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तोमर छंद
(परिभाषा )
तोमर छंद एक मात्रिक छन्द है जिसके प्रत्येक चरण में १२ मात्राएँ होती हैं | पहले और दुसरे चरण के अन्त में तुक होता है, और तीसरे और चौथे चरण के अन्त में भी तुक होता है | इसके अंत में एक गुरु व एक लघु अनिवार्य होता है | श्रीराम चरित मानस में तीन स्थानों पर आठ-आठ (कुल २४) तोमर छन्दों का प्रयोग है |
१. अरण्यकाण्ड में खर, दूषण, त्रिशिरा और १४००० राक्षसों की सेना के साथ प्रभु श्रीराम का युद्ध (३.२०.१ से ३.२०.८) -
तब चले बान कराल | फुंकरत जनु बहु ब्याल |
कोपेउ समर श्रीराम | चले बिशिख निशित निकाम ||
२. युद्धकाण्ड में रावण का मायायुद्ध
(६.१०१.१ से ६.१०१.८)
जब कीन्ह तेहिं पाषंड | भए प्रगट जंतु प्रचंड ||
बेताल भूत पिशाच | कर धरें धनु नाराच ||
३. युद्धकाण्ड में वेदवतीजी के अग्निप्रवेश और सीताजी के अग्नि से पुनरागमन के पश्चात् इन्द्रदेव द्वारा राघवजी की स्तुति
(६.११३.१ से ६.११३.८)
जय राम शोभा धाम | दायक प्रनत बिश्राम ||
धृत तूण बर शर चाप | भुजदंड प्रबल प्रताप ||
गुरु-तोमर छंद
तोमर छंद का वह रूप जो उसके प्रत्येक चरण के अन्त में दो मात्राएँ बढ़ाने से बनता है अथवा एक छंद जो तोमर छंद के अंत में दो मात्राएँ रख देने से बन जाता है ।
जैसे,—
सल औ प्रसेन पुकारि कै । लरते भये धनु धारि कै ||
रचनाकार: ज्ञात नहीं
--अम्बरीष श्रीवास्तव
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
तोमर छंद -
//इसके अंत में एक लघु व एक गुरु अनिवार्य होता है //
क्या यह गुरुतोमर छंद की ही कुछ-कुछ परिभाषा नहीं है आदरणीय ? क्यों कि गुरुतोमर छंद की यही अनिवार्यता है, एक लघु और एक गुरु. आपने उदाहरण सदृश जो छंद प्रस्तुत किये हैं वह आखिरी में एक लघु + एक गुरु की अनिवार्यता को नहीं मानते, बल्कि इसके उलट को मानते हैं.
आदरणीय, कृपया शंका समाधान करें.
Mar 19, 2012
Samar kabeer
जनाब सौरभ पाण्डेय साहिब आदाब, तोमर छन्द के बारे में आज ही पता चला,बहुत उम्द: जानकारी दी आपने इसके लिए धन्यवाद ।
Sep 21, 2019
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
गुरुतोमर छंद के विधान को पढ़ते हुए-
रच प्रेम की नव तालिका। बन कृष्ण की गोपालिका।।
चल ब्रज सखा के आसरे। नित नेह धारे सांवरे।।
कर धर अधर पर बांसुरी। मन मोहती मुख माधुरी।।
सुन प्रेम रस जो ना चखी। वह तो अभागिन है सखी।।
Jun 18