गीत
आधार छंद-आल्हा/वीर छंद
जयति जयति जय मात भारती, शत-शत तुझको करुँ प्रणाम।
जननी जन्मभूमि वंदन है, प्रथम तुम्हारी सेवा काम।
जयति जयति जय........
जन्म लिया तेरी माटी में, खेला गोद तुम्हारी मात!
लोट तुम्हारे रज में तन को, मिला वीर्य-बल का सौगात।।
तुझसे उपजा अन्न ग्रहण कर, पीकर तेरे तन का नीर।
ऋणी हुआ शोणित का कण-कण, ऋणी हुआ यह सकल शरीर।।
अब तो यह अभिलाषा कर दूँ, अर्पित सब कुछ तेरे नाम।
जननी जन्मभूमि वन्दन है प्रथम तुम्हारी सेवा काम।
जयति जयति जय........
शत्रु न तुझको छूने पाये, बन जाऊँ मैं तेरी ढाल।
टूट पड़ूँ अरि-दल पर ऐसे, जैसे काल महाविकराल।
तेरे काम न आया यदि माँ, होने से पहले चिर मौन।
मिट न सका तुझ पर तो होगा, मात! अभागा मुझ सा कौन?
बिलख रही हो मातृभूमि यदि, धिक-धिक है सुत को आराम।
जननी जन्मभूमि वंदन है, प्रथम तुम्हारी सेवा काम।
जयति जयति जय........
सीमा पर कर रहे तुम्हारा, जो बैरी मद में उपहास।
शीघ्र कराना होगा अब तो, उन्हें मृत्यु का पूर्वाभास।।
दो आशीष शीश पर माते! आज उठाऊँ मैं तलवार।
कुछ तो ऋण-परिशोध करुँ माँ, रण में अरि का कर संहार।।
'बली' आन पर चलो मिटें अब, सुत को है माँ का पैगाम।
जननी जन्मभूमि वंदन है, प्रथम तुम्हारी सेवा काम।।
जयति जयति जय.......
मौलिक एवं अप्रकाशित
रचनाकार-रामबली गुप्ता
Mohammed Arif
Aug 28, 2017
बृजेश कुमार 'ब्रज'
Aug 28, 2017
नाथ सोनांचली
Aug 28, 2017
Shyam Narain Verma
Aug 28, 2017
KALPANA BHATT ('रौनक़')
बहुत ही सुंदर और शशक्त रचना आदरणीय | हार्दिक बधाई |
Aug 28, 2017
रामबली गुप्ता
Aug 28, 2017
Samar kabeer
कृपया इसका विधान बताने का कष्ट करें,ताकि कुछ कहने में आसानी हो,ऊपर की पंक्तियों की मात्राओं में कुछ शंका है,।
Aug 28, 2017
रामबली गुप्ता
Aug 29, 2017
रामबली गुप्ता
Aug 29, 2017
रामबली गुप्ता
Aug 29, 2017
रामबली गुप्ता
Aug 29, 2017
रामबली गुप्ता
इस छंद को आल्हा छंद या मात्रिक सवैया भी कहा जाता है.
एक उदाहरण देखिये-
आल्हा मात्रिक छन्द, सवैया, सोलह-पन्द्रह यति अनिवार्य।
गुरु-लघु चरण अन्त में रखिये, सिर्फ वीरता हो स्वीकार्य।
अलंकार अतिशयताकारक, करे राइ को तुरत पहाड़।
ज्यों मिमयाती बकरी सोचे, गुँजा रही वन लगा दहाड़।
इस हिसाब से देखेंगे तो गीत में कहीं अटकाव न मिलेगा-
फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन, फैलुन फैलुन फैलुन फाल।
सादर आभार भाई साहब
Aug 29, 2017
Samar kabeer
रचना के लिये पुनः बधाई स्वीकार करें ।
Aug 29, 2017
डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
आ० अच्छी रचना हई है . थोड़े से प्रयास से प्रवाह और बेह्तर हो सकता था जैसे -
जय- जय जय -जय जय मातु भारती, शत-शत तुझको करुँ प्रणाम।
जन्मभूमि जननी की सेवा बस अब यही हमारो काम ---------------------------- सादर .
Aug 30, 2017
रामबली गुप्ता
जयति जयति जय..... में भी तो प्रवाह की कोई कमी नही है। शब्दकलों के हिसाब से ठीक रखा गया है। फिर अटकाव किधर है?
Aug 30, 2017
रामबली गुप्ता
Aug 30, 2017
रामबली गुप्ता
Aug 30, 2017
नाथ सोनांचली
Aug 30, 2017
सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी
आदरणीय रामबली भाई , देश भक्ति से ओत प्रोत आपकी गीत रचना के लिये हार्दिक बधाइयाँ ... वन्दे मातरम !!
Aug 30, 2017
Samar kabeer
जल्द ही प्रयास करता हूँ ।
Aug 30, 2017
PHOOL SINGH
बेहतरीन रचना
Aug 31, 2017
रामबली गुप्ता
Sep 1, 2017
रामबली गुप्ता
Sep 1, 2017