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फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फेलुन/फ़इलुन
इसलिये आने से कतराते हैं ईमाँ वाले
तेरे कूचे में उधम करते हैं शैताँ वाले
.
ये किसी ख़तरे की आमद का इशारा तो नहीं
ख़्वाब क्यों मुझको दिखाता है वो तूफ़ाँ वाले
.
और सब कुछ यहाँ तब्दील हुआ है लेकिन
घर में दस्तूर हैं अब तक वही अम्माँ वाले
.
बाग़बाँ ने वो सितम तोड़े हैं इनपर देखो
कितने सहमे हुए रहते हैं गुलिस्ताँ वाले
.
रह्म करना किसी बिस्मिल पे गवारा ही…
ContinuePosted on April 6, 2018 at 3:00pm — 28 Comments
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
मेरी सारी वफ़ा ओबीओ के लिये
काम करता सदा ओबीओ के लिये
दिल यही चाहता है मेरा दोस्तो
जान करदूँ फ़िदा ओबीओ के लिये
आठ क्या,आठ सो साल क़ाइम रहे
है यही इक दुआ ओबीओ के लिये
मेरे दिल में कई साल से दोस्तो
जल रहा इक दिया ओबीओ के लिये…
Posted on April 2, 2018 at 3:00pm — 36 Comments
फ़ाइलातुन फ़इलातुन फ़इलातुन फेलुन
लोग हैरान थे,रिश्ता सर-ए-महफ़िल बाँधा
उसने जब अपनी रग-ए-जाँ से मेरा दिल बाँधा
हर क़दम राह मलाइक ने दिखाई मुझ को
मैंने जब अज़्म-ए-सफ़र जानिब-ए-मंज़िल बाँधा
जितने हमदर्द थे रोने लगे सुनकर देखो
अपने अशआर में जब मैंने ग़म-ए-दिल बाँधा
जल गये जितने सितारे थे फ़लक पर यारो
अपनी ज़ुल्फ़ों में जब उसने मह-ए-कामिल बाँधा
शुक्र तेरा करें किस मुंह से…
ContinuePosted on March 27, 2018 at 12:31pm — 22 Comments
मफ़ऊल मफ़ाईल मफ़ाईल फ़ऊलुम
सोई हुई ख़्वाहिश को जगाना ही नहीं था
ख़्वाबों में मेरे आपको आना ही नहीं था
बाग़ी है अगर तुझ से तो अब कैसी शिकायत
औलाद का हक़ तुझको दबाना ही नहीं था
वो होके पशेमान यही बोल रहे हैं
मासूम पे इल्ज़ाम लगाना ही नहीं था
सब,झूट यही कह के यहाँ बोल रहे थे
सच बोलने वालों का ज़माना ही नहीं था
बहरों की ये बस्ती है "समर" जान गये थे
फिर तुमको यहाँ शोर…
ContinuePosted on March 19, 2018 at 2:00pm — 37 Comments
आदरणीय समीर कबीर साहिब आदाब , आपको थोड़ा कष्ट दे रहा हूँ क्योंकि ग़ज़ल में जितनी जानकारी आपको है शायद मेरी जानकारी में और कोई नहीं है | मैं कुछ शे'र ग़ालिब के पढ़ रहा था और उनके बहर जांच कर रहा था अपनी जानकारी केलिए | दो शेर में अटक गया हूँ ,नीचे लिखा है :-
बेनिया/जी हद से गुज/री , बन्दा पर/वर कब तलक
२१२/ २२१ २/ 1222 / २२१२
हम कहें/गे हाले दिल, और आ/प फरमाएं/गे क्या
२१२/ २२१ २ / २१२ / १ 222 /२२(१२)
गर किया /नासेह ने/ हमको कै/द ,अच्छा यूं स/ही
२१२/ २२१२/ 212 /२२ २१/२
ये जुनू/ने -इश्क के /अंदाज़ छुट /जायेंगे क्या
212/ २२१२/ 221२/ 2212
कृपया आप इस्नके सही बहर बताने का कष्ट करें |
सादर
आदरणीय समर सर मेरे मित्रता के निवेदन को स्वीकार करके आपने मुझे अपना आशीर्वाद दिया है मेरे तकरीबन हर रचना को आपका मार्गदर्शन मिलता रहा है इससे अगले रचना में एक नयी सोच मिलती है आपका स्नेह और आशीवाद यूं ही सतत मिलता रहे इस कामना के और सदर प्रणाम के साथ सादर
janab samar kabeer sahab aadab, hosla afzayi ke liye shukriya , 1. ar ka matlab hai agar...aur 2.chhar ka matlab hai ..khayal.
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