जयति जयति जय...-रामबली गुप्ता

गीत

आधार छंद-आल्हा/वीर छंद

जयति जयति जय मात भारती, शत-शत तुझको करुँ प्रणाम।
जननी जन्मभूमि वंदन है, प्रथम तुम्हारी सेवा काम।
जयति जयति जय........

जन्म लिया तेरी माटी में, खेला गोद तुम्हारी मात!
लोट तुम्हारे रज में तन को, मिला वीर्य-बल का सौगात।।
तुझसे उपजा अन्न ग्रहण कर, पीकर तेरे तन का नीर।
ऋणी हुआ शोणित का कण-कण, ऋणी हुआ यह सकल शरीर।।

अब तो यह अभिलाषा कर दूँ, अर्पित सब कुछ तेरे नाम।
जननी जन्मभूमि वन्दन है प्रथम तुम्हारी सेवा काम।
जयति जयति जय........

शत्रु न तुझको छूने पाये, बन जाऊँ मैं तेरी ढाल।
टूट पड़ूँ अरि-दल पर ऐसे, जैसे काल महाविकराल।
तेरे काम न आया यदि माँ, होने से पहले चिर मौन।
मिट न सका तुझ पर तो होगा, मात! अभागा मुझ सा कौन?

बिलख रही हो मातृभूमि यदि, धिक-धिक है सुत को आराम।
जननी जन्मभूमि वंदन है, प्रथम तुम्हारी सेवा काम।
जयति जयति जय........

सीमा पर कर रहे तुम्हारा, जो बैरी मद में उपहास।
शीघ्र कराना होगा अब तो, उन्हें मृत्यु का पूर्वाभास।।
दो आशीष शीश पर माते! आज उठाऊँ मैं तलवार।
कुछ तो ऋण-परिशोध करुँ माँ, रण में अरि का कर संहार।।

'बली' आन पर चलो मिटें अब, सुत को है माँ का पैगाम।
जननी जन्मभूमि वंदन है, प्रथम तुम्हारी सेवा काम।।
जयति जयति जय.......

मौलिक एवं अप्रकाशित

रचनाकार-रामबली गुप्ता

  • Mohammed Arif

    आदरणीय रामबली गुप्ता जी आदाब, मातृभूमि के प्रति अनन्य भावना का बेहतरीन प्रदर्शन । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
  • बृजेश कुमार 'ब्रज'

    वीर रस से परिपूर्ण इस सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय
  • नाथ सोनांचली

    वीर छंद पर आधारित देशभक्ति की भावना से ओत प्रोत उम्दा सृजन आद0 रामबली जी। बधाई निवेदित है।
  • Shyam Narain Verma

    क्या बात है .... बहुत उम्दा | बधाई आप को 
  • KALPANA BHATT ('रौनक़')

    बहुत ही सुंदर और शशक्त रचना आदरणीय | हार्दिक बधाई |

  • रामबली गुप्ता

    सादर आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी
  • Samar kabeer

    जनाब रामबली गुप्ता जी आदाब,बहुत सुंदर रचना हुई है,देश भक्ति पर,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
    कृपया इसका विधान बताने का कष्ट करें,ताकि कुछ कहने में आसानी हो,ऊपर की पंक्तियों की मात्राओं में कुछ शंका है,।
  • रामबली गुप्ता

    धन्यवाद भाई ब्रजेश कुमार जी
  • रामबली गुप्ता

    स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार भाई सुरेन्द्रनाथ जी
  • रामबली गुप्ता

    हार्दिक आभार भाई श्याम नारायण जी
  • रामबली गुप्ता

    सराहना एवं प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभार आदरणीया कल्पना जी
  • रामबली गुप्ता

    आदाब समर भाई साहब। वास्तव में यह छंद दो पदों के चार चरणों में रचा जाता है जिसमें यति १६-१५ मात्रा पर नियत होती है. छंद में विषम चरण का अंत गुरु (ऽ) या लघुलघु (।।) या लघु लघु गुरु (।।ऽ) या गुरु लघु लघु (ऽ ।।) से तथा सम चरण का अंत गुरु लघु (ऽ।) से होना अनिवार्य है. इसे आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहते हैं. कथ्य अकसर ओज भरे होते हैं.
    इस छंद को आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहा जाता है.

    एक उदाहरण देखिये-

    आल्हा मात्रिक छन्द, सवैया, सोलह-पन्द्रह यति अनिवार्य।
    गुरु-लघु चरण अन्त में रखिये, सिर्फ वीरता हो स्वीकार्य।
    अलंकार अतिशयताकारक, करे राइ को तुरत पहाड़।
    ज्यों मिमयाती बकरी सोचे, गुँजा रही वन लगा दहाड़।

    इस हिसाब से देखेंगे तो गीत में कहीं अटकाव न मिलेगा-

    फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन, फैलुन फैलुन फैलुन फाल।

    सादर आभार भाई साहब
  • Samar kabeer

    बहुत बहुत धन्यवाद भाई,आपने महत्वपूर्ण जानकारी साझा की,अस्ल में इस छन्द पर प्रयास करने की सोच रहा हूँ ।
    रचना के लिये पुनः बधाई स्वीकार करें ।
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव

    आ० अच्छी रचना हई है . थोड़े से प्रयास से प्रवाह और  बेह्तर हो सकता  था  जैसे -

    जय- जय जय -जय जय मातु भारती, शत-शत तुझको करुँ प्रणाम।
     जन्मभूमि जननी की सेवा   बस अब यही हमारो काम ---------------------------- सादर .

  • रामबली गुप्ता

    सादर आभार आदरणीय गोपाल नारायण जी।

    जयति जयति जय..... में भी तो प्रवाह की कोई कमी नही है। शब्दकलों के हिसाब से ठीक रखा गया है। फिर अटकाव किधर है?
  • रामबली गुप्ता

    जरूर समर भाई बहुत सुंदर छंद है आपके प्रयास की प्रतीक्षा रहेगी। जरा अपना मोबाइल नम्बर दे दीजिए। मेरा मोबाइल खो जाने की वजह से आपका नम्बर इस समय मेरे पास नही है। मेरा नया नम्बर-9648788412 है।
  • रामबली गुप्ता

    समर भाई साहब***
  • नाथ सोनांचली

    बेशक इस पंक्ति में कोई प्रवाह की कमी नहीं है, अपितु जो सुझाया गया है, वह रिदम में नहीं बैठ पा रहा है। आपकी पंक्ति रामबली जी मुझे एकदम सटीक लग रही है

  • सदस्य कार्यकारिणी

    गिरिराज भंडारी

    आदरणीय रामबली भाई , देश भक्ति से ओत प्रोत आपकी गीत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ... वन्दे मातरम !!

  • Samar kabeer

    जी,मेरा नम्बर है 09753845522
    जल्द ही प्रयास करता हूँ ।
  • PHOOL SINGH

    बेहतरीन रचना

  • रामबली गुप्ता

    स्नेहिल प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभार आद0 गिरिराज भाई जी
  • रामबली गुप्ता

    धन्यवाद आद0 फूल सिंह जी