Shukriya mujhe aamantrit karne ka...thodi samay ki asuvida hai...parantu aane ki koshish karungi...main jyada samay nahi de paati...chhama prarthi....naman
I just saw that we now have 10 members. The last I saw was a number "6".
Every member is going to add more enrichment and fun for us all. Thank you and congratulations. You may wish to offer this " enrichment" to your friends of "like mind", by extending to them an invitation to join this आध्यातमिक चिंतन group.
हिन्दी भाषा मुझको बहुत प्यारी है। इसीलिए मेरी कविताएँ ९०% हिन्दी में ही हैं।
मैं और मेरी जीवन साथी, नीरा जी, आपस में हिन्दी में ही वार्तालाप करते हैं। परन्तु, आध्यात्मिक क्षेत्र में मेरी शिक्षा अंग्रेज़ी में हुई है क्यूँ कि रामाकृष्ण मिश्न और चिन्मया मिश्न के सभी स्वामी जिनसे हमें आध्यात्मिक शिक्षा मिली, वह अन्ग्रेज़ी में ही मिली। इतना ही नहीं, इस विषय पर अच्छी पुस्तकें बहुधा अन्ग्रेज़ी में ही उपलब्ध हैं। मेरे निजी पुस्तकालय में आध्यात्मिक्ता पर लगबघ १०० से अधिक पुस्तकें हैं, और इनमें केवल एक ही हिन्दी में है, और उसमें व्याख्या इतनी अच्छी नहीं दी गई। अन्ग्रेज़ी में यह शिक्षा होने का नुक्सान यह रहा कि इस विषय पर हमें हमारे विचार अन्ग्रेज़ी में ही आते हैं।
अत: मैं आपसे वायदा करता हूँ कि कुछ समय के बाद मैं लेख हिन्दी में भी भेजूँगा।
आप गहरे विश्वास के साथ जों भी अपेक्षा करते हैं ,वह स्वयं पूरी होने वाली भविष्यवाणी बन जाती हैं[self fulfilling prophecy]|आपको जिंदगी में वही मिलता हैं जिसकी आप अपेक्षा करते हैं | आपकी जों खुद से अपेक्षाएं होती हैं ,आप उनसे ऊँचे कभी नही उठ सकतें |चूँकि वे पूरी तरह से आपके नियंत्रण में होंती हैं इसलिए यह सुनिश्चित करना हैं की आपकी अपेक्षाएं उस जीवन के अनुरूप हों,जिसे आप भविष्य में सच होने की आशा रखतें हैं |खुद से हमेशा सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा रखें | सिर्फ सकारात्मक अपेक्षाओ की शक्ति ही आपके पूरे व्यक्तित्व को बदल सकती हैं …..साथ ही आपकी जिंदगी को |
अपने आपको वह चीज करते या होते या पाते सोंचे या कल्पना करें जिसके लिए आप मेहनत कर रहें हैं |सभी विवरण भरें |महसूस करें ,देंखे ,चंखे ,स्पर्श करें ,सुने !अपनी नई स्थिति पर दूसरे लोगों की प्रतिक्रियाओ पर ध्यान दें |चाहें उनकी प्रतिक्रियाएं जों भी हों ,कहें की आपके लिए सब ठीक हैं | *************************************** जब आप रात को सोने जातें हैं तो अपनी आँखे बंद किजीयें और फिर से अपने जीवन की सभी अच्छी बातों के लिए आभार जताएं |इससे और भी अच्छी बातें होंगी | *************************************** शान्ति से सोने जाएँ |भरोसा रखें की जीवन की प्रक्रिया आपके पक्ष में हैं और वह आपकी बेहतरी तथा खुशियों का ध्यान रख रही हैं| ********************************************* आपके हृदय में इतना प्रेम हैं की आप पूरी पृथ्वी का उपचार कर सकते है|लेकिन फ़िलहाल चलो इस प्रेम को केवल अपने उपचार के लिए इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करें |अपने हृदय के केन्द्र में एक गर्माहट ,एक सौम्यता ,एक नरमी आतें देखे |इस भावना को अपने सोचने और बोलने के तरीको को बदलनें दें |
नाम दया का तू है सागर......सत्य की ज्योति जलाये........सुख लाये तेरो नाम..! जो ध्याये फल पाये........मैंने नाम सुमिरन का साक्षात् प्रभाव और महत्व दोनों का अनुभव सहज में ही परख लिया है। वास्तव में जो सुख में जीता है, उसे न तो नाम सुमिरन का महत्व समझ में आता है और न ही ईश्वर से साक्षात् ही कर पाता है। वह केवल अपने स्वार्थ में लिप्त रह कर केवल कपट और मोह मे ही फॅसा रहता है। वास्तविकता तो यह है जो व्यक्ति स्वयं को अकिंचन, शून्य और अनाथ मान कर परबृहम की सत्यता पर विश्वास कर पूर्ण रूपेण आस्था में रम जाता है। उसे ही उचित समय पर अथवा अन्त में नाम सुमिरन के प्रभाव, स्वरूप, सत्य व सुख की प्राप्ति होती है। सत्य का परिणाम देर से ही सही किन्तु उज्ज्वल ही मिलता है।
मैं अपने मित्र श्री राज कुमार जी का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने ओबीओ के इस अतिश्लीष्ट " अध्यात्मिक चिंतन " प्रभाग में मुझे आमंत्रित किया . यह तो जीवन को भी सर्वश्रेष्ठ हेतु देने का उपक्रम है .जय श्रीकृष्ण .
Before I was fully awake in the morning, some sort of mental rumblings were going on inside me in the form of a subtle prayer to my Lord sub-consciously. I have tried to pen them down below:
मेरे ह्रदय में मेरे मालिक का दिव्य प्रकाश विद्यमान है जो मुझे अपनी और आकृष्ट कर रहा है. All that is me, I, or mine has to get merged and consumed in You. I seek no another life on earth as a mortal human being. Let this be my final drama on earth and let all impressions and seeds of impressions get annulled once and for good in You!
All my recognitions, identities, persona, wealth, and character is but an incomplete story of an endless fulfilment of a never-ending chain of desires that led me astray from my real goal in life: to become one with You, My Master!
O Master, make me capable of not falling prey to any material cravings and any carnal inducements, leading me on my way to spiritual glory of the ever shining effulgence of your ubiquitous and ever-present spirit!
Life is because of this enigma of love is. So, let us not judge others. Nothing is absolutely good or bad or in the purest element through this transition called life, which we may call a seed of love flowering in each one of us day by day, and thus remaining hidden to us in a corresponding ratio, shedding the shell around it in variable degrees through miseries and mirth, successes and failures, and joys and sorrows of this empirical and experiential melodrama we call life.
इस समूह के सभी आदरपात्र सदस्यों को सादर अभिनन्दन वन्दन!
अध्यात्मिकता के इतने गहन विषयों पर चिन्तन कर बोधगम्य लेख प्रस्तुत करने वाले सभी सुधीजनों का मेरा हृदय से आभार,क्योंकि अध्यात्मिक लेख या तो हमें मनन के लिए प्रेरित करते हैं या एक अद्भुत् शान्ति प्रदान करते हैं।
अभी जहां तक मेरे संज्ञान में है,समूह में कोई भी ऐसा लेख नहीं प्रस्तुत हुआ जो 'मानव जीवन की सार्थकता और उद्येश्य' पर केन्द्रत हो। करबद्ध निवेदन के साथ मेरी जिज्ञासा इसी विषय('जीवन का वास्तविक उद्येश्य') पर एक लेख का सादर आह्वाहन करती है।
सादर प्रतीक्षारत्
-वन्दना
सदगुरू की शरण में साघो, तज दो यह शरीर। बुधिद निर्मल हो जाये, मन बन जाये फकीर।।
वायु प्राण में रमता, प्राण से सजा शरीर। देह में उपजें सारे, ये कपट वचन के तीर।। वाणी मे बसते हैं, सदगुरू के गुन तहरीर। कि मधुमय बानी बोले, मन बन जाये फकीर।।1
सदगुरू है मेरा नगीना, चित साधे सद रंग। ज्यों-ज्यों साधू मैं वारे, त्यों-त्यों धारे सतरंग।। इन रंगों में रगते हैं, आशा-स्मृति-तेज-नीर। कि सदगुरू में ध्यान लगायें, मन बन जाये फकीर।।2
अन्न - ज्ञान - विज्ञान भरे रस, मंत्रों का उपचार। सदगुरू ज्ञान सरस गंगा, मिले मुकित का अधिकार।। मिटे रोग-जरा-भय-मृत्यु, बदले साधक की तकदीर। तत्व ज्ञानी गुरू कृपा से, मन बन जाये फकीर ।।3
आ0 सुधीजनों. सादर प्रणाम! मैं करीब 10 वर्षो तक साहित्य से दूर आध्यातिमक और धार्मिक विचारों में डूब गया था। जहां मैंने विभिन्न धर्म ग्रंथो, वेदों और उपनिषदों के ऋचाओं विशेष कर गीता के गूढ़ रहस्यों को समझने की कोशिश की। शुष्क व गहन विषयों पर विचारों को शब्दों में पिरोता रहा। अपनी बुधिद और विवेक की सीमाओं में मैं जो कुछ भी सहेज सका, उनको सहजता की मालाओं में जप किया। जब कभी मन उद्विग्न होता है तो.......इसी में खो जाता हूं। जय जय श्री राधे............... हार्दिक आभार। सादर,
Admin
आदरणीय श्री विजय निकोर जी एवं अन्य सदस्यों के अनुरोध पर "आध्यात्मिक चिंतन" समूह का सृजन कर दिया गया है, आप सभी का स्वागत है ।
Feb 4, 2013
लक्ष्मण रामानुज लडीवाला
ओ बी ओ प्रबंधक टीम का स्वागत योग्य निर्णय है ।
Feb 4, 2013
Aarti Sharma
अपने मन-पसंद विषय "आध्यात्मिक चिंतन" के सृजन पर हार्दिक ख़ुशी हो रही है .मै तहे दिल से
ओ बी ओ प्रबंधक टीम का धन्यवाद करती हु...आभार
Feb 4, 2013
vijay nikore
मित्रो,
आप सब को बधाई और आप सभी को धन्यवाद भी।
अभी-अभी प्राची जी से भी बात हुई थी, वह भी बहुत प्रसन्न हैं
Admin के निर्णय से।
वन्दे मातरम!
सादर और सस्नेह,
विजय निकोर
Feb 4, 2013
vijay nikore
प्रिय मित्रगण,
आप सभी से अनुरोध है कि आप शीघ्र इस नए समूह के सदस्य बनें
ताकि हम सब एक दूसरे के विचारों का आनन्द ले सकें।
और हाँ, आप सभी कृप्या अपनी मन-पसंद की विषय-सूचि भी भेजें, ताकि
हम आपकी इच्छा का आदर कर सकें।
सादर,
विजय निकोर
Feb 4, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh
आदरणीय एडमिन महोदय,
हम सबके अनुरोध पर आध्यात्मिक चिंतन समूह का अविलम्ब गठन करने के लिए आपका और ओबीओ प्रबंधन का हृदय से आभार.
सादर.
Feb 4, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आध्यात्मिक चिंतन समूह.. .
आध्यात्म क्या है, जानना अच्छा लगा.. .
Feb 4, 2013
सदस्य कार्यकारिणी
rajesh kumari
अध्यात्म पर पहली पोस्ट पढ़ी अच्छी लगी धीरे धीरे समझने कि कोशिश करूँगी हार्दिक आभार आदरणीय
Feb 4, 2013
Anwesha Anjushree
Shukriya mujhe aamantrit karne ka...thodi samay ki asuvida hai...parantu aane ki koshish karungi...main jyada samay nahi de paati...chhama prarthi....naman
Feb 4, 2013
vijay nikore
My "dear" friends:
I just saw that we now have 10 members. The last I saw was a number "6".
Every member is going to add more enrichment and fun for us all. Thank you and congratulations. You may wish to offer this " enrichment" to your friends of "like mind", by extending to them an invitation to join this आध्यातमिक चिंतन group.
With regards and care,
Vijay Nikore
Feb 7, 2013
vijay nikore
Feb 8, 2013
vijay nikore
Welcome to new members of this Group ... Deepti Sharma ji and Dinesh Pareek Ji.
Looking forward to your active participation.
Vijay Nikore
Feb 14, 2013
sanjiv verma 'salil'
जब ज्ञान दें / गुरु तभी नर/ निज स्वार्थ से/ मुँह मोड़ता।
तब आत्म को / परमात्म से / आध्यात्म भी / है जोड़ता।।
( छंद विधान: हरिगीतिका X 4 = 11212 की चार बार आवृत्ति)
Feb 15, 2013
vijay nikore
प्रिय मित्रो,
इस समूह पर नए सदस्यों का हार्दिक स्वागत है,
और अन्य सदस्यों को भी मेरा सादर अभिनन्दन!
इस समूह को आरम्भ हुए अभी केवल ११ दिन हुए हैं,
और अब हम १९ सदस्य हैं। स्पष्ट है कि इस चिंतन-क्षेत्र
में obo पर पर्याप्त रूचि है।
यह समूह बनाने के लिए obo admin को धन्यवाद।
आशा है कि अब आगे बढ़ने के लिए हम सभी यहाँ
अपने योगदान से एक-दूसरे के चिंतन को समृद्ध करेंगे।
इस पर ४ लेख post हो चुके हैं.. उन पर भी शीघ्र अपने
अमूल्य दार्शनिक विचार दें, और नए लेख लिख कर
अपने विचारों का रसास्वादन कराएँ।
सादर और सस्नेह,
विजय निकोर
Feb 17, 2013
ajay yadav
आप गहरे विश्वास के साथ जों भी अपेक्षा करते हैं ,वह स्वयं पूरी होने वाली भविष्यवाणी बन जाती हैं[self fulfilling prophecy]|आपको जिंदगी में वही मिलता हैं जिसकी आप अपेक्षा करते हैं |
आपकी जों खुद से अपेक्षाएं होती हैं ,आप उनसे ऊँचे कभी नही उठ
सकतें |चूँकि वे पूरी तरह से आपके नियंत्रण में होंती हैं इसलिए यह सुनिश्चित करना हैं की आपकी अपेक्षाएं उस जीवन के अनुरूप हों,जिसे आप भविष्य में सच होने की आशा रखतें हैं |खुद से हमेशा सर्वश्रेष्ठ की अपेक्षा रखें |
सिर्फ सकारात्मक अपेक्षाओ की शक्ति ही आपके पूरे व्यक्तित्व को बदल सकती हैं …..साथ ही आपकी जिंदगी को |
Feb 19, 2013
ajay yadav
अपने आपको वह चीज करते या होते या पाते सोंचे या कल्पना करें जिसके लिए आप मेहनत कर रहें हैं |सभी विवरण भरें |महसूस करें ,देंखे ,चंखे ,स्पर्श करें ,सुने !अपनी नई स्थिति पर दूसरे लोगों की प्रतिक्रियाओ पर ध्यान दें |चाहें उनकी प्रतिक्रियाएं जों
भी हों ,कहें की आपके लिए सब ठीक हैं |
***************************************
जब आप रात को सोने जातें हैं तो अपनी आँखे बंद किजीयें और फिर से अपने जीवन की सभी अच्छी बातों के लिए आभार जताएं |इससे और भी अच्छी बातें होंगी |
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शान्ति से सोने जाएँ |भरोसा रखें की जीवन की प्रक्रिया आपके पक्ष में हैं और वह आपकी बेहतरी तथा खुशियों का ध्यान रख रही हैं|
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आपके हृदय में इतना प्रेम हैं की आप पूरी पृथ्वी का उपचार कर सकते है|लेकिन फ़िलहाल चलो इस प्रेम को केवल अपने उपचार के लिए इस्तेमाल के लिए इस्तेमाल करें |अपने हृदय के केन्द्र में एक गर्माहट ,एक सौम्यता ,एक नरमी आतें देखे |इस भावना को अपने सोचने और बोलने के तरीको को बदलनें दें |
Feb 19, 2013
vijay nikore
आशा जी,
इस समूह पर आपका स्वागत है।
आशा है हम सभी के चिंतन के लिए आप अपने विचार शीघ्र लिखेंगी।
विजय निकोर
Mar 6, 2013
केवल प्रसाद 'सत्यम'
नाम दया का तू है सागर......सत्य की ज्योति जलाये........सुख लाये तेरो नाम..! जो ध्याये फल पाये........मैंने नाम सुमिरन का साक्षात् प्रभाव और महत्व दोनों का अनुभव सहज में ही परख लिया है। वास्तव में जो सुख में जीता है, उसे न तो नाम सुमिरन का महत्व समझ में आता है और न ही ईश्वर से साक्षात् ही कर पाता है। वह केवल अपने स्वार्थ में लिप्त रह कर केवल कपट और मोह मे ही फॅसा रहता है। वास्तविकता तो यह है जो व्यक्ति स्वयं को अकिंचन, शून्य और अनाथ मान कर परबृहम की सत्यता पर विश्वास कर पूर्ण रूपेण आस्था में रम जाता है। उसे ही उचित समय पर अथवा अन्त में नाम सुमिरन के प्रभाव, स्वरूप, सत्य व सुख की प्राप्ति होती है। सत्य का परिणाम देर से ही सही किन्तु उज्ज्वल ही मिलता है।
Mar 25, 2013
विजय मिश्र
मैं अपने मित्र श्री राज कुमार जी का हृदय से आभारी हूँ जिन्होंने ओबीओ के इस अतिश्लीष्ट " अध्यात्मिक चिंतन " प्रभाग में मुझे आमंत्रित किया . यह तो जीवन को भी सर्वश्रेष्ठ हेतु देने का उपक्रम है .जय श्रीकृष्ण .
Jun 11, 2013
राज़ नवादवी
Before I was fully awake in the morning, some sort of mental rumblings were going on inside me in the form of a subtle prayer to my Lord sub-consciously. I have tried to pen them down below:
मेरे ह्रदय में मेरे मालिक का दिव्य प्रकाश विद्यमान है जो मुझे अपनी और आकृष्ट कर रहा है. All that is me, I, or mine has to get merged and consumed in You. I seek no another life on earth as a mortal human being. Let this be my final drama on earth and let all impressions and seeds of impressions get annulled once and for good in You!
All my recognitions, identities, persona, wealth, and character is but an incomplete story of an endless fulfilment of a never-ending chain of desires that led me astray from my real goal in life: to become one with You, My Master!
O Master, make me capable of not falling prey to any material cravings and any carnal inducements, leading me on my way to spiritual glory of the ever shining effulgence of your ubiquitous and ever-present spirit!
Your eternal servant
राज़ नवाद्वी, भोपाल,
गुरुवार, जुलाई ११, ०६:३० प्रातःकाल
Jul 19, 2013
राज़ नवादवी
Life is because of this enigma of love is. So, let us not judge others. Nothing is absolutely good or bad or in the purest element through this transition called life, which we may call a seed of love flowering in each one of us day by day, and thus remaining hidden to us in a corresponding ratio, shedding the shell around it in variable degrees through miseries and mirth, successes and failures, and joys and sorrows of this empirical and experiential melodrama we call life.
© Raz Nawadwi
Bhopal, 12.50 am, 19/09/2012
Jul 19, 2013
Vindu Babu
अध्यात्मिकता के इतने गहन विषयों पर चिन्तन कर बोधगम्य लेख प्रस्तुत करने वाले सभी सुधीजनों का मेरा हृदय से आभार,क्योंकि अध्यात्मिक लेख या तो हमें मनन के लिए प्रेरित करते हैं या एक अद्भुत् शान्ति प्रदान करते हैं।
अभी जहां तक मेरे संज्ञान में है,समूह में कोई भी ऐसा लेख नहीं प्रस्तुत हुआ जो 'मानव जीवन की सार्थकता और उद्येश्य' पर केन्द्रत हो। करबद्ध निवेदन के साथ मेरी जिज्ञासा इसी विषय('जीवन का वास्तविक उद्येश्य') पर एक लेख का सादर आह्वाहन करती है।
सादर प्रतीक्षारत्
-वन्दना
Sep 25, 2013
केवल प्रसाद 'सत्यम'
!!! भजन !!!
सदगुरू की शरण में साघो, तज दो यह शरीर।
बुधिद निर्मल हो जाये, मन बन जाये फकीर।।
वायु प्राण में रमता, प्राण से सजा शरीर।
देह में उपजें सारे, ये कपट वचन के तीर।।
वाणी मे बसते हैं, सदगुरू के गुन तहरीर।
कि मधुमय बानी बोले, मन बन जाये फकीर।।1
सदगुरू है मेरा नगीना, चित साधे सद रंग।
ज्यों-ज्यों साधू मैं वारे, त्यों-त्यों धारे सतरंग।।
इन रंगों में रगते हैं, आशा-स्मृति-तेज-नीर।
कि सदगुरू में ध्यान लगायें, मन बन जाये फकीर।।2
अन्न - ज्ञान - विज्ञान भरे रस, मंत्रों का उपचार।
सदगुरू ज्ञान सरस गंगा, मिले मुकित का अधिकार।।
मिटे रोग-जरा-भय-मृत्यु, बदले साधक की तकदीर।
तत्व ज्ञानी गुरू कृपा से, मन बन जाये फकीर ।।3
के0पी0सत्यम / मौलिक व अप्रकाशित
Oct 24, 2013
केवल प्रसाद 'सत्यम'
आ0 सुधीजनों. सादर प्रणाम! मैं करीब 10 वर्षो तक साहित्य से दूर आध्यातिमक और धार्मिक विचारों में डूब गया था। जहां मैंने विभिन्न धर्म ग्रंथो, वेदों और उपनिषदों के ऋचाओं विशेष कर गीता के गूढ़ रहस्यों को समझने की कोशिश की। शुष्क व गहन विषयों पर विचारों को शब्दों में पिरोता रहा। अपनी बुधिद और विवेक की सीमाओं में मैं जो कुछ भी सहेज सका, उनको सहजता की मालाओं में जप किया। जब कभी मन उद्विग्न होता है तो.......इसी में खो जाता हूं। जय जय श्री राधे............... हार्दिक आभार। सादर,
Oct 24, 2013