आंचलिक साहित्य

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हरियाणवी साहित्य -मस्त हरियाणा के छोरे

काले हों या गोरे
मस्त हरियाणा के छोरे।

छोरे अल्हड मस्त जवान
खाएं खीर और पकवान
दूध दही लस्सी राबडी
पिएं भर भर कटोरे
मस्त हरियाणा के छोरे।

खेलकूद में सबसे आगे
इनको देख दुश्मन भागे
कुश्ती कबड्डी हाकी
सबमें हमने पदक बटोरे
मस्त हरियाणा के छोरे।

सुबह उठ व्यायाम करें
शरीर गठीले हैं इनके
मिलजुल कर रहते हैं
काले हों या गोरे
मस्त हरियाणा के छोरे।

भारत माँ के हैं ये दिलेर
सीमा के हैं ये दिलेर
कामों में जुटे रहते
कर्तव्य पथ ना कभी छोडें
मस्त हरियाणा के छोरे।

काले हों या गोरे
मस्त हरियाणा के छोरे।

मौलिक व अप्रकाशित

सुरेश कुमार ' कल्याण '