प्रिय बागी जी और वीनस जी , आप सब ने मेरी बातें पढ़ी , मुद्दों पर यथोचित टिप्पणी की मैं आभारी हूँ | मुझे लगता है किसी सम्बन्ध में संवादहीनता नहीं होनी चाहिए चर्चा और विमर्श स्थितियों को और निखारते ही हैं , हम सब लिखें सीखें आगे बढ़ें इससे अच्छा क्या हो सकता है सबकी यही मंशा है |और मेरी भी |ओ.बी.ओ. को आभार जिसने इतने अलग अलग शहरों के लोगों को एक मंच पर लाने का महती कार्य किया | श्रेय इसे जाता है | हम सब इसके हमराह हैं मंजिल और मील का पत्थर तो यही है |
आदरणीया वंदना जी का इस माह के एक्टिव मेंबर के रूप एडमिन द्वारा दिया गया परिचय इन पंक्तियों के बिना भी पूरा हो सकता था या इसकी जगह कुछ और लिखा जाता तो अच्छा होता --
"अपनी प्रशंसा करना आता नही इसलिए आप अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही करती है। आप अपनी रचनाओं पर आने वाले सार्थक और नकरात्मक टिप्पणियों को भी सहृदय स्वीकार करती है,"
ऐसा लगता है की इसके कुछ प्रकट निहितार्थ हैं | हमें उतावलेपन और उद्वेलन की अवस्था में भी गरिमा और गंभीरता बनाए रखना चाहिए | रही बात आलोचना की तो एक समय निराला को और कबीर तक को भी समीक्षकों ने अस्वीकार किया था | एक प्रचलित साहित्यकार ने हिंदी साहित्य के इतिहास इनको शामिल ही नहीं किया | अर्थ या की हमें अपना कार्य करते जाना चाहिए | समय खुद मूल्याकन करता है |हर बात बोली नहीं जाती |
अरुण जी, जबाब मे देर हेतु खेद है, व्यस्तता के कारण कभी कभी ऐसा हो जाता है .....
१-"अपनी प्रशंसा करना आता नही इसलिए आप अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही करती है। आप अपनी रचनाओं पर आने वाले सार्थक और नकरात्मक टिप्पणियों को भी सहृदय स्वीकार करती है,"
ऐसा लगता है की इसके कुछ प्रकट निहितार्थ हैं
जैसा श्रीमती वंदना गुप्ता जी का विचार प्राप्त हुआ वही छापा गया है , इसमे कोई खास निहितार्थ नहीं है , प्रवंधन को जो कहना होगा वह स्पस्ट कहेगा, इशारों मे कहने की आवश्यकता नहीं है |
२- सुझाव- कृपया ओ.बी.ओ.के मुखपृष्ठ के ऊपर लिखा साईट का नाम 'बड़ा और स्पष्ट' करें मैंने पहले भी लिखा था | नाम स्पष्ट और प्रभावी नहीं दिख रहा |
जल्द ही दूसरा बैनर लगाया जायेगा, कोशिश होगी की शिकायत का मौका न मिले |
३-यदि हम यहाँ रचनाओं के नीचे " लाइक " का फेसबुक जैसा बटन दें...................
ओपन बुक्स ऑनलाइन के वेब डिजाईन के अनुसार फिलहाल यह संभव नहीं है |
४-इस ग्रुप के सुझावों का जवाब प्राथमिकता के आधार पर यहीं पर कृपया दिया जाये | सुझाव क्रियान्वित हो तो भी या ना होने पर भी | ताकि लिखने की सार्थकता हो |
सुझावों पर प्रबंधन समूह द्वारा विचार किया जाता है निर्णय तुरंत लेना कभी कभी संभव नहीं होता , जबाब देने मे कभी विलम्ब हो सकता है कृपया धैर्य रखे |
एडमिन जी जवाब हेतु शुक्रिया | थोडा माधुर्य - भाव बना रहे तो अच्छा रहेगा | एक्टिव मेंबर के बारे में कहने का तात्पर्य यह था की उस जगह हम चुने गये सदस्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा और साहित्य तथा उपलब्धियों से जुडी जानकारी दें तो अच्छा रहेगा | खैर आप एडमिन जी ठहरे ....|एज यू विश् !
इधर महसूस हुआ की कई साथी फेसबुक पर और ब्लॉग के अपने पन्नों पर अपनी रचनाओं की पब्लिसिटी में लगे हुए हैं | वहाँ लगता है लोग बिना पढ़े ही तारीफ़ करते हैं या लाइक बटन दबा देते हैं | ये एक गिव एंड टेक की तर्ज़ पर चलता है | और ब्लॉग पर भी यही है | फेसबुक और ब्लॉग का उद्देश्य भी भिन्न है | लेकिन ओ.बी.ओ. एक मात्र साहित्य संस्कृति का जीवंत गतिशील मंच है यहाँ हमारा अलग पन्ना होता है और सारी जानकारियाँ एक जगह होती हैं |तथा यहाँ सभी अपने वास्तविक नाम और परिचय के साथ सदस्य हैं | जबकी फेसबुक पर तो मुझे कई नाम तक फर्जी लगते हैं | कहने का उद्देश्य यह की अन्य गतिविधियां के लिये तो ठीक पर यदि साथी अपनी साहित्यिक सांस्कृतिक गतिविधियों के लिये ओ.बी.ओ. को एक्सक्लूसिव साईट बनायीं तो दूरगामी रूप से यह साईट और सदस्य दोनों के लिये अच्छा होगा |इधर कई साथी अन्यात्र्र सक्रिय हैं पर याहां वे सिर्फ तरही पर दीखते हैं | वे जब अपनी शैली और भाषा में लिखते हैं तो हमसे अपेक्षा रखते हैं कि हम प्रतिभाग करें पर वे भोजपुरी इवेंट में टिप्पणी हेतु भी उपलब्ध नहीं थे | अन्यत्र जितनी सक्रियता में समय दिया जा रहा है उतना ओ.बी.ओ. पर समान अभिरुची के लोगों को आमंत्रित करने पर जोर दिया गया होता तो आज स्थिति भिन्न हो सकती थी | हम इसे ही लेखन का फेसबुक क्यों नहीं बनाते ? उम्मीद सभी साथी गंभीरता से सोचेंगे और दूरदर्शिता बरतेंगे |
ओ.बी.ओ. की पहली वर्षगाँठ पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !!!अच्छा हो यदि साथी इस मंच पर वर्ष भर के अपने अनुभव और अपेक्षाओं को भी साझा करे इसके लिये एडमिन चाहे तो फोरम पर विमर्श शुरू कर सकता है | इससे प्रचार प्रसार में भी मदद मिलेगी क्योंकि इस साईट ने साहित्य की प्रगति में निश्चित ही महत्वपूर्ण योगदान किया है !!!
माह के सक्रिय सदस्य के चुनाव में सदस्य के द्वारा रचनाओं पर दिए जाने वाली टिप्पणियों का भी ध्यान रखा जाता है, अर्थात सक्रिय सदस्य बनाये जाने तक वो सदस्य श्रेष्ठ पाठक भी होते है, यह अलग बात है कि उसके बाद कुछ सदस्य गायब से हो जाते है | इसलिए अलग से श्रेष्ठ पाठक की घोषणा करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता |
आदरणीय अरुण जी, निश्चित रूप से हमें गर्व होता है कि ओ बी ओ परिवार में आप है जो सदैव हमें सुझाव देते रहते है जिससे कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है |
बिलकुल सटीक बात कही आपने पर यहाँ अपनी साफगोई का परिचय देते हुए किसी का नाम मैं भी नहीं लूँगा पर हम सब को क्या यह भी नहीं सोचना की क्यों कोई कुछ समय अधिक सक्रीय रहने के बाद लुप्तप्राय सा हो जाता है | कुछेक संचालक मंडल के सदस्य भी अब संभवतः अब अन्यत्र व्यस्त हो गए हैं ऐसी स्थिति में उन्हें अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए | सूत्र लम्बा हो और टिकाऊ भी हो ऐसा प्रयत्न हो | जहां तक मेरी बात है | मैं कोशिश करता हूँ हर आयोजन में प्रतिभाग करून और संक्षिप्त टिप्पणी भी रचनाओं पर करू | पर एक विवशता है की घर में नेट उपलब्ध नहीं है | कार्यालय में ही समय निकाल कर कुछ लिख पढ़ पाता हूँ | हां स्वीकार है की करीब एक वर्ष में ओ बी ओ पर आकर मुझे काफी कुछ सीखने को मिला और नए नए रचनाकारों से जुड़ाव हुआ | जिसके लिए मैं आपक सबका आभारी हूँ | '
हम अन्य नेट पर उपलब्ध साहित्यिक पत्रपत्रिकाओं में भी ओ बी ओ के बारे में लेख और अपनी आयोजन सूचनाएँ दे सकते हैं और उनके बारे में यहाँ लिख सकते हैं इससे भी प्रसार होगा | एक बार फिर पुराने मित्रों से जुड़ने का आग्रह करता हूँ | वैसे हर सफ़र में कुछ ऐसे मुकाम आते ही हैं | इन को सकारात्मक रूप में लेना चाहिए |
श्री विनय कुल जी का आगमन एक सुखद संकेत है ! वो एक अच्छे कार्टूनिस्ट होने के साथ साथ भारतीय फिल्म संगीत के बारे में समृद्ध रखने वाले व्यक्ति हैं | उनके कार्टून से ओ बी ओ में चार चाँद लगेंगे उम्मीद है | कार्टून का एक स्तंभ बनाकर वहाँ उनपर लाईक बटन व् टिपण्णी की भी व्यवस्था हो सकती है | उनका उत्साह वर्धन होगा | ओ बी ओ और विनय जी दोनों को हार्दिक शुभकामनाएं !!
मुख पृष्ठ पर चलायमान दीप श्रृंखला आकर्षक है | इस हेतु प्रबंधन को हार्दिक बधाई और प्रकाशोत्सव की सभी साथिओं को हार्दिक शुभकामनाएं !! ओ बी ओ पर साहित्य दीप चिर - जागृत रहे यही कामना है !!
इधर ओ बी ओ पर नयी पौध सक्रिय हुई है | यह सुखद है | परन्तु नवोदितों की रचनाओं में परिमार्जन की गुंजायश दीखती है | कविता के नाम पर कुछ भी परोसने से परहेज करना होगा ! साथ ही एक स्तर को बनाये रखना होगा | प्रोत्साहन से कोई इनकार नहीं | परन्तु इसके लिए कोई अलग से " नवांकुर " जैसा स्तम्भ बनाया जा सकता है | ओ बी ओ का मुख्य ब्लॉग चुनिन्दा पोस्ट के लिए हो तो अच्छा है | सिर्फ भीड़ ही किसी मंच की सक्रियता और लोकप्रियता का पैमाना नहीं हो सकता ! आशा है इस सुझाव को सही अर्थ में लिया जाएगा !
आदरणीय अरुण जी, किसी भी सुझाव का ओ बी ओ पर सदैव स्वागत का परंपरा रहा है, यह सही है कि ओ बी ओ पर नई पौध सक्रिय है जिसका संरक्षण पुराने सदस्यों से आपेक्षित है, ओ बी ओ का मंच ब्लॉग स्पाट से अलग एक खुला मंच है, जहाँ सदस्य अपनी रचनाएँ स्वयम पोस्ट करते है जिसे प्रारंभिक रूप से जांचकर अनुमोदित किया जाता है और चुनिन्दा उत्कृष्ट रचनाओं को फिचर किया जाता रहा है, हमें हर हाल में अपने उद्देश्य "सीखने सिखाने" को भी ध्यान में रखना होता है, बेकार गुणवता की रचनाओं को नित्य दर्जन की संख्या में हटा दिया जाता है, किन्तु जहाँ संभावनाएं प्रवलित होती है उसे अवश्य अनुमोदित किया जाता है | अलग से नवांकुर जैसा कालम बना भर देने से विशेष फायदा नहीं दिखता, क्योकि रचनाओं को उस स्तम्भ में स्थान्तरित करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है |
एक उपाय अवश्य है जिसपर कमोबेश रचनाओं का अनुमोदन किया जाता है वह इसप्रकार है कि .........
सभी प्राप्त अप्रकाशित और मौलिक रचनाओं को चार केटेगरी में बाँट लेते है ..
(अ) उत्कृष्ट रचना---जिसे अनुमोदन के पश्चात् फिचर किया जाता है फलस्वरूप ब्लॉग सेक्सन के साथ साथ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया जाता है |
(आ) सामान्य रचना-जिसे अनुमोदन के पश्चात् ब्लॉग सेक्सन में रहने दिया जाता है |
(इ) सामान्य से कुछ कमतर रचना - वर्तनी और टंकण त्रुटियों को प्रबंधन स्तर से सुधार कर अनुमोदन के पश्चात् ब्लॉग सेक्सन में रहने दिया जाता है |
(ई) बेकार रचना - अस्वीकृत कर दिया जाता है |
एक और समस्या है जिससे प्रबंधन को दो चार होना पड़ रहा है, ओ बी ओ नियम और मुख्य पृष्ठ पर लगातार सूचना के पश्चात भी कई सदस्य पूर्व प्रकाशित रचनाओं को थोक के भाव में अनुमोदन हेतु भेज रहे है, उन्हें व्यक्तिगत पत्र देने के बाद भी नहीं मान रहे है | अंतिम उपाय यही है कि ऐसे सदस्यों को निलंबित कर दिया जाय |
पुनः मैं कहना चाहूँगा कि आप सभी अपना सुझाव बेझिझक दिया करें, ओ बी ओ पर सभी के सकरात्मक विचारों का दिल से स्वागत है |
आदरणीय श्री बागी जी आपने सही कहा | हम सब एडमिन की स्थिति को समझ सकते हैं | वर्तमान व्यवस्था भी समीचीन है | मन में एक बात आई थी सो साझा किया | मैं समझता था कि चूँकि इसे अन्य परिपक्व रचनाकार भी देखते होंगे जो ओ बी ओ के अभी सदस्य नहीं हैं | वे जब इस मंच पर आयें तो उन्हें इसकी गंभीरता और गुरुता का एहसास हो | आपके विंदुवार जवाब ने संतुष्ट किया और ब्लॉग कि प्रक्रिया को स्पष्ट किया इससे सभी सदस्य अवश्य ही लाभान्वित होंगे |हार्दिक साधुवाद !!
भाई अरुण जी, मैं आपके विचारों का अनुमोदन करता हूँ. रचनायों की गुणवत्ता से कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं होना चाहिए - जिस पर पूरी इमानदारी से अमल किया जा रहा है. यहाँ मैं अर्ज़ करना चाहूँगा कि हर रोज़ कई कई रचनाएँ अस्वीकृत की जाती हैं, भाषा और बरतनी सम्बंधित त्रुटियों को सुधार जाता है और जहाँ आवश्यकता हो रचनाकारों से संवाद स्थापित कर आवश्यक सुधार करने को भी कहा जाता है. क्योंकि रचनायों का अनुमोदन मेरे कार्यक्षेत्र के अधीन आता है, तो मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि भविष्य में अस्तरीय रचनायों के सम्बन्ध में और ज्यादा कडाई से पेश आया जायेगा. सादर.
आदरनीय प्रधान सम्पादक जी मेरे मन में एक अदना सा सुझाव आया है जो मै आपके सामने रख रहा हूँ | मुझको उम्मीद है की आप उस पर गौर फरमाएंगे | मै कहना चाहता हूँ की अगर रचनाओं के साथ प्रिंट का बटन भी लगा दिया जाए तो जो सदस्य अपनी रचना को प्रिंट करना चाहता हो तो उसको प्रिंट करने में आसानी रहेगी ||
नबील भाई, आपका हर सुझाव सर आँखों पर. और मेरे विचार से यह कोई मुश्किल काम भी नहीं है. लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं प्रिंटिंग की आप्शन के हक में नहीं हूँ. छपाई के लिए दरकार कागज़ के लिए हर साल कितने असंख्य पेड़ों को जान से हाथ धोना पड़ता है - बताने की ज़रुरत नहीं है. हम पर्यावरण के लिए और तो शायद कुछ न कर पायें लेकिन "पेपरलेस पब्लिशिंग" के ज़रिये कुछेक पेड़ों को तो यकीनन बचा ही सकते हैं.
विश्विद्यालय अनुदान आयोग के सहयोग से श्री बलदेव पी .जी. कालेज , वाराणसी और विद्याश्री न्यास के संयुक्त तत्वावधान में १४ से १६ जनवरी २०१२ तक वाराणसी में आयोजित अखिल भारतीय लेखक शिविर एवं " इतिहास - परंपरा और आधुनिकता " पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के अंतर्गत आयोजित काव्य प्रतियोगिता में मेरी कविताओं की प्रस्तुति को प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ है | डॉ .प्रकाश उदय जी से सूचना और प्रमाण पात्र आज ही १०-फरवरी २०१२ को प्राप्त हुए !! सबका आभार !!
ओ बी ओ का नया पेज गेट अप बेहद आकर्षक और प्रभावशाली है | विशेष कर इसका लोगो बेहतरीन बन पड़ा है | नवीनतम रंग संयोजन भी चित्ताकर्षक है वाह !! ओ बी ओ की क्रिएटिव टीम बधाई की पात्र है बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं !!
बहुत आभार आदरणीय श्री सौरभ जी ! सोचा इसे कहाँ शेयर करूँ ! पहले खुशियाँ और ग़म ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग स्तम्भ दीखता था वह एक नज़र में नहीं मिला !! सो यहीं सही !!
लेखक शिविर में मिले पुरस्कार सम्बन्धी सूचना मैंने कमेन्ट में डाल दी है | एडमिन जी सादर इसे यहाँ से चाहे तो हटा सकते हैं | क्योंकि यह स्तम्भ सुझाव और शिकायत के लिए है |
एक राय देना चाह रहा था , कई दिनों से ; इसकी चर्चा की थी इलाहाबाद में आदरणीय सौरभ श्री से | अच्छा हो यदि हम लोग ओ बी ओ के स्थापना दिवस के आस पास इलाहाबाद में उस स्थान पर एक दिन का{10 से 05} सम्मलेन रख लें जहां इस मंच की यात्रा .. प्रक्रिया पर सार्थक विमर्श सह कवि सम्मेलन और सदस्य मिलन हो सके | इससे हमारा ज़मीनी प्रचार प्रसार भी होगा और हम गंभीर विचार विमर्श भी कर सकेंगे | इलाहाबाद केंद्र में हैं और वह स्थान और सहयोग आदरणीय श्री वीनस जी और उनके सहयोगियों से प्राप्त हो जाएगा | आगे आप सब जैसा तय करें !
वीनस केसरी
Jan 24, 2011
वीनस केसरी
गणेश जी
गज़ल की तैयारी के लिए ५ दिन का समय भी मुझे कम लग रहा है
एक ही समय में लिख कर तुरंत सुधर करना संभव नहीं होता है
दो तीन दिन बाद गज़ल फिर से पढ़ी जाय तो खुद उसमें कमियां पकड़ में आ जाती है
कम से कम १० दिन तो जरूर दें
Jan 24, 2011
Abhinav Arun
Jan 25, 2011
Abhinav Arun
आदरणीया वंदना जी का इस माह के एक्टिव मेंबर के रूप एडमिन द्वारा दिया गया परिचय इन पंक्तियों के बिना भी पूरा हो सकता था या इसकी जगह कुछ और लिखा जाता तो अच्छा होता --
"अपनी प्रशंसा करना आता नही इसलिए आप अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही करती है। आप अपनी रचनाओं पर आने वाले सार्थक और नकरात्मक टिप्पणियों को भी सहृदय स्वीकार करती है,"
ऐसा लगता है की इसके कुछ प्रकट निहितार्थ हैं | हमें उतावलेपन और उद्वेलन की अवस्था में भी गरिमा और गंभीरता बनाए रखना चाहिए | रही बात आलोचना की तो एक समय निराला को और कबीर तक को भी समीक्षकों ने अस्वीकार किया था | एक प्रचलित साहित्यकार ने हिंदी साहित्य के इतिहास इनको शामिल ही नहीं किया | अर्थ या की हमें अपना कार्य करते जाना चाहिए | समय खुद मूल्याकन करता है |हर बात बोली नहीं जाती |
Feb 4, 2011
Abhinav Arun
सुझाव- कृपया ओ.बी.ओ.के मुखपृष्ठ के ऊपर लिखा साईट का नाम 'बड़ा और स्पष्ट' करें मैंने पहले भी लिखा था | नाम स्पष्ट और प्रभावी नहीं दिख रहा |
Feb 5, 2011
Abhinav Arun
Feb 6, 2011
Abhinav Arun
Feb 6, 2011
Admin
अरुण जी, जबाब मे देर हेतु खेद है, व्यस्तता के कारण कभी कभी ऐसा हो जाता है .....
१-"अपनी प्रशंसा करना आता नही इसलिए आप अपने बारे में सभी मित्रों की टिप्पणियों पर कोई एतराज भी नही करती है। आप अपनी रचनाओं पर आने वाले सार्थक और नकरात्मक टिप्पणियों को भी सहृदय स्वीकार करती है,"
ऐसा लगता है की इसके कुछ प्रकट निहितार्थ हैं
जैसा श्रीमती वंदना गुप्ता जी का विचार प्राप्त हुआ वही छापा गया है , इसमे कोई खास निहितार्थ नहीं है , प्रवंधन को जो कहना होगा वह स्पस्ट कहेगा, इशारों मे कहने की आवश्यकता नहीं है |
२- सुझाव- कृपया ओ.बी.ओ.के मुखपृष्ठ के ऊपर लिखा साईट का नाम 'बड़ा और स्पष्ट' करें मैंने पहले भी लिखा था | नाम स्पष्ट और प्रभावी नहीं दिख रहा |
जल्द ही दूसरा बैनर लगाया जायेगा, कोशिश होगी की शिकायत का मौका न मिले |
३-यदि हम यहाँ रचनाओं के नीचे " लाइक " का फेसबुक जैसा बटन दें...................
ओपन बुक्स ऑनलाइन के वेब डिजाईन के अनुसार फिलहाल यह संभव नहीं है |
४-इस ग्रुप के सुझावों का जवाब प्राथमिकता के आधार पर यहीं पर कृपया दिया जाये | सुझाव क्रियान्वित हो तो भी या ना होने पर भी | ताकि लिखने की सार्थकता हो |
सुझावों पर प्रबंधन समूह द्वारा विचार किया जाता है निर्णय तुरंत लेना कभी कभी संभव नहीं होता , जबाब देने मे कभी विलम्ब हो सकता है कृपया धैर्य रखे |
Feb 6, 2011
Abhinav Arun
एडमिन जी जवाब हेतु शुक्रिया | थोडा माधुर्य - भाव बना रहे तो अच्छा रहेगा | एक्टिव मेंबर के बारे में कहने का तात्पर्य यह था की उस जगह हम चुने गये सदस्य के बारे में ज्यादा से ज्यादा और साहित्य तथा उपलब्धियों से जुडी जानकारी दें तो अच्छा रहेगा | खैर आप एडमिन जी ठहरे ....|एज यू विश् !
Feb 6, 2011
Abhinav Arun
Feb 7, 2011
Admin
Feb 14, 2011
Abhinav Arun
Feb 16, 2011
Abhinav Arun
Feb 16, 2011
Abhinav Arun
Apr 3, 2011
Admin
Apr 3, 2011
Abhinav Arun
Apr 3, 2011
Abhinav Arun
Apr 29, 2011
Admin
Apr 30, 2011
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
आदरणीय लाल बिहारी गुप्ता लाल जी,
ऐसी सभी रचनायों के लिए सामाजिक सरोकार नाम का एक ग्रुप यहाँ पहले से ही मौजूद है ! सदर !
योगराज प्रभाकर
प्रधान सम्पादक
May 24, 2011
Abhinav Arun
एक नया प्रोत्साहन - स्तम्भ 'माह के सक्रीय सदस्य' और 'माह की रचना " की तरह ' माह के श्रेष्ठ पाठक " का , कैसा रहेगा विचारें !
Aug 12, 2011
Admin
माह के सक्रिय सदस्य के चुनाव में सदस्य के द्वारा रचनाओं पर दिए जाने वाली टिप्पणियों का भी ध्यान रखा जाता है, अर्थात सक्रिय सदस्य बनाये जाने तक वो सदस्य श्रेष्ठ पाठक भी होते है, यह अलग बात है कि उसके बाद कुछ सदस्य गायब से हो जाते है | इसलिए अलग से श्रेष्ठ पाठक की घोषणा करने का कोई औचित्य नहीं रह जाता |
आदरणीय अरुण जी, निश्चित रूप से हमें गर्व होता है कि ओ बी ओ परिवार में आप है जो सदैव हमें सुझाव देते रहते है जिससे कुछ नया करने की प्रेरणा मिलती है |
Aug 12, 2011
Abhinav Arun
Aug 13, 2011
Abhinav Arun
श्री विनय कुल जी का आगमन एक सुखद संकेत है ! वो एक अच्छे कार्टूनिस्ट होने के साथ साथ भारतीय फिल्म संगीत के बारे में समृद्ध रखने वाले व्यक्ति हैं | उनके कार्टून से ओ बी ओ में चार चाँद लगेंगे उम्मीद है | कार्टून का एक स्तंभ बनाकर वहाँ उनपर लाईक बटन व् टिपण्णी की भी व्यवस्था हो सकती है | उनका उत्साह वर्धन होगा | ओ बी ओ और विनय जी दोनों को हार्दिक शुभकामनाएं !!
Oct 18, 2011
Abhinav Arun
मुख पृष्ठ पर चलायमान दीप श्रृंखला आकर्षक है | इस हेतु प्रबंधन को हार्दिक बधाई और प्रकाशोत्सव की सभी साथिओं को हार्दिक शुभकामनाएं !! ओ बी ओ पर साहित्य दीप चिर - जागृत रहे यही कामना है !!
Oct 23, 2011
Abhinav Arun
गुलाबी ठण्ड के बीच गुलाबी रंगत का एहसास | ओ बी ओ का नया गेट अप बेहद आकर्षक और बढ़िया है | एडमिन जी सहित पूरे प्रबंधन को हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई !!
Dec 11, 2011
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
बहुत बहुत आभार अरुण जी |
Dec 11, 2011
Mukesh Kumar Saxena
Jan 3, 2012
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
मुकेश जी , मैंने चेक किया आपका कोई पोस्ट नहीं आया है, कृपया धार्मिक समूह मे पुनः पोस्ट करे |
Jan 3, 2012
Mukesh Kumar Saxena
बागी जी मैंने आपके कहे अनुसार धार्मिक ग्रुप में फिर से पोस्ट किया है कृपया इसे प्रकाशित कर दीजिये.
Jan 5, 2012
Abhinav Arun
इधर ओ बी ओ पर नयी पौध सक्रिय हुई है | यह सुखद है | परन्तु नवोदितों की रचनाओं में परिमार्जन की गुंजायश दीखती है | कविता के नाम पर कुछ भी परोसने से परहेज करना होगा ! साथ ही एक स्तर को बनाये रखना होगा | प्रोत्साहन से कोई इनकार नहीं | परन्तु इसके लिए कोई अलग से " नवांकुर " जैसा स्तम्भ बनाया जा सकता है | ओ बी ओ का मुख्य ब्लॉग चुनिन्दा पोस्ट के लिए हो तो अच्छा है | सिर्फ भीड़ ही किसी मंच की सक्रियता और लोकप्रियता का पैमाना नहीं हो सकता
! आशा है इस सुझाव को सही अर्थ में लिया जाएगा !
Jan 13, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आपके सुझाव और उचित सलाह को मैं अनुमोदित करता हूँ, अभिनव जी.. और समिति के अन्य सदस्यों से सलाह की अपेक्षा करता हूँ.
Jan 13, 2012
Abhinav Arun
Jan 14, 2012
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
आदरणीय अरुण जी, किसी भी सुझाव का ओ बी ओ पर सदैव स्वागत का परंपरा रहा है, यह सही है कि ओ बी ओ पर नई पौध सक्रिय है जिसका संरक्षण पुराने सदस्यों से आपेक्षित है, ओ बी ओ का मंच ब्लॉग स्पाट से अलग एक खुला मंच है, जहाँ सदस्य अपनी रचनाएँ स्वयम पोस्ट करते है जिसे प्रारंभिक रूप से जांचकर अनुमोदित किया जाता है और चुनिन्दा उत्कृष्ट रचनाओं को फिचर किया जाता रहा है, हमें हर हाल में अपने उद्देश्य "सीखने सिखाने" को भी ध्यान में रखना होता है, बेकार गुणवता की रचनाओं को नित्य दर्जन की संख्या में हटा दिया जाता है, किन्तु जहाँ संभावनाएं प्रवलित होती है उसे अवश्य अनुमोदित किया जाता है | अलग से नवांकुर जैसा कालम बना भर देने से विशेष फायदा नहीं दिखता, क्योकि रचनाओं को उस स्तम्भ में स्थान्तरित करना तकनीकी रूप से संभव नहीं है |
एक उपाय अवश्य है जिसपर कमोबेश रचनाओं का अनुमोदन किया जाता है वह इसप्रकार है कि .........
सभी प्राप्त अप्रकाशित और मौलिक रचनाओं को चार केटेगरी में बाँट लेते है ..
(अ) उत्कृष्ट रचना---जिसे अनुमोदन के पश्चात् फिचर किया जाता है फलस्वरूप ब्लॉग सेक्सन के साथ साथ मुख्य पृष्ठ पर स्थान दिया जाता है |
(आ) सामान्य रचना-जिसे अनुमोदन के पश्चात् ब्लॉग सेक्सन में रहने दिया जाता है |
(इ) सामान्य से कुछ कमतर रचना - वर्तनी और टंकण त्रुटियों को प्रबंधन स्तर से सुधार कर अनुमोदन के पश्चात् ब्लॉग सेक्सन में रहने दिया जाता है |
(ई) बेकार रचना - अस्वीकृत कर दिया जाता है |
एक और समस्या है जिससे प्रबंधन को दो चार होना पड़ रहा है, ओ बी ओ नियम और मुख्य पृष्ठ पर लगातार सूचना के पश्चात भी कई सदस्य पूर्व प्रकाशित रचनाओं को थोक के भाव में अनुमोदन हेतु भेज रहे है, उन्हें व्यक्तिगत पत्र देने के बाद भी नहीं मान रहे है | अंतिम उपाय यही है कि ऐसे सदस्यों को निलंबित कर दिया जाय |
पुनः मैं कहना चाहूँगा कि आप सभी अपना सुझाव बेझिझक दिया करें, ओ बी ओ पर सभी के सकरात्मक विचारों का दिल से स्वागत है |
Jan 14, 2012
Abhinav Arun
आदरणीय श्री बागी जी आपने सही कहा | हम सब एडमिन की स्थिति को समझ सकते हैं | वर्तमान व्यवस्था भी समीचीन है | मन में एक बात आई थी सो साझा किया | मैं समझता था कि चूँकि इसे अन्य परिपक्व रचनाकार भी देखते होंगे जो ओ बी ओ के अभी सदस्य नहीं हैं | वे जब इस मंच पर आयें तो उन्हें इसकी गंभीरता और गुरुता का एहसास हो | आपके विंदुवार जवाब ने संतुष्ट किया और ब्लॉग कि प्रक्रिया को स्पष्ट किया इससे सभी सदस्य अवश्य ही लाभान्वित होंगे |हार्दिक साधुवाद !!
Jan 14, 2012
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
भाई अरुण जी, मैं आपके विचारों का अनुमोदन करता हूँ. रचनायों की गुणवत्ता से कोई भी समझौता स्वीकार्य नहीं होना चाहिए - जिस पर पूरी इमानदारी से अमल किया जा रहा है. यहाँ मैं अर्ज़ करना चाहूँगा कि हर रोज़ कई कई रचनाएँ अस्वीकृत की जाती हैं, भाषा और बरतनी सम्बंधित त्रुटियों को सुधार जाता है और जहाँ आवश्यकता हो रचनाकारों से संवाद स्थापित कर आवश्यक सुधार करने को भी कहा जाता है. क्योंकि रचनायों का अनुमोदन मेरे कार्यक्षेत्र के अधीन आता है, तो मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि भविष्य में अस्तरीय रचनायों के सम्बन्ध में और ज्यादा कडाई से पेश आया जायेगा. सादर.
Jan 14, 2012
Abhinav Arun
Jan 14, 2012
Nazeel
आदरनीय प्रधान सम्पादक जी मेरे मन में एक अदना सा सुझाव आया है जो मै आपके सामने रख रहा हूँ | मुझको उम्मीद है की आप उस पर गौर फरमाएंगे | मै कहना चाहता हूँ की अगर रचनाओं के साथ प्रिंट का बटन भी लगा दिया जाए तो जो सदस्य अपनी रचना को प्रिंट करना चाहता हो तो उसको प्रिंट करने में आसानी रहेगी ||
Jan 22, 2012
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
नबील भाई, आपका हर सुझाव सर आँखों पर. और मेरे विचार से यह कोई मुश्किल काम भी नहीं है. लेकिन व्यक्तिगत तौर पर मैं प्रिंटिंग की आप्शन के हक में नहीं हूँ. छपाई के लिए दरकार कागज़ के लिए हर साल कितने असंख्य पेड़ों को जान से हाथ धोना पड़ता है - बताने की ज़रुरत नहीं है. हम पर्यावरण के लिए और तो शायद कुछ न कर पायें लेकिन "पेपरलेस पब्लिशिंग" के ज़रिये कुछेक पेड़ों को तो यकीनन बचा ही सकते हैं.
Jan 22, 2012
Abhinav Arun
Feb 10, 2012
Abhinav Arun
Feb 10, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
अखिलभारतीय लेखक शिविर एवं " इतिहासपरंपरा और आधुनिकता " पर राष्ट्रीय संगोष्ठी के
अंतर्गत आयोजित काव्य प्रतियोगिता मेंआपकी रचना के प्रथम स्थान पुरस्कृत होने पर हृदय से बधाई. इस शुभ सूचना से हम सभी का मान बढ़ा है.
जय ओबीओ
Feb 10, 2012
Abhinav Arun
Feb 10, 2012
वीनस केसरी
अरुण जी हार्दिक बधाई
Feb 10, 2012
Abhinav Arun
हार्दिक आभार आदरणीय श्री वीनस जी ये सब आप सबके सानिध्य का परिणाम है !!
Feb 10, 2012
Abhinav Arun
Feb 11, 2012
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Arun bhai suvidha hetu link dey raha hun .....................
http://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:2576
Feb 11, 2012
Abhinav Arun
Feb 12, 2012
Abhinav Arun
एक राय देना चाह रहा था , कई दिनों से ; इसकी चर्चा की थी इलाहाबाद में आदरणीय सौरभ श्री से | अच्छा हो यदि हम लोग ओ बी ओ के स्थापना दिवस के आस पास इलाहाबाद में उस स्थान पर एक दिन का{10 से 05} सम्मलेन रख लें जहां इस मंच की यात्रा .. प्रक्रिया पर सार्थक विमर्श सह कवि सम्मेलन और सदस्य मिलन हो सके | इससे हमारा ज़मीनी प्रचार प्रसार भी होगा और हम गंभीर विचार विमर्श भी कर सकेंगे | इलाहाबाद केंद्र में हैं और वह स्थान और सहयोग आदरणीय श्री वीनस जी और उनके सहयोगियों से प्राप्त हो जाएगा | आगे आप सब जैसा तय करें !
Feb 14, 2012
वीनस केसरी
अरुण जी
अतिसुन्दर प्रस्ताव
मैं हर प्रकार के सहयोग के लिए प्रस्तुत हूँ
Feb 14, 2012
Abhinav Arun
जी वीनस जी आपके ही भरोसे तो कह रहा हूँ ! और बेहतर हो कि यह आयोजन सिर्फ और सिर्फ ओ बी ओ का हो " अंतर - मंथन " की तरह का !! दशा और दिशा तय करने वाला !!
Feb 14, 2012