Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।
का बोलीं का हाल हम, रउरे पाटल खेत
पापा अपना पूत के, सोचब दँवरी देत
टूसा-कोंढ़ी फूल-फल, अङनों अनधन बाढ़ि
पापा रउरा हाथ के, फुला रहल सभ डाढ़ि
सम्हरल बा घर पाइ के, राउर भाव-असीस
ले जाओ बाकिर कहाँ, माई आपन टीस !?
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सौरभ
Shyam Narain Verma
Jun 29, 2021
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई।
Jul 14, 2021