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Chetan Prakash
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  • अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी
  • DR ARUN KUMAR SHASTRI
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  • Manan Kumar singh
  • आशीष यादव
 

Chetan Prakash's Page

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"होली के रंग ः दोहे होली उत्सव स्नेह का, मत कीजै हड़दंग। मत कीचड़ बरसाइये, मत करिए बदरंग ।। कीजै कुछ ऐसा सखा, बरसे.. खूब.. बसंत। रंग - बिरंगी हो छटा., फागुन बसे अनंत ।। बासंती हो हर दिशा, खिले धूप हर अंग । भ्रमर कली से गुँथ रहे, मुखर होत अनंग।। ऐसा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"होली गीत ः होली की आई बहार है पसरा जगह जगह बसंत औ धरा फागुनी बयार है फूल खिले हैं बाग-बगीचे जगती कामदेव कहार है होली की आई बहार है.. जनगण का मन हुआ प्रफुल्लित प्रकृति हुआ सब श्रृंगार है कली-कली गदराई देखो फुलवारी हँसे घर द्वार है आई होली की बहार…"
Saturday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post है खुश खूब झकझोर डाली हवा- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"छोटी बह्र पर अच्छी ग़ज़ल  ! दूसरे शे'र का सानी यूँ बेहतर होता , ' बजा पात देती है ताली हवा ' , बधाई,' मुसाफिर' साहब  ! "
Mar 12
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी and Chetan Prakash are now friends
Feb 29
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आदरणीय, अमित जी आप सही कह रहे हैं। ऐसी अवस्था, सभी, में / पर / पे महर्षि पाणिनी की व्याकरण के अनुसार सही हैं। क्षमा करें, मुझे आदरणीय नीलेश जी की टिप्पणी इस संदर्भ में अनावश्यक जान पड़ी। सादर"
Feb 25
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आ. Richa Yadav ji, आप  ग़ज़ल तक  पहुँची,  आभार  व्यक्त करता हूँ ! गुणीजन वृन्द के सुझावों का मैं पहले ही  संज्ञान ले चुका हूँ ! सादर "
Feb 24
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आदरणीय,  अमित जी, आदाब! आपका कोटिश: साधुवाद  कि आने मार्ग दर्शन कर  कृतार्थ किया ! सादर "
Feb 24
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आदरणीय  नीलेश जी,  आपने कहा " मतले में  मज़ार पे  आएगा, विचार कीजिएगा " कृपया स्पष्ट करें कि  उक्त  टीप का  आशय सम्बन्ध बोधक अव्यय को  लेकर है , क्या  ?"
Feb 24
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आ. भाई अजय गुप्ता 'अजेय आभार आपका  ग़ज़ल तक पहुँचे ! "
Feb 23
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आ. धन्यवाद,  लेकिन  आ.अमित जी को  सम्बोधित  मेरा उत्तर पढ़ लें ! आपकी जिज्ञासा शांत हो जाएगी। "
Feb 23
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आ. भाई जनित कुमार मेहता,  आभार,  आप ग़ज़ल तक पहुँचे ।  "मुझे कुछ अशआर में रब्त की कमी लग रही है " बेहतर  होता ऐसे अशआर आप उद्धृत करते । कुछ शे'र अस्पष्ट हैं, आ. यह पहलू शे'र पढ़ने वाले की समझ पर निर्भर करता…"
Feb 23
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"आदाब,  अमित जी,  ग़ज़ल तक पहुँचने  की ज़हमत आपने उठाई, इसके लिए आपका आभारी हूँ !  " दिखता नहीं जुनून  कहीं अब × प्यार में" आप  सही कह रहे हैं ! सानी मिसरा इस तरह संशोधित किया है : 'दिखता नहीं जुनून…"
Feb 23
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-164
"221 2121 1221 212 कस्तूरी कच्ची मिट्टी हुई इस बयार में तूने नहीं सुघाँया मुझे अब की बहार में बेबस है आदमी यहाँ हर शख़्स मार में नासाज़ है ख़ुदा भी हमारा बहार में मनसूब जिनसे हम हुए ता उम्र दुख मिला अब मिट गया वजूद भी इस बार हार में हमराह कोई…"
Feb 23
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-163
"आदरणीय नीलेश 'नूर' साहब ग़ज़ल तक पहुँचने के लिए  आपका आभार  ! " दुश्मन-ए-जाँ तूने  कभी  हम से  वफ़ा नहीं किया" // वफ़ा स्त्रीलिंग शब्द हैअत: वाक्य नहीं बनता है .. तूने  में  तू को गिराकर …"
Jan 26
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-163
"ग़ज़ल 2112 1212 2112 1212 दुश्मन ए जाँ तूने कभी हम से वफ़ा नहीं किया वादा किया उधार पी कर्ज़ अदा नहीं किया आज हमें नसीहतें देते हैं लोग शान से उनको कभी हमीं ने कुछ भी तो अता नहीं किया दुनिया रही खिलाफ़ फिर तुमने ही साथ कब दिया चलते रहे डगर…"
Jan 26
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा ग़ज़ल
"वाह आदरणीय जी बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बनी है । हार्दिक बधाई सर"
Jan 11

Profile Information

Gender
Male
City State
Baraut
Native Place
Hapur
Profession
Teaching
About me
I'm a poet rather born than made or trained since my childhood

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ग़ज़ल

2122 1122 1122 22 / 112

अंधा आँखों का है हर शख़्स बता देगा तुम्हें

ख़ार खाया है ये जन्मों का दग़ा देगा तुम्हें

गुरु वो घंटाल ज़माने कभी सय्याद रहा

काट कर पर वो रखेगा जो सज़ा देगा तुम्हें

झाँसे में उसके न आया करो जानाँ कभी तुम

रहती दुनिया का दरिन्दा वो क़जा देगा तुम्हें

है नशा उसको सदारत का कई बज़्म सुना

ना तुम्हारा न वो मेरा ही जता देगा तुम्हें

है वो ख़ुदगर्ज़ निहायत कहीं हद से ज़ियादा

ख़ुद…

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Posted on December 20, 2023 at 6:00pm — 2 Comments

एक ताज़ा ग़ज़ल

2122 1122 1122 22

ख़्वाब से जाग उठे शाह सदा दी जाए

पकड़े जायें अभी क़ातिल वो सज़ा दी जाए

बख़्श दी जाए कहीं जान ख़वातीनों की

अब तो ज़ालिम को कड़ी कोई सज़ा दी जाए

घूमते हैं वो दरिन्दे भी नकाबों में अब तो

जितना जल्दी हो उन्हें मौत बजा दी जाए

लोग अच्छे ही परेशान हैं वहशी दरिन्दों

इन्तिहाँ हो गयी अब लौ वो बुझा दी जाए

ज़ात इन्साँ की पशेमाँ है ज़रायम से 'चेतन'

तूफाँ कोई तो उठा कर…

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Posted on November 27, 2023 at 12:57pm — 2 Comments

एक ताज़ा गज़ल

2121 2122 2121 212

खो गया सुकून दिल का कार हो गया जहाँ

गुम गया सनम भँवर में ख़ार हो गया जहाँ

कामयाबी तौलती दुनिया भरोसे जऱ ज़मी

फार्म जिनके हैं नहीं गुड़मार हो गया जहाँ

ज़िन्दगी जिसे कहा हमने कहीं छुपा गया

है निशान अपने ज़ालिम पार हो गया जहाँ

कार-ए-दुनिया और कुछ हैं और कुछ दिखें ख़ुदा

मारकाट हाल कारोबार हो गया जहाँ

तोड़ हद रहे सभी अब तो अदब जहान में

लाज लुट रही घरों मुरदार हो गया…

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Posted on November 8, 2023 at 8:30pm

एक और ग़जल ः

2121 2122 2122 212



ढूढ़ ले हबीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके

साथ हो नसीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



छोड़ देता रोना-धोना मस्त जीता ज़िन्दगी

दोस्त हो करीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



मरता जीता मुश्किलों तू आदमी है बदगुमाँ

साध ले सलीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



ज़ीस्त बोझ बन गई हर शख़्स वो है झींकता

जाम हो अजीब कोई जिन्दगी तो हो सके



खो चुका ख़ुलूस आदम हो गया बे होश है

दोस्त हो ग़रीब कोई ज़िन्दगी तो हो सके



उम्र सारी वो गँवा दी… Continue

Posted on September 24, 2023 at 9:46am — 1 Comment

Comment Wall (3 comments)

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At 6:35am on July 22, 2021, रणवीर सिंह 'अनुपम' said…
आदरणीय, चेतन जी, "दोहे : कैसे- कैसे  लोग" शीर्षक के तहत लिखे गए दोहे बहुत सुंदर हैं और बहुत अच्छे लगे।

निम्न चरण विधान में न होने से इनमें लय भंग है। जिसे दूर करने की जरूरत है।

जन्म-भूमि स्वर्ग सम हो
(कारण-नवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

कृतघ्न पक्के लोग
(कारण-आरंभ में जगण "कृतघ्न"आ रहा है, जो नहीं होना चाहिए)

कर रहे बस भोग
(कारण-एक मात्राभार कम है, साथ ही पाँचवीं मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

न हों कभी बदनाम
(कारण-पहली मात्रा पर शब्द पूरा हो रहा है जो नहीं होना चाहिए)

विद्या  हमें  सिखाती है,
(कारण-13 मात्राओं की जगह 14 मात्राएँ हैं, जो नहीं होनी चाहिए)

कर अन्याय प्रतिकार
(कारण-11 की जगह 12 मात्राएँ हैं जो नहीं होनी चाहिए)
At 11:46pm on November 22, 2020, DR ARUN KUMAR SHASTRI said…

भाई चेतन जी
नमन -
इस्लाह का
सलीका आ जायेगा
मैंने आज तलक
मुकम्मल तो कोई देखा नहीं
गलतियां निकालोगे-
तो सीखूंगा ही ।।
मैं तो अधूरा था
अधूरा रहा
और हूँ अब तलक
आज आया हूँ आपकी बज्म में
कुछ सिखा दोगे -
तो सीखूंगा भी ।।

At 11:59am on June 27, 2020, Samar kabeer said…

जनाब चेतन प्रकाश जी,ये टिप्पणी आप मुशाइर: में दें,तो मुझे जवाब देने में आसानी होगी ।

 
 
 

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Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
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" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
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"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
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