ग़ज़ल की कक्षा

इस समूह मे ग़ज़ल की कक्षा आदरणीय श्री तिलक राज कपूर द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सदस्य सीखने के इच्‍छुक है वो यह ग्रुप ज्वाइन कर लें |

धन्यवाद |

  • ग़ज़ल संक्षिप्‍त आधार जानकारी-10

    मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रेंइस बार हम बात करते हैं मुफरद बह्रों से बनने वाली मुजाहिफ बह्रों की। इन्‍हें देखकर तो अनुमान हो ही जायेगा कि बह्रों का समुद्र कितना बड़ा है। यह जानकारी संदर्भ के काम की है याद करने के काम की नहीं। उपयोग करते करते ये बह्रें स्‍वत: याद होने लगेंगी। यहॉं इन्‍हें…

    By Tilak Raj Kapoor

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  • ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-7

    ग़ज़ल की विधा में रदीफ़ काफि़या तक बात तो फिर भी आसानी से समझ में आ जाती है, लेकिन ग़ज़ल के तीन आधार तत्‍वों में तीसरा तत्‍व है बह्र जिसे मीटर भी कहा जा सकता है। आप चाहें तो इसे लय भी कह सकते हैं मात्रिक-क्रम भी कह सकते हैं।रदीफ़ और काफि़या की तरह ही किसी भी ग़ज़ल की बह्र मत्‍ले के शेर में…

    By Tilak Raj Kapoor

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  • बह्रें और उनके अरकान

    बह्रें और उनके अरकान                                                  बह्र का नाम                                                                                           अरकान                                                                                                                          …

    By Ajay Tiwari

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  • तनाफुर : ऐब बनाम गलती

    प्राय: तनाफुर को इतना महत्त्व दिया जाता रहा है जितने का यह हक़दार नहीं है.तनाफुर को ये नाम मौलाना हसरत मोहानी ने अपनी किताब ‘मआइबे सुखन’ में दिया था जो उर्दू में शायरी के ऐबों पर लिखी गई पहली किताब थी (बाद में इसे निकाते-सुखन का हिस्सा बना दिया गया). तनाफुर की मौलाना हसरत मोहानी की परिभाषा है : ‘जब…

    By Anuraag Vashishth

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  • उर्दू शायरी में इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण - I

    कोशिश ये रही है कि प्रमुख शायरों के स्तरीय शेर ही चुने जाएँ. साथ ही हर दौर की शायरी के अच्छे शेरों का एक प्रतिनिधि चयन करने का भी प्रयास रहा है. बहुत कुछ अच्छा होते हुए भी विस्तार भय से छोड़ देना पड़ा है. मुतक़ारिब मुसम्मन सालिमफ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन122        122       122       122ज़मीन-ए-चमन…

    By Ajay Tiwari

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  • ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-4

    काफि़या को लेकर आगे चलते हैं।पिछली बार अभ्‍यास के लिये ही गोविंद गुलशन जी की ग़ज़लों का लिंक देते हुए मैनें अनुरोध किया था कि उन ग़ज़लों को देखें कि किस तरह काफि़या का निर्वाह किया गया है। पता नहीं इसकी ज़रूरत भी किसी ने समझी या नहीं।कुछ प्रश्‍न जो चर्चा में आये उन्‍हें उत्‍तर सहित लेने से पहले कुछ…

    By Tilak Raj Kapoor

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  • ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-1

    यह आलेख उनके लिये विशेष रूप से सहायक होगा जिनका ग़ज़ल से परिचय सिर्फ पढ़ने सुनने तक ही रहा है, इसकी विधा से नहीं। इस आधार आलेख में जो शब्‍द आपको नये लगें उनके लिये आप ई-मेल अथवा टिप्‍पणी के माध्‍यम से पृथक से प्रश्‍न कर सकते हैं लेकिन उचित होगा कि उसके पहले पूरा आलेख पढ़ लें; अधिकाँश उत्‍तर यहीं…

    By Tilak Raj Kapoor

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  • ग़ज़ल-संक्षिप्‍त आधार जानकारी-2

    ग़ज़ल की आधार परिभाषायें जानने के बाद स्‍वाभाविक उत्‍सुकता रहती है इन परिभाषित तत्‍वों के प्रायोगिक उदाहरण जानने की। ग़ज़ल में बह्र का बहुत अधिक महत्‍व है लेकिन उत्‍सुकता सबसे अधिक काफि़या के प्रयोग को जानने की रहती है। आज प्रयास करते हैं काफि़या को उदाहरण सहित समझने की।सभी उदाहरण मैनें आखर कलश पर…

    By Tilak Raj Kapoor

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  • उर्दू शायरी में इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण - II

    पहले भाग में मुफ़रद बह्रों के उदाहरण प्रस्तुत किए गए थे. इस भाग में मुरक़्क़ब बह्रों के उदाहरण हैं.मज़ारेमज़ारे मुसम्मन अख़रब मक्फ़ूफ़ महज़ूफ़मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन221        2121      1221     212हक़ फ़त्ह-याब मेरे ख़ुदा क्यूँ नहीं हुआतू ने कहा था तेरा कहा क्यूँ नहीं हुआ जो कुछ हुआ वो कैसे हुआ जानता…

    By Ajay Tiwari

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  • दुष्यंत द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण

    दीवान-ए-ग़ालिब की ही तरह उदाहरणार्थ चुने गए शेरों के लिए कोशिश ये रही है कि दुष्यंत एक मात्र ग़ज़ल 'साये मे धूप' की हर ग़ज़ल से कम से कम एक शेर अवश्य हो. इस तरह ये 'साये मे धूप' का अरूज़ी वर्गीकरण भी है.  मुतक़ारिब असरम मक़्बूज़ महज़ूफ़ 16-रुक्नी ( बह्र-ए-मीर )फ़अ’लु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़ऊलु फ़’अल21       …

    By Ajay Tiwari

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