भोजपुरी साहित्य

Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।


सदस्य टीम प्रबंधन

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाई

निभत बा दरद से निभे दीं मिताई 

 

बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत
कइलका कहाई अलाई बलाई 

 

बहाना बनाके कटावत बा कन्नी
मने मन गुनीं अब.. का कइनीं भलाई 

 

ऊ कवना घड़ी में कवन जोग जागल
जमुन-गंग के बीच लउकत बा खाई 

 

धरा बन गगन जन-बसाहट में बा ऊ
जे बाटे गते गत त के अब लुकाई 

 

भले हम ना बोलीं मगर सभ बुझाला
कहाँ से ई उनका बा पदवी कमाई 

 

दलानी के पल्ला का खड़कल तनिक में
उठल डेग दुअरा के दियरी मिझाई

 

इसऽरे इसऽरे में बरिसल ऊ बादर
चढ़ल देह दरिया में चटकल कलाई 

***

(मौलिक आ अप्रकाशित) 

  • up

    Shyam Narain Verma

    नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर
    1