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AMAN SINHA
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AMAN SINHA posted a blog post

तुम ना आया करो ख्वाब मे

तुम ना आया करो ख्वाब में हमें रुलाने के लिएटूट चुके उन नातों को फिर से तोड़ जाने के लिएतुम जा चुके हो मान लो, इस सत्य को तुम जान लोउस जहां से ना आया करो हमें सताने के लिएतुम्हें गए हुए अब दो वर्ष बीत चुके हैबिन तुम्हारे जीना अब हम सीख चुके हैतुम लौटा ना करो सपनों में हमें जगाने के लिएरात भर जाग कर बस तुम्हें भुलाने ले लिएमुझे मालूम हैं के हम अंतिम क्षण मिल ना पाए थेमैं खड़ा था वहीं पर मैंने कदम नहीं बढ़ाए थेअब आगे बढ़कर तुम मेरे पास ना आया करोमेरा हाथ ना थामो तुम अब साथ ले जाने के लिएजो कोई फर्ज़ रह…See More
Mar 14
AMAN SINHA commented on AMAN SINHA's blog post मैं रोना चाहता हूँ
"आदरणीय रचना भाटिया जी, आपके सराहना के लिए असंख्य धन्यवाद| मुझे लगा था कि कोई इसे मेरे नज़रिए से देख नहीं पायेगा, मगर आपने देख लिया| मैं अवश्य हीं टंकण सुधार करूँगा| धन्यवाद, सादर||"
Mar 9
Rachna Bhatia commented on AMAN SINHA's blog post मैं रोना चाहता हूँ
"आदरणीय अमन सिन्हा जी,आज का आदमी मजबूरियों को सहते सहते किस प्रकार असंवेदनशील होता जा रहा है।आपकी कविता से स्पष्ट हो रहा है। बधाई स्वीकारें। कुछ टंकण त्रुटियाँ हो गई है। ठीक कर लें। सादर।"
Mar 9
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मैं रोना चाहता हूँ

मैं रोना चाहता हूँबस एक बार रोना चाहता हूँअपने आँखों को आँसुओं सेखूब भींगोना चाहता हूँबस एक बार रोना चाहता हूँपता नहीं कब क्यूँ और कैसेआँसू मेरे सुख गएदर्द मिला है इतना के अबदर्द के नाले सुख गएबस रोकर उनको फिर से मैंगीला करना चाहता हूँबस एक बार रोना चाहता हूँयाद पड़ा जब छोटा थाबात-बात पर रोता थाथक जाता जब रो-रो करमाँ के गोद में सोता थाफिर एक बार मैंउस गोद में सोना चाहता हूँबस एक बार रोना चाहता हूँकिंतु अब मुझको माँ का दर्द भीजरा भी विचलित नहीं करताचाहे ज़ोर लगा लूँ जितनामन भारी नहीं होताचोट लगाकर…See More
Feb 27
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तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते

तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करतेकरते भी हो तो इजहार नहीं करतेकहो, क्यों पहले जैसा प्यार नहीं करते?और करते हो तो क्यों इजहार नहीं करते?क्यूँ जुबा पर बातें तेरी आते-आते रुक जाती है?पहले जैसी लबों से तेरी क्यूँ फिसल ना जाती है?पहले जैसी क्यूँ अब तेरी साँसे तेज़ नहीं चलती?मेरी जैसी तेरी आहें अब क्यों बात नहीं करती?क्यूँ अब तुम पहले जैसा कोई शिकवा नहीं करते?क्यूँ छोटी-छोटी बातों पर तुम मेरे साथ नहीं लड़ते?क्यूँ अब तेरा हँसना रोना बिन मेरे हो जाता है?क्यूँ अब तकिया लगाकर तू बिन मेरे सो जाता है?क्यूँ…See More
Feb 25
AMAN SINHA posted a blog post

हम तुम तो ऐसे ना थे

वही दिन है वही रातें जैसे वर्षों पहले थेपर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थेअब भी पुरानी तसवीरों में ऐसी है मुस्कान तेरीजैसे कोई बांध के रख दे नज़रों से जुबान मेरी सन्दुक में रखे कपड़े तेरे नए आज भी लगते हैंतेरी यादों की खुशबू से महके-महके से रहते हैंहंसी पुरानी गयी कहाँ अब तेरे कपड़े तो ऐसे ना थेपर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे बातें करने का वो लहजा क्यों बदला सा दिखता हैअल्हड़ सी तेरी चाल में अब क्यों कोई अकड़ सा दिखता हैसूरत तेरी पहले जैसी पर भोलापन अब रहा नहींसीरत में भी सादापन…See More
Feb 22
AMAN SINHA posted a blog post

करूंगा याद तुम्हें इतना

करूंगा याद तुम्हें इतना, मुझे भुला ना पाओगेजपूँगा नाम मैं इतना, कि पानी पी ना पाओगेहरेक आहट पर ये सोचोगे, मेरी आहट कहीं ना होदिखूँगा ख्वाब में इतना, कभी तुम सो ना पाओगेरहूँगा पास मैं इतना, जुदा तुम हो ना पाओगेरहूँगा सांस में ऐसे, अकेले रह ना पाओगेकभी जो छोड़ना चाहो, मुझे तन्हा अंधेरे मेंहै मेरा वायदा तुमसे, अकेले चल ना पाओगेजो गाओगे गीत कोई भी, ज़हन में बस मैं हीं होऊंगाअश्क जब भी तुम बहाओगे, नज़र में मैं हीं रोऊंगामैं तेरे दिल में रहता हूँ, जरा धड़कन कभी सुन लोतड़पना छोड़ भी दो तुम, धड़कना मैं ना…See More
Feb 11
PHOOL SINGH commented on AMAN SINHA's blog post वक़्त को भी चाहिए वक़्त
"बहुत बढ़िया महोदय "
Jan 27
AMAN SINHA posted a blog post

वक़्त को भी चाहिए वक़्त

वक़्त को भी चाहिए वक़्त, घाव भरने के लिएज़ख्म कितने है लगे, हिसाब करने के लिएबस दवाओं से हमेशा, बात बनती है नहींएक दुआ भी चाहिए, असर दिखाने के लिएखींच लेता हैं समंदर, लहरों को आगोश मेंसागर तो होना चाहिए, सैलाब लाने के लिएपानी में डूबा हुआ, लोहा कभी सड़ता नहींबस हवा हीं चाहिए, उसे जंग खाने के लिए खो देते है शान भी, तलवार म्यान में रखेदुश्मन तो होना चाहिए, इंतकाम के लिएबर्फ जम जाते है, वीरों के भुजाओं परआग होनी चाहिए, जंग लड़ने के लिएबिन जले भट्ठी में सोना, कुंदन कभी बनता नहीफौलाद को भी तपना पडा…See More
Jan 23
AMAN SINHA posted a blog post

दासतां दिल की

कभी मैं दासतां दिल की, नहीं खुल के बताता हूँकई हैं छंद होंठो पर, ना उनको गुनगुनाता हूँअभी तो पाया था मैंने, सुकून अपने तरानों सेउसे तुम भी समझ जाओ, चलो मैं आजमाता हूँ जो लिखता हूँ जो पढ़ता, हूँ वही बस याद रहता हैबस कागज कलम हीं है, जो मेरे पास रहता हैभरोसा बस मुझे मेरी, इन चलती उँगलियों पर हैज़हन जो सोच लेता है, कलम वो छाप देता है भले दो शब्द हीं लिक्खु, पर उसके मायने तो होसजाने को मेरे घर में , कोई एक आईना तो होभला करना है क्या मुझको, बताओं शीश महलो सेसुकूं से छिपा लूँ सिर मैं अपना ऐसा कोई एक…See More
Jan 16
AMAN SINHA posted a blog post

अपनो को खो देने का ग़म - २६/११ की याद में

अपनों को खो देना का ग़म, रह रह कर हमें सताएगाचाहे मरहम लगा लो जितना, ये घाव ना भरने पाएगाकैसे हम भुला दे उनको, जो अपने संग हीं  बैठे थेरिश्ता नहीं था उनसे फिर भी, अपनो से हीं लगते थे कैसे हम अब याद करे ना, उन हँसते-मुस्काते चेहरों कोएक पल में हीं जो तोड़ निकल गए, अपने सांस के पहरों कोहम थे,  संग थे ख्वाब हमारे, बाकी सब दुनियादारी थीलेकिन उस दुनिया में तो, उन की भी हिस्सेदारी थी चहल पहल थी वहाँ हमेशा मदहोशी का आलम थालेकिन घात लगाकर बैठा एक आतंकी अंजान भी थासब थे खोए अपनी धुन में, नज़र सभी की अपनो…See More
Jan 10
आचार्य शीलक राम commented on AMAN SINHA's blog post हम मिलें या ना मिलें
"बढिया"
Dec 29, 2022
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उपकार

तेरे उपकार का ये ऋण, भला कैसे चुकाऊंगा? दबा हूँ बोझ में इतना, खड़ा अब हो ना पाऊँगा मेरी पूंजी है ये जीवन, जो तुम चाहो तो बस ले लो सिवा इसके तुम्हें अर्पण, मैं कुछ भी कर ना पाऊँगा          दिया था हाथ जब तुमने, मैं तब डूबता हीं था सम्हाला था मुझे तुमने, के जब मैं टूटता हीं था मैं भटका सा मुसाफिर था, राह तू ने था दिखलाया गलत था मेरा हर रस्ता, सही तूने बताया था              मैं खुद से चल नहीं पाता, जो तेरा हाथ ना होता बिखर जाता मैं यूं कबका, जो तेरा साथ ना होता खड़ा हूँ आज पैरों पर, नहीं गुमान ये…See More
Dec 26, 2022
Tapan Dubey commented on AMAN SINHA's blog post उम्मीद
"बहुत खूब अमन जी , बड़ी अच्छी रचना हुई है , बहुत बहुत बधाई।"
Dec 23, 2022
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उम्मीद

डूबते को जैसे तिनके का, सहारा काफी होता हैहर निराश चेहरे का, उम्मीद हीं साथी होता हैअंधेरी गुफा में जब कोई राही, अपनी राह बनाता हैआँखों से कुछ दिख ना पाए, उम्मीद पर बढ़ता जाता है जब कोई अपना संगी-साथी, अपनों से बिछड़ जाएऔर दूर तक उसके पग के, निशां ना हमको मिल पाएतब भी ये उम्मीद हीं है, जो हमको बांधे रखती हैमिल जाएगा हमदम अपना, हरदम कहती रहती है जब सफलता द्वार खड़ी हो, पर हमको ना मिल पाएऔर विफलता आगे बढ़कर, हमको गले लगा जाएतब भी है उम्मीद ये कहती, थकने की कोई बात नहींछोटी सी है कट जाएगी, ये युगों…See More
Dec 20, 2022
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on AMAN SINHA's blog post जा रे-जा रे कारे काग़ा
"अच्छी रचना है भाई अमन...बधाई"
Dec 13, 2022

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तुम ना आया करो ख्वाब मे

तुम ना आया करो ख्वाब में हमें रुलाने के लिए

टूट चुके उन नातों को फिर से तोड़ जाने के लिए

तुम जा चुके हो मान लो, इस सत्य को तुम जान लो

उस जहां से ना आया करो हमें सताने के लिए



तुम्हें गए हुए अब दो वर्ष बीत चुके है

बिन तुम्हारे जीना अब हम सीख चुके है

तुम लौटा ना करो सपनों में हमें जगाने के लिए

रात भर जाग कर बस तुम्हें भुलाने ले लिए



मुझे मालूम हैं के हम अंतिम क्षण मिल ना पाए थे

मैं खड़ा था वहीं पर मैंने कदम नहीं बढ़ाए थे

अब आगे बढ़कर तुम… Continue

Posted on March 14, 2023 at 10:12am

मैं रोना चाहता हूँ

मैं रोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ

अपने आँखों को आँसुओं से

खूब भींगोना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ



पता नहीं कब क्यूँ और कैसे

आँसू मेरे सुख गए

दर्द मिला है इतना के अब

दर्द के नाले सुख गए

बस रोकर उनको फिर से मैं

गीला करना चाहता हूँ

बस एक बार रोना चाहता हूँ



याद पड़ा जब छोटा था

बात-बात पर रोता था

थक जाता जब रो-रो कर

माँ के गोद में सोता था

फिर एक बार मैं

उस गोद में सोना चाहता हूँ

बस… Continue

Posted on February 27, 2023 at 12:52pm — 2 Comments

तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते

तुम मुझसे पहले जैसा प्यार नहीं करते

करते भी हो तो इजहार नहीं करते

कहो, क्यों पहले जैसा प्यार नहीं करते?

और करते हो तो क्यों इजहार नहीं करते?



क्यूँ जुबा पर बातें तेरी आते-आते रुक जाती है?

पहले जैसी लबों से तेरी क्यूँ फिसल ना जाती है?

पहले जैसी क्यूँ अब तेरी साँसे तेज़ नहीं चलती?

मेरी जैसी तेरी आहें अब क्यों बात नहीं करती?



क्यूँ अब तुम पहले जैसा कोई शिकवा नहीं करते?

क्यूँ छोटी-छोटी बातों पर तुम मेरे साथ नहीं लड़ते?

क्यूँ अब तेरा हँसना… Continue

Posted on February 25, 2023 at 12:31pm

हम तुम तो ऐसे ना थे

वही दिन है वही रातें जैसे वर्षों पहले थे

पर अब जैसे तुम मिले हो पहले तो ऐसे ना थे

अब भी पुरानी तसवीरों में ऐसी है मुस्कान तेरी

जैसे कोई बांध के रख दे नज़रों से जुबान मेरी 

सन्दुक में रखे कपड़े तेरे नए आज भी लगते हैं

तेरी यादों की खुशबू से महके-महके से रहते हैं

हंसी पुरानी गयी कहाँ अब तेरे कपड़े तो ऐसे ना थे

पर अब जैसे तुम मिले…

Continue

Posted on February 22, 2023 at 10:00am

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"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गीत पर उपस्थिति, स्नेह एवं मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए आभार। "
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, सादर आभार।"
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"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
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"सादर"
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"बात तो उचित है. आप संशोधित रचना यहीं, इसी आयोजन में पोस्ट कर दें, आदरणीय."
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