आंचलिक साहित्य

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पारंपरिक गीत के संदेश (चौपाई)

अटकन बटकन दही चटाका । झर झर पानी गिरे रचाका

लउहा लाटा बन के कांटा । चिखला हा गरीब के बांटा

तुहुुर तुहुर पानी हा आवय । हमर छानही चूहत जावय
सावन म करेला हा पाके । करू करू काबर दुनिया लागे

चल चल बेटी गंगा जाबो । जिहां छूटकारा हम पाबो
गंगा ले गोदावरी चलिन । मरीन काबर हम अलिन गलिन

पाका पाका बेल ल खाबो । हमन मुक्ति के मारग पाबो
छुये बेल के डारा टूटे । जीये के सब आसा छूटे

भरे कटोरा हमरे फूटे । प्राण देह ले जइसे छूटे
काऊ माऊ छाये जाला । दुनिया लागे घात बवाला
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मौलिक अप्रकाशित