मेरा मानना है कि स्त्री आत्मत्याग की मूर्ति है, लेकिन दुर्भाग्य से आज वह यह नहीं समझ पा रही कि वह पुरुष से कितनी श्रेष्ठ है। जैसा कि टाल्सटॉय ने कहा है, वे पुरुष के सम्मोहक प्रभाव से आक्रांत है। यदि वे अहिंसा की शक्ति पहचान लें तो वे अपने को अबला कहे जाने के लिए हरगिज राजी नहीं होंगी।
PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
स्वागत है श्रीमान
सादर
Feb 15, 2013
बृजेश नीरज
आपने मुझे मित्रता योग्य समझा इसके लिए आपका आभार!
Feb 22, 2013
Admin
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Feb 27, 2013