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Jaihind Raipuri
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Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीस गढ़ हिन्द के तैं हिरदै हव धान के कटोरा बिस्नुभोग, जवाँफूल ले भर भर बोरा तस्मई खुरमी, भजिया, लाड़ू जलेबी हरेली, मड़ई, कमरछठ, तीजा अउ पोरा बुड़ती…"
Oct 30
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला बहुत आभारी हूँ आपका आपने बहुत माकूल इस्लाह की है सिर्फ़ एक शब्द बदलने से शैर क्या से क्या हो गया बहुत धन्यवाद ज़रूरी सुधार अविलम्ब करता हूँ "
Oct 26
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"जी ज़रूर धन्यवाद! क़स्बा ए शाम ए धुँध को  "क़स्बा ए सुब्ह ए धुँध" कर लूँ तो कैसा हो कृपया बतावें! संशोधित ग़ज़ल जल्द ही पोस्ट करता हूँ "
Oct 26
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय mahendra kumar जी सादर अभिवादन बहुत धन्यवाद आपका आपने वक़्त निकाला ग़ज़ल तक आए उसे सराहा बहुत शुक्रगुज़ार हूँ आपका // फिर गाँव का वो धुँदलका याद आ गया // वास्तव में इस मिसरे का क़ाफिया इस्तेमाल करने की जल्दी में भूल हुई क्षमा चाहता हूँ नया मिसरा…"
Oct 26
Jaihind Raipuri joined Admin's group
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आंचलिक साहित्य

यहाँ पर आंचलिक साहित्य की रचनाओं को लिखा जा सकता है |See More
Oct 25
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"हर सिम्त वो है फैला हुआ याद आ गया ज़ाहिद को मयकदे में ख़ुदा याद आ गया इस जगमगाती शह्र की हर शाम है धुआँ फिर गाँव का वो धुँदलका याद आ गया दुनिया है बेवफ़ा ये नहीं जानते थे तुम क्या हो गया कि तुमको सगा याद आ गया महफ़िल में सुन के सब से मुझे ज़िक्र ए…"
Oct 25
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर, न देखें पीछा आगा देश भी टुकुर टुकुर,देखे उनको अभागा लोकतंत्र के खम्भे, चम्मच बन फेरें माला ढूंढती है जनता,किधर को गया उजाला मौलिक एवं…"
Oct 12
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
Sep 28
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन अच्छी ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई स्वीकार करें"
Sep 28
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीया रिचा यादव जी सादर अभिवादन बेहतरीन ग़ज़ल हुई है वाह्ह्हह्ह्ह्ह! शैर दर शैर दाद हाज़िर है मतला क्या ख़ूब हुआ है मक़्ता भी और सभी शैर उम्द: बहुत बधाई "
Sep 28
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर अभिवादन उम्द: ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई शैर दर शैर स्वीकार करें! ग़ुस्ताख़ी मुआफ़ करें " आज मुश्किल है किसी नाम को ज्ञानी लिखना " इस मिसरे पर थोड़ा अटक रहा हूँ "
Sep 28
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी ' मुसफ़िर' जी सादर अभिवादन!आपका बहुत- बहुत धन्यवाद आपने वक़्त दिया "
Sep 28
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर नमस्कार आपका बहुत धन्यवाद आपने समय दिया ग़ज़ल तक आए और मेरा हौसला बढ़ाया! दफ़'अ सौ सोच लेना दिल लगी की बात है ये जब किसी अजनबी के नाम जवानी लिखना ख़त के मज़मून तेरे ग़म दिये जाते हैं बहुत यार जीस्त को न मौज़ों की रवानी…"
Sep 28
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"इतना काफ़ी भी नहीं सिर्फ़ कहानी लिखना तुम तो किरदार सभी के भी म'आनी लिखना लिख रहे जो हो तो हर बात पुरानी लिखना जागी रातों की वो बेबाक जवानी लिखना इस कदर है ख़फ़ा मुझसे मेरे गेसूओं को ख़त में भी छोड़ दिया शाम सुहानी लिखना लिख सको फिर से जो तक़दीर…"
Sep 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"  ख़्वाहिश ये नहीं मुझको रिझाने के लिए आ   बीमार को तो देख के जाने के लिए आ   परदेस जा के याद भी आई न हमारी   आ मुल्क से रिश्ता तो निभाने के लिए आ   अब के जो गया लौट के आऊंगा नहीं मैं   आ एक दफ़ा और सताने के लिए…"
Aug 23
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

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At 7:31pm on August 14, 2025, Erica said…

I need to have a word privately,Could you please get back to me on ( mrs.erica@aol.com)Thanks.

 
 
 

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