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कवनो देश नाहीं सुघ्घर हिंदुस्तान से (पैरोडी)

सबसे सुंदर लुभावन पावन,
इ बा मनभावन,
कि सगरो जहान से
कौनो देश नाही सुघ्घर हिंदुस्तान से

उत्तर में देखा हो, हिमालय जेकर माथ बा
दक्षिण में फइलल सागर
गंगा कावेरी कृष्णा, नर्मदा गोदावरी
बाँटेलीं अमरित घर घर
कई तरह के फसल उगेला
कई तरह के फसल उगेला
जन गण मन हरषेला
लोग झूमेला बन मस्ताना
कि होके दीवाना
रहेला सम्मान से
कौनो देश नाहीं सुघ्घर हिंदुस्तान से

अलगे-अलग में ह एकता के छाप हो
भाषा पहिरावा भोजन
इहां से उहां तक घुमबा त पईबा
केतनन दर्शन के दरसन
उत्तर दक्षिण साथ रहेला
उत्तर दक्षिण साथ रहेला
पूरब पश्चिम साथे
माथे सबहीं लगावे ला माटी
जुड़ावेला छाती
कि एकर अभिमान से
कौनो देश नाही सुघर हिंदुस्तान से

माई के जइसन जे के देहल जाला दरजा
माई जस सम्मान हो
एकरे से जुड़ल बाड़े तन मन धनवा
माई से बा मान हो
माई खातिर जान देवेला
एकरे खातिर जान देवेला
बच्चा-बच्चा धावे
गावें गीत आशीष गवावें
परमसुख पावें
कि माई के गान से
कौनो देश नाहीं सुघ्घर हिंदुस्तान से 

मौलिक एवं अप्रकाशित

आशीष यादव

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