For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भोजपुरी साहित्य

Information

भोजपुरी साहित्य

Open Books Online परिवार के सब सदस्य लोगन से निहोरा बा कि भोजपुरी साहित्य और भोजपुरी से जुड़ल बात ऐह ग्रुप मे लिखी सभे ।

Location: All world
Members: 174
Latest Activity: Oct 30, 2023

Discussion Forum

भोजपुरी गजल

Started by Manan Kumar singh Sep 28, 2022.

सुनीं सुनीं सरकार : आशीष यादव

Started by आशीष यादव Jan 30, 2022.

पापा के नाँवे // सौरभ 4 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by Saurabh Pandey Jul 14, 2021.

कइसे होई गंगा पार 5 Replies

Started by आशीष यादव. Last reply by आशीष यादव Aug 19, 2020.

होली -गीत

Started by Manan Kumar singh Dec 19, 2017.

भोजपुरी

Started by indravidyavachaspatitiwari Oct 30, 2017.

भोजपुरी गजल -उठि के नारी सक्ति सकार कइलs 5 Replies

Started by PRAMOD SRIVASTAVA. Last reply by Saurabh Pandey Oct 25, 2016.

भोजपुरी लधुकथा -नउटंकी। 2 Replies

Started by PRAMOD SRIVASTAVA. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA Oct 12, 2016.

करकट नर-कट 4 Replies

Started by PRAMOD SRIVASTAVA. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA Sep 23, 2016.

अकिल अझुराइल 6 Replies

Started by PRAMOD SRIVASTAVA. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA Oct 4, 2016.

लगाव गाँछि 3 Replies

Started by PRAMOD SRIVASTAVA. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA Sep 23, 2016.

गीत भोजपुरी 1 Reply

Started by रामबली गुप्ता. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA Sep 20, 2016.

प्रीत क पहुनवा 6 Replies

Started by PRAMOD SRIVASTAVA. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA Sep 10, 2016.

भोजपुरी ग़ज़ल 3 Replies

Started by Saurabh Pandey. Last reply by PRAMOD SRIVASTAVA Sep 20, 2016.

गर्मी के महीना 2 Replies

Started by indravidyavachaspatitiwari. Last reply by KALPANA BHATT ('रौनक़') Jul 22, 2016.

Comment Wall

Comment

You need to be a member of भोजपुरी साहित्य to add comments!

Comment by Naveen Mani Tripathi on March 29, 2017 at 4:01pm
एक अवधी ग़ज़ल लिखने का प्रयास 2122 1212 22

कोई पक्का मकान थोरै है ।
दिन दशा कुछ ठिकान थोरै है ।।

सिर्फ कुर्सी मा जान है अटकी ।
ऊ दलित का मुहान थोरै है ।।

ई वी ऍम में कहाँ घुसे हाथी।
छोटा मोटा निशान थोरै है।।

रोज घुड़की है देत ऐटम का ।
तुमसे जनता डेरान थोरै है ।।

लै लिहिस कर्ज पर नया टक्टर।
कौनो गन्ना बिकान थोरै है ।।

वोट खातिर पड़ा हैं चक्कर मा ।
हमरे खातिर हितान थोरै हैं ।।

रोज दाउद पकड़ि रहे तुम तो।
कौनो घर मा लुकान थोरै है।।

नोट बन्दी पे है बड़ा हल्ला ।
एको रुपया हेरान थोरै है।।

है कसाई पे अब नज़र टेढ़ी।
राह तनिको भुलान थोरै है ।।

अब तो सारा हिसाब हो जाई ।
तुम से अफसर दबान थोरै है ।।

है बड़े काम का छोटका योगी।
अइसे सीना उतान थोरै है ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
Comment by Manan Kumar singh on February 27, 2016 at 9:03pm
#गजल#
***
अइसन मौसम आइल बा
मनवा अब फगुआइल बा।1

खिल रहल बा कली गुलाबी
भौंरा खूब अगराइल बा।2

टहले के मिलल तब निमन
नाहीं तब गभुआइल बा।3

कर रहल मनुहार गुनगुन
कली अबहीं अलसाइल बा।4

पाठ पढवलख जब पुरवाई
कलिया खुल मुसुकाइल बा।5

रंग-बिरंगी छटा फिजा में
पलभर में छितराइल बा।6

चुनरी उड़ल जात हवा में
बड़गद के हिया जुराइल बा।7

बहुते उपर उड़ते-उड़ते
गमछा जाके अझुराइल बा।8

कह रहल सब लोग चहक के
अबहिंए फगुआ आइल बा।9
मौलिक व प्रकाशित@मनन
Comment by Manan Kumar singh on February 27, 2016 at 9:03pm
#गजल#
***
अइसन मौसम आइल बा
मनवा अब फगुआइल बा।1

खिल रहल बा कली गुलाबी
भौंरा खूब अगराइल बा।2

टहले के मिलल तब निमन
नाहीं तब गभुआइल बा।3

कर रहल मनुहार गुनगुन
कली अबहीं अलसाइल बा।4

पाठ पढवलख जब पुरवाई
कलिया खुल मुसुकाइल बा।5

रंग-बिरंगी छटा फिजा में
पलभर में छितराइल बा।6

चुनरी उड़ल जात हवा में
बड़गद के हिया जुराइल बा।7

बहुते उपर उड़ते-उड़ते
गमछा जाके अझुराइल बा।8

कह रहल सब लोग चहक के
अबहिंए फगुआ आइल बा।9
मौलिक व प्रकाशित@मनन
Comment by Manan Kumar singh on October 10, 2015 at 11:38pm
वोटर के उद्गार
भउजी कहली समझावल जाई,
चलीं फेर वोट गिरावल जाई।
बात बनउअल भइल बहुत अब
एकनी के आज बतावल जाई।
बहुते नाच नचवलख इ सब
एकनी के आज नचावल जाई।
बे पगहा के बैल बनल सब
पगहा आज लगावल जाई।
बेच बेच केतना खैलन सन
चलीं आज बतावल जाई।
बाँट देलख सब घर-समाज इ
एकनी के धूल चटावल जाई।
भइया-भउजी भइल बहुत
अब बढ़नी पीठ बजावल जाई
बिना किये कुछ काम अइलन सब
एकनी के दूर भगावल जाई।
घूम रहल बेलज मुँहझौंसा सब
अब दाढ़ी में आग लगावल जाई।
मौलिक व अप्रकाशित@मनन
Comment by Manan Kumar singh on October 10, 2015 at 11:37pm
वोटर के उद्गार
भउजी कहली समझावल जाई,
चलीं फेर वोट गिरावल जाई।
बात बनउअल भइल बहुत अब
एकनी के आज बतावल जाई।
बहुते नाच नचवलख इ सब
एकनी के आज नचावल जाई।
बे पगहा के बैल बनल सब
पगहा आज लगावल जाई।
बेच बेच केतना खैलन सन
चलीं आज बतावल जाई।
बाँट देलख सब घर-समाज इ
एकनी के धूल चटावल जाई।
भइया-भउजी भइल बहुत
अब बढ़नी पीठ बजावल जाई
बिना किये कुछ काम अइलन सब
एकनी के दूर भगावल जाई।
घूम रहल बेलज मुँहझौंसा सब
अब दाढ़ी में आग लगावल जाई।
@मनन
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on September 19, 2015 at 1:25pm
जिनगी जइसे कि छापल, समचार भईल बा।
पन्ना पन्ना निहारल, अख़बार भईल बा।।

केहू कुल्टा कहेला, केहू ताना सुनावे।
कउनो रहिया चलत के, गन्दा गाना सुनावे।

अब त बेहया जवानी, दुशवार भईल बा।
पन्ना पन्ना निहारल, अख़बार भईल बा।।1।।

पियवा गइलें परदेश, ना लवटलें ये देस।
जियरा पीरा से भरल, तेज लागल बा ठेस।

घर क खर्चा सम्हारल, एक पहार भइल बा।
पन्ना पन्ना निहारल, अख़बार भईल बा।।2।।

जूठ बरतन औ पोंछा, इनके ओनके घरे।
रुपिया कम परि गइल बा, पेटवा कइसे भरे।

दूध छोटका क साहिब, जुठार भइल बा।
पन्ना पन्ना निहारल, अख़बार भईल बा।।3।।

कुछ न कहेला न पूछे, बस मनवै में खीसे।
बंद कोठरी क पल्ला, देखि देखि दांत पीसे।।

बड़का बाबू लजाला, होशियार भईल बा।।
पन्ना पन्ना निहारल, अख़बार भईल बा।।4।।

ओके कइसे बताईं, आँख कइसे मिलाईं।
मजबूरी क ई पन्ना, कहा कइसे पढ़ाईं।

बिटिया बिहये क लायक, तइयार भईल बा।
पन्ना पन्ना निहारल अख़बार भईल बा।।5।।


मौलिक अप्रकाशित
Comment by Jitendra Upadhyay on May 5, 2015 at 10:47am

bahute nik ba e pagwa ta 

Comment by shwetank gupta on April 30, 2015 at 11:37am
एगो कहानी पोस्ट कइले बानी वेटिंग मे बा
Comment by Manan Kumar singh on April 14, 2015 at 11:04pm
आदरणीय बागीजी,धन्यवाद

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2015 at 9:56pm

आदरणीय मनन कुमार जी, आप अपनी रचना सामान्य टिप्पणी बॉक्स में पोस्ट कर दिए हैं जबकि आपको अपनी रचना ऊपर में +Add a Discussion विकल्प को क्लिक कर पोस्ट करनी चाहिए, वहां आपको एडिट ऑप्शन भी मिलेगा. एक बात और ध्यान रखें कि रचना के नीचे "मौलिक एवं अप्रकाशित" अवश्य लिखें. सादर.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service