ग़ज़ल की कक्षा

इस समूह मे ग़ज़ल की कक्षा आदरणीय श्री तिलक राज कपूर द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सदस्य सीखने के इच्‍छुक है वो यह ग्रुप ज्वाइन कर लें |

धन्यवाद |

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  • Tilak Raj Kapoor

    प्रिय मित्रों,

    गुरू जी के स्‍थान पर आप मुझे नाम से संबोधित करेंगे तो मुझे सहज लगेगा।

    मैनें आरंभ में ही कह दिया कि मैं स्‍वयं सतत् विद्यार्थी हूँ ग़ज़ल विधा का और मानता हूँ कि इसमें एक दूसरे से सीखने को बहुत कुछ है। मेरा प्रयास वह साझा करने का रहेगा जो मुझे ज्ञात है। गुरू कहलाने के लिये आवश्‍यक गुरुत्‍व का अभाव होने से मैं आपके बीच एक ऐसे सहपाठी के रूप में उपस्थित हूँ जो अन्‍य पाठशालाओं से पढ़कर आयेगा और प्रयास करेगा कि सरल रूप में विधा की जानकारी प्राप्‍त हो।

    जैसे-जेसे हम आगे बढ़ेंगे मेरी बात और स्‍पष्‍ट होती जायेगी, जहॉं मैं उत्‍तर देने में स्‍वयं को अक्षम पाऊँगा वहॉं अपने सम्‍पर्कों  का भरपूर उपयोग करने का प्रयास करूँगा।

  • Tilak Raj Kapoor

    ग़ज़ल पर आधार जानकारी की प्रथम किश्‍त अगले रविवार को पोस्‍ट करने का इरादा है।
  • विवेक मिश्र

    मैं अरुण जी के विचारों से पूर्ण सहमत हूँ. आशा करता हूँ, इस बार की कक्षाएँ हम सभी के लिए लाभप्रद सिद्ध होंगी.

  • मुख्य प्रबंधक

    Er. Ganesh Jee "Bagi"

    अरुण जी और भाई विवेक जी , रुक्न की गिनती थोडा आगे की बात है , अभी आदरणीय तिलक सर से मैंने निवेदन किया है कि आप ग़ज़ल कि क ख ग पहले बताये ताकि वो विद्यार्थी भी सिख सके जो अभी अभी गदहिया गोल( नर्सरी )  में नामांकन ले  रखा है |
  • धर्मेन्द्र कुमार सिंह

    आदरणीय तिलक राज जी का यह कार्य हम जैसे विद्यार्थियों के लिए बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। मैं कोशिश करूँगा कि इस कक्षा का नियमित विद्यार्थी बनूँ।
  • राजेश शर्मा

    आदरणीय ,तिलकराज जी आपके इस कार्य की जितनी प्रशंशा करून कम है.में भी एक विद्यार्थी के तौर पर नर्सरी कक्षा में प्रवेश लेना चाहता हूँ , कुछा गीत और ग़ज़लें भी लिखीं हें लेकिन में स्वयं उनसे बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हूँ.आशा है मुझे 
    प्रवेश की अनुमति मिलेगी. 
  • Tilak Raj Kapoor

    जा के पैर न पड़ी बिवाई, सो का जाने पीर पराई।

    ग़ज़ल का समझना स्‍वयं मेरे लिये एक चुनौती रहा है, और इंटरनैट पर इसकी जानकारी मिलने के पूर्व तक कहीं से इसका आधार ज्ञान भी मुझे प्राप्‍त नहीं था। यही आधार है प्राप्‍त ज्ञान को साझा करने का, इसमें प्रशंसनीय कुद विशेष नहीं, एक भावना भर है।

    यह ग्रुप, एक ग्रुप ही है, जिसमें स्‍वाभाविक है कि बहुत से सदस्‍य ऐसे भी रहेंगे जो पूर्व से बहुत कुछ जानते होंगे और परस्‍पर चर्चा के माध्‍यम से जो कुछ उन्‍हें ज्ञात है वह साझा करेंगे।

    जो सदस्‍य बन गया, उसे पृथक से अनुमति की तो कोई आवश्‍यकता प्रतीत नहीं होती।

    इसे इस रविवार तक इसीलिये रोका गया है कि कुछ और सदस्‍य ग्रुप में सम्मिलित हो जायें।

  • sanjiv verma 'salil'

    मैं भी हाज़िर हो गया, ले पाऊँ कुछ ज्ञान.

    ग़ज़ल समझकर ले सकूँ, खुशी यही अरमान..
  • Tilak Raj Kapoor

    आये हैं जब आप तो होगा कुछ आसान

    ग़ज़ल विषय संबंध में हिन्‍दी भाषा ज्ञान

    'सलि‍ल' जी का तालियों के साथ सादर अभिवादन

  • praveena joshi

    mujhe gajal aur kavitaao me basic difference samjhna hai ? sir ji kya aap mujhe bata sakte hai ki gajal ko likhne ke liye urdoo gyan hona anivaary hai ya nahi?
  • Tilak Raj Kapoor

    ग़ज़ल काव्‍य का ही एक स्‍वरूप है जो अतिरिक्‍त नियमों से नियंत्रित होता है। आधार जानकारी देखें। ग़ज़ल किसी भी ऐसी भाषा में कही जा सकती है जो ग़ज़ल के नियमों का पालन कर सके।

  • mahesh sharma

    main gajal sikhna chahta hoon.

     

  • nemichandpuniyachandan

    Shree,Tilak Raj Ji Kapoor Sahib,Aap Ke nirdeshan main Ghazal Classes Nav aagantuk vidhyarthiyon ke liye vardan Siddha hogi aisi aasha karte hain.
  • Tapan Dubey

    धन्यवाद तिलक राज कपूर जी आपके इस मार्गदर्शन के लिए, ये जानकारी मुझ जैसे लोगो के लिए वरदान साबित होगी, मे तोड़ा बहुत लिखता था अब तक पर इंसब तकनीकी बतो से अनजान था, लिखने का शोक मुझे कई शायरो को पड़ने और सुनने के साथ हुआ था, और काफ़ी छोटी उम से मे तुकबंदी करता था, जब मे 5वी कक्षा मे था, तब मुझे राज्यस्तरीय स्वारचित कविता मे प्रथम पुरूस्कर भी मिला, पर तब से आज तक ये तकनीकी बाते मे नही जनता था, और आज जिस महॉल मे हू जहा गजल शायरी कोई समझता ही नही हे, मे धन्यवाद करना चाहता हू Openbooks online pariwar   का भी की उन्होने मुझ जैसे लोगो को अपने अंदर की प्रतिभा को बचाने का एक मोका दिया हे और धनयवाद तिलक राज जी, आप को अब से अपना गुरु मान लिया है, बहुत कमजोर विधयर्थी हू आप को ज़्यादा ध्यान देना पड़ेगा . :)
  • nemichandpuniyachandan

    sir,Ghazal ke Baare mein main Itana hi kahoongaa,kisi Shayar ka ek kataa yaad aaya ki,Chaand ek tootaa huaa tukadaa mere zaam ka hein,ye meraa khyaal nhin hazrte-khayyaam ka hein,hamse poocho ghazal maangtee hein kitnaa lahoo,aur loog ye kahate he ki ye dhandha aaraam ka hein.Sukriya
  • Tilak Raj Kapoor

    आपने कहा कि:
    चॉंद एक टूटा हुआ टुकड़ा मेरे जाम का है
    ये ख्‍याल मेरा नहीं हज्रते खय्याम का है
    हमसे पूछो कि ग़ज़ल मॉंगती है कितना लहू
    लोग तो कहते हैं ये धंधा बड़े आराम का है।

    वाह भाई खूब लेकर आये आप, गज़ल कह देना और ग़ज़ल कहना, इन दोनों के बीच का अंतर जानने वाला कभी ग़ज़ल कहने को आसान नहीं कहेगा लेकिन फिर भी यह सत्‍य है कि शेर निकाले नहीं जाते, निकलते हैं। जब निकाले जाते हैं तो सरकस के शेर होते हैं और जब निकलते हैं तो पूरी शानो शौकत से सीना तान कर अपना सौन्‍दर्य बिखेरते हैं।

  • मुख्य प्रबंधक

    Er. Ganesh Jee "Bagi"

    जब निकाले जाते हैं तो सरकस के शेर होते हैं और जब निकलते हैं तो पूरी शानो शौकत से सीना तान कर अपना सौन्‍दर्य बिखेरते हैं।

     

    बहुत खूब तिलक सर , सहमत हूँ आपकी बातों से | 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    हो चुकी है देर 

    पर जानूँ दुरुस्त, मनाइये

    जो मिले  प्रसाद है मुझे, 

    भक्त को अपनाइये.. 

  • GOPAL BAGHEL 'MADHU'

    मैं इस विषय में पूरी जानकरी करना चाहता हूँ.
  • Admin

    आदरणीय गोपाल बघेल जी, ग़ज़ल के बारे में जानने हेतु नियमित रूप से "ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी" सभी अंक पढ़ते रहे |
  • Tilak Raj Kapoor

    आप सब का स्‍वागत है।

    सौरभ जी के लिये एक शेर:

    लुत्‍फ़ कुछ देर से आने का अलग होता है

    गर न मानें, तो कभी देर से आकर देखें।

     

  • Karun thapa

    नमस्कार । मेरी हिन्दी कमजोर है माफ किजिएगा क्यों कि मेरी मातृभाषा नेपाली है । तिलकजी, मैं नेपाल से हूँ। ३० साल से नेपाली भाषा में गजल लिख रहा हूँ। नेपालमें कुछ ही गिनेचुने लोग हैं जो बह्र मे गजल कहते हैं । नेपालमें ज्यादातर लोग स्वनिर्मित लयमें गजल कहते हैं जो लोकलय से लेकर अपनी ही कुछ लय हो सकते है । लेकिन हम कुछ शायर मिलकर यह प्रयास कर रहें है लोगोंको सम्झाने कि "बह्र में लिखना ही असल में गजल लिखना होता है" ।

    मेरा पहला सवाल है - क्या हिन्दी या उर्दू में भी लोग स्वनिर्मित लयमें गजल कहते है?

    हिन्दी और नेपाली दोनों देवनागरी लिपीमें लिखे जाते हैं । दोनों भाषाओंका करीब वही मात्राऐं होतें हैं । नेपालीमें  क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ य़ नहीं होते । हम "ग़ज़ल"को "गजल" लिखते है । लेकिन अन्य स्वर और व्यञ्जन करीब वही हैं ।  तक्तिअ करनेके तरीके भी वही वही है । लेकिन क्यूँकि बह्रें उर्दू से हिन्दीमें या नेपालीमें प्रवेश कियें है तो कुछ नियममें अभी भी बहुत कन्फ्यूजन है ।

    अब तक हम किताबों से इन्टरनेट से और आपका पाठशाला से बहुत कुछ सिखरहें हैं । अध्ययन और अभ्यास भी है । लेकिन गुरु नहीं जो गजलमें बह्रका बारिकीओंको सिखाए । बह्रकी बहुत नियम हैं जो अभी भी बहुत साफ नहीं है लोगोंमें । अभी भी मात्रा गिराना या "के को" इत्यादिका लघु या गुरु दोनों मान्ना वर्जितप्राय: है नेपालमें । गुरुको दो लघु भी करनेका प्रावधान है या ३ मात्राओंको १ + २ करनेका भी । यह सब सम्झाने के लिए अभी भी मुश्किलोंका सामना कर रहें है हम ।

    इस विषयको आप कुछ संक्षिप्त परिचय और सभी बह्र में निश्चित लय¸ यति और गतिका नियम है जो आपकी पाठशालामें इन्हें सामिल करेंगें तो बहुत लाभदायक होगा ।
  • Shanno Aggarwal

    आदरणीय तिलक जी, 

    मैं बिलकुल नयी हूँ इस कक्षा में. गजल के पाठों के लिये बहुत शुक्रिया. 

     

  • विवेक मिश्र

    आदरणीय तिलकराज जी,

    मेरा एक सुझाव है. ग़ज़ल की कक्षा में नियमित अंतराल पर आपकी पोस्ट्स तो आती ही रहती हैं. अब यदि किसी को पिछली किसी कक्षा से सम्बंधित कोई 'संदेह' हो या कोई 'प्रश्न' पूछना हो तो इसके लिए अलग से 'ग़ज़ल से सम्बंधित शंका-समाधान/संदेह प्रश्नोत्तरी' जैसा कोई फोरम भी होना चाहिए ताकि नए विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान भी हो सके. हाँ, इससे आपकी व्यस्तता थोड़ी बढ़ेगी जरूर, लेकिन जो विद्यार्थी कमजोर हों या जिनके मन में कोई शंका हो, उनके लिए यह फोरम किसी 'एक्स्ट्रा क्लास' की तरह होगा.

    -सादर

    विवेक मिश्र


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    आदरणीय तिलकराजजी, यह तो आपकी दरियादिली है कि मुझसे हुई देर के बावज़ूद इस देर को देर न मान अभी और देर करने का आह्वान कर रहे हैं..  आपका सादर धन्यवाद कि आपने बहुत कुछ दिया है अभी तक.

     

    आदरणीय, इन पन्नों के माध्यम से नेपाली मूल के करुण थापाजी की जिज्ञासा (पत्र) पर आपका ध्यान अवश्य गया होगा. मैं भाई करुणजी की परेशानियों को समझ सकता हूँ. उनकी शंकाओं का समाधान जितनी जल्दी हो जाय उतना भला. इस लिहाज से अन्य बोलियों या आंचलिक भाषाओं में ग़ज़ल लिखने वालों को भी लाभ होगा.

    सादर.

  • दुष्यंत सेवक

    neeraj ji jahan tak mujhe pata hai... safeene ke maani hote hain nauka ya ... jahaaj... 

  • Tilak Raj Kapoor

    सफ़ीना=BOAT

  • Rajiv Gupta

    नींद से जागा तो मेरी आँख में शबनम थी. 

    ख़वाब में उसने मेरी आँखों को रुलाया होगा..
  • ASHISH ANCHINHAR

    मै सभी को यह सूचित करना चाहता हूँ की, मैं मैथिली भाषा मे गजल कहता हूँ और आज तक कभी बहर मे गजल नहीं कह पाया। मगर प्रसन्नता इस बात की है मेरे ब्लाग और पुस्तक को पढ़कर आज के तकरीबन हर मैथिली गजलकार बहर मे गजल कह रहे हैं। और इस केलिये मै आदरणीय तिलकराज जी और भाइ वीनस केसरी जी का आभारी हूँ। उन्ही से सीख कर बाँटा हूँ ज्ञान को। आज मुझे जो भी प्रसन्नता है उसके वास्तविक भागीदार यही लोग है। भाइ बागी जी तो है ही।

  • वीनस केसरी

    "मैं मैथिली भाषा मे गजल कहता हूँ और आज तक कभी बहर मे गजल नहीं कह पाया।"

    " मेरे ब्लाग और पुस्तक को पढ़कर आज के तकरीबन हर मैथिली गजलकार बहर मे गजल कह रहे हैं"

    भाई आशीष जी,
    आपकी यह दो बातें एक दुसरे का विरोध करती हैं यदि आप स्पष्ट करेंगे तो मुझे आसानी होगी
    आपकी पुस्तक प्र्रप्ती के लिए उचित जानकारी मुहैया करवाएं
    सादर
    venuskesari@gmail.com

  • Tilak Raj Kapoor

    सूरज है, रात अंधेरी है
    शब्‍दों की हेरा-फ़ेरी है।
    भावातिरेक में कुछ शब्‍द फि़सल गये हैं जिससे अर्थभ्रम की स्थिति उत्‍पन्‍न हुई है।
    मैनें भी जो कुछ यहॉं लिखा कहीं न कहीं से लिया हुआ था, मेरा मूल सृजन तो नहीं।
    ग़ज़ल की विधा को जन्‍मने से सजने सँवरने में सदियॉं लगी हैं, हम आप तो केवल एक ईमानदार प्रयास में हैं साझा करने के।


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    आदरणीय तिलकराज जी... .  आपकी शैली ने मोह लिया ! वस्तुतः बात यही है. ..   :-)))

    दूसरे, अनचिन्हार जी ने सबको संप्रेषित ’व्यक्तिगत’ मेल के प्रत्युत्तर में इस बात को स्पष्ट कर दिया है.  बात यही है. 

    प्रसन्नता है कि अनचिन्हारजी एक गंभीर रचनाधर्मी हैं. आगे उनकी निरंतरता और उनसे अपेक्षित श्रद्धा उन्हें सफल-पल उपलब्ध करायेंगीं.

  • ASHISH ANCHINHAR

    मेरे भाव को समझने केलिये धन्यवाद। मैं अपने पुस्तक का पीडीफ फाइल दे रहा हूँ। साथ-ही साथ अन्य मैथिली पुस्तक को डाउनलोड करने केलिये यहाँ आये https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/ ...AnchinharAakhar.pdf

  • Tilak Raj Kapoor

    आशीश जी, आश्‍वस्‍त रहें। आपने जो कहा उससे आपका इस ब्‍लॉग, ग़ज़ल की कक्षा में लगी पोस्‍ट व इस सबसे जुड़े प्रयासों व व्‍यक्तियों के प्रति सम्‍मान ही ध्‍वनित हो रहा है। कोई अन्‍य विचार किसी के मन में हो ऐसा मुझे नहीं लगता।

    सौरभ जी की इस ब्‍लॉग पर और अन्‍य स्‍थानों पर भी जो सकारात्‍मक भूमिका है वह स्‍पष्‍ट है।  ब्‍लॉग जगत को ऐसे समर्पित ब्‍लॉगर्स की आवश्‍यकता निरंतर रहेगी।


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    सादर

  • वीनस केसरी

    आशीष जी,
    आपकी पुस्तक पढ़ी
    मुझे पता नहीं था कि आपने पुस्तक में वो आलेख भी प्रकाशित करवाया है जो अपने ब्लॉग पर लिखे हैं
    निश्चित ही इन आलेखों से लोगों की जानकारी में वृद्धि होगी

    पुस्तक पढ़ कर अच्छा लगा
    पुस्तक के  प्रकाशन पर पुनः हार्दिक बधाई
    फोन पर बात करके भी अच्छा लगा

    दरअसल मैं समझ नहीं पा रहा था कि, आप खुद कह रहे हैं कि पुस्तक में आपकी ग़ज़लें बे-बह्र हैं तो लोग उसे पढ़ कर बह्र की जानकारी कैसे पा सकते हैं

    स्थिति स्पष्ट हुई
    अच्छा काम कर रहे हैं मेरी शुभकामनाएं
    धन्यवाद
    सादर

  • ASHISH ANCHINHAR

    आदरणीय गुरुजनों से जो सीखा उसे बहरे मुशाकिल के रुप मे प्रस्तुत कर रहा हूँ। उम्मीद हैं कि हर बार की तरह आप लोग मेरी गलतियों की तरफ ध्यान देगें और बताने की कृपा करेगें जिससे की मै अपने आप को सुधार सकूँ। तो मैथिली भाषा के इस गजल को पढ़े।


    दोख हम केकरा देबै इ तोहीं कह
    आब किनका जरे जीबै इ तोहीं कह

    नजरि भरि देखलहुँ हुनका अन्हारेमे
    आब डिबिया किए लेबै इ तोहीं कह

    गुजरि जाएत बिच्चे बाट नै देखत
    मीत की एहने हेतै इ तोहीं कह

    नै छलै ओकरा लग प्रेम की करु
    असगरें हम कते देबै इ तोहीं कह

    अनचिन्हारे तँ छै संसारमे ओ सभ
    केकरा संग हम जेबै इ तोहीं कह

    फाइलातुन-मफाईलुन-मफाईलुन

  • Tilak Raj Kapoor

    भाई मेरे लिये मैथिली और अरबी फ़ारसी एक सी है, लेकिन ब्लॉग  पर मैथिली पाठकों की कमी नहीं, देखें वो कया कहते हैं।


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    भाई अन्चिन्हारजी, प्रस्तुत ग़ज़ल में बह्रक खूब नीक जकाँ निर्वाह भेल अछि. पहिने त अहाँ एकरा लेल बधाई स्वीकार करू. ई ग़ज़ल शिल्प आ कथ्य दुइयो कसौटी पर व्यवस्थित अछि.

    ई दू टा शे’र वास्ते हम विशेष साधुवाद कहि रहल छी -

    नजरि भरि देखलहुँ हुनका अन्हारेमे
    आब डिबिया किए लेबै इ तोहीं कह

    नै छलै ओकरा लग प्रेम की करु
    असगरें हम कते देबै इ तोहीं कह

    वाह !

    मक्ता सेहो नीक बनल अछि. किन्तु, कनिये आर कोशिश भेल रहतियैत.

    धन्यवाद.

  • ASHISH ANCHINHAR

    @सौरभ पांडेय--- जी उत्साह बढेबाल लेल धन्यवाद। गलती सुधारबाक कोशिशमे लागल छी हम। आशा अछि जे आगुओ एहिना हमरा सहयोग भेटैत रहत। अहाँ सँ एकटा विशेष आग्रह जे गुरुवर तिलकराज जीकेँ जँ अहाँ एकर भाव आ व्याकरण संबंधी अनुवाद दिऔन्ह। इ आग्रह मात्र आग्रह अछि।

  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

    pranam sir ji, mujhe kuch bhi nahi ata, sikhne aayen hain. ashirvad dijiye.

  • Tilak Raj Kapoor

    स्वागत है! जिन्हें कुछ नहीं आता वो जल्दी सीख जाते हैं!

  • PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA

    adarniya sir ji aapka pahla paath sarasari tor par padaha. dobara padh raha hoon. aagya ho to apni post valvale ko class ke black bord par rakhoon. usi se shuruaat ki jaye ya fir jaisa aapk aadesh.

  • Tilak Raj Kapoor

    यह खुली पाठशाला है जिसमे सीखनेवाले को स्वतंत्रता है के वो कैसे गए बढ़ना चाहता है!

  • नादिर ख़ान

    सर जी  आदाब
    अगर  मत्ला ये है 
    छूट मिली है सबको खूब 
    मै भी लूटूँ तू भी लूट
    तो क्या इसके साथ काफिया  पूछ,कूद, घूट,रूठ उपयोग मे ल सकते हैं
     
    इस तरह 
    छूट मिली है सबको खूब 
    मै भी लूटूँ तू भी लूट
    चमचों को तू रख ले पास
    कौन करे फिर तुझसे पूछ
    किसने देखी है कल की
    कर ले पूरी इच्छा खूब
    नाच रहे हैं बंदर भालू
    करे मदारी खेल-कूद
     
    हरी, नारंगी पिये आप
    जनता पीये कड़ुआ घूट
    लाख जतन से मिली है कुर्सी
    जग रूठे पर तू न रूठ
    कृपया मार्गदर्शन दें 
  • बसंत नेमा

    क्या बिना शेर के गजल लिखी जा सकती है 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    //क्या बिना शेर के गजल लिखी जा सकती है //

    भाई, प्रश्न पूछने के पहले आप पहले इस समूह के आलेख पढ़ें.

  • Dr Ashutosh Mishra

    मैं कक्षा में नया छात्र हूँ ..सभी सीनियर्स को श्रधेय गुरुदेव को सादर प्रणाम के साथ कक्षा में बैठने की अनुमति ले रहा हूँ 

  • Tilak Raj Kapoor

    स्‍वागत है आशुतोष जी।

    विकास की आवश्‍यकता है कि ज्ञानाधार सहज, सरल व सुलभ हो। 

    प्रयास करेंगे तो इतना तो यहॉं पा ही लेंगे कि आधार बातें स्‍पष्‍ट हो जायें। 

  • Ramkumar Nema

    आदरणीय श्री तिलक राज कपूर जी वा ग़ज़ल की कक्षा के सभी सदस्यो को मेरा सादर प्रणाम मे आप सभी के स्नेह का इच्‍छुक हू