मैं मिथिलेश वामनकर, पेशे से शासकीय सेवक हूं . मेरा जन्म म.प्र. राज्य के बैतूल जिले के गोराखार नामक एक आदिवासी बहुल गाँव में 15 जुलाई 1981 में हुआ. बचपन गाँव की धूल-मिट्टी खेलते और गाँव के एकमात्र प्रायमरी स्कूल में बेंत और तमाचों के बीच बीता. पापा जब बस्तर के स्कूल मास्टर से डिप्टी कलेक्टर बने तो शहर का मुंह देखना नसीब हुआ. इसके बाद पापा के ट्रांसफ़रों में ही मिडिल और हाईस्कूल बीत गये. कविताई का चस्का मुझे पापा से ही लगा। ये पूरा समय छत्ती्सगढ़ और विशेषकर बस्तर में बीता और मैं “छत्तीसगढ़ियां सबले बढ़ियां” बनता रहा. इधर कालेज आया तो बी.एस सी. यानी साइंस की पढ़ाई में मन नहीं लगा और तीन साल की स्नातक डिग्री पंचवर्षीय-कार्यक्रम के तहत पूरी हुई. मध्यप्रदेश-छत्तीसगढ़ विभाजन के बाद मुझें भारत-विभाजन का दर्द समझ आया| वर्ष 2001 में हम छत्तीसगढ़ छोड़ मध्य-प्रदेश आ गए. हां…इस दर्मियान एक सॄजनात्मक कार्य अवश्य करता रहा कि एक उपन्यास, बीसियों – कहानियां और सैकड़ों – गज़ले (जिन्हें तब मैं गज़लें समझता था) कवितायें आदि लिख गया और इंटरनॆट का चस्का लगा तो कुछ दिन वेब – डिजाइनिंग भी की. फ़िर दिमाग दूसरी तरफ़ लगा और पी.एस.सी. की तैयारी में लग गया. इस बीच मैंने पी.एस. सी. में वैकल्पिक विषय के रूप में इतिहास और हिंदी साहित्य लिया तो उन्ही विषयों पर आधारित "विजयमित्र" नाम से ब्लॉग बना लिया। आज इस ब्लॉग पर हिट्स की कुल संख्या लगभग 15 लाख से अधिक है। खैर, पी.एस.सी की तैयारी और ब्लॊगिंग साथ-साथ चलती रही। वर्ष 2007 में पी.एस.सी .से चयनित हुआ और मध्यप्रदेश वाणिज्यिक कर विभाग में वाणिज्यिक कर अधिकारी के रूप में भोपाल में पदस्थ हुआ। इसी दौरान विभागीय हेल्पलाइन की एक हिंदी में साइट "हेल्पटैक्स" बनाई तो काफी दिनों तक चर्चित रहने का आनंद लेता रहा। पदोन्नति पश्चात असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर जबलपुर के बाद पुनः भोपाल में पदस्थ हूँ। अब शासकीय सेवा के साथ ब्लॊगिंग, गीत, गज़ल, कविता, कहानियां आदि लिख लेता हूं या औपचारिक शब्दों में कहें तो साहित्य सेवा भी कर लेता हूँ. इधर ज़िन्दगी को समझने, उधेड़ने,, बुनने, कुछ पाऊं तो उसे गुनने, अतीत में झाकनें और कल्पनाओं की उड़ान भरने के अलावा कोई खास काम नहीं करता. अभी जबलपुर मे रह रहा हूँ और यही सब करने या न करने का भ्रम पाले बैठा हूँ. वर्ष 2010 में भोपाल में आकस्मिक रूप से घटित एक घटना की तरह प्रेम विवाह किया जिसमे देशी लव स्टोरी के समस्त तत्व समाहित थे। शादी करके एक पुत्री का पिता बन गया हूँ तो जीवन में एक नया और रोमांचित कर देने वाला अहसास भर गया है . पत्नी की खुशियाँ और बेटी की किलकारियां असीम सुख देती है जिससे वास्तव में जीवन की सार्थकता समझ आती है। अपनी इस छोटी सी दुनिया में सुखी हूँ । अतीत की स्मॄतियों के छालों और फ़ूलों में सिमटकर, भविष्य के चिंतन में किसी दरवेश सा वर्तमान को सहेज-संजोकर खुश रहता हूँ. कभी खुद के तो कभी सब के बारे में सोच लेता हूँ । मैं हूँ । मैं ज़िंदा हूँ. …… हम ज़िंदा है। सचमुच हम ज़िंदा है, ये सिद्ध करने की एक और नाकाम कोशिश में लग जाता हूँ. बस इतनी सी बातें है मेरे बारे में। कम से कम अब तक तो खुद को इतना ही समझ पाया हूँ।
आद० मिथलेश वामनकर सर,ओपन बुक्स ऑन लाईन परिवार में जोड़ने के लिए तहे-दिल धन्यवाद,आपके निर्देशन में शायद हम जैसे मेढ़क भी मछली बन तैरना सीख जाए ...आपके नेक इरादे सदा बुलंद रहें,शुभकामनाएँ
जन्मदिन की शुभकामनाएं प्राप्त कर हार्दिक प्रसन्नता हुयी. इन्हें भेजने के लिए आपका अतिशय धन्यवाद. मेरी ओर से भी आपको व आपके परिवार को अनेक अनेक शुभकामनाएं.
बहुतबहुत शुक्रिया आप का आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी . आप ने मेरा जन्म दिन याद रख कर मुझे अमूल्य/अतुल्य शुभकामनाएं दी. इस हेतु मैं आप का आजीवन ऋणी रहूंगा .
आदरणीय प्रणाम, आपका बहुत बहुत शुक्रिया। अप्रकाशित रचना से तात्पर्य क्या है? रचना किसी मैगजीन, अखवार में प्रकाशित न हुई हो या साथ ही साथ फ़ेसबुक इत्यादि सोशल साईट पर भी न कहीं पोस्ट की हों ??? कृपया मार्ग दर्शन करें ।।। सादर धन्यवाद।
ओ.बी.ओ. परिवार का सदस्य बनने का जो गौरव आप ने मुझे दिया उसके लिये दिल से आभार | इस परिवार से जुडकर आपके निर्देशन में शायद हम भी कुछ अच्छा लिखना सीख जायें | आपको व आपके परिवार को अनंत शुभकामनायें | आपकी गृहस्थी व ये ओ.बी.ओ. परिवार भी सदैव फलता-फूलता रहे यही मंगल कामना है |
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , नमस्कार ... सर 66 वें लाइव समारोह में मैंने आपको प्रदत्त विषय पर एक अतुकांत रचना उत्सव में सम्मिलित करने हेतु अनुरोध किया था क्योँकि उस दौरान मैं दिल्ली गया हुआ था लेकिन भोपाल उत्सव के कारण वो सम्मिलित न हो सकी। आपसे अनुरोध है कि यदि वो रचना आपके मैसेज बॉक्स में सुरक्षित हो तो कृपया उसे सामान्य पोस्ट के अंतर्गत सम्मिलित करवा दें या मुझे मैसेज बॉक्स में प्रेषित कर दें ताकि मैं उसे पटल पर ला सकूं। आपसे सहयोग का अनुरोध है। धन्यवाद।
उपयोगी जानकारी देने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आपका आ.आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर जी,अभी यहाँ की जानकारी पूरी नहीं है,तो आपको जवाब देने में देर हो गई पुनः आभार आपका .
आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर जी,ओ.बी.ओ. परिवार का सदस्य बनने का जो गौरव आप ने मुझे दिया उसके लिये दिल से आभार ,अभी सीखना शुरू किया है हमने, आपके निर्देशन में शायद हम भी कुछ अच्छा लिखना सीख जायें।
सादर वन्दे. क्षमा करें, मैं अंतरजाल और OBO पर नियमित नहीं हूँ और न ही तकनिकी रूप से कुशल हूँ, सीख रहा हूँ. आपकी सद्भावनाओं पर आज दृष्टि पड़ी, आभार व्यक्त न कर पाने का अपराधी और क्षमा प्रार्थी हूँ. वैसे मैंने कभी अपना जन्म दिन मनाया नहीं, क्यूंकि ऐसी ख़ुशी और ग़म मैंने नहीं पाले. आजकल के ये सामान्य शिष्टाचार हैं, मैं इनमे अनाड़ी हूँ पर आपकी शुभकामनाओं हेतु आभार व्यक्त करता हूँ- बहुत विलम्ब हो गया है. कई प्रशंसकों को भी उत्तर नहीं दे पाता...अन्यथा लेते होंगे..मनसा सबको आभार व्यक्त करता हूँ. पुनश्च आभार.
आदरणीय मिथिलेश जी. मैं obo का नया सदस्य हूँ.क्या मैं इस मंच पर अपनी तरफ़ से कोइ चर्चा शुरू कर सकता हूँ.जिस में कि मैं गज़ल के बारे में अपने प्रश्न पूछ सकूं और जो सदस्य जवाब देना चाहे वहाँ दें सके. अगर हाँ तो कैसे? या ऐसा ही कुछ और हो सके. Mehrbaani
मिथिलेश जी...सर्वप्रथम तो आप सभी का कोटिशः धन्यवाद... आपने मुझे ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में शामिल कर लिया... मैं इस पर आभार व्यक्त करता हूँ आपका...मैंने मात्रिक गणना आदि कुछ लेख पड़े जो की काफ़ी फायदेमंद है हम सभी के लिए..इस समूह को बनाने एवं इसके सफल संचन हेतु आप बधाई के पात्र हैं.. मैं भी अपनी रचनाएं यहाँ पोस्ट कर अग्रजों का, गुरुजनों का आशीष एवं उनका मार्गदर्शन पाता रहूँ.. यही आशा करता हूँ ... आपका दिन मंगलमय हो!!!
मेरे अजीज़ मित्र का बेटा आपके भोपाल शहर के IDBI बैंक में सेवा योगदान किया है। वह पहली बार किसी शहर में अकेले गया है। में भतीजी के शादी में व्यस्त हूं वरना में भी साथ में आता। अब आप भोपाल में ही रहते हैं इसलिए आपको थोड़ा सा कष्ट देना चाहता हूँ। मेरा फोन नं 9415541353 है। आप अपना फोन नं0 उपलब्ध करा दें तो विस्तार से बात किया जा सके।
Ravi Shukla
आपका दोहा गीत पढ़ा अति सुन्दर
छंद बद्ध रचना आज कल कम दिखती है
किन्तु इस मंच पर आकर तो जैसे खजाना ही मिल गया
अतयन्त सुखद अनुभूति
इसके लिये आप की टीम को आभार
साथ ही सीखने का प्रयास भी रहेगा
धन्यवाद
Jul 17, 2015
kanta roy
Jul 20, 2015
Er Anand Sagar Pandey
Jul 20, 2015
Mamta
अभी -अभी एक लघुकथा तथा कविता प्रेषित कीहै।पुनः धन्यवाद!
सादर ममता
Jul 23, 2015
Manju Dongre
बहुत-बहुत आभार.....
Jul 27, 2015
padam godha'
Jul 27, 2015
Prashant Priyadarshi
धन्यवाद आ. मिथिलेश सर. आपलोगों की हौसला आफ़ज़ाई मुझे हमेशा बेहतर करने की प्रेरणा देती है. कथा पर अपना बहुमूल्य समय देने के लिए धन्यवाद.
Aug 1, 2015
asha jugran
आद० मिथलेश वामनकर सर,ओपन बुक्स ऑन लाईन परिवार में जोड़ने के लिए तहे-दिल धन्यवाद,आपके निर्देशन में शायद हम जैसे मेढ़क भी मछली बन तैरना सीख जाए ...आपके नेक इरादे सदा बुलंद रहें,शुभकामनाएँ
Aug 4, 2015
rajnish manga
प्रिय मिथिलेश जी,
जन्मदिन की शुभकामनाएं प्राप्त कर हार्दिक प्रसन्नता हुयी. इन्हें भेजने के लिए आपका अतिशय धन्यवाद. मेरी ओर से भी आपको व आपके परिवार को अनेक अनेक शुभकामनाएं.
Sep 9, 2015
vaishali chaturvedi
धन्यवाद आ. मिथिलेशजी
Sep 14, 2015
Dr. (Mrs) Niraj Sharma
Sep 18, 2015
Tanuja Upreti
आपकी शुभकामनाओं के लियें हार्दिक आभार मिथिलेशजी I
Sep 28, 2015
Ajay Kumar Sharma
श्रीमान मिथलेश जी , अनेकों धन्यवाद।
Oct 4, 2015
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
जन्मदिन पर स्नेहसिक्त शुभकामनाओं के लिए आ० मिथिलेश जी आपका और आपके माध्यम से ओबीओ परिवार के सभी सदस्यों का बहुत बहुत धन्यवाद..
Oct 15, 2015
Tasdiq Ahmed Khan
aap ka bahut bahut shukriya mithlesh ji
Oct 22, 2015
kiran
ji shukriya...
Oct 28, 2015
pratibha pande
आपका हार्दिक आभार आदरणीय
Nov 18, 2015
Mahendra Kumar
Nov 18, 2015
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
इतनी स्वादिष्ट शुभकामना के लिए हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश भाई..
:-)))
Dec 3, 2015
Nirdosh Dixit
Dec 17, 2015
Shubhranshu Pandey
धन्य्वाद मिथिलेश जी,
Dec 24, 2015
Sushil Sarna
नूतन वर्ष 2016 आपको सपरिवार मंगलमय हो। मैं प्रभु से आपकी हर मनोकामना पूर्ण करने की कामना करता हूँ।
सुशील सरना
Jan 3, 2016
Dr Ashutosh Mishra
aadarneey mithilesh jee nav barsh par aapko hardikshubhkaamnaayein saadar
Jan 6, 2016
Omprakash Kshatriya
Jan 27, 2016
Subhash rawat
Feb 9, 2016
Madanlal Shrimali
Feb 10, 2016
शशि शर्मा 'खुशी'
ओ.बी.ओ. परिवार का सदस्य बनने का जो गौरव आप ने मुझे दिया उसके लिये दिल से आभार | इस परिवार से जुडकर आपके निर्देशन में शायद हम भी कुछ अच्छा लिखना सीख जायें | आपको व आपके परिवार को अनंत शुभकामनायें | आपकी गृहस्थी व ये ओ.बी.ओ. परिवार भी सदैव फलता-फूलता रहे यही मंगल कामना है |
Feb 15, 2016
सीमा शर्मा मेरठी
Feb 27, 2016
Anupriya
Mar 7, 2016
raju mirza
mithilesh saheb aap ka bahot shukriya mujhey ummed hai k is page k baarey me aap meri puri madad karengey
Mar 23, 2016
Anuj
धन्यवाद मिथिलेश जी !
मुझे कुछ चीजे जननी थी .
जैसे 'मकबरा ' का सही वजन क्या होगा .
अभी के लिए इतना ही .
Apr 21, 2016
Dr. Ehsan Azmi
Apr 21, 2016
Dr. Ehsan Azmi
Apr 21, 2016
Sushil Sarna
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , नमस्कार ... सर 66 वें लाइव समारोह में मैंने आपको प्रदत्त विषय पर एक अतुकांत रचना उत्सव में सम्मिलित करने हेतु अनुरोध किया था क्योँकि उस दौरान मैं दिल्ली गया हुआ था लेकिन भोपाल उत्सव के कारण वो सम्मिलित न हो सकी। आपसे अनुरोध है कि यदि वो रचना आपके मैसेज बॉक्स में सुरक्षित हो तो कृपया उसे सामान्य पोस्ट के अंतर्गत सम्मिलित करवा दें या मुझे मैसेज बॉक्स में प्रेषित कर दें ताकि मैं उसे पटल पर ला सकूं। आपसे सहयोग का अनुरोध है। धन्यवाद।
May 3, 2016
Sushil Sarna
Resp.Sir I have received the poem through Resp.Er.Ganesh jee,s mail.Thanks for ur kind cooperation.
May 7, 2016
Abha saxena Doonwi
शुक्रिया मिथिलेश वामनकर जी ...:)
May 20, 2016
महिमा वर्मा
उपयोगी जानकारी देने हेतु बहुत-बहुत धन्यवाद और आभार आपका आ.आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर जी,अभी यहाँ की जानकारी पूरी नहीं है,तो आपको जवाब देने में देर हो गई पुनः आभार आपका .
May 24, 2016
SudhenduOjha
आदरणीय मिथिलेश जी,
कह के तो नहीं गया था,
-पर सामान रह गया था
समय का ऐसा सैलाब,
-वजूद भी बह गया था
क्या आए हो सोच कर,
-हर चेहरा कह गया था
बाद रोने के यों सोचा,
-घात कई सह गया था
गिरा, मंज़िल से पहले,
-निशाना लह गया होगा
पुरजोर कोशिश में थी हवा,
-मकां ढह गया होगा
तुम आए, खैरमकदम!
-वरक मेरा दह गया होगा?
सादर,
मौलिक है, अप्रकाशित भी
सुधेन्दु ओझा
Jun 9, 2016
Dr.Rupendra Kumar Kavi
namaskar
Jul 7, 2016
अलका 'कृष्णांशी'
आदरणीय मिथिलेश वामनकर सर जी,ओ.बी.ओ. परिवार का सदस्य बनने का जो गौरव आप ने मुझे दिया उसके लिये दिल से आभार ,अभी सीखना शुरू किया है हमने, आपके निर्देशन में शायद हम भी कुछ अच्छा लिखना सीख जायें।
Aug 14, 2016
डा॰ सुरेन्द्र कुमार वर्मा
आदरणीय मिथिलेशजी,
सादर वन्दे. क्षमा करें, मैं अंतरजाल और OBO पर नियमित नहीं हूँ और न ही तकनिकी रूप से कुशल हूँ, सीख रहा हूँ. आपकी सद्भावनाओं पर आज दृष्टि पड़ी, आभार व्यक्त न कर पाने का अपराधी और क्षमा प्रार्थी हूँ. वैसे मैंने कभी अपना जन्म दिन मनाया नहीं, क्यूंकि ऐसी ख़ुशी और ग़म मैंने नहीं पाले. आजकल के ये सामान्य शिष्टाचार हैं, मैं इनमे अनाड़ी हूँ पर आपकी शुभकामनाओं हेतु आभार व्यक्त करता हूँ- बहुत विलम्ब हो गया है. कई प्रशंसकों को भी उत्तर नहीं दे पाता...अन्यथा लेते होंगे..मनसा सबको आभार व्यक्त करता हूँ. पुनश्च आभार.
Aug 23, 2016
Gurpreet Singh jammu
Aug 29, 2016
Gurpreet Singh jammu
Aug 30, 2016
आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला'
मिथिलेश जी...सर्वप्रथम तो आप सभी का कोटिशः धन्यवाद... आपने मुझे ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में शामिल कर लिया...
मैं इस पर आभार व्यक्त करता हूँ आपका...मैंने मात्रिक गणना आदि कुछ लेख पड़े जो की काफ़ी फायदेमंद है हम सभी के लिए..इस समूह को बनाने एवं इसके सफल संचन हेतु आप बधाई के पात्र हैं.. मैं भी अपनी रचनाएं यहाँ पोस्ट कर अग्रजों का, गुरुजनों का आशीष एवं उनका मार्गदर्शन पाता रहूँ.. यही आशा करता हूँ ...
आपका दिन मंगलमय हो!!!
Sep 1, 2016
Arun Arnaw Khare
आप सभी का कोटिशः धन्यवाद... आपने मुझे ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार में शामिल कर लिया...
Sep 7, 2016
कुमार मुकुल
Dec 13, 2016
Abhishek kumar singh
Jan 11, 2017
केवल प्रसाद 'सत्यम'
भाई जी, नमस्कार!
मेरे अजीज़ मित्र का बेटा आपके भोपाल शहर के IDBI बैंक में सेवा योगदान किया है। वह पहली बार किसी शहर में अकेले गया है। में भतीजी के शादी में व्यस्त हूं वरना में भी साथ में आता। अब आप भोपाल में ही रहते हैं इसलिए आपको थोड़ा सा कष्ट देना चाहता हूँ। मेरा फोन नं 9415541353 है। आप अपना फोन नं0 उपलब्ध करा दें तो विस्तार से बात किया जा सके।
आपका मित्र
केवल प्रसाद सत्यम
लखनऊ
Aug 8, 2018
धर्मेन्द्र कुमार सिंह
बहुत बहुत धन्यवाद मिथिलेश जी
Oct 10, 2019
Nisha
बहुत बहुत धन्यवाद.
Oct 13, 2019