आदरणीय योगराज सर, लघुकथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए हार्दिक आभार. इस विधा के निये मैं बिलकुल नया अभ्यासी हूँ इसलिए इस कक्षा की आवश्यता महसूस हो रही थी. मंच पर लघुकथा की कक्षा देखकर मन झूम गया. यकीनन इस कक्षा से लाभान्वित होकर, इस विधा के अभ्यासी, सशक्त लघुकथाकार बनेंगे. इस शुभारम्भ पर ओबीओ के समस्त सदस्यों को हार्दिक बधाई.
आदरणीय योगराजभाईजी, इस कक्षा की प्रतीक्षा एक अरसे से थी. लेकिन कहते हैं न, जब-जब जो-जो होना है.. तब-तब सो-सो होता है..
ओबीओ के अश्वत्थ में एक और प्रभावी शाखा अँखुआयी है. इसके उत्तरोत्तर सुदृढ होते जाने के प्रति पूर्ण आश्वस्ति है. सर्वोपरि, यह कक्षा आपकी सरपरस्ती में लग रही है, यह अधिक आश्वस्तिकारी है. हार्दिक शुभकामनाएँ
भाई मिथिलेश जी, पिछले एक साल में बहुत से उदीयमान नवोदित लघुकथाकारों से सम्पर्क का मौका मिला। मैंने एक बात बहुत शिद्दत से महसूस की कि उचित मार्गदर्शन के आभाव में वे लोग सही दिशा पकड़ने में असमर्थ रहे। इसी मक़सद से मैंने अपने स्वभाव के विरूद्ध काफी समय सोशल मीडिया के विभिन्न लघुकथा समूहों में सर्फ किया। यथा शक्ति उन नवोदितों का मार्गदर्शन करने का प्रयास किया और उन्हें लघुकथा के मूलभूत सिद्धांतों से अवगत भी करवाया। उनमें से चुनिंदा गंभीर लोगों को ओबीओ की राह दिखाई। ऐसे में उन्हें एक मज़बूत मंच का साया प्रदान करना हमारा परम कर्तव्य बन जाता है। बस इसी उद्देश्य से इस समूह की स्थापना की गई है।
आ० सौरभ भाई जी, ओबीओ के स्वर्ण मुकुट में शायद इसी मणि की कमी हम सब काफी देर से महसूस कर रहे थे न ?बहरहाल, मंच ने मुझे इस समूह की कप्तानी के लायक समझा, मैं उपकृत महसूस कर रहा हूँ।
हृदय तल से शत शत आभार आपको हमें यह सार्थक मंच प्रदान करने के लिये । सच में हम भटक रहे थे यहाँ वहाँ ..।
अब इस मंच के साये तले हमारी बहकती हुई लघुकथा की डाँवा डोल तकनीक की जानकारी को अब एक स्थिर संबल मिलेगा । हमारी प्रश्नों के भँवर अब गोल गोल घुमना बंद कर सही दिशा में जायेंगे इसकी हम आशा करते है । नमन श्री
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, लघुकथा की कक्षा की शुरूआत के आपके बहुत बहुत आभारी हैं. लघुकथाकारों को अपनी मंज़िल तक पहुँचने का सुनहरी अवसर मिला है सभी लेखकों को इसका लाभ उठना चाहिए.
सर जी , मेरा एक सुझाव है कि इस लघुकथा कक्षा में आप प्रतिदिन एक प्रश्न तकनीकों के आधार मानकर हमसब से पूछें और हम होमवर्क के साथ जबाव दे यहाँ उदाहरण स्वरूप । उदाहरण स्वरूप हमारे जबाव देने से हम सबको भी समझ में आयेगा की हम तकनीकों को जानने में कितने करीब है । नमन श्री
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
आदरणीय योगराज सर, लघुकथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए हार्दिक आभार. इस विधा के निये मैं बिलकुल नया अभ्यासी हूँ इसलिए इस कक्षा की आवश्यता महसूस हो रही थी. मंच पर लघुकथा की कक्षा देखकर मन झूम गया. यकीनन इस कक्षा से लाभान्वित होकर, इस विधा के अभ्यासी, सशक्त लघुकथाकार बनेंगे. इस शुभारम्भ पर ओबीओ के समस्त सदस्यों को हार्दिक बधाई.
Jul 12, 2015
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आदरणीय योगराजभाईजी, इस कक्षा की प्रतीक्षा एक अरसे से थी. लेकिन कहते हैं न, जब-जब जो-जो होना है.. तब-तब सो-सो होता है..
ओबीओ के अश्वत्थ में एक और प्रभावी शाखा अँखुआयी है. इसके उत्तरोत्तर सुदृढ होते जाने के प्रति पूर्ण आश्वस्ति है. सर्वोपरि, यह कक्षा आपकी सरपरस्ती में लग रही है, यह अधिक आश्वस्तिकारी है.
हार्दिक शुभकामनाएँ
Jul 12, 2015
jyotsna Kapil
Jul 12, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
भाई मिथिलेश जी, पिछले एक साल में बहुत से उदीयमान नवोदित लघुकथाकारों से सम्पर्क का मौका मिला। मैंने एक बात बहुत शिद्दत से महसूस की कि उचित मार्गदर्शन के आभाव में वे लोग सही दिशा पकड़ने में असमर्थ रहे। इसी मक़सद से मैंने अपने स्वभाव के विरूद्ध काफी समय सोशल मीडिया के विभिन्न लघुकथा समूहों में सर्फ किया। यथा शक्ति उन नवोदितों का मार्गदर्शन करने का प्रयास किया और उन्हें लघुकथा के मूलभूत सिद्धांतों से अवगत भी करवाया। उनमें से चुनिंदा गंभीर लोगों को ओबीओ की राह दिखाई। ऐसे में उन्हें एक मज़बूत मंच का साया प्रदान करना हमारा परम कर्तव्य बन जाता है। बस इसी उद्देश्य से इस समूह की स्थापना की गई है।
Jul 12, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आ० सौरभ भाई जी, ओबीओ के स्वर्ण मुकुट में शायद इसी मणि की कमी हम सब काफी देर से महसूस कर रहे थे न ?बहरहाल, मंच ने मुझे इस समूह की कप्तानी के लायक समझा, मैं उपकृत महसूस कर रहा हूँ।
Jul 12, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आपका हार्दिक स्वागत है आ० ज्योत्सना जी।
Jul 12, 2015
kanta roy
अब इस मंच के साये तले हमारी बहकती हुई लघुकथा की डाँवा डोल तकनीक की जानकारी को अब एक स्थिर संबल मिलेगा । हमारी प्रश्नों के भँवर अब गोल गोल घुमना बंद कर सही दिशा में जायेंगे इसकी हम आशा करते है । नमन श्री
Jul 12, 2015
kanta roy
Jul 12, 2015
kanta roy
Jul 12, 2015
विनोद खनगवाल
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी, लघुकथा की कक्षा की शुरूआत के आपके बहुत बहुत आभारी हैं. लघुकथाकारों को अपनी मंज़िल तक पहुँचने का सुनहरी अवसर मिला है सभी लेखकों को इसका लाभ उठना चाहिए.
Jul 12, 2015
Madanlal Shrimali
Jul 13, 2015
Krish mishra 'jaan' gorakhpuri
दाखिला देने के लिए हार्दिक आभार आ० योगराज सर!
Jul 13, 2015
Omprakash Kshatriya
आदरणीय योगराज भाई साहब , अब यहाँ भी आप से खुल कर बातचीत हो सकेगी. लघुकथा की कक्षा लगा कर आप ने बहुत अच्छा काम किया है . इस हेतु आप का आभार .
Jul 13, 2015
Janki wahie
Jul 14, 2015
Janki wahie
Jul 14, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
यहाँ "भी" नहीं आ० ओमप्रकाश क्षत्रिय जी, यहाँ "ही"I
Jul 14, 2015
Nita Kasar
Jul 14, 2015
kanta roy
Jul 15, 2015
kanta roy
Jul 15, 2015