174 members
Description
Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।
by Saurabh Pandey
Apr 4, 2022
जे महाभारत मचल बा बऽड़-बड़का खेत भइले.. आमजन के बात का ?
जजबात का ? नस-धमनियन में बहत माहुर सभन के माथ से चुइ बन पसीना पोर-पोरे खात बा, चल रहल बा जुद्ध के हड़कंप जानीं रात-दिन, ऊऽ.. बेकहल हड़बोङ अस उफिनात बा पढ़ि-गुनत हम मन-महाभारत कहीं तऽ जान गइनीं धैर्य-गरिमा छूटि के भहरात बा ! जीउ बख्ससु रामजी बलु एक मन पत्थर भइल, दोसर.. करेजा भाव से चट्टान बा..धूर्त बेचत बा सपन खुल्लम अन्हरिये..रोशनी का फेर में साँसत फतिंगा-जान बा चित्त में नीसा भरल बा आदमी के बम-धमाका खून-खेला.. घात का ? प्रतिघात का ? घाव का हो.. भरि गइल बा ? फाटि-फूटत बहि गइल बा.. के इहाँ बा कान्ह धइ जे पूछ ली ?कील ठोंकेला चढ़ल रउदा कपारा..जेठ के बिंडो, कहीं, घुमिड़ात कतना बूझ ली ! ई हवा मन-प्रान, तन, हुरपेट चिकरे- रे कसाई ! .. भोगु धरती, जीतु सगरे, मात का ? ********मौलिक आ अप्रकाशित
Cancel
भोजपुरी साहित्य
174 members
Description
Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।
सदस्य टीम प्रबंधन
भोजपुरी नवगीत - जे महाभारत मचल बा // सौरभ
by Saurabh Pandey
Apr 4, 2022
जे महाभारत मचल बा
बऽड़-बड़का खेत भइले..
आमजन के बात का ?
जजबात का ?
नस-धमनियन में
बहत माहुर
सभन के माथ से चुइ
बन पसीना
पोर-पोरे खात बा,
चल रहल बा
जुद्ध के हड़कंप जानीं रात-दिन, ऊऽ..
बेकहल हड़बोङ अस
उफिनात बा
पढ़ि-गुनत हम
मन-महाभारत
कहीं तऽ जान गइनीं
धैर्य-गरिमा
छूटि के भहरात बा !
जीउ बख्ससु रामजी
बलु एक मन पत्थर भइल, दोसर..
करेजा भाव से चट्टान बा..
धूर्त बेचत बा सपन खुल्लम अन्हरिये..
रोशनी का फेर में
साँसत फतिंगा-जान बा
चित्त में
नीसा भरल बा आदमी के
बम-धमाका
खून-खेला..
घात का ?
प्रतिघात का ?
घाव का हो..
भरि गइल बा ?
फाटि-फूटत बहि गइल बा..
के इहाँ बा
कान्ह धइ जे पूछ ली ?
कील ठोंकेला
चढ़ल रउदा कपारा..
जेठ के बिंडो, कहीं,
घुमिड़ात कतना बूझ ली !
ई हवा
मन-प्रान, तन, हुरपेट चिकरे-
रे कसाई ! .. भोगु धरती,
जीतु सगरे,
मात का ?
********
मौलिक आ अप्रकाशित