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AMAN SINHA's Blog (136)

ना जइयो परदेस सजनवा

ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे रे 

तोहरी राह तकते तकते हमरी, प्राण निकल ना जावे रे

जे तू हमरी सुध ना लेवे, ना हमारी पाती लौटावे रे 

तोहरी क़सम हम तोहरी खातिर भूख प्यास भी त्यागे रे

ना जइयो परदेस सजनवा, बिन तेरे हिया ना लगे…

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Added by AMAN SINHA on September 9, 2023 at 11:57pm — No Comments

भोर होने को है देखो

भोर होने को है देखो, छट रहा है अंधेरा 

किस संशय ने तुमको अब भी रखा है घेरा 

बढ़ा कदम दिखा ताक़त तू अपने बुलंद इरादो की

कौन सी है दीवार यहाँ जिसने तुझको रोखे रखा है 

तू अगर चलेगा तो, मंज़िल भी तुझ तक आएगी 

भला बता वो तुझसे…

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Added by AMAN SINHA on September 2, 2023 at 7:33pm — No Comments

फोन आया

फोन आया, 

कई सालों के बाद 

फिर उसका फोन आया 

पहले जब 

घंटी बजती थी, 

दिल की धड़कन भी बढ़ती थी 

लेकिन आज फोन बजा 

तो धड़कन ने इशारा नहीं…

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Added by AMAN SINHA on August 19, 2023 at 9:00pm — 1 Comment

एक जनम मुझे और मिले

एक जनम मुझे और मिले मैं देश की सेवा कर पाऊं 

दुध का ऋण उतारा अब तक, मिट्टी का ऋण भी चुका पाऊं 

 

मुझको तुम बांधे ना रखना अपनी ममता के बंधन में 

मैं उसका भी हिस्सा हूँ तुमने है जन्म लिया जिसमे  

 

शादी बच्चे घर संसार, ये सब मेरे पग को बांधे है 

लेकिन मुझसे मिट्टी मेरी बस एक बलिदान ही मांगे है 

 

सब ही आंचल मे छुपे तो देश को कौन सम्हालेगा 

सीमा पर शत्रु सेना से फिर कौन कहो लोहा लेगा 

 

तुमने दुध पिलाया मुझको…

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Added by AMAN SINHA on August 15, 2023 at 1:30pm — No Comments

नलके का पानी

ठंडा है मीठा है थोड़ा सा गाढ़ा है 

पर मेरे घर तक आता है नलके का पानी 

जब भी दिल चाहे प्यास बुझाता है 

ठंडक दे जाता है नलके का पानी 

जब से घर आया है सबको लुभाया है 

हिम्मत बढ़ाया है नलके का पानी…

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Added by AMAN SINHA on August 13, 2023 at 9:10am — No Comments

जॉन तुम जीवन हो

तुमको पढ़ा तुमको जाना तो ये समझ में आया है

कितनी बेकरारी को समेट कर तूने कोई एक शेर बनाया है

 

रईसी ऐसी की बस इशारों में मुआ हर काम हो जाए

फकीरी ऐसी की जो सब पाकर भी बेइंतजाम हो जाए

 

हमने सुने है किस्से तेरी बेरुखी की ज़िंदगी से

शोहरत पाकर भी कोई कैसे तुझसा बेनाम हो जाए

 

लिखा जो तूने कहा जो तूने कोई ना जान सका

तू सभी का है अभी पर तब तुझे कोई ना पहचान सका

 

आज नज़्में तेरी दासतां बताती है

कैसे…

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Added by AMAN SINHA on August 6, 2023 at 8:56pm — No Comments

तेरी मर्ज़ी है

कभी दिलबर बताते हो, कभी रहबर बताते हो

ये मर्ज़ी है बस तेरी, जो मर्ज़ी बताते हो

कभी सुनते हमारी बात, कबसे जो दबी दिल में

हमें अपना बताकर तुम, बड़ा दिल को जलाते हो

 

जीवन है सफर लंबा, मगर जो तुम हो तो कट जाए

राह है जो सदियों की, वो पल भर में सिमट जाए

बिना तेरे ना चल पाएं, कदम दो चार भी हम तो

थाम कर हम तेरा दामन, चलो उस पार हो…

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Added by AMAN SINHA on July 29, 2023 at 10:20pm — No Comments

ढूँढता हूँ कब से

ढूँढता हूँ कब से मुझमे मुझसा कुछ तो हो

सोच हो, आवाज़ हो, अंदाज़ हो, ना कुछ सही सबर तो हो

 

क्यूँ करूँ परवाह खुद की संग क्या ले जाना है

बिन बुलाये आए थे हम बिन बताए जाना है

क्यूँ बनाऊ मैं बसेरा डालना कहाँ है डेरा

जिस तरफ मैं चल पड़ा हूँ उस गली है बस अंधेरा

 

क्या करूँ तालिम का मैं बोझ सा है पड गया

है सलिका खूब इसमे, पर, सर पर मेरे चढ़…

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Added by AMAN SINHA on July 23, 2023 at 7:55am — 2 Comments

एक चेहरा जो याद नहीं

एक चेहरा जो याद नहीं, एक चेहरा जो मैं भूल गया

तस्वीर भला मैं क्या खिंचू, तस्वीर बनाना भूल गया

एक लम्हा जो ना लौटा फिर, वो एक लम्हा जो मैं भूल गया

यादें अब समेटूँ कैसे मैं, जो यादें बनाना भूल गया

एक गली जो कभी फिर मिली नहीं, वही गली जो मैं भूल…

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Added by AMAN SINHA on July 16, 2023 at 12:16am — 3 Comments

मैं चाँद तू चकोरा

मैं चाँद तू चकोरा मेरे बिन तू अधूरा 

जो तू मिल जाए मुझसे मैं हो जाऊँ पूरा 

तेरे बिन जीने में है क्या बात मितवा

बस तुझको दिल मेरा दे आवाज़ मितवा

तू भी भागे मेरी ओर मैं भी भागूं तेरी ओर 

बांधे तुझको मुझको है कोई अनदेखी सी…

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Added by AMAN SINHA on July 8, 2023 at 5:59am — No Comments

मन के जीते जीत है

मन के जीते जीत है मन के हारे हार

मन चाहे तो मिल जाए आँगन में हरिद्वार

क्यों चले बाज़ार में करने को चित्कार 

मन की बात जो मान गए हो जाए सब उपचार 

बस मन हिन मानिए पट दिखलाए सटीक 

वापस लौट के आ जाए पथ से भटका…

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Added by AMAN SINHA on July 2, 2023 at 8:16am — No Comments

तेरे रूठने का सिलसिला

तेरे रूठने का सिलसिला कुछ ज्यादा हीं बढ़ गया है 

लगता है मुझे दिल का किराया बढ़ाना होगा 

बहुत जिये तेरी उम्मीद के साये में अब तक 

अब खुदका एक तय आशियाँ बनाना होगा 

सब जानते है पता जिसने ताजमहल बनवाया था 

मगर उन गुमशुदा…

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Added by AMAN SINHA on June 24, 2023 at 11:24pm — 1 Comment

सभी कुछ जनता हूँ मैं

मोहब्बत है या नफरत है सभी कुछ जनता हूँ मैं 

इन लहजों को अदाओं को बहुत पहचानता हूँ मैं 

तेरे आने से फैली है जो खुशबू इन हवाओं में 

इस खुशबू से उस आहट तक तुझे पहचानता हूँ मैं 

कभी कुछ सोचना चाहा ख़यालों में तुम्ही ही आए …

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Added by AMAN SINHA on June 16, 2023 at 8:39pm — 1 Comment

कैसे कर लेते हो

दबा कर आँखों में आँसू यूं मुस्कुरा जाते हो तुम 

देकर खुशियाँ अपने हिस्से की हमें ग़म भुला जाते हो तुम 

कैसे अपने एहसासों को ज़ुबां पर आने नहीं देते 

दिल के बवंडर को क्यों बह जाने तुम नहीं देते 

कैसे हर बार तुम हीं अपने अरमानो को दबाते हो …

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Added by AMAN SINHA on June 10, 2023 at 6:47am — No Comments

पुकार

कैसी ये पुकार है? कैसा ये अंधकार है 

मन के भाव से दबा हुआ क्यों कर रहा गुहार है? 

क्यों है तू फंसा हुआ, बंधनों में बंधा हुआ 

अपनी भावनाओं के रस्सी में कसा हुआ 

त्याग चिंताओं को अब चिंतन की राह धरो

स्वयं पर विश्वास कर दृढ़ हो…

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Added by AMAN SINHA on June 3, 2023 at 7:26pm — No Comments

तीन जन्म नारी के

एक जीवन मे नारी का तीन जन्म होता है 

लेकिन हर जनम मे उसका कर्म अलग होता है 

पहला रूप है पुत्री का, पिता के घर वो आती है 

संग में अपने मात-पिता का स्वाभिमान भी लाती है 

यहाँ कर्म हैं मात-पिता की सेवा निशदिन करते रहना …

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Added by AMAN SINHA on May 21, 2023 at 6:00am — No Comments

क्या रंग है आँसू का

क्या रंग है आँसू काकैसे कोई बतलाएगा
सुख का है या दु:ख का है ये कोई कैसे समझाएगा
 
कभी किसी के खो जाने से, कोई कभी मिल…
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Added by AMAN SINHA on May 14, 2023 at 8:30am — 1 Comment

मेरी खूबसूरती श्राप है

मेरी खूबसूरती श्राप है 

मेरे पूर्व जन्म का पाप है 

जितनों को मैंने छला होगा 

ये उन सबका अभिशाप है 

घर से निकल ना पाऊँ मैं 

रास्ते पर चल ना पाऊँ मैं  

कपड़े गहनों की बात हीं…

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Added by AMAN SINHA on May 7, 2023 at 6:39am — 1 Comment

मैं जिया हूँ दो दफा

मैं जिया हूँ दो दफा और दो दफा हीं मैं मरा हूँ

पर अधूरी ख्वाहिशो संग हर दफा हीं मैं रहा हूँ

चाह मेरी जो भी थी वो मेरे पास थी सदा

पर मेरे पहुँच से देखो दूर थी वो सर्वदा

 

राह जो चुनी थी मैंने पूरी तरह सपाट थी

पर मेरे लिए हमेशा बंद उसकी कपाट थी

मैंने जो गढ़ी इमारत दीवार जो बनाई थी

उसकी नींव में हमेशा हो रही खुदाई थी

 

मैं चला था साथ जिसके मंज़िलों के प्यास में

वो रहा था पास मेरे किसी दूसरे के आस में

साथ…

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Added by AMAN SINHA on May 1, 2023 at 5:30am — 2 Comments

पुश्तैनी कर्ज़

चार रुपये लिए थे, मेरे दादा ने कर्ज़ में

कल तक बाबा चुका रहे थे, ब्याज उसका फर्ज़ में

 

रकम बढ़ी फिर किश्त की, हर साल के अंत में

मूलधन खड़ा है अब भी, ब्याज दर के द्वंद में

 

चार बीघा ज़मीन थी, अपना खेत खलिहान था

हँसता खेलता घर हमारा, स्वर्ग के समान था

 

बाढ़ आयी सब तबाह हुआ, बाबा की हिम्मत टूट गयी

कल तक जो खिली हुई थी, किस्मत जैसे…

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Added by AMAN SINHA on April 23, 2023 at 8:32am — 2 Comments

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