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Description
यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |
by रमेश कुमार चौहान
Jul 14, 2015
अटकन बटकन दही चटाका । झर झर पानी गिरे रचाका
लउहा लाटा बन के कांटा । चिखला हा गरीब के बांटा
तुहुुर तुहुर पानी हा आवय । हमर छानही चूहत जावयसावन म करेला हा पाके । करू करू काबर दुनिया लागे
चल चल बेटी गंगा जाबो । जिहां छूटकारा हम पाबोगंगा ले गोदावरी चलिन । मरीन काबर हम अलिन गलिन
पाका पाका बेल ल खाबो । हमन मुक्ति के मारग पाबोछुये बेल के डारा टूटे । जीये के सब आसा छूटे
भरे कटोरा हमरे फूटे । प्राण देह ले जइसे छूटेकाऊ माऊ छाये जाला । दुनिया लागे घात बवाला............................मौलिक अप्रकाशित
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आंचलिक साहित्य
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Description
यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |
पारंपरिक गीत के संदेश (चौपाई)
by रमेश कुमार चौहान
Jul 14, 2015
अटकन बटकन दही चटाका । झर झर पानी गिरे रचाका
लउहा लाटा बन के कांटा । चिखला हा गरीब के बांटा
तुहुुर तुहुर पानी हा आवय । हमर छानही चूहत जावय
सावन म करेला हा पाके । करू करू काबर दुनिया लागे
चल चल बेटी गंगा जाबो । जिहां छूटकारा हम पाबो
गंगा ले गोदावरी चलिन । मरीन काबर हम अलिन गलिन
पाका पाका बेल ल खाबो । हमन मुक्ति के मारग पाबो
छुये बेल के डारा टूटे । जीये के सब आसा छूटे
भरे कटोरा हमरे फूटे । प्राण देह ले जइसे छूटे
काऊ माऊ छाये जाला । दुनिया लागे घात बवाला
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मौलिक अप्रकाशित