
१५ सहारा लेना, मध्यस्थ मान कर उसके पास जाना, मार्ग दर्शन पाना
१६ (सुरतालिंगन के लिए) प्रस्तुत करना, उपस्थित होना
 
अंग्रेज़ी शब्दों के उदाहरण:
संस्कृत का  'स्थ' को फारसी में 'स्त' होकर अंगरेजी में 'st' हो गया। 'स्थान' 'स्तान' हुआ, पाक (पवित्र) स्थान पाकिस्तान हो गया। रोमन लिपि में 'थ' तो है नहीं इस लिए उच्चारण 'स्थ' से 'स्ट' बना होगा, ऐसा तर्क असंगत नहीं है। निम्न प्रत्येक शब्द में ST देखिए, और उनके साथ उपर्युक्त १६ में से जुडा हुआ, कोई न कोई अर्थ देखिए।
(0१) Stable = स्थिर।
(0२) Stake = स्थिर, अचल।
(0३) Stack = थप्पी, ढेर एक जगह पर लगाई जाती है।
(0४) Stage = मंच जो एक जगह पर स्थिर बनाया गया है।
(0५) Stability =स्थिरता।
(0६) Stackable = एक जगह पर ढेर किया जा सकनेवाला पदार्थ
(0७) Stagnancy = रुकाव, अटकाव, जड़ता, स्थिरता।
(0८) Stagnate = एक जगह स्थिर/रोक रखना।
(0९) Stageable =स्थित मंच पर मंचन योग्य।
(१०)   Stager = मंच पर अभिनय करने वाले।
(११)   Stabilize = स्थिरीकरण की क्रिया।
(१२)   Stand  = एक जगह बनाया हुआ मंच
(१३)   Stadium = खेल का मैदान, क्रीडांगण
(१४)   Stillroom = रसोई के साथ छोटा रसोई की सामग्री संग्रह करने का कक्ष।
(१५)   State = विशेष निश्चित भूमि (राज्य)
(१६)    Street = गली, जो विशेष स्थायी पता रखती है।
(१७)   Stand = स्थिर रूप में सीधा खड़ा रहना। स्थापित होना, एक स्थान पर टिकना
(१८) Standards = स्थापित, शाश्वत आदर्श मापदंड, मानक

(१९) Staid = स्थिर, गम्भीर

(०)  Stabilize = स्थिर करने का उपकरण।

(२१)  Stabilization   = स्थिरता।

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 courtsey: dr. M. D. Jhaveri

 

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    Vindu Babu

    आदरेय सादर नमन्!
    क्षमा करें महोदय मैं समझ नहीं पाई थी।
    इसी श्रंखला में एक निवेदन करना चाहूंगी कृपया अपना विचार देकर और स्पष्ट करें-
    'ईन्' शब्द का प्रयोग देवी-भागवत् जी में 'शक्ति' के लिए किया गया है और कहा गया है कि शक्ति(देवी) का उद्गम हमारे भारत मे ही हुआ है अर्थात-
    ईन्+दिया
    अपनी उच्चारण शैली के अनुरूप अंग्रेजों ने हमारे देश को 'इन्डिया' नाम दिया।
    सादर
    1
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      रमेश कुमार चौहान

      अपने में अपनेपन  का भाव जगा,
         अपनों से अपना अनुराग लगा ।

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        kanta roy

         वाह !! क्या सुन्दर तथ्यों का यहां अवलोकन हुआ है।  इस जानकारी के लिए आभार आपको आदरणीय संजीव वर्मा 'सलिल' जी।