आपका सुझाव अति उत्तम है आ० कांता रॉय जी। लेकिन इस काम के लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा। मेरे ख्याल से इस काम को १ जनवरी २०२० से शुरू किया जा सकता है। क्योंकि मेरी रिटायरमेंट ३१-१२-२०१९ को है। उसके बाद मेरे पास काफी समय भी होगा।
मै इस मंच के माध्यम से गुणीजनो के समक्ष अपने मन की एक द्वुविधा रखना चाहता हूँ, आशा है कुछ समाधान अवश्य मिलेगा।
जब हम किसी कथा का अंत नकारत्मक पंच के साथ करते है तो एक साधारण सा पंच भी कथा को प्रभावी बना देता है लेकिन सकारत्मक अंत करते समय पंच लाईन अक्सर एक उपदेश सा लगने लगती है और कथा निष्प्रभावी नजर आने लगती है। इसे कैसे प्रभावी मगर उपदेश कथा बनने से बचाया जाये।
भाई वीर मेहता जी, वैसे तो लघुकथा का काम उद्देश्य उपदेश देना नहीं सन्देश देना है। फिर भी उपदेश में यदि कोई सार्थक सन्देश हो तो क्या हर्ज़ है ? हाँ, यदि किसी रचनाकार को ऐसा लगे कि लघुकथा किसी बोधकथा का रूप ले रही है, या फिर पंच लाईन कोरा उपदेश बन रही है तो या तो उसपर दोबारा काम किया जाये अथवा रचना को स्वयं ही निरस्त कर दिया जाये।
आदरणीय वीर मेहता जी यह प्रश्न आपका बेहद ही सार्थक हुआ है. ऐसा अक्सर ही हो जाता है कि सकारात्मक अंत कथा को देते समय वो बोध कथा की ओर संभावित रूख पकड लेता है. सर जी के जबाब ने फिर से एक संशय ग्रंथि को खोल कर लेखन में एक नई सोच नई दृष्टि दी है. हमें उम्मीद है कि हम अब और सार्थक रचना की तरफ एक कदम और आगे बढेंगे. नमन श्री
आद०योगराज प्रभाकर सर ,लघु-कथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए आपका तहेदिल धन्यवाद,लेखन अनाड़ी हूँ ,सीखने की ललक में कटोरा हाथ भिखारी हूँ,श्री-सम्रद्धी, गुरु के द्वार हूँ .....खाली न रहूंगी,इतना विश्वास है.
आद०योगराज प्रभाकर सर ,नम्र निवेदन सहित पूछना चाहती हूँ कि अभी उपमा शर्मा जी की पोस्टेड लघु कथा "आजादी "पढ़ी.बहुत सुंदर व्यंग्य है ....शिल्प की द्रष्टि से क्या यह लघु कथा पूर्ण है ?आपके उत्तर से मेरे अंदर उठते कई प्रश्न शांत हो जायेंगे .सादर
आदरणीय योगराज जी सादर प्रणाम।
बहुत -बहुत धन्यवाद कि आपने अपनी कक्षा में दाखिला दिया। मुझे लगता है मुझ जैसे विद्यार्थी को आपकी कक्षा की बहुत अधिक आवश्यकता है। और सर अपने अमूल्य समय में से समय निकाल हमें मार्गदर्शन देने हेतु बडा सा धन्यवाद स्वीकार करें।
सादर ममता
आदरणीय योगराज जी नमस्कार! सर जैसा कि मिथिलेश जी ने इस लघुकथा में एक कसाव की आवश्यकता महसूस की और उनके द्वारा एक उदाहरण देने के पश्चात् मुझे भी इसमें कई स्थान पर बदलाव की जरूरत महसूस हुई है मेरी आपसे एक प्रार्थना है कि अगर आप भी इसमें किसी और प्रकार का परिवर्तन की गुंजाइश समझते हैं तो मैं आपके सुझाव के बाद ही संशोधित रूप आपको दिखाऊँगी।
सादर ममता
आ० ममता जी, यह टिप्पणी किस लघुकथा के सम्बन्ध में है ? उसका लिंक यहाँ दीजिये, वैसे बेहतर यही होगा कि उस रचना के सम्बन्ध में कोई भी बात उसी पोस्ट पर की जाये.
आदरणीया ममता जी अपनी लघुकथा मोमबत्तियाँ (लिंक) के विषय में चर्चा कर रहीं हैं. मैंने एक पाठक की हैसियत से अपने विचार रखे थे उसी रचना पर आपका मार्गदर्शन निवेदित है ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके. सादर
सर जी , एक प्रश्न बार - बार कोशिश के बावजूद स्पष्ट नहीं हो पा रहें है कि कैसे हम लघुकथा का किस्सागोई होने से बचाव करें ?
बीमारी पकड़ में आने से ही इलाज संभव है तो इसकी पहचान कैसे हो कि किस्सागोई और बतकही का ?
इसके लिए आपसे मार्गदर्शन अपेक्षित है । सादर निवेदन
कान्ता जी सही उत्तर तो गुरु जन ही देंगे मगर मेरी समझ से जब हम लघुकथा लिखें तो उसे संवाद दर संवाद खींचे न वरन जो कहना चाह रहे हैं सीथे-सीधे कहें इससे लेखक जो कहना चाहते हैं वह सीधे ही पाठक तक पहुँच पाएगा।
अत्यधिक संवाद,लच्छेदार भाषा की भूलभुलैया पाठक को भरमा देगी और वह लघुकथा मात्र किस्सा बन जाएगी। आदरणीय मिथिलेश जी के उदाहरण से मुझे एस ही लगता है ।उनका पुनः धन्यवाद!
सादर ममता
पूज्यनीय सर जी , आप हमें शिल्प के विषय में कुछ विवरण उपलब्ध करवाइये की कथा में प्रयुक्त पात्र जो की तीन या चार हो तो किस प्रकार या किस श्रेणी का पात्र विन्यास हो उनका ? हम यहां अतिरेक से कैसे बचे या सपाट लेखनी का स्तर कैसे तय करें ? नमन श्री।
आदरणीय गुरुजी, मेरी कुछ लघु कथाएँ केवल संवादों पर आधारित थीं, जिनमें पंचलाइन के साथ एक अहम संदेश था, फेसबुक के एक ग्रुप अनुसार वे मात्र संवाद या बातचीत कही गयीं ,उन्होंने उन्हें स्पष्ट शब्दों में लघु-कथा मानने से इंकार कर दिया। आपका लेख पढ़कर मुझे ऐसा लगता है कि वे प्रकार नम्बर-दो की लघु कथाएँ थीं। कृपया तीनों तरह की लघु कथाओं को विस्तार से उदाहरण सहित बताईयेगा। नवांकुर तीनों तरह की लघु कथाओं में कहाँ और कैसे ग़लती करते हैं, उनके भी उदाहरण जानना चाहता हूँ। यह भी जानना चाहता हूँ कि ओबीओ क्या "सीखने-सिखाने का" मंच है या केवल सुधी साहित्यकारों के लिये मुख्य रूप से ?
किसी भी लघु-कथा गोष्ठी और उसका विषय घोषित करते समय कृपया नये रचनाकार के लिए विषय की व्याख्या कथा की संभावित रेंज सहित समझा दिया करें तो हमें कथानक व कथ्य तय करने में सुविधा होगी। जैसे अभी "शतरंज" विषय सरल होते हुए भी हमें कठिन लग रहा है। हालाँकि आदरणीया कान्ता राय जी ने काफी हद तक विषय हमें समझा दिया है और उनके असीम प्रोत्साहन से मैंने एक कथा रफ तौर पर तैयार भी कर ली है। सादर
माननीय सर , सादर नमन , लघुकथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। इस कक्षा के लिए मैं नर्सरी का छात्र हूँ। वैसे कहानियाँ लिखता हूँ , दो उपन्यास भी लिखे हैं। कथानक को विस्तार देने की आदत सी पड़ी हुई है। इसलिए लघुकथा लिखना असम्भव सा प्रतीत होता है। इस कक्षा में आने का सुअवसर मिला है तो प्रयास अवश्य करूँगा। कितना सफल होता हूँ कह नहीं सकता।
आदरणीय गुरूजी मैंने दो बार ट्राई किया लेकिन असफल होगया। इसके पूर्व भी प्रयासरत था परंतु हिम्मत बंधी कि वह सामाजिक सरोकार के लायक थी। इस बार जब लिखा तो ऐसा हुआ कि उसके बारे में कोई जानकारी न होने से निराशा ही हाथ लगी। अतः श्रीमान जी यदि अस्वीकृति के बारे में यदि इनबाक्स में कृपा करें तो महान दया होती। इसी विनय के साथ इन्द्र वि़द्या वाचस्पति तिवारी।
समूह में जोड़ने के लिए शुक्रिया! बहुत दिनों से लघुकथा की ओर मेरा रुझान बढ़ा है। मगर असमंजस में हूँ कि शुरुआत कैसे करूँ? इस समूह को पढ़कर बहुद हद तक हौसला बढ़ा है मगर बात वही शुरुआत पर आकर अटक जाती है। प्रारूप, शब्द सीमा? आदि...
आदरणीय सर । जब हम बच्चों को लेकर लघुकथा लिखते है , तब यह तो सही है कि लगना चाहिए की उनके द्वारा कही गयी बात हो । कोई बड़ी बात उनसे नहीं कहेलवानी चाहिए । यहाँ हम बच्चों की बात करे तो उनकी उम्र का आंकलन कैसे करना होता है । बच्चा तो 18 साल तक होता है। सादर ।
मैं मानता हूँ लघुकथा में पात्रों की भाषा उनकी आयु या स्तर के मुताबिक़ ही होनी चाहिए, उनमे बच्चे भी शामिल हैंI अत: बच्चों के मुख से वहीँ कहलवाया जाए जो नकली न लगेI
//बच्चा तो 18 साल तक होता है।//
मैंने तो ऐसे लोग भी देखें हैं जो अधेड़ होकर भी "बच्चे" ही रहते हैं आ० कल्पना भट्ट जीI
आदरणीय सर लघुकथा को हम विषयधारित , चित्राधारित ,या अपने ही किसी विषय को लेकर लिखते हैं न ? जब चित्र को देखकर उसपर कथा लिखनी होती है तो सामने वही चित्र घूमता है । पर अगर चित्र हटा दें और सिर्फ लघुकथा हमारे सामने हो तो लगने लगता है जैसे कहीं कुछ अधूरापन है । चित्रधारित वाली कथा को गर अलग से पढ़े तो उसमें कहीं कुछ कमी खलने लगती है । चित्र पर लिखने वाली कथा को किस तरह से लिखनी होती है ? क्या फर्क होता है इन विभिन्न कथा शैली में ? सादर ।
सुधि जनो को नमन ! कई दिनों बाद लघुकथा की कक्षा में उपस्थित हुई हूँ, अगर अपनी प्रविष्टि भेजनी हो तो उसका क्या तरीक़ा है ये भूल गई हूँ कृपयामार्गदर्शन कीजिए ।
सादर ममता
आदाब। जानना चाहता हूं कि लघुकथा लेखन की पत्रात्मक शैली व डायरी शैली क्या वर्तमान में चलन से बाहर या अमान्य या नापसंद हैं? यदि नहीं, तो उन शैलियों में कोई बदलाव किया गया है? यदि यह भी नहीं, तो कृपया उन शैलियों में न्यूनतम और अधिकतम शब्द--संख्या सीमा बताइयेगा। मैं लघुकथा गोष्ठी के विषय पर केंद्रित रचना उन शैलियों में अवलोकनार्थ प्रस्तुत करना चाहता हूं। सादर।
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आपका सुझाव अति उत्तम है आ० कांता रॉय जी। लेकिन इस काम के लिए थोड़ा इंतज़ार करना पड़ेगा। मेरे ख्याल से इस काम को १ जनवरी २०२० से शुरू किया जा सकता है। क्योंकि मेरी रिटायरमेंट ३१-१२-२०१९ को है। उसके बाद मेरे पास काफी समय भी होगा।
Jul 15, 2015
kanta roy
Jul 15, 2015
Nita Kasar
Jul 17, 2015
VIRENDER VEER MEHTA
जब हम किसी कथा का अंत नकारत्मक पंच के साथ करते है तो एक साधारण सा पंच भी कथा को प्रभावी बना देता है लेकिन सकारत्मक अंत करते समय पंच लाईन अक्सर एक उपदेश सा लगने लगती है और कथा निष्प्रभावी नजर आने लगती है। इसे कैसे प्रभावी मगर उपदेश कथा बनने से बचाया जाये।
Jul 19, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
जी नहीं आ० नीता कसार जी, अभी लघुकथा रिपेयर वर्कशॉप की कोई योजना नही है।
Jul 19, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
भाई वीर मेहता जी, वैसे तो लघुकथा का काम उद्देश्य उपदेश देना नहीं सन्देश देना है। फिर भी उपदेश में यदि कोई सार्थक सन्देश हो तो क्या हर्ज़ है ? हाँ, यदि किसी रचनाकार को ऐसा लगे कि लघुकथा किसी बोधकथा का रूप ले रही है, या फिर पंच लाईन कोरा उपदेश बन रही है तो या तो उसपर दोबारा काम किया जाये अथवा रचना को स्वयं ही निरस्त कर दिया जाये।
Jul 19, 2015
VIRENDER VEER MEHTA
Jul 19, 2015
kanta roy
Jul 29, 2015
Harash Mahajan
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी नमस्कार | आपका बहुत आभार मुझे यहाँ लघु कथा क्लास में दाखिला देने के लिए | इस से ज़रूर हमें लाभ मिलेगा | धन्यवाद् !!
Aug 4, 2015
asha jugran
आद०योगराज प्रभाकर सर ,लघु-कथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए आपका तहेदिल धन्यवाद,लेखन अनाड़ी हूँ ,सीखने की ललक में कटोरा हाथ भिखारी हूँ,श्री-सम्रद्धी, गुरु के द्वार हूँ .....खाली न रहूंगी,इतना विश्वास है.
Aug 5, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आ० आशा जुगरान जी एवं हर्ष महाजन जी, आपका हार्दिक स्वागत है।
Aug 5, 2015
asha jugran
आद०योगराज प्रभाकर सर ,नम्र निवेदन सहित पूछना चाहती हूँ कि अभी उपमा शर्मा जी की पोस्टेड लघु कथा "आजादी "पढ़ी.बहुत सुंदर व्यंग्य है ....शिल्प की द्रष्टि से क्या यह लघु कथा पूर्ण है ?आपके उत्तर से मेरे अंदर उठते कई प्रश्न शांत हो जायेंगे .सादर
Aug 12, 2015
Mamta
बहुत -बहुत धन्यवाद कि आपने अपनी कक्षा में दाखिला दिया। मुझे लगता है मुझ जैसे विद्यार्थी को आपकी कक्षा की बहुत अधिक आवश्यकता है। और सर अपने अमूल्य समय में से समय निकाल हमें मार्गदर्शन देने हेतु बडा सा धन्यवाद स्वीकार करें।
सादर ममता
Aug 12, 2015
Mamta
सादर ममता
Aug 13, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आ० आशा जुगरान जी, आप किस लघुकथा की बात कर रही हैं ? यदि वह ओबीओ पर है तो उसका लिंक देने की कृपा करें.
Aug 13, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आ० ममता जी, यह टिप्पणी किस लघुकथा के सम्बन्ध में है ? उसका लिंक यहाँ दीजिये, वैसे बेहतर यही होगा कि उस रचना के सम्बन्ध में कोई भी बात उसी पोस्ट पर की जाये.
Aug 13, 2015
Mamta
सादर ममता
Aug 13, 2015
asha jugran
आद०योगराज प्रभाकर सर,उपमा शर्मा जी की यह लघु कथा नया लेखन-नए दस्तख़त पर देय विषय "आजादी"पर लिखी गई है
Aug 13, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
यहाँ केवल ओबीओ में पोस्ट रचनाओं की बात होगी आ० आशा जुगरान जी
Aug 13, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आ० ममता शर्मा जी, रचनाओं के बारे में चर्चा रचना की जगह ही होती हैं, यहाँ केवल लघुकथा विधा तकनीक के बारे में प्रश्न करें I
Aug 13, 2015
Mamta
सादर ममता
Aug 13, 2015
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
आदरणीय योगराज सर,
आदरणीया ममता जी अपनी लघुकथा मोमबत्तियाँ (लिंक) के विषय में चर्चा कर रहीं हैं. मैंने एक पाठक की हैसियत से अपने विचार रखे थे उसी रचना पर आपका मार्गदर्शन निवेदित है ताकि सभी को उसका लाभ मिल सके. सादर
Aug 13, 2015
kanta roy
बीमारी पकड़ में आने से ही इलाज संभव है तो इसकी पहचान कैसे हो कि किस्सागोई और बतकही का ?
इसके लिए आपसे मार्गदर्शन अपेक्षित है । सादर निवेदन
Aug 21, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
वह कथा जिस में पूरा विवरण लेखक खुद ब्यान करे, उसको किस्सा गोई कहा जाता है आ० कांता रॉय जीI
Aug 21, 2015
Mamta
अत्यधिक संवाद,लच्छेदार भाषा की भूलभुलैया पाठक को भरमा देगी और वह लघुकथा मात्र किस्सा बन जाएगी। आदरणीय मिथिलेश जी के उदाहरण से मुझे एस ही लगता है ।उनका पुनः धन्यवाद!
सादर ममता
Aug 21, 2015
kanta roy
Aug 21, 2015
Mamta
सादर ममता
Aug 21, 2015
kanta roy
अब जाकर मालूम हुआ कि बतकही (बतकूचन ) अर्थात बातों का बिना मतलब खींचना किस्सागोई नहीं होता है ।
अगर किस्सागोई का अर्थ किस्सा सुनाने से है तो मै जानना चाहूँगी कि किसी को किस्सा सुनाना गलत क्यों हुआ लघुकथा के संदर्भ में ?
क्या लघुकथा को किसी और के मुख से प्रस्तुत करना गलत है ?
विवरणात्मक लघुकथा तो संवादहीन होता है , तो हम कैसे किस्सागोई से बचें विवरणात्मक लघुकथा लिखते समय ?
सादर निवेदन !
Aug 21, 2015
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
कोई भी सवाल उठाने से पहले उसपर होमवर्क किया करें आ० कान्ता रॉय जी I वर्ना इस प्रकार के प्रश्न भी बतकूचन की श्रेणी मैं आ सकते हैं I
Aug 21, 2015
Archana Tripathi
Sep 13, 2015
kanta roy
पूज्यनीय सर जी , आप हमें शिल्प के विषय में कुछ विवरण उपलब्ध करवाइये की कथा में प्रयुक्त पात्र जो की तीन या चार हो तो किस प्रकार या किस श्रेणी का पात्र विन्यास हो उनका ? हम यहां अतिरेक से कैसे बचे या सपाट लेखनी का स्तर कैसे तय करें ? नमन श्री।
Oct 7, 2015
Sheikh Shahzad Usmani
किसी भी लघु-कथा गोष्ठी और उसका विषय घोषित करते समय कृपया नये रचनाकार के लिए विषय की व्याख्या कथा की संभावित रेंज सहित समझा दिया करें तो हमें कथानक व कथ्य तय करने में सुविधा होगी। जैसे अभी "शतरंज" विषय सरल होते हुए भी हमें कठिन लग रहा है। हालाँकि आदरणीया कान्ता राय जी ने काफी हद तक विषय हमें समझा दिया है और उनके असीम प्रोत्साहन से मैंने एक कथा रफ तौर पर तैयार भी कर ली है। सादर
Oct 15, 2015
chouthmal jain
माननीय सर , सादर नमन ,
लघुकथा की कक्षा में प्रवेश देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। इस कक्षा के लिए मैं नर्सरी का छात्र हूँ। वैसे कहानियाँ लिखता हूँ , दो उपन्यास भी लिखे हैं। कथानक को विस्तार देने की आदत सी पड़ी हुई है। इसलिए लघुकथा लिखना असम्भव सा प्रतीत होता है। इस कक्षा में आने का सुअवसर मिला है तो प्रयास अवश्य करूँगा। कितना सफल होता हूँ कह नहीं सकता।
Jan 3, 2016
indravidyavachaspatitiwari
आदरणीय गुरूजी मैंने दो बार ट्राई किया लेकिन असफल होगया। इसके पूर्व भी प्रयासरत था परंतु हिम्मत बंधी कि वह सामाजिक सरोकार के लायक थी। इस बार जब लिखा तो ऐसा हुआ कि उसके बारे में कोई जानकारी न होने से निराशा ही हाथ लगी। अतः श्रीमान जी यदि अस्वीकृति के बारे में यदि इनबाक्स में कृपा करें तो महान दया होती। इसी विनय के साथ इन्द्र वि़द्या वाचस्पति तिवारी।
Jan 11, 2016
सर्वेश कुमार मिश्र
समूह में जोड़ने के लिए शुक्रिया!
बहुत दिनों से लघुकथा की ओर मेरा रुझान बढ़ा है। मगर असमंजस में हूँ कि शुरुआत कैसे करूँ? इस समूह को पढ़कर बहुद हद तक हौसला बढ़ा है मगर बात वही शुरुआत पर आकर अटक जाती है। प्रारूप, शब्द सीमा? आदि...
May 8, 2016
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
भाई सर्वेश कुमार मिश्र जी, इसी मंच पर मेरा एक आलेख "लघुकथा विधा: तेवर और कलेवर" मौजूद हैI उसे अवश्य पढ़ें, शायद आपको कोई मदद मिल जाएI
May 8, 2016
सर्वेश कुमार मिश्र
जी, शुक्रिया मार्गदर्शन के लिए!
May 8, 2016
रौशन जसवाल विक्षिप्त
आभार सदस्यता देने के लिए
Oct 14, 2016
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आपका हार्दिक स्वागत है आ० रौशन जसवाल विक्षिप्त जी.
Oct 14, 2016
KALPANA BHATT ('रौनक़')
Dec 28, 2016
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
मैं मानता हूँ लघुकथा में पात्रों की भाषा उनकी आयु या स्तर के मुताबिक़ ही होनी चाहिए, उनमे बच्चे भी शामिल हैंI अत: बच्चों के मुख से वहीँ कहलवाया जाए जो नकली न लगेI
//बच्चा तो 18 साल तक होता है।//
मैंने तो ऐसे लोग भी देखें हैं जो अधेड़ होकर भी "बच्चे" ही रहते हैं आ० कल्पना भट्ट जीI
Dec 28, 2016
KALPANA BHATT ('रौनक़')
Dec 28, 2016
KALPANA BHATT ('रौनक़')
Feb 2, 2017
surender insan
Aug 19, 2017
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आपका हार्दिक स्वागत है भाई सुरेन्द्र इन्सान जी.
Aug 19, 2017
Mamta
सादर ममता
Aug 19, 2017
rashmi tarika
Aug 22, 2017
मेघा राठी
Aug 30, 2017
Sheikh Shahzad Usmani
आदाब। जानना चाहता हूं कि लघुकथा लेखन की पत्रात्मक शैली व डायरी शैली क्या वर्तमान में चलन से बाहर या अमान्य या नापसंद हैं? यदि नहीं, तो उन शैलियों में कोई बदलाव किया गया है? यदि यह भी नहीं, तो कृपया उन शैलियों में न्यूनतम और अधिकतम शब्द--संख्या सीमा बताइयेगा। मैं लघुकथा गोष्ठी के विषय पर केंद्रित रचना उन शैलियों में अवलोकनार्थ प्रस्तुत करना चाहता हूं। सादर।
Mar 22, 2019
Deepalee Thakur
Oct 1, 2020