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यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |
by रमेश कुमार चौहान
Jul 13, 2015
गिल्ली डंडा खेलबो, चल संगी दइहान ।गोला घेरा खिच के, पादी लेबो तान ।पादी लेबो तान, खेलबो सबो थकत ले ।देबोे संगी दांव, फेर तो हमन सकत ले ।।।अभी जात हन स्कूल, उड़ावा मत जी खिल्ली ।पढ़ लिख के हम सांझ, खेलबो फेरे गिल्ली ।।
चलव सहेली खेलबो, जुर मिल फुगड़ी खेल ।माड़ी मोड़े देख ले, होथे पावे के मेल ।।होथे पांवे के मेल, करत आघू अउ पाछू ।सांस भरे के खेल, काम आही ओ आघू ।।पुरखा के ये खेल, लगय काबर ओ पहेली ।घर पैठा रेंगान, खेलबो चलव सहेेली ।।
अटकन बटकन गीन ले, सबो पसारे हाथ ।दही चटाका बोल के, रहिबो संगे साथ ।।रहिबो संगे साथ, लऊहा लाटा बन के ।कांटा सूजी छांट, काय लेबे तैं तन के ।।कांऊ मांऊ बोल, कान धर लव रे झटकन ।कतका सुघ्घर खेल, हवय गा अटकन बटकन ।।
नेती भवरा गूंथ के, दे ओला तैं फेक ।घूमे लगाय रट्ट हे, आंखी गड़ाय देख ।।आंखी गड़ाय देख, खेल जुन्ना कइसे हे ।लकड़ी काढ़ बनाय, बिही के फर जइसे हे ।।लगय हाथ के जादू, जेन हर तोरे सेती ।फरिया डोरी सांट, बनाले तैं हर नेती ।।..........................मौलिक अप्रकाशित
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आंचलिक साहित्य
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Description
यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |
छत्तीसगढ के जुन्ना खेल
by रमेश कुमार चौहान
Jul 13, 2015
गिल्ली डंडा खेलबो, चल संगी दइहान ।
गोला घेरा खिच के, पादी लेबो तान ।
पादी लेबो तान, खेलबो सबो थकत ले ।
देबोे संगी दांव, फेर तो हमन सकत ले ।।।
अभी जात हन स्कूल, उड़ावा मत जी खिल्ली ।
पढ़ लिख के हम सांझ, खेलबो फेरे गिल्ली ।।
चलव सहेली खेलबो, जुर मिल फुगड़ी खेल ।
माड़ी मोड़े देख ले, होथे पावे के मेल ।।
होथे पांवे के मेल, करत आघू अउ पाछू ।
सांस भरे के खेल, काम आही ओ आघू ।।
पुरखा के ये खेल, लगय काबर ओ पहेली ।
घर पैठा रेंगान, खेलबो चलव सहेेली ।।
अटकन बटकन गीन ले, सबो पसारे हाथ ।
दही चटाका बोल के, रहिबो संगे साथ ।।
रहिबो संगे साथ, लऊहा लाटा बन के ।
कांटा सूजी छांट, काय लेबे तैं तन के ।।
कांऊ मांऊ बोल, कान धर लव रे झटकन ।
कतका सुघ्घर खेल, हवय गा अटकन बटकन ।।
नेती भवरा गूंथ के, दे ओला तैं फेक ।
घूमे लगाय रट्ट हे, आंखी गड़ाय देख ।।
आंखी गड़ाय देख, खेल जुन्ना कइसे हे ।
लकड़ी काढ़ बनाय, बिही के फर जइसे हे ।।
लगय हाथ के जादू, जेन हर तोरे सेती ।
फरिया डोरी सांट, बनाले तैं हर नेती ।।
..........................
मौलिक अप्रकाशित