गुरू जी के स्थान पर आप मुझे नाम से संबोधित करेंगे तो मुझे सहज लगेगा।
मैनें आरंभ में ही कह दिया कि मैं स्वयं सतत् विद्यार्थी हूँ ग़ज़ल विधा का और मानता हूँ कि इसमें एक दूसरे से सीखने को बहुत कुछ है। मेरा प्रयास वह साझा करने का रहेगा जो मुझे ज्ञात है। गुरू कहलाने के लिये आवश्यक गुरुत्व का अभाव होने से मैं आपके बीच एक ऐसे सहपाठी के रूप में उपस्थित हूँ जो अन्य पाठशालाओं से पढ़कर आयेगा और प्रयास करेगा कि सरल रूप में विधा की जानकारी प्राप्त हो।
जैसे-जेसे हम आगे बढ़ेंगे मेरी बात और स्पष्ट होती जायेगी, जहॉं मैं उत्तर देने में स्वयं को अक्षम पाऊँगा वहॉं अपने सम्पर्कों का भरपूर उपयोग करने का प्रयास करूँगा।
अरुण जी और भाई विवेक जी , रुक्न की गिनती थोडा आगे की बात है , अभी आदरणीय तिलक सर से मैंने निवेदन किया है कि आप ग़ज़ल कि क ख ग पहले बताये ताकि वो विद्यार्थी भी सिख सके जो अभी अभी गदहिया गोल( नर्सरी ) में नामांकन ले रखा है |
आदरणीय ,तिलकराज जी आपके इस कार्य की जितनी प्रशंशा करून कम है.में भी एक विद्यार्थी के तौर पर नर्सरी कक्षा में प्रवेश लेना चाहता हूँ , कुछा गीत और ग़ज़लें भी लिखीं हें लेकिन में स्वयं उनसे बिलकुल भी संतुष्ट नहीं हूँ.आशा है मुझे
ग़ज़ल का समझना स्वयं मेरे लिये एक चुनौती रहा है, और इंटरनैट पर इसकी जानकारी मिलने के पूर्व तक कहीं से इसका आधार ज्ञान भी मुझे प्राप्त नहीं था। यही आधार है प्राप्त ज्ञान को साझा करने का, इसमें प्रशंसनीय कुद विशेष नहीं, एक भावना भर है।
यह ग्रुप, एक ग्रुप ही है, जिसमें स्वाभाविक है कि बहुत से सदस्य ऐसे भी रहेंगे जो पूर्व से बहुत कुछ जानते होंगे और परस्पर चर्चा के माध्यम से जो कुछ उन्हें ज्ञात है वह साझा करेंगे।
जो सदस्य बन गया, उसे पृथक से अनुमति की तो कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।
इसे इस रविवार तक इसीलिये रोका गया है कि कुछ और सदस्य ग्रुप में सम्मिलित हो जायें।
mujhe gajal aur kavitaao me basic difference samjhna hai ? sir ji kya aap mujhe bata sakte hai ki gajal ko likhne ke liye urdoo gyan hona anivaary hai ya nahi?
ग़ज़ल काव्य का ही एक स्वरूप है जो अतिरिक्त नियमों से नियंत्रित होता है। आधार जानकारी देखें। ग़ज़ल किसी भी ऐसी भाषा में कही जा सकती है जो ग़ज़ल के नियमों का पालन कर सके।
धन्यवाद तिलक राज कपूर जी आपके इस मार्गदर्शन के लिए, ये जानकारी मुझ जैसे लोगो के लिए वरदान साबित होगी, मे तोड़ा बहुत लिखता था अब तक पर इंसब तकनीकी बतो से अनजान था, लिखने का शोक मुझे कई शायरो को पड़ने और सुनने के साथ हुआ था, और काफ़ी छोटी उम से मे तुकबंदी करता था, जब मे 5वी कक्षा मे था, तब मुझे राज्यस्तरीय स्वारचित कविता मे प्रथम पुरूस्कर भी मिला, पर तब से आज तक ये तकनीकी बाते मे नही जनता था, और आज जिस महॉल मे हू जहा गजल शायरी कोई समझता ही नही हे, मे धन्यवाद करना चाहता हू Openbooks online pariwar का भी की उन्होने मुझ जैसे लोगो को अपने अंदर की प्रतिभा को बचाने का एक मोका दिया हे और धनयवाद तिलक राज जी, आप को अब से अपना गुरु मान लिया है, बहुत कमजोर विधयर्थी हू आप को ज़्यादा ध्यान देना पड़ेगा . :)
sir,Ghazal ke Baare mein main Itana hi kahoongaa,kisi Shayar ka ek kataa yaad aaya ki,Chaand ek tootaa huaa tukadaa mere zaam ka hein,ye meraa khyaal nhin hazrte-khayyaam ka hein,hamse poocho ghazal maangtee hein kitnaa lahoo,aur loog ye kahate he ki ye dhandha aaraam ka hein.Sukriya
आपने कहा कि: चॉंद एक टूटा हुआ टुकड़ा मेरे जाम का है ये ख्याल मेरा नहीं हज्रते खय्याम का है हमसे पूछो कि ग़ज़ल मॉंगती है कितना लहू लोग तो कहते हैं ये धंधा बड़े आराम का है।
वाह भाई खूब लेकर आये आप, गज़ल कह देना और ग़ज़ल कहना, इन दोनों के बीच का अंतर जानने वाला कभी ग़ज़ल कहने को आसान नहीं कहेगा लेकिन फिर भी यह सत्य है कि शेर निकाले नहीं जाते, निकलते हैं। जब निकाले जाते हैं तो सरकस के शेर होते हैं और जब निकलते हैं तो पूरी शानो शौकत से सीना तान कर अपना सौन्दर्य बिखेरते हैं।
नमस्कार । मेरी हिन्दी कमजोर है माफ किजिएगा क्यों कि मेरी मातृभाषा नेपाली है । तिलकजी, मैं नेपाल से हूँ। ३० साल से नेपाली भाषा में गजल लिख रहा हूँ। नेपालमें कुछ ही गिनेचुने लोग हैं जो बह्र मे गजल कहते हैं । नेपालमें ज्यादातर लोग स्वनिर्मित लयमें गजल कहते हैं जो लोकलय से लेकर अपनी ही कुछ लय हो सकते है । लेकिन हम कुछ शायर मिलकर यह प्रयास कर रहें है लोगोंको सम्झाने कि "बह्र में लिखना ही असल में गजल लिखना होता है" ।
मेरा पहला सवाल है - क्या हिन्दी या उर्दू में भी लोग स्वनिर्मित लयमें गजल कहते है?
हिन्दी और नेपाली दोनों देवनागरी लिपीमें लिखे जाते हैं । दोनों भाषाओंका करीब वही मात्राऐं होतें हैं । नेपालीमें क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ य़ नहीं होते । हम "ग़ज़ल"को "गजल" लिखते है । लेकिन अन्य स्वर और व्यञ्जन करीब वही हैं । तक्तिअ करनेके तरीके भी वही वही है । लेकिन क्यूँकि बह्रें उर्दू से हिन्दीमें या नेपालीमें प्रवेश कियें है तो कुछ नियममें अभी भी बहुत कन्फ्यूजन है ।
अब तक हम किताबों से इन्टरनेट से और आपका पाठशाला से बहुत कुछ सिखरहें हैं । अध्ययन और अभ्यास भी है । लेकिन गुरु नहीं जो गजलमें बह्रका बारिकीओंको सिखाए । बह्रकी बहुत नियम हैं जो अभी भी बहुत साफ नहीं है लोगोंमें । अभी भी मात्रा गिराना या "के को" इत्यादिका लघु या गुरु दोनों मान्ना वर्जितप्राय: है नेपालमें । गुरुको दो लघु भी करनेका प्रावधान है या ३ मात्राओंको १ + २ करनेका भी । यह सब सम्झाने के लिए अभी भी मुश्किलोंका सामना कर रहें है हम ।
इस विषयको आप कुछ संक्षिप्त परिचय और सभी बह्र में निश्चित लय¸ यति और गतिका नियम है जो आपकी पाठशालामें इन्हें सामिल करेंगें तो बहुत लाभदायक होगा ।
मेरा एक सुझाव है. ग़ज़ल की कक्षा में नियमित अंतराल पर आपकी पोस्ट्स तो आती ही रहती हैं. अब यदि किसी को पिछली किसी कक्षा से सम्बंधित कोई 'संदेह' हो या कोई 'प्रश्न' पूछना हो तो इसके लिए अलग से 'ग़ज़ल से सम्बंधित शंका-समाधान/संदेह प्रश्नोत्तरी' जैसा कोई फोरम भी होना चाहिए ताकि नए विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान भी हो सके. हाँ, इससे आपकी व्यस्तता थोड़ी बढ़ेगी जरूर, लेकिन जो विद्यार्थी कमजोर हों या जिनके मन में कोई शंका हो, उनके लिए यह फोरम किसी 'एक्स्ट्रा क्लास' की तरह होगा.
आदरणीय तिलकराजजी, यह तो आपकी दरियादिली है कि मुझसे हुई देर के बावज़ूद इस देर को देर न मान अभी और देर करने का आह्वान कर रहे हैं.. आपका सादर धन्यवाद कि आपने बहुत कुछ दिया है अभी तक.
आदरणीय, इन पन्नों के माध्यम से नेपाली मूल के करुण थापाजी की जिज्ञासा (पत्र) पर आपका ध्यान अवश्य गया होगा. मैं भाई करुणजी की परेशानियों को समझ सकता हूँ. उनकी शंकाओं का समाधान जितनी जल्दी हो जाय उतना भला. इस लिहाज से अन्य बोलियों या आंचलिक भाषाओं में ग़ज़ल लिखने वालों को भी लाभ होगा.
मै सभी को यह सूचित करना चाहता हूँ की, मैं मैथिली भाषा मे गजल कहता हूँ और आज तक कभी बहर मे गजल नहीं कह पाया। मगर प्रसन्नता इस बात की है मेरे ब्लाग और पुस्तक को पढ़कर आज के तकरीबन हर मैथिली गजलकार बहर मे गजल कह रहे हैं। और इस केलिये मै आदरणीय तिलकराज जी और भाइ वीनस केसरी जी का आभारी हूँ। उन्ही से सीख कर बाँटा हूँ ज्ञान को। आज मुझे जो भी प्रसन्नता है उसके वास्तविक भागीदार यही लोग है। भाइ बागी जी तो है ही।
"मैं मैथिली भाषा मे गजल कहता हूँ और आज तक कभी बहर मे गजल नहीं कह पाया।"
" मेरे ब्लाग और पुस्तक को पढ़कर आज के तकरीबन हर मैथिली गजलकार बहर मे गजल कह रहे हैं"
भाई आशीष जी, आपकी यह दो बातें एक दुसरे का विरोध करती हैं यदि आप स्पष्ट करेंगे तो मुझे आसानी होगी आपकी पुस्तक प्र्रप्ती के लिए उचित जानकारी मुहैया करवाएं सादर venuskesari@gmail.com
सूरज है, रात अंधेरी है शब्दों की हेरा-फ़ेरी है। भावातिरेक में कुछ शब्द फि़सल गये हैं जिससे अर्थभ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है। मैनें भी जो कुछ यहॉं लिखा कहीं न कहीं से लिया हुआ था, मेरा मूल सृजन तो नहीं। ग़ज़ल की विधा को जन्मने से सजने सँवरने में सदियॉं लगी हैं, हम आप तो केवल एक ईमानदार प्रयास में हैं साझा करने के।
आशीश जी, आश्वस्त रहें। आपने जो कहा उससे आपका इस ब्लॉग, ग़ज़ल की कक्षा में लगी पोस्ट व इस सबसे जुड़े प्रयासों व व्यक्तियों के प्रति सम्मान ही ध्वनित हो रहा है। कोई अन्य विचार किसी के मन में हो ऐसा मुझे नहीं लगता।
सौरभ जी की इस ब्लॉग पर और अन्य स्थानों पर भी जो सकारात्मक भूमिका है वह स्पष्ट है। ब्लॉग जगत को ऐसे समर्पित ब्लॉगर्स की आवश्यकता निरंतर रहेगी।
आशीष जी, आपकी पुस्तक पढ़ी मुझे पता नहीं था कि आपने पुस्तक में वो आलेख भी प्रकाशित करवाया है जो अपने ब्लॉग पर लिखे हैं निश्चित ही इन आलेखों से लोगों की जानकारी में वृद्धि होगी
पुस्तक पढ़ कर अच्छा लगा पुस्तक के प्रकाशन पर पुनः हार्दिक बधाई फोन पर बात करके भी अच्छा लगा
दरअसल मैं समझ नहीं पा रहा था कि, आप खुद कह रहे हैं कि पुस्तक में आपकी ग़ज़लें बे-बह्र हैं तो लोग उसे पढ़ कर बह्र की जानकारी कैसे पा सकते हैं
स्थिति स्पष्ट हुई अच्छा काम कर रहे हैं मेरी शुभकामनाएं धन्यवाद सादर
आदरणीय गुरुजनों से जो सीखा उसे बहरे मुशाकिल के रुप मे प्रस्तुत कर रहा हूँ। उम्मीद हैं कि हर बार की तरह आप लोग मेरी गलतियों की तरफ ध्यान देगें और बताने की कृपा करेगें जिससे की मै अपने आप को सुधार सकूँ। तो मैथिली भाषा के इस गजल को पढ़े।
भाई अन्चिन्हारजी, प्रस्तुत ग़ज़ल में बह्रक खूब नीक जकाँ निर्वाह भेल अछि. पहिने त अहाँ एकरा लेल बधाई स्वीकार करू. ई ग़ज़ल शिल्प आ कथ्य दुइयो कसौटी पर व्यवस्थित अछि.
adarniya sir ji aapka pahla paath sarasari tor par padaha. dobara padh raha hoon. aagya ho to apni post valvale ko class ke black bord par rakhoon. usi se shuruaat ki jaye ya fir jaisa aapk aadesh.
Tilak Raj Kapoor
प्रिय मित्रों,
गुरू जी के स्थान पर आप मुझे नाम से संबोधित करेंगे तो मुझे सहज लगेगा।
मैनें आरंभ में ही कह दिया कि मैं स्वयं सतत् विद्यार्थी हूँ ग़ज़ल विधा का और मानता हूँ कि इसमें एक दूसरे से सीखने को बहुत कुछ है। मेरा प्रयास वह साझा करने का रहेगा जो मुझे ज्ञात है। गुरू कहलाने के लिये आवश्यक गुरुत्व का अभाव होने से मैं आपके बीच एक ऐसे सहपाठी के रूप में उपस्थित हूँ जो अन्य पाठशालाओं से पढ़कर आयेगा और प्रयास करेगा कि सरल रूप में विधा की जानकारी प्राप्त हो।
जैसे-जेसे हम आगे बढ़ेंगे मेरी बात और स्पष्ट होती जायेगी, जहॉं मैं उत्तर देने में स्वयं को अक्षम पाऊँगा वहॉं अपने सम्पर्कों का भरपूर उपयोग करने का प्रयास करूँगा।
Feb 27, 2011
Tilak Raj Kapoor
Feb 27, 2011
विवेक मिश्र
Feb 27, 2011
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
Feb 27, 2011
धर्मेन्द्र कुमार सिंह
Feb 28, 2011
राजेश शर्मा
Mar 2, 2011
Tilak Raj Kapoor
जा के पैर न पड़ी बिवाई, सो का जाने पीर पराई।
ग़ज़ल का समझना स्वयं मेरे लिये एक चुनौती रहा है, और इंटरनैट पर इसकी जानकारी मिलने के पूर्व तक कहीं से इसका आधार ज्ञान भी मुझे प्राप्त नहीं था। यही आधार है प्राप्त ज्ञान को साझा करने का, इसमें प्रशंसनीय कुद विशेष नहीं, एक भावना भर है।
यह ग्रुप, एक ग्रुप ही है, जिसमें स्वाभाविक है कि बहुत से सदस्य ऐसे भी रहेंगे जो पूर्व से बहुत कुछ जानते होंगे और परस्पर चर्चा के माध्यम से जो कुछ उन्हें ज्ञात है वह साझा करेंगे।
जो सदस्य बन गया, उसे पृथक से अनुमति की तो कोई आवश्यकता प्रतीत नहीं होती।
इसे इस रविवार तक इसीलिये रोका गया है कि कुछ और सदस्य ग्रुप में सम्मिलित हो जायें।
Mar 2, 2011
sanjiv verma 'salil'
ग़ज़ल समझकर ले सकूँ, खुशी यही अरमान..
Mar 2, 2011
Tilak Raj Kapoor
आये हैं जब आप तो होगा कुछ आसान
ग़ज़ल विषय संबंध में हिन्दी भाषा ज्ञान
'सलिल' जी का तालियों के साथ सादर अभिवादन
Mar 2, 2011
praveena joshi
Mar 6, 2011
Tilak Raj Kapoor
ग़ज़ल काव्य का ही एक स्वरूप है जो अतिरिक्त नियमों से नियंत्रित होता है। आधार जानकारी देखें। ग़ज़ल किसी भी ऐसी भाषा में कही जा सकती है जो ग़ज़ल के नियमों का पालन कर सके।
Mar 6, 2011
mahesh sharma
main gajal sikhna chahta hoon.
Mar 22, 2011
nemichandpuniyachandan
Mar 23, 2011
Tapan Dubey
Mar 23, 2011
nemichandpuniyachandan
Apr 15, 2011
Tilak Raj Kapoor
चॉंद एक टूटा हुआ टुकड़ा मेरे जाम का है
ये ख्याल मेरा नहीं हज्रते खय्याम का है
हमसे पूछो कि ग़ज़ल मॉंगती है कितना लहू
लोग तो कहते हैं ये धंधा बड़े आराम का है।
वाह भाई खूब लेकर आये आप, गज़ल कह देना और ग़ज़ल कहना, इन दोनों के बीच का अंतर जानने वाला कभी ग़ज़ल कहने को आसान नहीं कहेगा लेकिन फिर भी यह सत्य है कि शेर निकाले नहीं जाते, निकलते हैं। जब निकाले जाते हैं तो सरकस के शेर होते हैं और जब निकलते हैं तो पूरी शानो शौकत से सीना तान कर अपना सौन्दर्य बिखेरते हैं।
Apr 15, 2011
मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi"
जब निकाले जाते हैं तो सरकस के शेर होते हैं और जब निकलते हैं तो पूरी शानो शौकत से सीना तान कर अपना सौन्दर्य बिखेरते हैं।
बहुत खूब तिलक सर , सहमत हूँ आपकी बातों से |
Apr 15, 2011
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
हो चुकी है देर
पर जानूँ दुरुस्त, मनाइये
जो मिले प्रसाद है मुझे,
भक्त को अपनाइये..
May 18, 2011
GOPAL BAGHEL 'MADHU'
May 25, 2011
Admin
May 25, 2011
Tilak Raj Kapoor
आप सब का स्वागत है।
सौरभ जी के लिये एक शेर:
लुत्फ़ कुछ देर से आने का अलग होता है
गर न मानें, तो कभी देर से आकर देखें।
May 25, 2011
Karun thapa
मेरा पहला सवाल है - क्या हिन्दी या उर्दू में भी लोग स्वनिर्मित लयमें गजल कहते है?
हिन्दी और नेपाली दोनों देवनागरी लिपीमें लिखे जाते हैं । दोनों भाषाओंका करीब वही मात्राऐं होतें हैं । नेपालीमें क़ ख़ ग़ ज़ ड़ ढ़ फ़ य़ नहीं होते । हम "ग़ज़ल"को "गजल" लिखते है । लेकिन अन्य स्वर और व्यञ्जन करीब वही हैं । तक्तिअ करनेके तरीके भी वही वही है । लेकिन क्यूँकि बह्रें उर्दू से हिन्दीमें या नेपालीमें प्रवेश कियें है तो कुछ नियममें अभी भी बहुत कन्फ्यूजन है ।
अब तक हम किताबों से इन्टरनेट से और आपका पाठशाला से बहुत कुछ सिखरहें हैं । अध्ययन और अभ्यास भी है । लेकिन गुरु नहीं जो गजलमें बह्रका बारिकीओंको सिखाए । बह्रकी बहुत नियम हैं जो अभी भी बहुत साफ नहीं है लोगोंमें । अभी भी मात्रा गिराना या "के को" इत्यादिका लघु या गुरु दोनों मान्ना वर्जितप्राय: है नेपालमें । गुरुको दो लघु भी करनेका प्रावधान है या ३ मात्राओंको १ + २ करनेका भी । यह सब सम्झाने के लिए अभी भी मुश्किलोंका सामना कर रहें है हम ।
इस विषयको आप कुछ संक्षिप्त परिचय और सभी बह्र में निश्चित लय¸ यति और गतिका नियम है जो आपकी पाठशालामें इन्हें सामिल करेंगें तो बहुत लाभदायक होगा ।
Jun 20, 2011
Shanno Aggarwal
आदरणीय तिलक जी,
मैं बिलकुल नयी हूँ इस कक्षा में. गजल के पाठों के लिये बहुत शुक्रिया.
Jun 21, 2011
विवेक मिश्र
आदरणीय तिलकराज जी,
मेरा एक सुझाव है. ग़ज़ल की कक्षा में नियमित अंतराल पर आपकी पोस्ट्स तो आती ही रहती हैं. अब यदि किसी को पिछली किसी कक्षा से सम्बंधित कोई 'संदेह' हो या कोई 'प्रश्न' पूछना हो तो इसके लिए अलग से 'ग़ज़ल से सम्बंधित शंका-समाधान/संदेह प्रश्नोत्तरी' जैसा कोई फोरम भी होना चाहिए ताकि नए विद्यार्थियों की शंकाओं का समाधान भी हो सके. हाँ, इससे आपकी व्यस्तता थोड़ी बढ़ेगी जरूर, लेकिन जो विद्यार्थी कमजोर हों या जिनके मन में कोई शंका हो, उनके लिए यह फोरम किसी 'एक्स्ट्रा क्लास' की तरह होगा.
-सादर
विवेक मिश्र
Jul 1, 2011
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आदरणीय तिलकराजजी, यह तो आपकी दरियादिली है कि मुझसे हुई देर के बावज़ूद इस देर को देर न मान अभी और देर करने का आह्वान कर रहे हैं.. आपका सादर धन्यवाद कि आपने बहुत कुछ दिया है अभी तक.
आदरणीय, इन पन्नों के माध्यम से नेपाली मूल के करुण थापाजी की जिज्ञासा (पत्र) पर आपका ध्यान अवश्य गया होगा. मैं भाई करुणजी की परेशानियों को समझ सकता हूँ. उनकी शंकाओं का समाधान जितनी जल्दी हो जाय उतना भला. इस लिहाज से अन्य बोलियों या आंचलिक भाषाओं में ग़ज़ल लिखने वालों को भी लाभ होगा.
सादर.
Jul 2, 2011
दुष्यंत सेवक
neeraj ji jahan tak mujhe pata hai... safeene ke maani hote hain nauka ya ... jahaaj...
Dec 30, 2011
Tilak Raj Kapoor
सफ़ीना=BOAT
Dec 30, 2011
Rajiv Gupta
नींद से जागा तो मेरी आँख में शबनम थी.
Feb 1, 2012
ASHISH ANCHINHAR
मै सभी को यह सूचित करना चाहता हूँ की, मैं मैथिली भाषा मे गजल कहता हूँ और आज तक कभी बहर मे गजल नहीं कह पाया। मगर प्रसन्नता इस बात की है मेरे ब्लाग और पुस्तक को पढ़कर आज के तकरीबन हर मैथिली गजलकार बहर मे गजल कह रहे हैं। और इस केलिये मै आदरणीय तिलकराज जी और भाइ वीनस केसरी जी का आभारी हूँ। उन्ही से सीख कर बाँटा हूँ ज्ञान को। आज मुझे जो भी प्रसन्नता है उसके वास्तविक भागीदार यही लोग है। भाइ बागी जी तो है ही।
Feb 9, 2012
वीनस केसरी
"मैं मैथिली भाषा मे गजल कहता हूँ और आज तक कभी बहर मे गजल नहीं कह पाया।"
" मेरे ब्लाग और पुस्तक को पढ़कर आज के तकरीबन हर मैथिली गजलकार बहर मे गजल कह रहे हैं"
भाई आशीष जी,
आपकी यह दो बातें एक दुसरे का विरोध करती हैं यदि आप स्पष्ट करेंगे तो मुझे आसानी होगी
आपकी पुस्तक प्र्रप्ती के लिए उचित जानकारी मुहैया करवाएं
सादर
venuskesari@gmail.com
Feb 9, 2012
Tilak Raj Kapoor
सूरज है, रात अंधेरी है
शब्दों की हेरा-फ़ेरी है।
भावातिरेक में कुछ शब्द फि़सल गये हैं जिससे अर्थभ्रम की स्थिति उत्पन्न हुई है।
मैनें भी जो कुछ यहॉं लिखा कहीं न कहीं से लिया हुआ था, मेरा मूल सृजन तो नहीं।
ग़ज़ल की विधा को जन्मने से सजने सँवरने में सदियॉं लगी हैं, हम आप तो केवल एक ईमानदार प्रयास में हैं साझा करने के।
Feb 9, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
आदरणीय तिलकराज जी... . आपकी शैली ने मोह लिया ! वस्तुतः बात यही है. .. :-)))
दूसरे, अनचिन्हार जी ने सबको संप्रेषित ’व्यक्तिगत’ मेल के प्रत्युत्तर में इस बात को स्पष्ट कर दिया है. बात यही है.
प्रसन्नता है कि अनचिन्हारजी एक गंभीर रचनाधर्मी हैं. आगे उनकी निरंतरता और उनसे अपेक्षित श्रद्धा उन्हें सफल-पल उपलब्ध करायेंगीं.
Feb 9, 2012
ASHISH ANCHINHAR
मेरे भाव को समझने केलिये धन्यवाद। मैं अपने पुस्तक का पीडीफ फाइल दे रहा हूँ। साथ-ही साथ अन्य मैथिली पुस्तक को डाउनलोड करने केलिये यहाँ आये https://sites.google.com/a/videha.com/videha-pothi/ ...AnchinharAakhar.pdf
Feb 9, 2012
Tilak Raj Kapoor
आशीश जी, आश्वस्त रहें। आपने जो कहा उससे आपका इस ब्लॉग, ग़ज़ल की कक्षा में लगी पोस्ट व इस सबसे जुड़े प्रयासों व व्यक्तियों के प्रति सम्मान ही ध्वनित हो रहा है। कोई अन्य विचार किसी के मन में हो ऐसा मुझे नहीं लगता।
सौरभ जी की इस ब्लॉग पर और अन्य स्थानों पर भी जो सकारात्मक भूमिका है वह स्पष्ट है। ब्लॉग जगत को ऐसे समर्पित ब्लॉगर्स की आवश्यकता निरंतर रहेगी।
Feb 9, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
सादर
Feb 9, 2012
वीनस केसरी
आशीष जी,
आपकी पुस्तक पढ़ी
मुझे पता नहीं था कि आपने पुस्तक में वो आलेख भी प्रकाशित करवाया है जो अपने ब्लॉग पर लिखे हैं
निश्चित ही इन आलेखों से लोगों की जानकारी में वृद्धि होगी
पुस्तक पढ़ कर अच्छा लगा
पुस्तक के प्रकाशन पर पुनः हार्दिक बधाई
फोन पर बात करके भी अच्छा लगा
दरअसल मैं समझ नहीं पा रहा था कि, आप खुद कह रहे हैं कि पुस्तक में आपकी ग़ज़लें बे-बह्र हैं तो लोग उसे पढ़ कर बह्र की जानकारी कैसे पा सकते हैं
स्थिति स्पष्ट हुई
अच्छा काम कर रहे हैं मेरी शुभकामनाएं
धन्यवाद
सादर
Feb 9, 2012
ASHISH ANCHINHAR
आदरणीय गुरुजनों से जो सीखा उसे बहरे मुशाकिल के रुप मे प्रस्तुत कर रहा हूँ। उम्मीद हैं कि हर बार की तरह आप लोग मेरी गलतियों की तरफ ध्यान देगें और बताने की कृपा करेगें जिससे की मै अपने आप को सुधार सकूँ। तो मैथिली भाषा के इस गजल को पढ़े।
दोख हम केकरा देबै इ तोहीं कह
आब किनका जरे जीबै इ तोहीं कह
नजरि भरि देखलहुँ हुनका अन्हारेमे
आब डिबिया किए लेबै इ तोहीं कह
गुजरि जाएत बिच्चे बाट नै देखत
मीत की एहने हेतै इ तोहीं कह
नै छलै ओकरा लग प्रेम की करु
असगरें हम कते देबै इ तोहीं कह
अनचिन्हारे तँ छै संसारमे ओ सभ
केकरा संग हम जेबै इ तोहीं कह
फाइलातुन-मफाईलुन-मफाईलुन
Mar 1, 2012
Tilak Raj Kapoor
भाई मेरे लिये मैथिली और अरबी फ़ारसी एक सी है, लेकिन ब्लॉग पर मैथिली पाठकों की कमी नहीं, देखें वो कया कहते हैं।
Mar 1, 2012
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
भाई अन्चिन्हारजी, प्रस्तुत ग़ज़ल में बह्रक खूब नीक जकाँ निर्वाह भेल अछि. पहिने त अहाँ एकरा लेल बधाई स्वीकार करू. ई ग़ज़ल शिल्प आ कथ्य दुइयो कसौटी पर व्यवस्थित अछि.
ई दू टा शे’र वास्ते हम विशेष साधुवाद कहि रहल छी -
नजरि भरि देखलहुँ हुनका अन्हारेमे
आब डिबिया किए लेबै इ तोहीं कह
नै छलै ओकरा लग प्रेम की करु
असगरें हम कते देबै इ तोहीं कह
वाह !
मक्ता सेहो नीक बनल अछि. किन्तु, कनिये आर कोशिश भेल रहतियैत.
धन्यवाद.
Mar 2, 2012
ASHISH ANCHINHAR
@सौरभ पांडेय--- जी उत्साह बढेबाल लेल धन्यवाद। गलती सुधारबाक कोशिशमे लागल छी हम। आशा अछि जे आगुओ एहिना हमरा सहयोग भेटैत रहत। अहाँ सँ एकटा विशेष आग्रह जे गुरुवर तिलकराज जीकेँ जँ अहाँ एकर भाव आ व्याकरण संबंधी अनुवाद दिऔन्ह। इ आग्रह मात्र आग्रह अछि।
Mar 2, 2012
PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
pranam sir ji, mujhe kuch bhi nahi ata, sikhne aayen hain. ashirvad dijiye.
Apr 3, 2012
Tilak Raj Kapoor
स्वागत है! जिन्हें कुछ नहीं आता वो जल्दी सीख जाते हैं!
Apr 3, 2012
PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA
adarniya sir ji aapka pahla paath sarasari tor par padaha. dobara padh raha hoon. aagya ho to apni post valvale ko class ke black bord par rakhoon. usi se shuruaat ki jaye ya fir jaisa aapk aadesh.
Apr 3, 2012
Tilak Raj Kapoor
यह खुली पाठशाला है जिसमे सीखनेवाले को स्वतंत्रता है के वो कैसे गए बढ़ना चाहता है!
Apr 4, 2012
नादिर ख़ान
Oct 6, 2012
बसंत नेमा
क्या बिना शेर के गजल लिखी जा सकती है
May 7, 2013
सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey
//क्या बिना शेर के गजल लिखी जा सकती है //
भाई, प्रश्न पूछने के पहले आप पहले इस समूह के आलेख पढ़ें.
May 7, 2013
Dr Ashutosh Mishra
मैं कक्षा में नया छात्र हूँ ..सभी सीनियर्स को श्रधेय गुरुदेव को सादर प्रणाम के साथ कक्षा में बैठने की अनुमति ले रहा हूँ
Jun 2, 2013
Tilak Raj Kapoor
स्वागत है आशुतोष जी।
विकास की आवश्यकता है कि ज्ञानाधार सहज, सरल व सुलभ हो।
प्रयास करेंगे तो इतना तो यहॉं पा ही लेंगे कि आधार बातें स्पष्ट हो जायें।
Jun 3, 2013
Ramkumar Nema
आदरणीय श्री तिलक राज कपूर जी वा ग़ज़ल की कक्षा के सभी सदस्यो को मेरा सादर प्रणाम मे आप सभी के स्नेह का इच्छुक हू
Jun 30, 2013