भोजपुरी साहित्य

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पापा के नाँवे // सौरभ

का बोलीं का हाल हम, रउरे पाटल खेत
पापा अपना पूत के, सोचब दँवरी देत

 

टूसा-कोंढ़ी फूल-फल, अङनों अनधन बाढ़ि
पापा रउरा हाथ के, फुला रहल सभ डाढ़ि 

 

सम्हरल बा घर पाइ के, राउर भाव-असीस
ले जाओ बाकिर कहाँ, माई आपन टीस !?
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सौरभ 

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    Shyam Narain Verma

    नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
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      लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

      आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई।

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