आचार्य शीलक राम

Profile Information:

Gender
Male
City State
Rohtak
Native Place
Chuliana
Profession
Professor
About me
लेखक परिचय लेखक का जन्म एक किसान परिवार में 1965 ई॰ में हुआ। लेखक ने अपनी शिक्षा की शुरूआत गांव के ही विद्यालय से शुरु करके उसमानिया विश्वविद्यालय, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से संपन्न की । लेखक ने दर्शनशास्त्र, हिंदी व संस्कृत विषयों से स्नातकोत्तर परीक्षाएं उत्तीर्ण करके दर्शनशास्त्र विषय से एम॰फिल्॰ व पीएच॰डी॰ की उपाधियां अर्जित की । इसके साथ ही लेखक महोदय ने ‘दर्शनशास्त्र’, ‘धार्मिक अध्ययन’ एवं ‘जैन-बौद्ध-गांधी व शांति अध्ययन’ विषयों से चार नेट UGC, NET परीक्षाएं उत्तीर्ण की हैं । लेखक महान दार्शनिक एवं रहस्यदर्शियों ऋषि दयानंद, योगिराज अरविंद, जिद्दू कृष्णमूर्ति आदि की योग-साधना में पारंगत तथा सनातन भारतीय हिंदू योग-साधना का कई वर्ष तक हिमालय के योगियों के मार्गदर्शन में योग-साधना किए हुए हैं । लेखक ने कई महाविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया है । इस समय लेखक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के अंतर्गत ‘दर्शन शास्त्र विभाग’ में असिसटेंट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं । लेखक ने बचपन से ही लेखन-कार्य शुरू कर दिया था । अब तक इन द्वारा पचास (50) पुस्तकों का लेखन हो चुका है जिनमें से सैंतालीस (47) प्रकाशित हो चुकी हैं । (1) एक वैज्ञानिक संत स्वामी विवेकानंद (2) अधखिले कमल (3) विश्वगुरु आर्यावर्त भारत (4) भगवान का गीत (हरियाणवी गीता) (5) अमृतकलश - धनपत सिंह निंदाणा (ग्रंथावली) (6) लूट सके तो लूट (सार्वभौम दर्शन) (7) हरियाणवी लोकसाहित्य में दर्शन की अवधारणा:पं. लखमीचंद व बाजे भगत के संदर्भ में (8) राष्ट्रनायक : हमारा हरियाणा, विकसित हरियाणा (महाकाव्य) (9) ढाई आखर प्रेम का (10) मुक्तिदाता चौधरी छोटूराम (11) प्रेम की झील में विश्वासघात के कांटे (प्रेम का दर्शन) (12) प्रेम-सरोवर (प्रेम का दर्शन) (13) प्रेम-पूजा (प्रेम का दर्शन) (14) प्रेम से प्रेम तक (प्रेम का दर्शन) (15) प्रेम की पाती (प्रेम का दर्शन) (16) दर्शन-ज्योति (दार्शनिक शोध-लेख संग्रह) (17) मैं श्री कृष्ण बोल रहा हूं! (18) समकालीन दार्शनिक जे. कृष्णमूर्ति के दर्शन में ध्यान की अवधारणा का समीक्षात्मक अध्ययन (19) ओशो ब्रह्मसरोवर (भाग-एक) (20 हरियाणवी लोककाव्य में दर्शन की अवधारणा (दार्शनिक शोध-लेख संग्रह) (21) सनातन भारतीय योग-साधना एवं इसकी विभिन्न ध्यान विधियां (22) भारतीय दर्शन की सनातन परंपरा (23) भारतीय-दर्शन के विविध आयाम (24) भारतीय-दर्शन एवं हरियाणवी लोक जीवन (25) व्यावहारिक दर्शनशास्त्र (26) आज का दर्शनशास्त्र (27) जागो भारत (Philosophy of Nation) (28) वैदिक प्रार्थना (29) भगवान बुद्ध का आर्य वैदिक सनातन हिन्दू दर्शन (30) विश्वगुरु आर्यावर्त भारत (इस पुस्तक में 12000 पद, 45000 पंक्तियां तथा 250000 शब्द मौजूद हैं। यह दूनियां का सबसे बडा महाकाव्य है। (31) दर्शनशास्त्र (32) आख्यां देखी (हरियाणवी नाटक) (33) अथातो भारतीय दर्शन शास्त्र जिज्ञासा (34) प्रेम राक्षसी (35) पं. लखमीचंद के सांगो का दार्शनिक विवेचन (दर्शन) (36) भगवान बुद्ध एवं बौद्ध दर्शन (37) पं दीनदयाल उपाध्याय का जीवन एवं जीवन दर्शन (38) प्रेम पाखंड (39) जागो हिन्दू (40) हरियाणवी लोक-कवि पंडित लखमीचन्द का "समाज दर्शन" (Social Philosophy of Pt. Lakhamichand) (तथ्य भ्रम एवं समाधान) (41) ब्रह्मज्ञानी कौन? पं. लखमीचंद, दादा बस्ती राम या बाजेभगत (42) भाजपा के गांधी पंडित दीनदयाल उपाध्याय (भाग-एक) (43) भाजपा के गांधी पंडित दीनदयाल उपाध्याय (भाग-दो) (44) हरियाणवी योगसूत्र (45) हरियाणवी लोक-कवि पंडित लखमीचन्द का दार्शनिक अध्ययन (Philosophical Thoughts of Pt. Lakhamichand) (तथ्य भ्रम एवं समाधान) (46 जीवन-दर्शन एवं संस्कृति (47) अन्नदाता भारतीय किसान लेखक हरियाणवी भाषा के भी प्रसिद्ध कवि, लेखक एवं आलोचक हैं। काव्य, आलोचना, दर्शन एवं योग में लेखक की गति विस्मकारी है। सनातन भारतीय आर्य हिंदू वैदिक संस्कृति, योग, दर्शन, जीवन- मूल्यों तथा राष्ट्र भाषा के प्रति लेखक की असीम श्रद्धा है तथा इनके प्रचार-प्रसार हेतु ये सतत् कार्यरत हैं । इसके साथ लेखक दस (10) अंतर्राष्ट्रीय रैफरीड रिसर्च जर्नल्स के संपादक एवं स्वामी हैं । इन जर्नल्स के नाम हैं - ‘चिन्तन’, ‘प्रमाण’, ‘द्रष्टा’, ‘दर्शन’, ‘दर्शन-ज्योति’, ‘स्वदेशी’, ABSURD’, AWARENESS’, ‘JUSTICE’ एवं ‘VISION’ । विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय रिसर्च जर्नल्स में लेखक के सौ (100) शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं । राष्ट्रीय दैनिक समाचार-पत्रों में भी लेखक के 300 के लगभग लेख प्रकाशित हो चुके हैं । इस समय लेखक अध्यापन के साथ-साथ योगाभ्यास करवाने, लेखन करने, राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार करने तथा सनातन भारतीय जीवन-मूल्यों की प्रासंगिकता को समस्त जगत् को समझाने हेतु कार्यरत हैं ।

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