For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Chetan Prakash
  • Male
  • U.P
  • India
Share on Facebook MySpace

Chetan Prakash's Friends

  • DR ARUN KUMAR SHASTRI
  • sunanda jha
  • Samar kabeer
  • Manan Kumar singh
  • आशीष यादव
 

Chetan Prakash's Page

Latest Activity

Chetan Prakash posted a blog post

है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं

1212 1122 1212 22है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैंमुनाफ़िकों की है बस्ती कि वो टहलते हैंके चार सू यहाँ मरते हैं लोग तनहाई बुझे- बुझे से हैं बूढ़े कहीं निकलते हैंकि ख़ौफनाक है मंज़र ये नफ़रतों दुनिया ये ज़ालिमों की है बस्ती खला बहलते हैंवो शर्म मर गयी आँखों की ग़मज़दा हम हैं करें भी क्या अदब वाले यहाँ से चलते हैंगुलाम देते सलामी वो शाह भी खुश हैं कि मार डाले हैं दुश्मन जहाँ जो खलते हैंन आने देंगे बहारें यहाँ वो जब तक हैं वो आजमाते हैं चेतन निहाल पलते हैंमौलिक व अप्रकाशितप्रोफ. चेतन प्रकाश…See More
yesterday
Chetan Prakash posted a blog post

है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं

1212 1122 1212 22है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैंमुनाफ़िकों की है बस्ती कि वो टहलते हैंके चार सू यहाँ मरते हैं लोग तनहाई बुझे- बुझे से हैं बूढ़े कहीं निकलते हैंकि ख़ौफनाक है मंज़र ये नफ़रतों दुनिया ये ज़ालिमों की है बस्ती खला बहलते हैंवो शर्म मर गयी आँखों की ग़मज़दा हम हैं करें भी क्या अदब वाले यहाँ से चलते हैंगुलाम देते सलामी वो शाह भी खुश हैं कि मार डाले हैं दुश्मन जहाँ जो खलते हैंन आने देंगे बहारें यहाँ वो जब तक हैं वो आजमाते हैं चेतन निहाल पलते हैंमौलिक व अप्रकाशितप्रोफ. चेतन प्रकाश…See More
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-155
"2122 1212 22 (112) गिरते - गिरते कई सँभलते हैं ख़ार पाँवों से जब निकलते हैं तुम भी जानो हम उनसे जलते हैं दिन निकलते जो आँखे मलते हैं तीरगी की मिसाल बन गये हैं लोग आँखों में अब वो खलते हैं अच्छे लोगों जहाँ बसर न हुई राक्षसों में हम अब टहलते…"
May 26
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 145 in the group चित्र से काव्य तक
"कुकुभ छंदः रेगिस्तान बसर बहुत कठिन, सैलानी डग भरता है । खाली.. खाली ही दिखता है, पेट न भूखा भरता है ।। व्यर्थता जीवन की रुपायित, हड़बोंग निरर्थक सारा । मानो मानव.. की गरदन पर, क्रूरता चला है आरा ।। आकर्षण बस.. मृगमरीचिका, वह भी थोखा.. पानी का ।…"
May 20
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-154
"221     2121     1221     212 अलमस्त बतकही का मज़ा हमसे पूछिए  जाबाँज जिन्दगी का मज़ा हमसे पूछिए  शायर अकेला ही तो ज़माने से लड़ रहा आदम की गुमशुदी का मज़ा हमसे पूछिए  हालात  याँ…"
Apr 27
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव’ अंक 144 in the group चित्र से काव्य तक
"कुकुभ छंद ः टूट ..रहीं ..हैं ..जंजीरे ...या, शुरु ..हो ..गई.. है ...गुलामी । है विषय संधान का यह अब, कि पृष्ठभूमि है मियामी।। नारी मुक्ति का सिलसिला भी, आ पहुँचा गली हमारी । सर की मालिश करता भैया, भौजी ..बैठी ..पैर ..पसारी ।। नौकर चाकर छुप- छुप…"
Apr 22
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-150
"बरसे इन्द्र-देव वृथा, नई फसल बर्बाद । पकता दाना झड़ गया, ईश लगे नाशाद ।। ईश-कृपा फिर चाहिये, तब फलता श्रमदान। अटूट ....श्रद्धा ....देवता, धरती ही भगवान ।। सौ किसान के शत्रु है, कभी घात खरपात । राम- राम जपता रात्रि, कड़ी धूप बरसात ।। , नई फसल भी पक…"
Apr 16
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल ः
"आदरणीय चेतन जी अच्छा प्रयास है...आदरणीय धामी जी से सहमत हूँ..."
Mar 31
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-153
"2122 1122 1122 22 फ़ासलों से कभी मिलना नहीं आसाँ होगा अजनबी महफिलों को दिल न परेशाँ होगा ( 1 ) होंसलों से ही ज़माने को किया पस्त हमने और थोड़ा चलें पूरा ये भी अरमाँ होगा  ( 2 ) जज़्बा लड़ने का न क़मज़ोर वो होने देना साथ चलते रहेंगे हम मिशन…"
Mar 24
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Chetan Prakash's blog post गज़ल ः
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।  सबूतों बात ये कह दी अभी से"" इस पंक्ति का भाव कुछ स्पष्ट नहीं हो सका है।  अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है//इसे ऐसा करने से कुछ प्रभाव बढ़ेगा- अकेलापन सजा सबसे बड़ी है ।…"
Mar 22
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अजय जी, कुकुभ छंद में आपकी प्रस्तुति मुझे अच्छी लगी  ! लेकिन चौथे छंद की तीसरी और  चौथी पक्ति के पदान्त मुझे नियमानुसार नहीं लगे  ! दोनों ही पंक्तियाँ  के पदान्त  निष्ठा और " प्रतिष्ठा दो- दो गुरु नहीं है…"
Mar 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अजय जी, आपकी  टिप्पणी के आलोक मे  मैंने संशोधित प्रस्तुति दी है, कृपया पुन: अवलोकन करें !"
Mar 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"संशोधित प्रस्तुति कुकुभ छंद ः यह शालिग्राम शिला नहीं जो, शिव का आह्वान करेगी । बचा लेंगे शिव तुझे आपदा, शिव- शक्ति जान बख्शेगी ।। तूफानी.. लगता .. मौसम ..भी, बादल बरसेंगे भारी । मानव की औक़ात नहीं है, जान बचा कृष्ण मुरारी।। गज को ग्रहण कब लग सका…"
Mar 18
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बरसों बाद मनायें होली(गीत-२०)-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
" सरसी छंद आधारित सुन्दर  होली गीत,  बधाई,  आ. भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर  ! हाँ, वर्तनी की अशुद्धियां,  जैसे " दसकों "और "तपिष" खलती भी हैं ! "
Mar 18
Chetan Prakash posted a blog post

गज़ल ः

1222 1222 122कहूँ सच आपका कोई नहीं है जहाँ में आश्ना कोई नहीं हैसबूतों बात ये कह दी अभी से वो दुनिया में मिरा कोई नहीं हैये सब माया उसी की जो छुपा है सिवा उसके ख़ुदा कोई नहीं हैअकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है अभागा अन्यथा कोई नहीं हैंकिया जो ज़ुर्म उसने वो भरेगा वो मेरा मुँहलगा कोई नहीं हैमुखौटा कब कोई पहना है मैंने बहस ये मुद्दआ कोई नहीं हैजो है इनसान का क़ातिल बुरा है वो मुज़रिम है भला कोई नहीं हैमैं शाइर हूँ यतीमों का वो 'चेतन' भरोसा बस ख़ुदा कोई नहीं हैसज़ा मिलती कैसे मुझको वो यारों"मुझे पहचानता…See More
Mar 12
Chetan Prakash commented on Er. Ganesh Jee "Bagi"'s blog post लघुकथा : पीठ का दाग (गणेश बाग़ी)
""पऱ उपदेश कुशल बहुतेरे" को चरितार्थ करती उल्लेखनीय लघुकथा, बधाई, आदरणीय गणेश बागी जी !"
Mar 12

Profile Information

Gender
Male
City State
Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

Chetan Prakash's Photos

  • Add Photos
  • View All

Chetan Prakash's Blog

है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं

1212 1122 1212 22

है ज़हर आज हवाओं में, दिल दहलते हैं

मुनाफ़िकों की है बस्ती कि वो टहलते हैं

के चार सू यहाँ मरते हैं लोग तनहाई

बुझे- बुझे से हैं बूढ़े कहीं निकलते हैं

कि ख़ौफनाक है मंज़र ये नफ़रतों दुनिया

ये ज़ालिमों की है बस्ती खला बहलते हैं

वो शर्म मर गयी आँखों की ग़मज़दा हम हैं

करें भी क्या अदब वाले यहाँ से चलते हैं

गुलाम देते सलामी वो शाह भी खुश हैं

कि मार डाले हैं दुश्मन जहाँ जो…

Continue

Posted on May 29, 2023 at 7:30am

गज़ल ः

1222 1222 122

कहूँ सच आपका कोई नहीं है

जहाँ में आश्ना कोई नहीं है

सबूतों बात ये कह दी अभी से

वो दुनिया में मिरा कोई नहीं है

ये सब माया उसी की जो छुपा है

सिवा उसके ख़ुदा कोई नहीं है

अकेलापन बड़ी सबसे सज़ा है

अभागा अन्यथा कोई नहीं हैं

किया जो ज़ुर्म उसने वो भरेगा

वो मेरा मुँहलगा कोई नहीं है

मुखौटा कब कोई पहना है मैंने

बहस ये मुद्दआ कोई नहीं है

जो है इनसान का…

Continue

Posted on March 12, 2023 at 7:44pm — 2 Comments

गज़ल

2122  1212   22 / 112

कारवाँ प्यार का रुका क्यूँ है

हादसा आज ये हुआ क्यूँ है

गुलदस्ता वो नहीं कोई फूल नहीं

दीवाना दोस्त गुमशुदा क्यूँ है

चलनी है रहगुज़र मुझे और भी

बदगुमाँ फिर वो दिलरुबा क्यूँ है

वो जुनूँ प्यार का हवा हो गया

होंसला बारहा हुआ क्यूँ है

कौन जाने वो मसअला क्या है

राय़गाँ हुस्न अब हुआ क्यूँ है

कोई रिश्ता ठहरता ही नहीं याँ

राबतों को ये बद्दुआ क्यूँ…

Continue

Posted on February 17, 2023 at 7:43am — 1 Comment

गीत.... असल कामयाबी जीवन की

असल कामयाबी जीवन की

सहज सरल सादा जीवन हो



बचना होगा वासना लिप्सा

अतिशय कामना नहीं मन हो

चल सकता काम अगर दो रोटी

तो एक गाय कुत्ते को दे दो !

पेट भरा होने पर भैया

उसे कभी अवकाश भी दो

असल कामयाबी जीवन की

सहज सरल सादा जीवन हो

होता सूर्य है उत्तरायण

सुनहला है अब वातावरण

निकली है अब धूप धुंध से

क्षमा भाव अपनाते सज्जन

सहने की सामर्थ्य बढ़ा लो

असल कामयाबी जीवन की

सहज…

Continue

Posted on January 17, 2023 at 10:00pm — 2 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर उपस्थितिभाव.पक्ष की कमी बताते हुए मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक…"
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"मेरे सुझाव को स्वीकार कर तदनुरूप रचना में सुधार करने के लिए मैं आपका आभारी हूँ, आदरणीया विभा रानी…"
8 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"अवसर : शुभेक्षु "आपको सर्वोच्च शैक्षिक डिग्री अनुसन्धान उपाधि प्राप्त किए इतने साल गुजर गये!…"
9 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Saurabh Pandey जी हार्दिक धन्यवाद आपका गलतियाँ सुधार ली जायेंगी"
9 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"जी महोदय Manan Kumar singh जी व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियाँ हैं हार्दिक धन्यवाद आपका"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आदरणीया विभा जी, प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाइयाँ।  'कोई अपना! इतने वर्षों तक...…"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"नारी -जीवन की दुरूहता के दंश से रु -ब - रु कराती रचना।बधाइयां। हां,व्याकरण जनित/टंकण जनित त्रुटियां…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"क्या बात है !!  आपने 'अवसर' के नए आयाम प्रस्तुत किया हैं, आदरणीय तेजवीर…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, लघुकथा विधा के आप सभी पुराने कर्मी हैं। आपकी प्रस्तुति पर जानकार लोग…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"तीक्ष्णता दो पंचपंक्तियों में (मध्य की 'सरीखे' शब्दों वाली  और अंत वाली) के नैपथ्य व…"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आदाब। रचना पटल पर समय देकर मार्गदर्शक और प्रोत्साहक टिप्पणी हेतु शुक्रिया आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-98 (विषय: अवसर)
"आदरणीय अरुण कुमार शास्त्री जी, आपकी रचना प्रभावी बन पड़ी है। पाठक-सदस्यों ने अपनी समझ और अनुभव के…"
9 hours ago

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service