कोई रोए, दुःख में हो बेहाल
असहाय, असुरक्षित, अभावग्रस्त
टोटा संगी-साथी, हो कती कंगाल
अत्याचार, अव्यवस्था से त्रस्त
किसी को क्या फर्क पड़ता है ।
यहां-वहां घूमे, दुःख के आंसू पीए
गिड़गिड़ाए, झुके, करे…
Posted on December 8, 2022 at 8:00pm — 1 Comment
स्वप्न अधूरे, भूखा पेट
होने को है, मटियामेट
कड़ी मेहनत, कड़े प्रयास
फिर भी बची न कोई आस।1
अनगिनत ग्रंथ, आंखें फोड़ी
मम जीवन, सम फूटी कौड़ी
सब कुछ किया, व्यर्थ जा रहा
कौन दुःख, मैंने न सहा । 2
देर तक पढ़ना, ऊंचे अंक
बेरोजगारी के, फंसा हूं पंक
कर्म का नियम, बना है निष्फल
हर पैड़ी पर, हुआ हूं असफल ।3
ऊंची-ऊंची, उपाधि अर्जित
अभिनव किया, बहुत कुछ सृजित
फिर भी यहां, नकारा बना हूं
अभाव, दुःखों से, कती सना हूं । 4
घर बैठा हूं,…
Posted on December 1, 2022 at 9:30pm
"बारहमासा"
"चैत्र" मे चित चिंतित, चंचल चहु चकोर।
प्रिया बिन सब सूना लगे, ना सुझे कौर॥
"वैशाख" वैरी विष समान, वल्लरी बन विलगाय।
दोबारा फूल खिलेंगे तभी, अनुकूल रितु को पाय॥…
Posted on November 30, 2022 at 9:00pm — 4 Comments
I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.ericaw1@gmail.com) Thanks.
स्वागत आदरणीय आचार्य शीलक राम जी
Welcome sir !
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