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मया चिरई : अरुण कुमार निगम (छत्तीसगढ़ी गीत)
जुग-जुग के नाता पल-छिन मा मिट जाय कभू छुट जाय कभू पल-छिन के नाता जुग-जुग के बन जाय कभू, बँध जाय कभू |
कभू चीन्हत-चीन्हत चीन्है नहिं कभू अनचीन्हे चिन्हारी लगय कभू अइसन चीन्हा मिल जावय नइ जिनगी भर मिट पाय कभू |
कभू हाँसत-हाँसत रोवय मन कभू रोवत-रोवत हाँसे लगय चंचल मन के का बात कहवँ उड़ जाय कभू रम जाय कभू |
कभू अइसन अचरिज हो जाथे भागे नहिं पावै कहूँ कती ये मया चिरई बड़ अजगुत हे बिन फाँदा के फँस जाय कभू ||
(मौलिक व अप्रकाशित)
अरुण कुमार निगम आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
[शब्दार्थ -
मया चिरई = प्रेम चिरैय्या, कभू = कभी, चिन्हारी = पहचान, अइसन = ऐसा, चिन्हा = निशानी, अजगुत = आश्चर्यजनक, कहूँ कती = किसी ओर]
Oct 6, 2013
बने छतीसढ़ी गीत लिखे हवौ भैय्या अरुण निगम जी , आपमन ला मोर डहन ले झारा झारा बधई हवे !! हमर भांखा के मान घलो बढ़ाय हवौ , ओखरो बर बधई लेवौ !!
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सदस्य कार्यकारिणी
अरुण कुमार निगम
मया चिरई : अरुण कुमार निगम
(छत्तीसगढ़ी गीत)
जुग-जुग के नाता पल-छिन मा
मिट जाय कभू छुट जाय कभू
पल-छिन के नाता जुग-जुग के
बन जाय कभू, बँध जाय कभू |
कभू चीन्हत-चीन्हत चीन्है नहिं
कभू अनचीन्हे चिन्हारी लगय
कभू अइसन चीन्हा मिल जावय
नइ जिनगी भर मिट पाय कभू |
कभू हाँसत-हाँसत रोवय मन
कभू रोवत-रोवत हाँसे लगय
चंचल मन के का बात कहवँ
उड़ जाय कभू रम जाय कभू |
कभू अइसन अचरिज हो जाथे
भागे नहिं पावै कहूँ कती
ये मया चिरई बड़ अजगुत हे
बिन फाँदा के फँस जाय कभू ||
(मौलिक व अप्रकाशित)
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
[शब्दार्थ -
मया चिरई = प्रेम चिरैय्या, कभू = कभी, चिन्हारी = पहचान, अइसन = ऐसा, चिन्हा = निशानी, अजगुत = आश्चर्यजनक, कहूँ कती = किसी ओर]
Oct 6, 2013
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
बने छतीसढ़ी गीत लिखे हवौ भैय्या अरुण निगम जी , आपमन ला मोर डहन ले झारा झारा बधई हवे !! हमर भांखा के मान घलो बढ़ाय हवौ , ओखरो बर बधई लेवौ !!
Oct 6, 2013