ग़ज़ल की कक्षा

इस समूह मे ग़ज़ल की कक्षा आदरणीय श्री तिलक राज कपूर द्वारा आयोजित की जाएगी, जो सदस्य सीखने के इच्‍छुक है वो यह ग्रुप ज्वाइन कर लें |

धन्यवाद |

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  • Ketan Parmar

    Salaam नादिर ख़ान

    saheb kripya niche diya hua sher dekhe usme aapke dwara diye huve sare kafiye fit baithenge. Main Jiyada toh nahi jantaa magar koshish rahti hai kuch naya sikhne ki

    मिल जाती है सबको छूट
    मैं भी लुटता तू भी लूट

    Baki jo gurujan sahi sujhav denge use follow karna hamara dharam hai 

  • Tilak Raj Kapoor

    मिल जाती है सबको छूट 
    मैं भी लुटता तू भी लूट

    शेर से जो भाव उत्‍पन्‍न हो रहा है उसके अनुसार मैं भी लूटूँ तू भी लूट होगा। यही शेर अगर यूँ कहें:

    यहॉं सभी को मन की छूट

    लूट सके तो तो भी लूट। 

    अब इसका वज्‍़न संभालें। 

  • Dr Ashutosh Mishra

    आदरणीय राज सर ...वो तरन्नुम न रहा और वो तराना न रहा,
    साज ऐसा हूँ के अब जिसका बजाना न रहा...सर कभी कभी कुछ छोटे छोटे सवालों में दिमाग उलझ जाता है ..थोडा कंफ्यूज हूँ   जानना ये चाहता हूँ की क्या और के र और वो लघु को मिलकर दीर्घ मानते हुए जिसका के का के अनुरूप बजन दिया जा सकता है 

  • लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

    मैं कक्षा में नया छात्र हूँ ..सभी सीनियर्स को श्रधेय गुरुदेव को सादर प्रणाम के साथ कक्षा में बैठने की अनुमति ले रहा हूँ .

  • sombirnaamdev

    मैं सोमबीर नामदेव भी आपकी ग़ज़ल कि कक्षा में दाखिला चाहता हूँ कृपया इज़ाज़त प्रदान करें

  • sanjeev sharma

    क्या बहर का नियम हर ग़ज़ल में लागू होना जरूरी है


  • मुख्य प्रबंधक

    Er. Ganesh Jee "Bagi"

    बगैर बहर ग़ज़ल का अस्तित्व नहीं है संजीव शर्मा जी ।

  • Nilesh Shevgaonkar

    चित्रा जी की एक फेमस ग़ज़ल है .. .
    जब नाम तेरा प्यार से लिखती हैं उँगलियाँ
    मेरी तरफ ज़माने कि उठती है उँगलियाँ. .
    यहाँ काफ़िया निर्धारण कैसे हुआ है ??
     

  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Rana Pratap Singh

    इस मतले में ईता का ऐब है।
  • Nilesh Shevgaonkar

    आ. Rana Pratap Singh जी, यही आभास मुझे भी हुआ. या कहीं उठती है उँगलियाँ में उठने को भाववाचक तो नहीं लिया है और लिखती क्रियावाचक ..
    हालाँकि उठना क्रियावाचक है लेकिन उँगलियाँ सही में कोई नहीं उठाता ,,तानाकशी वाले भाव से तो नहीं जोड़ा है शायर ने  ???

  • Shashi Kant

    मैं शशि कांत इस कक्षा के सभी लोगो को प्रणाम करता हूँ। आप सभी लोगो को शायरी की दुनिया का तजुर्बा हे, इसलिए आप सब  से निवेदन हे की मेरा प्रणाम स्वीकार करे। और मुझे भी इस कक्षा में शायरी सिखने की अनुमति दे। 

  • Tilak Raj Kapoor

    आपका स्‍वागत है

  • seemahari sharma

    बहुत बहुत आभार आपका Tilak Raj Kapoorजी कक्षा में अनुमति देनें के लिये।
  • Manan Kumar singh

    'गजल की कक्षा' में शामिल होने के लिए क्या करना होता है?

  • charanjit chandwal `chandan'

    अब्जद ह्व्वज़
    और लत्ज़ने ज़ुज़्बे रदीफैन दोष क्या होता है

  • nitin sharma

    सभी को सुबह का प्यार भरा नमस्कार। कक्षा में अनुमति के लिए धन्यवाद
  • Pari M Shlok

    मैं ग़ज़ल कक्षा में नयी हूँ और ग़ज़ल सीखने की उत्सुक ही आशा है यहाँ से बेहतर सीख पाउंगी
  • Nilesh Shevgaonkar

    ग़ज़ल की कक्षा के सभी गुरुजनों और मंच के समस्त ग़ज़ल प्रेमियों से एक प्रश्न है.
    निदा फ़ाज़ली साहब की ग़ज़ल
    जब किसी से कोई गिला रखना
    सामने अपने आईना रखना
    में हिंदी काफिया आ स्वर है लेकिन
    घर की तामीर चाहे जैसी हो
    इस में रोने की कुछ जगह (जगा) रखना पढ़ा गया है.
    यदि उर्दू में पडूँ तो लगभग सभी काफिये ह पर समाप्त है सिवाय हवा और ख़ुदा के जो आ पर ही समाप्त हैं.
    .
    यूँ उजालो से वास्ता रखना
    शम'अ के पास ही हवा रखना.
    .
    मस्जिदे हैं नमाज़ियों के लिए
    अपने दिल में कहीं ख़ुदा रखना 
    .
    ऐसी छूट कहाँ कहाँ मिल सकती है क्या इसका कोई निश्चित विधान है या सिर्फ उच्चरण में शब्द कैसे बोला जा रहा है, उससे निर्धारण ठीक रहेगा.
    .
    सादर  

     


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Rana Pratap Singh

    अलिफ़ के काफिये. हवा, खुदा, बुझा आदि के साथ छोटी हे के काफिये. गिला, आइना, जगह, निगह आदि
    लिए जा सकते हैं, प्रयास यह करना चाहिए कि मतले में एक काफिया अलिफ़ और एक काफिया छोटी हे का हो, परन्तु कई उस्तादों ने मतले में अलिफ़ का काफिया लेने के बाद छोटी हे के काफिये वाले शेर भी कहे हैं| कुल मिलाकर यही है कि दोनों अलफ़ाज़ हम काफिया हो सकते हैं| ऐसा इसलिए है कि छोटी हे का उच्चारण आ कि तरह ही होता है|

  • Nilesh Shevgaonkar

    क्या देवनागरी में लिखने पर इससे कोई दोष उत्पन्न नहीं होगा?

  • Nilesh Shevgaonkar

    एक ग़ज़ल और याद आती है ..निदा फ़ाज़ली साहब की..
    तुम ये कैसे जुदा हो गए 
    हर तरफ हर जगह हो गए ...


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Rana Pratap Singh

    इस विषय में कई उस्तादों से राय लेने के बाद मैं अपने पूर्व कमेन्ट में थोड़ा संशोधन कर रहां हूँ| छोटी हे से समाप्त होने वाले अलफ़ाज़ जिनमे आ का उच्चारण आ रहा हो और वो नागरी लिपि में अलिफ़ की तरह लिखे जा रहे हों जैसे कि आईना, गिला आदि ये लफ्ज़ तो अलिफ़ के साथ हमफिया हो सकते हैं पर जहां छोटी हे को ह की तरह उच्चारित किया जा रहा हो जैसे कि जगह, निगह आदि ये लफ्ज़ अलिफ़ के साथ हम काफिया नहीं हो सकते| यह बात उर्दू और देवनागरी में बराबर से लागू हो रही है| निदा साहब ने इसे प्रयोग किया है जो कि स्पष्ट है कि उन्होंने जानबूझ कर प्रयोग किया है परन्तु यह अरूज के अनुसार गलत है|

  • Nilesh Shevgaonkar

    ये कैसे तय होगा कि कहाँ उच्चारण में आ आए और कहाँ ह यदि सभी काफिये छोटी हे पर ख़त्म हो रहे हों ?

  • Nilesh Shevgaonkar

    एक और शेर याद आता है 
    जिस जगह पर न फ़रिश्ते पहुँचे 
    उस जगह आज के इंसान गए ..

    यहाँ दोनों मिसरों को लय में गाने या गुनगुनाने पर (ह) का लोप हो जाता है और आ का स्वर उसे रिप्लेस कर देता है.  

  • Nilesh Shevgaonkar

    एक और प्रश्न उपजा है ..
    .
    दुनिया जिसे कहते हैं जादू का खिलौना है 
    मिल जाए तो मिट्टी है खो जाए तो सोना है.

    उर्दू में खिलौना और सोना हम काफ़िया हैं लेकिन देवनागरी में चूंकि ओ और औ की भिन्न मात्राएँ हैं तो क्या ये देवनागरी में दोष माना जाएगा? 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    इसी घालमेल से बचने की बात करते हैं हम आदरणीय नीलेश भाई.. वर्ना ’हँसुआ’ के विवाह में ’खुरपी’ के गीत गाते दिखेंगे हम..

    उर्दू लिपि का ’वाब’ देवनागरी में व, ओ और औ बन जाता है.

  • ASHISH ANCHINHAR

    माफी सहित एक बात कहना चाहूँगा कि ऐसी परेशानी सिर्फ तभी आती है जब आप ( हिंदी वाले) उर्दू को हिंदी की बोली समझकर उसे अपनाने लगते है। अगर यह मान लिया जाए कि उर्दू-हिंदी अलग अलग भाषांए है और मुझे उर्दू के विधा को हिंदी के अनुसार लिखना है तब ऐसी समस्या नहीं आयेगी।

    हो सकता है कि मेरी धारणा गलत हो

  • Nilesh Shevgaonkar

    आपसे सहमत हूँ आशीष जी और मानता भी हूँ कि भाषाओं में अंतर है. प्रश्न सिर्फ ये है कि चूँकि हम नागरी में लिखते हैं तो क्या खिलौना को उर्दू तरीके से खिलोना लिखा जाए ताकि पाठक कंफ्युस न हों या हिंदी का सही शब्द खिलौना लिखा जाए और बाक़ी काफिये को अपने हाल पे छोड़ दिया जाए?  

  • ASHISH ANCHINHAR

    जब आप भाषा को अलग-अलग मान ही रहे हैं तब दुविधा किस बात की। उच्चारण आप अपनी भाषा की लीजिये और गजल का नियम उर्दू का, फिर दोनों का मिलान किजिये। अगर गजल का वह नियम आपकी भाषा के अनुकूल है तो उसे रखिये वर्ना हटा दीजिये। मसला ही खत्म हो जायेगा।

    मगर मैं मानता हूँ कि हिंदी वाले ऐसा कर नहीं सकते हैं

  • ASHISH ANCHINHAR

    इसीलिये "सोना" और "खिलौना" गलत काफिया होगा। कभी-कभी सुनने मे तो यही आता है कि मात्रा वाले काफिया मे इस तरह का पाबंदी हटा देना चाहिये और केवल मात्रा को ही काफिया मानना चाहिये।

  • Nilesh Shevgaonkar

    आप जिसे गलत काफिया बता रहे हैं वो जनाब निदा फ़ाज़ली ने इस्तेमाल किया है. और वो ग़लत होंगे ये बात ठीक नहीं मालूम होती.
     

  • ASHISH ANCHINHAR

    फिर आप दुविधा मे हैं भाइ। निदा फाजली जिन का बी नाम हो वे उर्दू के है और आप हिंदी के। मैने पहले ही लिख दिया था "मगर मैं मानता हूँ कि हिंदी वाले ऐसा कर नहीं सकते हैं"।

  • ASHISH ANCHINHAR

    मैंने पहले यह भी लिख दिया था कि हिंदी वाले "उर्दू" को बोली के रूपमे स्वीकार कर उसे अपनाना चाहते है। गलती यहीं पर है। दोनों को अलग-अलग भाषा मान कर अपनाइये मसला खत्म हो जायेगा

  • Nilesh Shevgaonkar

    राहत इन्दौरी या इन्दोरी 
    .
    जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो ,
    बहरों का इलाका है ज़रा जोर से बोलो.
    दिल्ली में हमीं बोल करें अम्न की बोली ,
    यारो कभी तुम लोग भी लाहौर से बोलो.

  • ASHISH ANCHINHAR

    Main bhaut khush hoon...

    ऐसा लिख देने से मेरी भाषा अंग्रजी नहीं हो जायेगी। इसी तरह देवनागरी मे लिप्यंतरण कर देने से राहत इंदौरी जी या बशीर बद्रजी हिंदी के शाइर नहीं हो जायेंगे। 

  • Nilesh Shevgaonkar

    मेरा सवाल सिर्फ इतना है कि सही उच्चारण क्या उर्दू में खिलोना है या खिलौना 
    तोल है या तौल ..मैं यहाँ हिंदी उर्दू नहीं सिर्फ उर्दू की पूछ रहा हूँ.
    आशा है आप मेरा प्रश्न समझ पाएँगे  

  • ASHISH ANCHINHAR

    आप उर्दू मे गजल लिखते है या हिंदी मे। फिलहाल ये तो हिंदी वाले को सोचना है कि वह गजल का स्थिर स्वरूप चाहता है या भ्रमित रूप। तमिल मे हिंदी से जियादा गजल लिखी जाती है उसी तरह मराठी मे मगर इस तरह की दुविधा से वे वंचित है और इसीलिये खुशनसीब भी

  • ASHISH ANCHINHAR

    अगर आप हिंदी मे गजल लिख रहे है तो हिंदी का उच्चारण पकड़िये। ये मेरा मत है। बाद बाँकी आप और प्रभू की इच्छा

  • Nilesh Shevgaonkar

    आप तमिल मराठी कन्नड़ पर जा पहुँचे ..मेरा प्रश्न साधारण है 
    उर्दू में सही उच्चारण खिलोना है या खिलौना?
    जवाब न पता हो तो न दें, विषयांतर न करें कृपया ... 

  • Nilesh Shevgaonkar

    کھلونا
    سونا

  • Nilesh Shevgaonkar

    चलिए ..मैं थोडा टहल के आता हूँ ..शायद आप प्रश्न समझ पाएं उतनी देर में. 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    निदा फ़ाज़ली के कई दोहे छन्द की उस विधा को संतुष्ट नहीं करते, इसका क्या अर्थ लिया जाय कि अन्य भी दोहे विधानुरूप न लिखें?

    दूसरे, निदा साहब की ग़ज़लें या शेर मूलतः उर्दू लिपि और तदनुरूप उच्चारण को संतुष्ट करते हैं. यह अलग बात है कि उसका देवनागरी लिप्यांतरण भी हुआ है. यह उनकी ग़ज़लों और शेरों की व्यापक पहुँच केलिए आवश्यक था. इसका यह मतलब तो नहीं कि देवनागरी लिपि की विशेषता या सीमा का अतिक्रमण किया जाय. फिर उर्दू लिपि या शब्दों को ही मानक क्यों मान लें ?

    हम जिस भाषा में लिखना चाहें लिखें. तो उसकी लिपि और उस लिपि की सीमा या विशेषता का भी सम्मान करें. पुनः, हम हँसुआ के विवाह में खुरपी के गीत क्यों गायें ?

    आ. नीलेश जी, आपसे पुनः -  उर्दू का वाब हिन्दी में व , ओ और औ हो जाता है. क्या आप इस सीमा को तोड़ना चाहते हैं ? राणा भाई ने पीछे अपने पोस्ट में देवनागरी लिपि के अनुसार छोटी हे या एक चश्मी हे तथा अलिफ़ से अन्त वाले शब्दों को हमकाफ़िया नहीं मानने को कहा. क्योंकि कई जानकार ऐसा कहते हैं. जबकि उर्दू के अनुसार ऐसे अन्त वाले शब्द हमकाफ़िया हो सकते हैं. इसे आप उदाहरण सहित प्रस्तुत कर चुके हैं. आप फिर और क्या सुनना चाहते हैं ? देवनागरी लिपि में उर्दू भाषा की ग़ज़लों को लिख कर उन्हें व्यापक पहुँच तक बनाना एक बात है और देवनागरी लिपि की सीमा का अतिक्रमण निहायत दूसरी बात.


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Rana Pratap Singh

    //ये कैसे तय होगा कि कहाँ उच्चारण में आ आए और कहाँ ह यदि सभी काफिये छोटी हे पर ख़त्म हो रहे हों ?//

    इसका सीधा सा तरीका है कि शब्दों को बहुवचन में कर के देख लीजिये जैसे जगह का बहुवचन जगहों, दीवाना का दीवानों, आइना- आइनों आदि|

    मेरे अनुसार तो खिलौना और सोना देवनागरी में काफिये नहीं हो सकते, इसे उर्दू भाषा की लिमिटेशन ही कहा जा सकता है  कि दोनों लफ्ज़ एक जैसे तरीके से ही लिखे जा रहे हैं पर उच्चारण अलग है, इस बात को इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि कई शायर न के काफिये में कारण और रावण का इस्तेमाल कर लेते हैं पर देवनागरी लिपि के अनुसार यह दोषपूर्ण है|

    रही बात निदा साहब और राहत इन्दोरी साहब की तो राहत साहब का एक मतला जो मुशायरों में काफी हिट है बहुत कुछ बयान कर जाता है 

    सरहदों पर बहुत तनाव हे क्या?

    ज़रा पता करो चुनाव हे क्या?


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    کھلونا.
    سونا
     

    अब आप द्वारा उद्धृत शब्दों को देखा जाय -


    १. खलोना को देखिये - क़ाफ़ दोचश्मी हे के साथ ज़ेर नहीं है. लाम के साथ वाब है. फिर नून के साथ अलिफ़ आया. फिर भी खलोना न हो कर खिलोना या खिलौना पढ़ा जा रहा है.
    २. यही बात सोना के साथ है. वाब ओ की तरह उच्चारित हो रहा है. नून के साथ अलिफ़ सोना बना रहा है. सौना नहीं.

    उपर्युक्त दोनों शब्द खिलोना खिलौना या सोना या सौना हो सक्ते हैं. यह छूट देवनागरी लिपि के साथ लिखे गये शब्दों के साथ संभव नहीं है.

    उर्दू लिपिके अनुसार सौरभ का सौ और सोहन का सो एक ही हैं. मगर हिन्दी और देवनागरी लिपि में सौ और सो दो भिन्न मात्राओं के साथ दो वर्ण हैं.

  • ASHISH ANCHINHAR

    ज्ञानवर्धक बहस इसे ही कहते हैं


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    //इस बात को इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि कई शायर के काफिये में कारण और रावण का इस्तेमाल कर लेते हैं पर देवनागरी लिपि के अनुसार यह दोषपूर्ण है //

    अक्षरशः सत्य ..

    इस क्रम में एक बात और जोड़ना चाहूँगा, ग़ज़ल के अरूज़ का सम्मान करते हुए न सिर्फ़ तवर्ग के न को टवर्ग के ण से अलग रखा जाय बल्कि स श ष भी अलग-अलग हैं. इसका भी ध्यान रखा जाय. यह तथ्य देवनागरी लिपि की सीमाओं में ही संतुष्ट हो रहा है.

  • Nilesh Shevgaonkar

    मेरा प्रश्न सिर्फ इतना है कि सही उच्चारण क्या होगा, खिलोना या खिलौना...एक क्षण के लिए भूल जाएँ हिंदी / उर्दू के अंतर को ..सही उच्चारण क्या है ये जानना चाहता हूँ मैं?

  • Nilesh Shevgaonkar

    उर्दू या हिंदी या रोमन..सभी स्क्रिप्ट्स की अपनी लिमिटेशन्स हैं. ख़ास कर टैब जब भाषाएँ एक स्क्रिप्ट से दूसरी स्क्रिप्ट में जा रही है. देवनागरी में मराठी के शब्द च (लाइट sound) नुखे वाला के लिए कोई अक्षर नहीं है. न ही नुक्ते के लाइट साउंड्स का कोई मूल अक्षर है. वैसे ही अंग्रेज़ी में त नहीं है ट है ..द नहीं है ड है ...
    मेरा उद्देश्य ये कतई नहीं था.
    मैं तो सिर्फ जानना चाहता हूँ कि मिश्र हिंदी उर्दू में हम अक्सर ऐसे शब्द इस्तेमाल करते हैं जो दोनों भाषाओं के सामान है. कवि सम्मेलन या मुशायरे में पढ़ते समय सही उच्चारण क्या हो किसी शब्द का ये मूल प्रश्न है मेरा. पढने से इसका सम्बन्ध नहीं था.
    खैर ... 


  • सदस्य टीम प्रबंधन

    Saurabh Pandey

    आ. नीलेशभाई, खिलौना ही सही उच्चारण है.

    रेफ़ेरेन्स - प्रभात प्रकाशन के बृहत हिन्दी शब्दकोश [प्र.सं. डॉ. श्यामबहादुर वर्मा, सं. - डॉ. धर्मेन्द्र वर्मा] - यह संस्कृत के खेलन तथा प्राकृत के खिल्लण से हमारे तक खिलौना के रूप में पहुँचा है.

  • Nilesh Shevgaonkar

    और उर्दू में ?