दीदी प्रणाम, आप की कविता पोस्ट कर के मुझे भी बहुत अच्छा लगा, आज आप Open Books Online परिवार मे जुड़ी हम सब को बहुत ही अच्छा लगा, आप जैसे लोगो के आशिर्वाद कि हम सब को बहुत ही आवश्यकता है, मै इस साईट को केवल इसी उद्देश्य से बनाया है कि लोगो का रूझान हिन्दी साहित्य के तरफ किया जाय, अभी तक तो जिसने भी साईट देखा है सराहा ही है, आगे मुझे हमेशा आप सब से मार्गदर्शन कि आवश्यकता रहेगी । दीदी आप को जानकर प्रसन्नता होगी कि आप की कविता को यहा काफी सराहा गया है,
Aapka
Ganesh Jee "bagi"
Didi Pranam, Meri koi badi bahan nahi hai Aashirbad deney waali, 2 chhoti bahaney hai jo kewal aashirvad mangti hi rahati hai,hahahahaha, Mai aap mey apani badi bahan ko dekhta hu, Please aap merey sar par apani hath rakh dijiyey, yahi merey liyey bahut hai,
आप विश्वास करें आशा जी, जो अपने लिखा है और कुछ नहीं बल्कि एक निहायत खूबसूरत गज़ल ही है ! आप फरमाती हैं की आपके आ'शार महज़ आपके दिल के जज़्बातों की तर्जुमानी है, ये आपकी बुलंद शख्सियत और तहममुल-मिजाज़ी का सबूत है ! वेसे भी क्या हिरण को ये बात मालूम होती है कि उसकी नाभि में कस्तूरी मौजूद है? किसी ज़माने में शायरी का जुनून रहा है इस लिए चंद अल्फ़ाज़ लिखने की हिमाकत की, मैं अगर आपके किसी भी काम आ सकूँ तो मुझे दिली मसररत होगी ! परम पिता परमेश्वर आपकी क़लम को ताक़त बख़्शे !
किसी को मत अपना मान परिंदे.....
इक तेरे तसव्वुर ने महबूब यूं संवार दी ज़िन्दगी
Dono hi bahut achchhi likhi gayi hai. Aasha ji, bahut dino ke baad aapki rachna padh raha hoon. Aap aise hi likhti rahen yahi ISHWAR se prarthna hai.
आशा जी आपका कमेन्ट पढकर खुशी हुई |काफी दिनों से आप की प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा थी |ओ.बी.ओ.एक सार्थक मंच है यहाँ लिख् पढकर संतोष होता है | हम सब पढ़े गढ़ें यही कामना है |
आदरणीया आशा पाण्डेय जी " त्रिसुगंधि " के लिए रचनाएँ आमंत्रित करने का अत्यंत नेक कार्य अपने किया है। बहुत बहुत शुभकामनायें।हम जैसे नए लिखने वालों के लिए ऊर्जा का संचार किया है आपने। बहुत बहुत साधुवाद .
Admin
Apr 29, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
Apr 29, 2010
Ratnesh Raman Pathak
and secondly a lots of thanks to you for join this social networking site
Apr 29, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Aapka
Ganesh Jee "bagi"
Apr 29, 2010
Girraj Kishore Sharma
Apr 30, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
May 3, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
May 3, 2010
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
May 3, 2010
प्रधान संपादक
योगराज प्रभाकर
यह ग़ज़ल मैने 1988 में कही थी, बहुत से शेयर भूल चुका हूँ - मगर जो कुछ भी याद है आज बतौर-ए-ख़ास आपकी नज़र कर रहा हूँ !
नफरत का अन्धकार यूं फैला दिखाई दे
नाम-ओ-निशान अमन का मिटता दिखाई दे !
काशी दिखाई दे कभी का'बा दिखाई दे,
नन्हा सा बच्चा जब कोई हँसता दिखायी दे !
जिनको भी ऐतमाद है अपनी उड़ान पर
उनको आसमान भी छोटा दिखाई दे !
वो शख्स जिसकी नींद ही खुलती हो शाम को,
उसको ये आफताब क्यूँ चढ़ता दिखाई दे !
खिड़की ही जब नहीं है कोई घर के सामने,
फिर कैसे भला चाँद का टुकड़ा दिखाई दे !
श्रद्धा नहीं तो हर नदी पानी के सिवा क्या ?
श्रद्धा हो ग़र तो हर नदी गंगा दिखाई दे !
May 4, 2010
aleem azmi
May 4, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
http://www.openbooksonline.com/profiles/blogs/5170231:BlogPost:2804
May 5, 2010
Anil Tiwari
May 5, 2010
Pankaj Trivedi
May 6, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
ees link par clear browsing history ka tarika bataya hai, dekh lijiyey shayad aapko help mil jay
May 6, 2010
विवेक मिश्र
May 7, 2010
Rash Bihari Ravi
May 8, 2010
Biresh kumar
really fantastic
May 9, 2010
Biresh kumar
May 10, 2010
Pankaj Trivedi
May 11, 2010
fauzan
Jun 2, 2010
sunil pandey
Jun 13, 2010
कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
तूं अपना बरबादे-हाल न कर
चांदनी की चाह में यूं न पगला
इन अंधेरों से विसाल न कर...wah bahut khoob...sunder rchna
Jun 20, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Jun 20, 2010
कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
Jun 24, 2010
कमलेश भगवती प्रसाद वर्मा
Jul 4, 2010
jagdishtapish
ham aap pahle bhi fb friends hain punah punah obo pariwar mein ek bar fir aapka swagat abhinandan hai--- sadar
Aug 7, 2010
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Aug 10, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
preetam tiwary
C/O-T.I.M.E.
203,2nd floor
mahabir tower
opp. GEL Church complex
main road,ranchi
jharkhand
834001
ph.no- 08051853108/09504655823
Aug 11, 2010
Deepak Sharma Kuluvi
kuluvi
Sep 4, 2010
Deepak Sharma Kuluvi
deepak
Sep 6, 2010
alka tiwari
Sep 16, 2010
Chhavi Chaurasia
इक तेरे तसव्वुर ने महबूब यूं संवार दी ज़िन्दगी
Dono hi bahut achchhi likhi gayi hai. Aasha ji, bahut dino ke baad aapki rachna padh raha hoon. Aap aise hi likhti rahen yahi ISHWAR se prarthna hai.
Sep 18, 2010
PREETAM TIWARY(PREET)
Happiness Quotes | Forward this Graphic
Oct 2, 2010
Abhinav Arun
Dec 8, 2010
अशोक पुनमिया
Feb 12, 2011
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Oct 25, 2012
Ranveer Pratap Singh
wish you a very happy birthday
Oct 25, 2012
vijay nikore
बधाई के लिए आपका अतिशय धन्यवाद।
विजय निकोर
Mar 6, 2013
Ajitsinh Jagirdar
नमस्कार ....फेसबुक पे तो आप से तीन साल से जुडा हूँ, ....ओ.बी.ओ. में पहली बार. ओ.बी.ओ.से कई सालों से जुडा हूँ पर ज्यादा वक्त नहीं दे पाता.
Mar 6, 2013
mrs manjari pandey
आदरणीया आशा पाण्डेय जी " त्रिसुगंधि " के लिए रचनाएँ आमंत्रित करने का अत्यंत नेक कार्य अपने किया है। बहुत बहुत शुभकामनायें।हम जैसे नए लिखने वालों के लिए ऊर्जा का संचार किया है आपने। बहुत बहुत साधुवाद .
Mar 6, 2013