sunanda jha

Profile Information:

Gender
Female
City State
Gandhidham
Native Place
Madhubani
Profession
home maker
About me
I'm a house wife having ineterest in reading , writing ,and painting

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  • सदस्य कार्यकारिणी

    मिथिलेश वामनकर

    आप गद्य तथा पद्य की किसी भी विधा में रचना प्रस्तुत कर सकती है. यथा -

    लघुकथा 

    कहानी

    तुकांत कविता
    अतुकांत आधुनिक कविता
    हास्य कविता
    गीत-नवगीत
    ग़ज़ल
    हाइकू
    व्यंग्य काव्य
    मुक्तक
    शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

    सादर 

  • sunanda jha

    मिसरा - जिसे हो जुस्तजू खुद की वो बेचारा किधर जाए ।
    रदीफ़ - जाए
    काफ़िया -अर

    'गज़ल '

    जिसे तक़दीर ठुकरा दे कहो वो किस डगर जाए ।
    मिलें रुसवाइयां ही फिर जहाँ में वो जिधर जाए ।

    करे लाखों जतन खुद से नहीं वो जीत पाएगा ।
    उलझकर द्वन्द्व में उसका बचा जीवन गुजर जाए ।

    गमों को बांटने वाला ,हमेशा साथ है अपने ।
    जिसे हो जुस्तजू अपनी वो बेचारा किधर जाए ।

    न तोड़ो इस कदर दिल को ,नहीं फिर जोड़ना मुमकिन ।
    समेटें किस तरह दिल को जमीं पर जो बिखर जाए ।

    मिले जो जख्म अपनों से नहीं फिर ठीक होते है ।
    लगाओ लाख मरहम भी नहीं उसका असर जाए ।

    यही है आरजू मेरी पिला तब तक मुझे साकी ।
    जहर बन खून में मेरे न जब तक मय उतर जाए ।

    नहीं मिलता कभी मोती हजारों 'सीप' भी ढूंढो ।
    गिरे इक बूँद स्वाती की बने मोती निखर जाए ।

    सुनंदा 'सीप '

    (मौलिक व अप्रकाशित )
    23/4/2016
  • sunanda jha

    आदरणीय मुझे समझ नहीं आ रहा अपनी गज़ल कहाँ पोस्ट करूँ ?